Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक रोटी


एक बार मैं अपने एक मित्र का तत्काल कैटेगरी में पासपोर्ट बनवाने पासपोर्ट ऑफिस गया था।

लाइन में लग कर हमने पासपोर्ट का तत्काल फार्म लिया, फार्म भर लिया, काफी समय हो चुका था अब हमें पासपोर्ट की फीस जमा करनी थी।
लेकिन जैसे ही हमारा नंबर आया बाबू ने खिड़की बंद कर दी और कहा कि समय खत्म हो चुका है अब कल आइएगा।

मैंने उससे मिन्नतें की, उससे कहा कि आज पूरा दिन हमने खर्च किया है और बस अब केवल फीस जमा कराने की बात रह गई है, कृपया फीस ले लीजिए।

बाबू बिगड़ गया।
कहने लगा, “आपने पूरा दिन खर्च कर दिया तो उसके लिए वो जिम्मेदार है क्या?
अरे सरकार ज्यादा लोगों को बहाल करे।
मैं तो सुबह से अपना काम ही कर रहा हूं।”

खैर, मेरा मित्र बहुत मायूस हुआ और उसने कहा कि चलो अब कल आएंगे।
मैंने उसे रोका, कहा कि रुको एक और कोशिश करता हूं।

बाबू अपना थैला लेकर उठ चुका था। मैंने कुछ कहा नहीं, चुपचाप उसके-पीछे हो लिया। वो एक कैंटीन में गया, वहां उसने अपने थैले से लंच बॉक्स निकाला और धीरे-धीरे अकेला खाने लगा।

मैं उसके सामने की बेंच पर जाकर बैठ गया। मैंने कहा कि तुम्हारे पास तो बहुत काम है, रोज बहुत से नए-नए लोगों से मिलते होगे?
वो कहने लगा कि हां मैं तो एक से एक बड़े अधिकारियों से मिलता हूं।
कई आई.ए.एस., आई.पी.एस., विधायक रोज यहां आते हैं।
मेरी कुर्सी के सामने बड़े-बड़े लोग इंतजार करते हैं।

फिर मैंने उससे पूछा कि एक रोटी तुम्हारी प्लेट से मैं भी खा लूं?
उसने हाँ कहा।
मैंने एक रोटी उसकी प्लेट से उठा ली, और सब्जी के साथ खाने लगा।
मैंने उसके खाने की तारीफ की, और कहा कि तुम्हारी पत्नी बहुत ही स्वादिष्ट खाना पकाती है।

मैंने उसे कहा तुम बहुत महत्वपूर्ण सीट पर बैठे हो। बड़े-बड़े लोग तुम्हारे पास आते हैं।
तो क्या तुम अपनी कुर्सी की इज्जत करते हो? तुम बहुत भाग्यशाली हो, तुम्हें इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है, लेकिन तुम अपने पद की इज्जत नहीं करते।

उसने मुझसे पूछा कि ऐसा कैसे कहा आपने?

मैंने कहा कि जो काम दिया गया है उसकी इज्जत करते तो तुम इस तरह रुखे व्यवहार वाले नहीं होते।

देखो तुम्हारा कोई दोस्त भी नहीं है। तुम दफ्तर की कैंटीन में अकेले खाना खाते हो, अपनी कुर्सी पर भी मायूस होकर बैठे रहते हो, लोगों का होता हुआ काम पूरा करने की जगह अटकाने की कोशिश करते हो।

बाहर गाँव से आ कर सुबह से परेशान हो रहे लोगों के अनुरोध करने पर कहते हो,
“सरकार से कहो कि ज्यादा लोगों को बहाल करे।”
अरे ज्यादा लोगों के बहाल होने से तो तुम्हारी अहमियत घट जाएगी? हो सकता है तुमसे ये काम ही ले लिया जाए।

भगवान ने तुम्हें मौका दिया है रिश्ते बनाने के लिए।
लेकिन अपना दुर्भाग्य देखो, तुम इसका लाभ उठाने की जगह रिश्ते बिगाड़ रहे हो।
मेरा क्या है, कल आ जाउंगा या परसों आ जाउंगा।

पर तुम्हारे पास तो मौका था किसी को अपना अहसानमंद बनाने का। तुम उससे चूक गए।

मैंने कहा कि पैसे तो बहुत कमा लोगे, लेकिन रिश्ते नहीं कमाए तो सब बेकार है।
क्या करोगे पैसों का? अपना व्यवहार ठीक नहीं रखोगे तो तुम्हारे घर वाले भी तुमसे दुखी रहेंगे, यार दोस्त तो पहले से ही नहीं हे।

मेरी बात सुन कर वो रुंआसा हो गया।
उसने कहा कि आपने बात सही कही है साहब। मैं अकेला हूं।
पत्नी झगड़ा कर मायके चली गई है।
बच्चे भी मुझे पसंद नहीं करते।
मां है, वो भी कुछ ज्यादा बात नहीं करती।
सुबह चार-पांच रोटी बना कर दे देती है, और मैं तन्हा खाना खाता हूं। रात में घर जाने का भी मन नहीं करता।
समझ में नहीं आता कि गड़बड़ी कहां है?

मैंने हौले से कहा कि खुद को लोगों से जोड़ो। किसी की मदद कर सकते तो तो करो।
देखो मैं यहां अपने दोस्त के पासपोर्ट के लिए आया हूं।
मेरे पास तो पासपोर्ट है। मैंने दोस्त की खातिर तुम्हारी मिन्नतें कीं। निस्वार्थ भाव से। इसलिए मेरे पास दोस्त हैं, तुम्हारे पास नहीं हैं।

वो उठा और उसने मुझसे कहा कि आप मेरी खिड़की पर पहुंचो। मैं आज ही फार्म जमा करुंगा, और उसने काम कर दिया।
फिर उसने मेरा फोन नंबर मांगा, मैंने दे दिया।

बरसों बीत गए…

इस दिवाली पर एक फोन आया…
रविंद्र कुमार चौधरी बोल रहा हूं साहब, कई साल पहले आप हमारे पास अपने किसी दोस्त के पासपोर्ट के लिए आए थे, और आपने मेरे साथ रोटी भी खाई थी।
आपने कहा था कि पैसे की जगह रिश्ते बनाओ।
मुझे एकदम याद आ गया।
मैंने कहा हां जी चौधरी साहब कैसे हैं?

