Posted in सुभाषित - Subhasit

આપણા પૂર્વજોનું અણમોલ જ્ઞાન

10, 100, 1,000, 10,000

જેમ જેમ પૈસા વધતા જાય તેમ તેમ શૂન્યતા વધતી જાય છે !!

એટલે જ

આપણા પૂર્વજો એ વ્યવહાર મા

11, 21, 51, 101, 501 , 1,001

આપવાનો રિવાજ બનાવ્યો , જેથી વ્યવહાર મા 1(એકતા) રહે , 0(શૂન્યતા) નહીં !!!!

Posted in सुभाषित - Subhasit

કોઈના આંસુ લૂછવાની
મજા કંઈક ઔર છે,

બા ને ઓછું સંભળાય છે,
પણ કેમછો પૂછવાની
મજા કંઈક ઔર છે.

ભલે પડખા ફેરવી ને સુતા હોઇએ વ્યવસ્થિત ઝગડા પછી,
અડધી રાતે ઉઠીને ચાદર ઓઢાડવાની
મજા કંઈક ઔર છે.

હા , વઢસે હજી ને ગુસ્સો પણ કરશે અને કંઈ બોલી પણ નહીં શકો,
પરંતુ કોઈને મનાવાની ઉંમરે પિતાથી રીસાવાની
મજા કંઈક ઔર છે.

બાકી ભલે ભડભાદર થઇ ફરતા હો આખા ગામમાં,
ક્યારેક ભાંગી પડો તો માંના ખોળામાં ડુસકા સાથે રડવાની
મજા કંઈક ઔર છે.

નહીં ગળે મળી શકો હવે કે
નહીં એને વઢેલા શબ્દો પાછા લઇ શકો,
બસ ભીની આંખે બેનની રાખડીને ચૂમવાની
મજા કંઈક ઔર છે.

કાયમ કંઈ ભેગો નથી રહેવાનો, એને પણ એની જવાબદારીઓ છે,
દોસ્ત જયારે પણ મળે, બે ગાળ દઈ દેવાની
મજા કંઈક ઔર છે.

હા, દોસ્તોએ કાયમ મારા આંસુઓને ખભો ધર્યો છે,
આમ તો બધી અંગત વાતો છે પણ કહી દેવાની
મજા કંઈક ઔર છે.

અને છેલ્લે…

ખબરછે ત્યાં મળવાનો પણ નથી,
છતાં મંદિરમાં પથ્થરની મૂર્તિ સ્વરૂપે ભગવાન પાસે જઇ,
પોતાનાં મનની બે વાત કરી,
પ્રાર્થના કરવાની
મજા કંઇ ઔર છે.

Posted in भारतीय मंदिर - Bharatiya Mandir

कैलाश मंदिर

सन १६८२ में उस मुस्लिम शासक ने १००० मजदूरों को इकट्ठा किया और इस मंदिर को तोड़ने का काम दिया।
मजदूरों ने १ वर्ष तक इसे तोड़ा,१ वर्ष लगातार तोड़ने के बाद वो सब इसकी कुछ मूर्तियाँ ही तोड़ सके,हार कर उस मुस्लिम शासक ने उन्हें वापस बुला लिया।
वो शासक था औरंगजेब।जिसकी मूर्ख सेना ये समझ बैठी थी कि ये कोई ईंट और मिटटी से बना साधारण मंदिर है;
लेकिन उन्हें कहाँ पता था की ये मंदिर हमारे पूर्वजों ने धरती की सबसे कठोर चट्टान को चीरकर बनाया है।
ये वही पत्थर है जो करोड़ों साल पहले धरती के गर्भ से लावे के रूप में निकला था और बाद में ठंडा होकर जमने से,इसने पत्थर का रूप लिया

