गुजरात के एक जैन व्यापारी वालचंद हीराचंद ने 1940 में मैसूर के राजा के साथ पार्टनरशिप करके बेंगलुरु में एरोप्लेन बनाने की एक फैक्ट्री डाली जिसका नाम उन्होंने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स रखा। कंपनी काफी फायदे में जा रही थी।
1940 में पूरी दुनिया में सिर्फ अमेरिका और ब्रिटेन में ही प्लेन बनते थे और उस समय भारत जैसे देश में विमान का बनना दुनिया के लिए एक बेहद चौंकाने वाली बात थी।
कंपनी के बनाए जहाज दुनिया की कई एयरलाइन ने खरीदें कंपनी काफी मुनाफे में जा रही थी और एक दिन नेहरू की नजर इस कंपनी पर पड़ी और उन्होंने इस कंपनी को नियमों के खिलाफ जाकर सरकारीकरण कर दिया। फिर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स का नाम बदलकर हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड कर दिया गया और सरकारी दस्तावेज में यह दिखा दिया गया किस कंपनी की स्थापना नेहरू ने की।
कभी दिल पर हाथ रख कर सोचिए गा यदि कोई व्यक्ति अपनी दूर दृष्टि से अपनी सूझबूझ से कोई कंपनी खड़ी करें और फिर किसी की गिद्ध दृष्टि भले ही वह सरकार क्यों ना हो उसकी आपकी कंपनी पर पड़े तो क्या यह उचित है और हां कांग्रेसी कहते हैं हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड तो हमारे नेहरू ने बनाया🤣