दास 🙇‍♂️ तेरा🙏 राधा👸 रानी राधे राधे, [21/12/2022 7:17 PM]
उसने खुश होकर कहा, “साहब आप उस दिन चले गए, फिर मैं बहुत सोचता रहा।
मुझे लगा कि पैसे तो सचमुच बहुत लोग दे जाते हैं, लेकिन साथ खाना खाने वाला कोई नहीं मिलता।
मैं साहब अगले ही दिन पत्नी के मायके गया, बहुत मिन्नतें कर उसे घर लाया।
वो मान ही नहीं रही थी,
वो खाना खाने बैठी तो मैंने उसकी प्लेट से एक रोटी उठा ली, कहा कि साथ खिलाओगी?
वो हैरान थी। रोने लगी।
मेरे साथ चली आई।
बच्चे भी साथ चले आए।

साहब,
अब मैं पैसे नहीं कमाता।
रिश्ते कमाता हूं।
जो आता है उसका काम कर देता हूं।

साहब आज आपको हैप्पी दिवाली बोलने के लिए फोन किया है।

अगले महीने बिटिया की शादी है।
आपको आना है।
बिटिया को आशीर्वाद देने।
रिश्ता जोड़ा है आपने।

वो बोलता जा रहा था,
मैं सुनता जा रहा था। सोचा नहीं था कि सचमुच उसकी ज़िंदगी में भी पैसों पर रिश्ता इतना भारी पड़ेगा।
दोस्तों
मुझे नही पता कि
मैं एक बेहतरीन दोस्त हूँ या नही
.
लेकिन
.
मुझे पूरा यकीन है कि
जिनके साथ मेरी दोस्ती है…
वो अच्छे दोस्त है…..

〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️
𖡼•┄•𖣥𖣔𖣥•┄•𖡼👣𖡼•┄•𖣥𖣔𖣥•┄•𖡼
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एक बार मैं अपने एक मित्र का तत्काल कैटेगरी में पासपोर्ट बनवाने पासपोर्ट ऑफिस गया था।

लाइन में लग कर हमने पासपोर्ट का तत्काल फार्म लिया, फार्म भर लिया, काफी समय हो चुका था अब हमें पासपोर्ट की फीस जमा करनी थी।
लेकिन जैसे ही हमारा नंबर आया बाबू ने खिड़की बंद कर दी और कहा कि समय खत्म हो चुका है अब कल आइएगा।

मैंने उससे मिन्नतें की, उससे कहा कि आज पूरा दिन हमने खर्च किया है और बस अब केवल फीस जमा कराने की बात रह गई है, कृपया फीस ले लीजिए।

बाबू बिगड़ गया।
कहने लगा, “आपने पूरा दिन खर्च कर दिया तो उसके लिए वो जिम्मेदार है क्या?
अरे सरकार ज्यादा लोगों को बहाल करे।
मैं तो सुबह से अपना काम ही कर रहा हूं।”

खैर, मेरा मित्र बहुत मायूस हुआ और उसने कहा कि चलो अब कल आएंगे।
मैंने उसे रोका, कहा कि रुको एक और कोशिश करता हूं।

बाबू अपना थैला लेकर उठ चुका था। मैंने कुछ कहा नहीं, चुपचाप उसके-पीछे हो लिया। वो एक कैंटीन में गया, वहां उसने अपने थैले से लंच बॉक्स निकाला और धीरे-धीरे अकेला खाने लगा।

मैं उसके सामने की बेंच पर जाकर बैठ गया। मैंने कहा कि तुम्हारे पास तो बहुत काम है, रोज बहुत से नए-नए लोगों से मिलते होगे?
वो कहने लगा कि हां मैं तो एक से एक बड़े अधिकारियों से मिलता हूं।
कई आई.ए.एस., आई.पी.एस., विधायक रोज यहां आते हैं।
मेरी कुर्सी के सामने बड़े-बड़े लोग इंतजार करते हैं।

फिर मैंने उससे पूछा कि एक रोटी तुम्हारी प्लेट से मैं भी खा लूं?
उसने हाँ कहा।
मैंने एक रोटी उसकी प्लेट से उठा ली, और सब्जी के साथ खाने लगा।
मैंने उसके खाने की तारीफ की, और कहा कि तुम्हारी पत्नी बहुत ही स्वादिष्ट खाना पकाती है।

मैंने उसे कहा तुम बहुत महत्वपूर्ण सीट पर बैठे हो। बड़े-बड़े लोग तुम्हारे पास आते हैं।
तो क्या तुम अपनी कुर्सी की इज्जत करते हो? तुम बहुत भाग्यशाली हो, तुम्हें इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है, लेकिन तुम अपने पद की इज्जत नहीं करते।

उसने मुझसे पूछा कि ऐसा कैसे कहा आपने?

मैंने कहा कि जो काम दिया गया है उसकी इज्जत करते तो तुम इस तरह रुखे व्यवहार वाले नहीं होते।

देखो तुम्हारा कोई दोस्त भी नहीं है। तुम दफ्तर की कैंटीन में अकेले खाना खाते हो, अपनी कुर्सी पर भी मायूस होकर बैठे रहते हो, लोगों का होता हुआ काम पूरा करने की जगह अटकाने की कोशिश करते हो।

बाहर गाँव से आ कर सुबह से परेशान हो रहे लोगों के अनुरोध करने पर कहते हो,
“सरकार से कहो कि ज्यादा लोगों को बहाल करे।”
अरे ज्यादा लोगों के बहाल होने से तो तुम्हारी अहमियत घट जाएगी? हो सकता है तुमसे ये काम ही ले लिया जाए।

