Posted in हिन्दू पतन

Pakistan : AN ATTACK ON HISTORY:

In February 1969, the Karachi Municipal Corporation changed the names of the mohallas and quarters as following:

• Bhimpura was changed to Kutchi Para;

• Dharamsiwara to Islampura;

• Tahil Ram Quarters to Tariq Lane Quarters;

• Solider Bazar Quarters to Mujahid Quarters;

• Ramaswami Quarters to Rehmania Quarters;

• Ranchhore Line Quarters to Gazderabad Quarters;

• Frere Quarters to Faruq Azam Quarters;

• Preedy Quarters to Pir Pagaro Quarters;

• Vadhomal Odha Ram Quarters to Walliullah Shah Quarters;

• Napier Quarters to Nishtar Quarters;

• Queen’s Road Quarters to Asadullah Khan Quarters;

• Lawrence Quarters to Maulana Hasrat Mohani Quarters;

• Lea Quarters to Shabaz Quarters;

• Strachen Quarters to Sir Syed Quarters;

• Hurchand Rai Vishan Das Quarters to Haji Abdullah Haroon Quarters.

Posted in खान्ग्रेस

आज राहुल गांधी हर जगह सभा में कहते हैं नरेंद्र मोदी एक कायर प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी एक कमजोर प्रधानमंत्री हैं नरेंद्र मोदी पाकिस्तान को जवाब नहीं दे सकते नरेंद्र मोदी चीन को जवाब नहीं दे सकते

मैंने कांग्रेस की कायरता के बारे में हजारों घटनाएं लिखें है

लेकिन आज मैं आपको एक ऐसी घटना के बारे में बता रहा हूं जिसे जानने के बाद आप कांग्रेसी नेताओं के मुंह पर थूक देंगे

यह कहानी है भारतीय नौसेना के कोमोडोर जैक शे की

कोमोडोर जैक शे 1965 की लड़ाई में बेहद बहादुरी से लड़ाई लड़े और 1965 के पहले वो कराची में भारतीय दूतावास में नेवल अटैची के तौर पर तैनात थे

कोमोडोर जैक शे पाकिस्तान में बहुत बड़े जासूसों का एक नेटवर्क बना रखा था और अपने जासूसों की मदद से उन्होंने भारतीय सेना की काफी मदद की और जब युद्ध छड़ी तब उन्होंने सभी जासूसों को पाकिस्तान से भगाने में काफी मदद किया

युद्ध खत्म होने के 3 महीने बाद उन्हें फिर से कराची के भारतीय दूतावास में नेवल अटैची के पद पर तैनात कर दिया गया

फिर 26 जनवरी 1966 को गणतंत्र दिवस के मौके पर कराची के भारतीय दूतावास में एक शानदार रंगारंग समारोह आयोजित किया गया था

बहुत सारे देशी-विदेशी पाकिस्तानी और दूसरे देशों के मेहमान भारतीय दूतावास में जुटे हुए थे फिर अचानक कोई चीज गिरने की तेज आवाज आई और जब सारे मेहमान भाग कर गए तो देखा नेवल अटैची कोमोडोर जैक शे बेहद बुरी हालत में मरणासन्न गिरे हुए थे दरअसल उन्हें किसी ने तीसरी मंजिल से नीचे फेंक दिया था

आनन-फानन में उन्हें कराची के एक हॉस्पिटल में एडमिट किया गया जहां पता चला कि उनके शरीर की एक भी हड्डी सलामत नहीं है फिर उनका इलाज चला वह बयान देने की स्थिति में आए तब उन्होंने बताया कि 15 से ज्यादा नकाबपोश आए जो पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी आईएसआई के लोग थे और उन्हें बुरी तरह से टॉर्चर किया उन्हें मारा और उनकी हत्या करने की नियत से उन्हें नीचे फेंक दिया गया

कमोडोर जैक शे जब थोड़े ठीक हुए तब उन्हें दिल्ली लाया गया फिर दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में उनका लंबा इलाज चला आप विश्वास नहीं करेंगे कि उनके शरीर पर 26 फ्रैक्चर थे लेकिन इतनी भीषण घटना के बावजूद भी तत्कालीन कांग्रेस सरकार जिसे कांग्रेसी कुत्ते दुर्गा की अवतार कहते हैं वह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी एकदम खामोश नहीं जबकि यह सीधे-सीधे वियना समझौते और जिनेवा समझौते का उल्लंघन था जिसमें किसी भी दूतावास के कर्मचारी को वह भी मिलिट्री अटैची पर की हत्या की कोशिश करना एक बेहद गंभीर अपराध है

यहां तक की उस वक्त की कांग्रेस की केंद्र की कांग्रेस सरकार ने इस मुद्दे को किसी भी अंतरराष्ट्रीय फोरम पर भी नहीं उठाया

उस पार्टी में कोमोडोर जैक शे की बेटी डेबोरा एन शे भी उसी पार्टी में मौजूद थी वह खुद अपने मरणासन्न ने पिता को लेकर हॉस्पिटल गई थी उन्होंने इस पूरी घटना का वर्णन अपनी किताब इसके फ्रॉम पाकिस्तान में लिखा है।

Jitendra Pratap Singh ji

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक *चूहा* एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था।

एक दिन *चूहे* ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है।

उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक *चूहेदानी* थी।

ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर *कबूतर* को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है।

कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौनसा उस में फँसना है?

निराश चूहा ये बात *मुर्गे* को बताने गया।

मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा… जा भाई.. ये मेरी समस्या नहीं है।

हताश चूहे ने बाड़े में जा कर *बकरे* को ये बात बताई… और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा।

उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई, जिस में एक ज़हरीला *साँप* फँस गया था।

अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस कसाई की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डस लिया।

तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने हकीम को बुलवाया। हकीम ने उसे *कबूतर* का सूप पिलाने की सलाह दी।

कबूतर अब पतीले में उबल रहा था।

खबर सुनकर उस कसाई के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी *मुर्गे* को काटा गया।

कुछ दिनों बाद उस कसाई की पत्नी सही हो गयी, तो खुशी में उस व्यक्ति ने कुछ अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी तो *बकरे* को काटा गया।

*चूहा* अब दूर जा चुका था, बहुत दूर ……….।

_*अगली बार कोई आपको अपनी समस्या बतायेे और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है, तो रुकिए और दुबारा सोचिये।*_

*_समाज का एक अंग, एक तबका, एक नागरिक खतरे में है तो पूरा देश खतरे में है।_*

जय हिंद🇮🇳

साभार..(( @A…k✍️ ))