कैलास मंदिर को U आकार में ऊपर से नीचे काटा गया है। जिसे पीछे की तरफ से ५९ मीटर गहरा खोदा गया है,पर आप सोचिये इतनी कठोर और मजबूत चट्टान को किस चीज़ से काटा गया होगा?
हथोड़े और छेनी से?
आपको मंदिर की दीवारों पर छेनी के निशान दिख जायेंगे, पर वहां के आध्यत्मिक गुरुओं का कहना है कि ये छेनी के निशान बाद के हैं,जब पूरा मंदिर बना दिया गया।
यह बस किनारों को निर्बाध करने के लिए उपयोग की गयीं थी।इतनी कठोर बेसाल्ट चट्टान को खोद कर उसमे से इस मंदिर को बना देना,कहाँ तक संभव है?
कुछ खोजकर्ताओं का कहना है कि इस प्रकार की जटिल संरचना का आधुनिक तकनीक की मदद से निर्माण करना आज भी असंभव है।

क्या वो लोग जिन्होंने इस मंदिर को बनाया आज से भी ज्यादा आधुनिक थे?
ये एक उचित प्रश्न है।
यहाँ कुछ वैज्ञानिक आंकड़ों पर बात कर लेते हैं।
पुरातात्विदों का कहना है कि इस मंदिर को बनाने के लिए ४००,००० टन पत्थर को काट कर हटाया गया होगा और ऐसा करने में उन्हें १८ वर्ष का समय लगा होगा।

तो आइये एक सरल गणित की कैलकुलेशन करते हैं:
माना की इस काम को करने के लिए वहां काम कर रहे श्रमिक १२ घंटे प्रतिदिन एक मशीन की तरह कार्य कर रहे होंगे,जिसमें उन्हें कोई विराम या आराम नहीं मिलता होगा,वो पूर्ण रूप से मशीन बन गये होंगे।
तो अगर ४००,००० टन पत्थर को १८ वर्ष में हटाना है,तो उन्हें हर वर्ष २२,२२२ टन पत्थर हटाना होगा,जिसका अर्थ हुआ कि ६० टन हर दिन और ५ टन हर घंटे।
ये समय तो हुआ मात्र पत्थर को काट कर अलग करने का। उस समय का क्या जो इस मंदिर की डिजाईन,नक्काशी और इसमें बनाई गयीं सेकड़ों मुर्तियों में लगा होगा।

एक प्रश्न जो और है वो ये है कि जो पत्थर काट कर बाहर निकाला गया वो कहाँ गया?
उसका इस मंदिर के आसपास कोई ढेर नहीं मिलता,ना ही उस पत्थर का इस्तेमाल किसी दूसरे मंदिर को बनाने या अन्य किसी संरचना में किया गया,आखिर वो गया तो गया कहाँ?
क्या आप को अभी भी लगता है कि ये चमत्कार आज से हजारों वर्ष पहले मात्र छेनी और हथोड़े की सहायता से निर्माण किया गया होगा।

राष्ट्रकूट राजाओं ने वास्तुकला को चरम पर लाकर रख दिया,जैसा की बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट वंश के राजा कृष्ण प्रथम (७५६-७७३) ने करवाया था।
यह मंदिर उस भारतीय वास्तुकला का बेजोड़ नमूना है,जिसका मुकाबला पूरी दुनिया में आज भी कोई नहीं कर सकता।
ये उस मुस्लिम शासक की बर्बरता और इस मंदिर के विरले कारीगरों की कुशलता दोनों को साथ में लिए आज भी खड़ा है और हमारे पूर्वजों के कौशल और पुरुषार्थ के सबूत देते हुए आधुनिक मानव को उसकी औकात दिखाते हुए कह रहा है कि दम है तो मुझे फिर से बनाकर दिखाओ!!

Posted in आयुर्वेद - Ayurveda

🌻 उच्च रक्तचाप (High BP)🌻

✍🏻जिन मरीजों को रोज BP की दवा खानी पड़ती है उनके लिए एक अचूक हथियार है।

200 ग्राम बड़ी इलायची ले कर तवे पर भूने, इतना भूनना है कि इलायची जल कर राख हो जाये, इस राख को पीस कर किसी डिब्बी में भर लें, सुबह खाली पेट और शाम को भोजन से 1 घंटा पहले 5 ग्राम राख को 2 चम्मच शहद में मिला कर खा लें

नियमित 15-20 दिन इस उपचार को करने के बाद आपको BP की किसी दवा को खाने की ज़रूरत नही पड़ेगी।