भगवान ने तुम्हें मौका दिया है रिश्ते बनाने के लिए।
लेकिन अपना दुर्भाग्य देखो, तुम इसका लाभ उठाने की जगह रिश्ते बिगाड़ रहे हो।
मेरा क्या है, कल आ जाउंगा या परसों आ जाउंगा।

पर तुम्हारे पास तो मौका था किसी को अपना अहसानमंद बनाने का। तुम उससे चूक गए।

मैंने कहा कि पैसे तो बहुत कमा लोगे, लेकिन रिश्ते नहीं कमाए तो सब बेकार है।
क्या करोगे पैसों का? अपना व्यवहार ठीक नहीं रखोगे तो तुम्हारे घर वाले भी तुमसे दुखी रहेंगे, यार दोस्त तो पहले से ही नहीं हे।

मेरी बात सुन कर वो रुंआसा हो गया।
उसने कहा कि आपने बात सही कही है साहब। मैं अकेला हूं।
पत्नी झगड़ा कर मायके चली गई है।
बच्चे भी मुझे पसंद नहीं करते।
मां है, वो भी कुछ ज्यादा बात नहीं करती।
सुबह चार-पांच रोटी बना कर दे देती है, और मैं तन्हा खाना खाता हूं। रात में घर जाने का भी मन नहीं करता।
समझ में नहीं आता कि गड़बड़ी कहां है?

मैंने हौले से कहा कि खुद को लोगों से जोड़ो। किसी की मदद कर सकते तो तो करो।
देखो मैं यहां अपने दोस्त के पासपोर्ट के लिए आया हूं।
मेरे पास तो पासपोर्ट है। मैंने दोस्त की खातिर तुम्हारी मिन्नतें कीं। निस्वार्थ भाव से। इसलिए मेरे पास दोस्त हैं, तुम्हारे पास नहीं हैं।

वो उठा और उसने मुझसे कहा कि आप मेरी खिड़की पर पहुंचो। मैं आज ही फार्म जमा करुंगा, और उसने काम कर दिया।
फिर उसने मेरा फोन नंबर मांगा, मैंने दे दिया।

बरसों बीत गए…

इस दिवाली पर एक फोन आया…
रविंद्र कुमार चौधरी बोल रहा हूं साहब, कई साल पहले आप हमारे पास अपने किसी दोस्त के पासपोर्ट के लिए आए थे, और आपने मेरे साथ रोटी भी खाई थी।
आपने कहा था कि पैसे की जगह रिश्ते बनाओ।
मुझे एकदम याद आ गया।
मैंने कहा हां जी चौधरी साहब कैसे हैं?

दास 🙇‍♂️ तेरा🙏 राधा👸 रानी राधे राधे, [21/12/2022 7:17 PM]
उसने खुश होकर कहा, “साहब आप उस दिन चले गए, फिर मैं बहुत सोचता रहा।
मुझे लगा कि पैसे तो सचमुच बहुत लोग दे जाते हैं, लेकिन साथ खाना खाने वाला कोई नहीं मिलता।
मैं साहब अगले ही दिन पत्नी के मायके गया, बहुत मिन्नतें कर उसे घर लाया।
वो मान ही नहीं रही थी,
वो खाना खाने बैठी तो मैंने उसकी प्लेट से एक रोटी उठा ली, कहा कि साथ खिलाओगी?
वो हैरान थी। रोने लगी।
मेरे साथ चली आई।
बच्चे भी साथ चले आए।

साहब,
अब मैं पैसे नहीं कमाता।
रिश्ते कमाता हूं।
जो आता है उसका काम कर देता हूं।

साहब आज आपको हैप्पी दिवाली बोलने के लिए फोन किया है।

अगले महीने बिटिया की शादी है।
आपको आना है।
बिटिया को आशीर्वाद देने।
रिश्ता जोड़ा है आपने।

वो बोलता जा रहा था,
मैं सुनता जा रहा था। सोचा नहीं था कि सचमुच उसकी ज़िंदगी में भी पैसों पर रिश्ता इतना भारी पड़ेगा।
दोस्तों
मुझे नही पता कि
मैं एक बेहतरीन दोस्त हूँ या नही
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लेकिन
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मुझे पूरा यकीन है कि
जिनके साथ मेरी दोस्ती है…
वो अच्छे दोस्त है…..

Posted in आयुर्वेद - Ayurveda

क्या है मोबाइल रेडिएशन?


क्या है मोबाइल रेडिएशन? जानें कैसे आपकी आंखों और स्किन को पहुंचा रहा है नुकसान?

Mobile Radiation सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की तरह मोबाइल से बड़े पैमाने पर रेडिशन फैलता है। जो हमारी आंखों के साथ ही हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाता है। आइए जानते हैं मोबाइल रेडिएशन असर के बारे में विस्तार से..

नई दिल्ली, आइएएनएस। आज के दौर में हर चीज आसानी से उपलब्ध है। टिकट से लेकर शॉपिंग, ट्रांजैक्शन सब-कुछ मोबाइल से कर सकते हैं। यही वजह है ज्यादातर लोग दिनर-रात मोबाइल से चिपके रहते हैं। लेकिन क्या आपको मालूम है कि मोबाइल से होने वाला रेडिएशन आपकी स्किन को कितना नुकसान पहुंचाता है? बता दें कि मोबाइल फोन समेत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस का रेडिशन बेहद खतरनाक है। मोबाइल रेडिशन हमारी आंखों को नुकसान पहुंचता है। यह हमारी आंख के रेटीना को कमजोर कर देता है। साथ ही हमारी स्किन को डैमेज करने का काम करता है। 

कैसे फैलता है मोबाइल रेडिश

मोबाइल, लैपटॉप समेत सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में एंटेना का इस्तेमाल होता है, जो सिग्नल टॉवर से जुड़ा रहता है। इन टॉवर से कनेक्शन के लिए एंटेना रेडिएशन उत्सर्जित करते हैं जो समय के साथ हमारी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में एक चीज समान होती है, और वह है त्वचा पर हानिकारक रेडिएशन प्रभाव। त्वचा में प्रवेश करने वाला रेडिएशन खुजली का कारण बनती है। इसके अलावा सूखापन लाल या काले रंग में बदलकर त्वचा के रंग को खराब कर देता है।

क्या हैं रेडिएशन के साइड इफेक्

समय से पहले बूढ़ा होना: हर समय इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के आसपास रहने की हमारी त्वचा पर टैनिंग बेड बनाते हैं। यूवी किरणों के ज्यादा संपर्क से ऊतकों की आंतरिक परत लोच खो देती हैं। जिससे हम समय से पहले बूढ़े लगने लगते हैं। 

ब्रेकआउट्स: ब्रेकआउट पर्यावरण के कारण देखी जाने वाली आम समस्याओं में से एक है। ज्यादा देर मोबाइल पर बिताने और पर्यावरण से दूर रहने से त्वचा अपने रक्षक खो देती है और ज्यादा संवेदनशील हो जाती है, जो आखिरकरा ब्रेकआउट के तौर पर दिखती है। 

स्किन सेंसटिविटी: रेडिएशन और नीली रोशनी की वजह से स्किन के खराब होने की संभावना रहती है। त्वचा की रंजकता एक ऐसी स्थिति है जहां त्वचा क्षेत्र के चारों ओर काले धब्बे अपना लेती है। रेडिएशन से स्किन लाल हो सकती है। साथ ही शुष्क होने की संभावना रहती है।

काले घेरे: मोबाइल रेडिएशन से आंखों के चारो ओर काले घेरे बन जाते हैं।

क्या करने चाहिए बचाव

  • ताजी हवा में बाहर निकलकर प्रकृति में बैठना चाहिए।
  • पर्याप्ट मात्रा में पानी पिएं।
  • अपना चेहरा नियमित रूप से धुलें, जिससे आपकी आंखों को पर्याप्त पानी मिल सकेगा, जो हानिकारक विकिरण से आंखों को बचाएगा।
  • रेडिएशन से बचने के लिए फेस क्रीम का उपयोग करें।
  • आपको हर तरह के रेडिएशन से बचाने के लिए रोजाना मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें।
  • सोते समय अपने फोन का इस्तेमाल न करें।

रेडिएशन से बचने के लिए यहाँ संपर्क करे. – ८३६९१२३९३५

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

कर्मो का फल


कुछ दिन पहले की बात है मैं अपने भाई के घर यानी अपने मायके गयी।वहां अपनी मम्मी और भाभी के साथ बैठ कर बातें कर रही थी।कि बाहर की घण्टी बजी देखा तो एक औरत अंदर आयी बड़ी दीन हीन सी लग रही थी। सादे से कपड़े, कैंची चप्पल, मैं एक दम से तो उसको पहचान ही नही पायी।
भाभी ने जब उसको पानी दिया तब मम्मी ने बताया कि ये नीलिमा है पहचाना नही तुमने?

मैं तो एक दम से हैरान ही रह गयी देख कर के ये वो ही नीलिमा भाभी है जिसके कभी शाही ठाठ हुआ करते थे।मेरी शादी से पहले नीलिमा भाभी का और हमारा परिवार एक ही गली में रहते थे। एक दूसरे के घर आना जाना भी था क्योंकि दूर की रिश्तेदारी भी थी। मेरी शादी के बाद मेरे दोनो भाईयों ने वो मोहल्ला छोड़ दिया और अपने अपने घर दूसरी जगह पर बना लिए।

नीलिमा की शादी  तो मेरे सामने ही हुई थी ।उसकी सास कितने चाव से बहु ले कर आई थी ।बेटे की शादी के कितने ही सपने देखे होंगे उसने।बहु के आने से ऐसा लग रहा था कि जैसे उसको जमाने भर की खुशियाँ मिल गयी हों। लेकिन ईशवर की मर्जी थी या शायद उसके भाग्य में ये खुशियां थोड़े दिन के लिए ही थी कि शादी के दो ही महीने बाद वो रात को सोई तो सुबह उठी ही नही। तब तो सबको लग रहा था कि बहु को बहुत दुख हुआ है सासु माँ के जाने का ,बहुत जोर जोर से रो रही थी।

लेकिन सास के जाते ही बहु ने अपने असली रंग दिखाने शुरू कर दिए। घर की मालकिन तो वो बन ही गयी थी लेकिन उसके अंदर जो गरूर था वो भी अब बाहर आने लगा। बात बात पर सब से लड़ पड़ती। ससुर का तो उसने जीना हराम कर दिया। वो बेचारे एक तो असमय जीवन साथी का बिछोह, ऊपर से बहु के जुल्म बुढ़ापे में सहने को मजबूर हो गए थे। एक समय पर बहुत खुशदिल इंसान अब बेचारे को देखकर ही तरस आता था। बहु ने घर के मालिक होते हुए भी उन्हें तीसरी मंजिल पर एक छोटे से कमरे में रहने को मजबूर कर दिया था। फिर येभी सुना कि बहु उन्हें पेटभर खाना भी नही देती और न ही उनके कपड़े धो कर देती है। बेचारे मैले कुचैले कपड़ों में कभी गली में आते तो ही दिखते लेकिन किसी से ज्यादा बात नही करते। जैसे ज़िन्दगी से रूष्ट हो गए हों।लेकिन बहु बिना बात के ही उन पर चिल्लाती रहती। कब तक सहते बेचारे। एक दिन वो भी चुपचाप चल दिये इस दुनिया को अलविदा कह कर।

नीलिमा को मेरी भाभी ओर मम्मी ने कुछ कपड़े और खाने पीने का समान दिया ।चाय पिलाई और वो चुपचाप चली गयी। जितनी देर वो बैठी एक अक्षर भी नही बोली उसने जितनी भी बात की इशारे से ही की।