फ्रीज़ किए गए नींबू के आश्चर्यजनक परिणाम

सबसे पहले नींबू को धोकर फ्रीज़र में रखिए
८ से १० घंटे बाद वह बर्फ़ जैसा ठंडा तथा कड़ा हो जाएगा
अब उपयोग मे लाने के लिए उसे कद्दूकस कर लें
इसे आप जो भी खाएँ उस पर डाल कर इसे खा सकते हैं
इससे खाद्य पदार्थ में एक अलग ही टेस्ट आऐगा
नीबू के रस में विटामिन सी होता है। ये आप जानते हैं,आइये देखें इसके और क्या-क्या फायदे हैं

🍋नीबू के छिलके में ५ से १० गुना अधिक विटामिन सी होता है और वही हम फेंक देते हैं

🍋नींबू के छिलके में शरीर कॆ सभी विषेले द्रव्यों को बाहर निकालने की क्षमता होती है

🍋नींबू का छिलका कैंसर का नाश करता है , इसका छिलका कैमोथेरेपी से १०,००० गुना ज्यादा प्रभावी है

🍋यह बैक्टेरियल इन्फेक्शन, फंगस आदि पर भी प्रभावी है

🍋नींबू का रस विशेषत: छिलका, रक्तदाब तथा मानसिक दबाव को नियंत्रित करता है

🍋नींबू का छिलका १२ से ज्यादा प्रकार के कैंसर में पूर्ण प्रभावी है और वो भी बिना किसी साईड इफेक्ट के

🍋इसलिये आप अच्छे पके हुए तथा स्वच्छ नींबू फ्रीज़र में रखें और कद्दूकस कर प्रतिदिन अपने आहार के साथ प्रयोग करें

Posted in खान्ग्रेस

कोई पत्रकार राहुल गांधी से यह नहीं पूछ रहा कि राहुल जी जब तक नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री नहीं बने थे तब तक आप की नानी आपकी दोनों मौसी दोनों मौसी के पति बच्चे यानी आप का इटली का पूरा खानदान दिल्ली में रहता था उनको 3 सरकारी बंगले किस हैसियत से इलाट किए गए थे और वह किस हैसियत से तमाम सरकारी कार्यक्रम में शामिल होते थे ??

और नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के 15 दिन के बाद यह पूरा माइनों खानदान किसी चोर की तरह इटली क्यों चला गया ??

आज राहुल गांधी नानी से मिलने के बहाने बार-बार इटली आते हैं लेकिन कभी 10 साल कांग्रेस के सत्ता के दौरान और उसके पहले जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे तब यह धूर्त इटली नहीं जाते थे क्योंकि सोनिया गांधी के मायके का पूरा खानदान दिल्ली में रहता था और लुटियंस जोन में पांच बंगले उन्हें रहने को दिए गए थे

यहां तक कि सोनिया गांधी के बचपन का दोस्त क्वात्रोची भी सोनिया गांधी के साथ रहता था

सोनिया गांधी की मां पाउलो माइनो सरकारी कार्यक्रम में भाग लेती थी राष्ट्रपति भवन में कई सरकारी कार्यक्रम में शामिल होती थी पूरी सरकारी मशीनरी उनके आगे पीछे घूमती थी

सोनिया गांधी की तीन बहने हैं जिसमें से दो बहने तो भारत में ही रहती थी और एक बहन का रोम और मिलान में बहुत बड़ा एंटीक स्टोर है

और कई पुरातत्वविद ने इस बात का खुलासा किया था कि भारत से कई म्यूजियम में दुर्लभ चीजों को प्रदर्शनी के बहाने विदेश ले जाया जाता था और फिर वहां बड़े नाटकीय ढंग से उन्हें चोरी हुआ दिखा दिया जाता था और बाद में पता चलता था कि वह सोनिया गांधी के बहन के स्टोर में बिकने के लिए गया है

इस तरह से भारत की तमाम बेशकीमती दुर्लभ मूर्तियां तमाम आर्टीफैक्ट्स विदेशों में प्रदर्शनी के बहाने ले जाए गए और वहां चोरी की नौटंकी बता कर सोनिया गांधी के बहन के स्टोर में पहुंचा दिया गया था।