उसके जाने के बाद मम्मी ने बताया कि ससुर के जाने के कुछ समय बाद ही नीलिमा की उल्टी गिनती शुरू हो गयी। पहले तो उसके पति को बिज़नेस में घाटा पड़ गया और उस पर कर्जा चढ़ गया।और इसी के चलते उन्हें अपनी दुकान ओर मकान दोनो बेचने पड़े। पति ने कही नोकरी कर ली और किराये के घर मे आ गए।नीलिमा के तीन बेटे थे। बड़ा बेटा अभी कॉलेज में था और उससे छोटा बारहवीं कक्षा में कि एक दिन उसके पति अपने आफिस गए और अचानक से चक्कर आया और गिर गए और फिर उठे ही नही। मुसीबतों का जैसे उन पर पहाड़ टूट पड़ा। किसी तरह किसी पहचान वाले को बोल कर बड़े बेटे की पढ़ाई छुड़ा कर नोकरी लगवाई ओर फिर दूसरे बेटे को भी पढ़ाई छोड़नी पड़ी क्योंकि एक की तनख्वाह से घर का गुजारा ही नही हो रहा था तो पढ़ाई का खर्चा कैसे पूरा होता।

ओर एक दिन नीलिमा को इन्ही सब टेंशनो के चलते पैरालिसिस का अटैक आया। मायके वालों की मदद से दवाईयों ओर इलाज से वो थोड़ी बहुत ठीक तो हो गयी लेकिन उसकी जुबान चली गयी।

अब ये हाल है कि बेटे भी उसको नही पूछते ना ही कुछ खर्चादेते हैं।एक कमरे में अलग से रखा हुआ है जहां वोअकेली पड़ी रहती है। कभी कभी मेरे भाई के घर आ कर जरूरत का समान ले जाती है। वहां आने के लिए भी ऑटो वाले को समझाने के लिए घर से लिख कर ले आती है। मम्मी कहते कि जब रोती है तो सिर्फ आंसू ही बहते है क्योंकि आवाज तो भगवान ने छीन ही ली।

जिस मुँह से उसने ससुर को गालियां दी होंगी आज उसमे बोलने की शक्ति भी नही बची। सच मे  घर के बजुर्गों का दिल दुखाने वाला इन्सान कभी न कभी तो अपने कर्मो का भुगतान  अवश्य करता है ये तो आंखों से देख लिया।

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

कानपुर में…..
मीना की बारात आयी……
📚📚📚📚✒✒📚📚📚📚
✒मीना के बाबू जी ने सब बारातियों के भव्य स्वागत की गजब तैयारी की थी.
..
✒कुल सत्तर बारातियों
के लिये सत्तर किस्म के व्यंजन
तो केवल जनवासे में परोसे गये.

✒साथ में खालिस दूध की
कॉफी और मेवे, अलग से बारह तरह की शुद्ध देसी घी की मिठाइयाँ.
और
स्पेशल मूँग का हलवा भी.

बारातियों के
ठहरने के लिये बड़े-बड़े हॉल नुमा कमरों में सत्तर मुलायम बिस्तर लगवाये गये.

हर बिस्तर के
सिरहाने एक-एक टेबल फैन और हर दो बिस्तर के बीच एक फर्राटेदार पाँच फुटा कूलर.

नहाने के लिये खुशबूदार साबुन.
..

साथ में
झक सफेद रुई जैसा
कोमल एक-एक तौलिया सबको.

सफाई इतनी कि
जो लोग सबके सामने आईना देखने में संकोच कर रहे थे,
वो आयें-बायें करके चोरी-चोरी फर्श पर ही स्वयं को निहार रहे थे.

रात भर खाने पीने का फुल इन्तज़ाम
और
सुबह कलेवा में हर बाराती को एक-एक चाँदी का सिक्का और पाँच सौ एक रुपया नगद भी दिया गया.

अब
इस इन्तज़ाम पर बारातियों की प्रतिक्रिया देखिये…!!
समधी जी इत्ती घोर
बेइज्जती करीन है हम लोगन का बुलाय के की पूछौ मत…

जइसे हम लोग कबहु
देसी घी और मेवा न खाय होये.

खिलाय-खिलाय के
पेट खराब कर दिहिन.

का हम लोग
कबहूँ ई खुशबू वाला
साबुन नाहि लगाये हैं.

इत्ते मुलायम
बिस्तरा पर लेटाय दिहिन
कि सारा पिठे झुराय लागि.

जब पंखा लगाय दिये रहें
तौ कूलरवा लगाय की का जुरुरत रही…!!
रतिया भर
खटर-पटर से कनवा पक गवा.

खनवा के
उबलत-उबलत परोस दिहिन
हमार तो मुहे जल गवा.

इत्ती मुलायम तौलिया से तो
छोट लड़कन का बदन पुछावा जात है हम लोगन की खातिर तो तनी गरु तौलिया होये चाही.

अरे आपन पैसवा
दिखाय रहेन हैं हम लोगन का.

अब चाँदी-वाँदी का
को पूछत है देय का रहा है
तो एक्को सफारी सूट दय देते.


मॉरल ऑफ द हँसमुखी स्टोरी इज़…

आप कितना भी….अच्छा करने की कोशिश कीजिये पर कुछ लोगों को कमी निकालने की आदत होती ही है, दुनिया में हर आदमी को यह पता है कि हर चीज फ्री में मिले तो भी नहीं पचती 😢😢😢
“हँसते रहिये, हँसते रहिये”
😅😁😆😅😂🤣😜

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कानपुर में…..
मीना की बारात आयी……
📚📚📚📚✒✒📚📚📚📚
✒मीना के बाबू जी ने सब बारातियों के भव्य स्वागत की गजब तैयारी की थी.
..
✒कुल सत्तर बारातियों
के लिये सत्तर किस्म के व्यंजन
तो केवल जनवासे में परोसे गये.

✒साथ में खालिस दूध की
कॉफी और मेवे, अलग से बारह तरह की शुद्ध देसी घी की मिठाइयाँ.
और
स्पेशल मूँग का हलवा भी.

बारातियों के
ठहरने के लिये बड़े-बड़े हॉल नुमा कमरों में सत्तर मुलायम बिस्तर लगवाये गये.

हर बिस्तर के
सिरहाने एक-एक टेबल फैन और हर दो बिस्तर के बीच एक फर्राटेदार पाँच फुटा कूलर.

नहाने के लिये खुशबूदार साबुन.
..

साथ में
झक सफेद रुई जैसा
कोमल एक-एक तौलिया सबको.

सफाई इतनी कि
जो लोग सबके सामने आईना देखने में संकोच कर रहे थे,
वो आयें-बायें करके चोरी-चोरी फर्श पर ही स्वयं को निहार रहे थे.

रात भर खाने पीने का फुल इन्तज़ाम
और
सुबह कलेवा में हर बाराती को एक-एक चाँदी का सिक्का और पाँच सौ एक रुपया नगद भी दिया गया.

अब
इस इन्तज़ाम पर बारातियों की प्रतिक्रिया देखिये…!!
समधी जी इत्ती घोर
बेइज्जती करीन है हम लोगन का बुलाय के की पूछौ मत…

जइसे हम लोग कबहु
देसी घी और मेवा न खाय होये.

खिलाय-खिलाय के
पेट खराब कर दिहिन.

का हम लोग
कबहूँ ई खुशबू वाला
साबुन नाहि लगाये हैं.

इत्ते मुलायम
बिस्तरा पर लेटाय दिहिन
कि सारा पिठे झुराय लागि.

जब पंखा लगाय दिये रहें
तौ कूलरवा लगाय की का जुरुरत रही…!!
रतिया भर
खटर-पटर से कनवा पक गवा.

खनवा के
उबलत-उबलत परोस दिहिन
हमार तो मुहे जल गवा.

इत्ती मुलायम तौलिया से तो
छोट लड़कन का बदन पुछावा जात है हम लोगन की खातिर तो तनी गरु तौलिया होये चाही.

अरे आपन पैसवा
दिखाय रहेन हैं हम लोगन का.

अब चाँदी-वाँदी का
को पूछत है देय का रहा है
तो एक्को सफारी सूट दय देते.


मॉरल ऑफ द हँसमुखी स्टोरी इज़…

आप कितना भी….अच्छा करने की कोशिश कीजिये पर कुछ लोगों को कमी निकालने की आदत होती ही है, दुनिया में हर आदमी को यह पता है कि हर चीज फ्री में मिले तो भी नहीं पचती 😢😢😢
“हँसते रहिये, हँसते रहिये”
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બહુ પ્રાચીન એટલે કે BC 300 આસપાસના સમયની વાત છે.
ગ્રીસના એથેન્સ શહેરમાં એગ્નોડાઈસ નામની એક મહિલા શેરીઓમાં ફરી રહી હતી. ત્યા તેણે એક ઘરમાંથી સ્ત્રી ના રડવાનો અવાજ સાંભળ્યો. તે સ્ત્રી પ્રસુતિ પીડાથી રડી રહી હતી.
એગ્નોડાઈસે બારણું ખખડાવ્યું અને અંદર જઈને પેલી સ્ત્રી ને પ્રસુતિ કરાવવામાં મદદ કરવાની ઓફર કરી. પેલી સ્ત્રી તે માટે તૈયાર ન થઈ .

પ્રાચીન ગ્રીસમાં સ્ત્રીઓને મેડિકલનો અભ્યાસ કરવાની મનાઈ હતી. સ્ત્રીઓએ જરુર પડી શકે તો પ્રસુતિ પણ મને-કમને પુરુષ ડોક્ટરો પાસે જ કરાવવી પડતી.!
એગ્નોડાઈસને મેડિકલ નો અભ્યાસ કરવાની ખૂબ ઈચ્છા હતી. હવે ગ્રીસમાં તો સ્ત્રીઓને તે માટે મનાઈ હતી એટલે તેણે પુરુષ વેશ ધારણ કર્યો , વાળ પણ કપાવી નાખ્યા અને એલેક્ઝાન્ડ્રિયા મેડિકલ સ્કૂલમાં એક પુરુષ તરીકે એડમિશન લીધું.
મેડિકલ એજ્યુકેશન પૂરું કર્યા પછી એગ્નોડાઈસ પુરુષ વેશ માં જ ફરતી.

***
પ્રસુતિ પીડાથી રડતી પેલી સ્ત્રી એગ્નોડાઈસ પાસે સારવાર કરાવવા રાજી ન થઈ કારણકે તે પુરુષ પાસે પ્રસુતિ કરાવવા નહોતી ઈચ્છતી.
એગ્નોડાઈસે તેને ગોપનીયતા સાથે પોતાની સાચી ઓળખ આપી અને પોતાના વસ્ત્રો ઉતારીને પણ પોતે સ્ત્રી હોવાની સાબિતી આપી .પછી તેણે પેલી સ્ત્રીની સફળ પ્રસુતિ કરાવી.

આ વાત સ્ત્રીઓમાં ફેલાઈ ગઈ અને બધી બીમાર સ્ત્રીઓ જેઓ પુરુષ ડોક્ટરો પાસે ઈલાજ કરાવવા નહોતી ઈચ્છતી તે બધી એગ્નોડાઈસ પાસે સારવાર કરાવવા લાગી.
એગ્નોડાઈસ તો જોતજોતામાં લોકપ્રિય થઈ ગઈ અને સફળ ડોક્ટર માં તેની ગણના થવા લાગી.
પુરૂષ ડોકટરોને એગ્નોડાઈસની આ સફળતા અને લોકપ્રિયતા જોઈ તેની ઈર્ષ્યા થઈ.
તેઓ તો એગ્નોડાઈસને પુરુષ જ સમજતા હતા.
ડોક્ટરોએ તેના પર આરોપ મૂક્યો કે એગ્નોડિસ સ્ત્રી દર્દીઓને પોતાની પાસે સારવાર કરાવવા માટે આકર્ષિત કરે છે જેનો મેડિકલ પ્રોફેશનમાં નિષેધ છે.
એગ્નોડાઈસને કોર્ટ સમક્ષ રજૂ કરવામાં આવી. ન્યાયધીશોએ એગ્નોડિસને તે આરોપ બદલ મૃત્યુદંડની સજા ફટકારી.
અંતે પોતાનો જીવ બચાવવા માટે એગ્નોડાઈસે કોર્ટમાં પોતાની ઓળખાણ જાહેર કરવી પડી. તેણે કોર્ટ સમક્ષ કહ્યું કે તે એક સ્ત્રી છે, પુરુષ નથી.
પરંતુ તેની મૃત્યુ દંડની સજા માફ ન થઈ.!
આ વખતે કોર્ટે તેને મહિલા થઈને મેડિકલનો અભ્યાસ કરવા બદલ અને મેડિકલની પ્રેક્ટિસ કરવા બદલ મૃત્યુદંડની સજા કરી.
બધી સ્ત્રીઓએ આ ચૂકાદા સામે બળવો કર્યો, જેમાં મૃત્યુદંડની સજા આપનાર ન્યાયાધીશોની પત્નીઓ પણ સામેલ હતી.!
કેટલીક સ્ત્રીઓ એ તો એવું પણ કહ્યું કે જો એગ્નોડાઈસને મારી નાખવામાં આવશે, તો તેઓ પણ તેની સાથે મોતને વ્હાલું કરશે.!
ન્યાયાધીશો તેમની પત્નીઓ અને અન્ય મહિલાઓના દબાણ સામે લાચાર થઈ ગયા.
અંતે ન્યાયાધીશોએ એગ્નોડાઈસની સજા માફ કરી દીધી.
ત્યારબાદ સ્ત્રીઓને પણ મેડિકલનો અભ્યાસ તથા પ્રેક્ટિસ કરવાની મંજૂરી આપવામાં આવી પણ એ શર્ત પર કે તેઓ માત્ર સ્ત્રીઓની જ સારવાર કરી શકશે.

આમ પ્રચલિત કથા મુજબ એગ્નોડાઈસ ઇતિહાસમાં પ્રથમ મહિલા ડૉક્ટર અને ગાયનેકોલોજિસ્ટ તરીકે પ્રસિદ્ધ થઈ.

Story & image source: Wikipedia
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સિયાચીન ની બોર્ડર પર કમર સુધી બરફ માં દબાઈ જાય એટલો બરફ હોય તોય એક સાંકળ બનાવી ને જવાનો નિયમિત પેટ્રોલિંગ કરે છે જેથી આપડા દેશ ના દુશ્મનો આપણી સરહદ માં ઘુસી ના જાય ને આપડે સુરક્ષિત રહીએ

ત્યાં જેનું પોસ્ટિંગ હોય તો 3 મહિના સુધી દાઢી નથી કરતા કેમ કે ચામડી એટલી કોમળ થઈ ગઈ હોય કે ચામડી કપાઈ જવાની બીક હોય

રાતે જે સુવે એને ત્રણ વખત રાત માં જગાડી ને પાણી પીવડાવવા માં આવે જેથી એનું શરીર થીજી ના જાય ને મૃત્યુ ના થઇ જાય . ત્યાં જનાર જવાન કેટલી મુશ્કેલીઓ નો સામનો કરે છે એનો તો આપડે અંદાજ પણ ના લગાવી શકીએ

ઠંડી ના કારણે જ્યારે આપડે ગોદડા માં ઘુસી જઈએ ત્યારે આપડો જવાન ત્યાં એટલા બરફ માં પણ ઈમાનદારી થી પોતાની નોકરી કરે છે ત્યારે આપડે સુરક્ષિત છીએ .

કચ્છ ના રણ માં કેટલો તડકો પડે એ ક્યાં કહેવા ની જરૂર જ છે . આપડે થોડીક ગરમી માં હાય ગરમી હાય ગરમી કરતા ac ચાલુ કરી ને કે પંખો ચાલુ કરી ને ઘર માં ઘુસી જઈએ ત્યારે ત્યાં સતત આર્મી ના જવાનો ખડે પગે ઉભા હોય છે ત્યારે આપડે સુરક્ષિત છીએ

લેહ લદાખ ને કાશ્મીર માં તો યે જીવ હથેળી માં લઇ ને જ ચાલે છે કેમ કે કોણ એમનું દુશ્મન છે એ નક્કી જ નથી હોતું .ક્યારે કઈ બાજુ થી હુમલો થાય .કે પછી નક્ષલી એરિયા માં રોજ પેટ્રોલિંગ માં નીકળે એના જીવન ની કોઈ ગેરંટી ના હોય તોય એ લોકો પોતાનું કામ નથી ચુકતા એટલે જ હું ને તમે અહીં ફેબસૂક માં મોટી મોટી ઠોકી શકીએ ને કોઈ ને સારા ખરાબ કહી શકીએ છીએ કેમ કે બલિદાનો એ આપી રહ્યા છે .

હવે આ આર્મી ને કોઈ રેપીસ્ટ રહે તો તમને ગુસ્સો આવે કે નહીં ? અને આ વાત માં એનો સાથ દેનાર ઉપર તમને ગુસ્સો આવે કે નહીં ?

હા તમને ખ્યાલ ન હોય તો jnu વાળા કનૈયા કુમારે આર્મી ને રેપીસ્ટ કહી તી કે આર્મી રેપ કરે છે . ને આ દીપિકા એ લોકો ના સમર્થન માં ઉભી રહી તી . બસ આ એક કારણ કાફી નથી આનું ફિલ્મ ના જોવા માટે ?????????????????????????

દેશ માટે બલિદાનો આપનાર એ જવાનો નું આવું ઘોર અપમાન કરનાર ના સમર્થન માં ઉભેલી આ દીપિકા ને હિટ કરાવી ને ફરી એમને આવું કરવા ની હિમ્મત આપશો ?

બસ વિચારો કે ફરજ ખાલી દેશ ના જવાનો ની જ છે તમારી એ નથી ? એમના બલિદાનો ના મજાક ઉડાવનાર ને ખબર પાડવા ની કે આ નાગાઈ આપડા દેશ માં નૈ ચાલે એ આપણી ફરજ નથી ?

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‼️🕉️🚩संकल्प हो तो ऐसा 🚩🕉️‼️

🪴एक ब्राह्मण कई दिनों से एक यज्ञ कर रहा था, किन्तु उसे सफलता नहीं मिल रही थी । राजा विक्रमादित्य वहां से गुजरे। ब्राह्मण का उतरा हुआ चेहरा देखकर पूछा -” ब्राह्मण देव! क्या बात है?आप इतने उदास क्यों हो?”
ब्राह्मण ने कहा ” मैं इतने दिनों से यज्ञ कर रहा हूं पर मुझे अभी तक अग्नि देवता के दर्शन नहीं हुए।”
विक्रमादित्य ने कहा-” यज्ञ ऐसे थोड़े ही किया जाता है।”
ब्राह्मण-” तो कैसे किया जाता है?”
विक्रमादित्य ने म्यान से तलवार निकाली और संकल्प किया कि” यदि आज शाम तक अग्निदेव प्रकट नहीं हुए तो इसी तलवार से अपने मस्तक की आहूति दे दूंगा।”
विक्रमादित्य ने कुछ आहूतियां हीं दीं और अग्निदेव ने प्रकट होकर कहा ” वर मांगो ।”
विक्रमादित्य ने कहा ” इन ब्राह्मण देवता की इच्छा पूर्ण करें,देव!”
तब ब्राह्मण ने पूछा -” हे अग्निदेव! मैंने कितने प्रयत्न किए आप प्रगट नहीं हुए। राजा ने जरा सी आहूतियां दीं,आप प्रकट हो गए।यह कैसे?”
अग्निदेव ने कहा-” राजा ने जो किया दृढ़ता और लगन से किया। दृढ़ता और लगनपूर्वक किया गया कार्य जल्दी परिणाम लाता है।
*”इसलिए किसी भी सत्कर्म को करने से पहले दृढ़ संकल्प होना चाहिए ताकि वांछित परिणाम मिले।”*

🕉️🔱🙏🏼हर हर हर महादेव 🙏🏼🔱🕉️

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‼️🕉️🚩संकल्प हो तो ऐसा 🚩🕉️‼️

🪴एक ब्राह्मण कई दिनों से एक यज्ञ कर रहा था, किन्तु उसे सफलता नहीं मिल रही थी । राजा विक्रमादित्य वहां से गुजरे। ब्राह्मण का उतरा हुआ चेहरा देखकर पूछा -” ब्राह्मण देव! क्या बात है?आप इतने उदास क्यों हो?”
ब्राह्मण ने कहा ” मैं इतने दिनों से यज्ञ कर रहा हूं पर मुझे अभी तक अग्नि देवता के दर्शन नहीं हुए।”
विक्रमादित्य ने कहा-” यज्ञ ऐसे थोड़े ही किया जाता है।”
ब्राह्मण-” तो कैसे किया जाता है?”
विक्रमादित्य ने म्यान से तलवार निकाली और संकल्प किया कि” यदि आज शाम तक अग्निदेव प्रकट नहीं हुए तो इसी तलवार से अपने मस्तक की आहूति दे दूंगा।”
विक्रमादित्य ने कुछ आहूतियां हीं दीं और अग्निदेव ने प्रकट होकर कहा ” वर मांगो ।”
विक्रमादित्य ने कहा ” इन ब्राह्मण देवता की इच्छा पूर्ण करें,देव!”
तब ब्राह्मण ने पूछा -” हे अग्निदेव! मैंने कितने प्रयत्न किए आप प्रगट नहीं हुए। राजा ने जरा सी आहूतियां दीं,आप प्रकट हो गए।यह कैसे?”
अग्निदेव ने कहा-” राजा ने जो किया दृढ़ता और लगन से किया। दृढ़ता और लगनपूर्वक किया गया कार्य जल्दी परिणाम लाता है।
*”इसलिए किसी भी सत्कर्म को करने से पहले दृढ़ संकल्प होना चाहिए ताकि वांछित परिणाम मिले।”*

🕉️🔱🙏🏼हर हर हर महादेव 🙏🏼🔱🕉️

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‼️🕉️🚩संकल्प हो तो ऐसा 🚩🕉️‼️

🪴एक ब्राह्मण कई दिनों से एक यज्ञ कर रहा था, किन्तु उसे सफलता नहीं मिल रही थी । राजा विक्रमादित्य वहां से गुजरे। ब्राह्मण का उतरा हुआ चेहरा देखकर पूछा -” ब्राह्मण देव! क्या बात है?आप इतने उदास क्यों हो?”
ब्राह्मण ने कहा ” मैं इतने दिनों से यज्ञ कर रहा हूं पर मुझे अभी तक अग्नि देवता के दर्शन नहीं हुए।”
विक्रमादित्य ने कहा-” यज्ञ ऐसे थोड़े ही किया जाता है।”
ब्राह्मण-” तो कैसे किया जाता है?”
विक्रमादित्य ने म्यान से तलवार निकाली और संकल्प किया कि” यदि आज शाम तक अग्निदेव प्रकट नहीं हुए तो इसी तलवार से अपने मस्तक की आहूति दे दूंगा।”
विक्रमादित्य ने कुछ आहूतियां हीं दीं और अग्निदेव ने प्रकट होकर कहा ” वर मांगो ।”
विक्रमादित्य ने कहा ” इन ब्राह्मण देवता की इच्छा पूर्ण करें,देव!”
तब ब्राह्मण ने पूछा -” हे अग्निदेव! मैंने कितने प्रयत्न किए आप प्रगट नहीं हुए। राजा ने जरा सी आहूतियां दीं,आप प्रकट हो गए।यह कैसे?”
अग्निदेव ने कहा-” राजा ने जो किया दृढ़ता और लगन से किया। दृढ़ता और लगनपूर्वक किया गया कार्य जल्दी परिणाम लाता है।
*”इसलिए किसी भी सत्कर्म को करने से पहले दृढ़ संकल्प होना चाहिए ताकि वांछित परिणाम मिले।”*

🕉️🔱🙏🏼हर हर हर महादेव 🙏🏼🔱🕉️