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मित्रों जब रावण ने अरुणसुत जटायु के दोनों पंख काट डाले… तो काल आया !!

और जैसे ही काल आया तो अरुणसुत गिद्धराज जटायु ने मौत को ललकार कहा

“खबरदार ! ऐ मृत्यु ! आगे बढ़ने की कोशिश मत करना…मैं मृत्यु को स्वीकार तो करूँगा… लेकिन तू मुझे तब तक नहीं छू सकती…जब तक मैं सीता_जी की सुधि प्रभु “श्रीराम” को नहीं सुना देता…!

मौत उन्हें छू नहीं पा रही है…काँप रही है खड़ी हो कर…मौत तब तक खड़ी रही, काँपती रही… यही इच्छा मृत्यु का वरदान अरुणसुत जटायु को मिला।

किन्तु महाभारत के भीष्म पितामह छह महीने तक बाणों की शय्या पर लेट करके मौत का इंतजार करते रहे…आँखों में आँसू हैं…रो रहे हैं…भगवान मन ही मन मुस्कुरा रहे हैं…!

कितना अलौकिक है यह दृश्य…रामायण में अरुणसुत जटायु भगवान की गोद रूपी शय्या पर लेटे हैं…! प्रभु “श्रीराम” रो रहे हैं और जटायु हँस रहे हैं…!!

वहाँ महाभारत में भीष्म पितामह रो रहे हैं और भगवान “श्रीकृष्ण” हँस रहे हैं…भिन्नता प्रतीत हो रही है कि नहीं…?

अंत समय में जटायु को प्रभु “श्रीराम” की गोद की शय्या मिली…!

लेकिन भीष्म पितामह को मरते समय बाण की शय्या मिली….!

अरुणसुत जटायु अपने कर्म के बल पर अंत समय में भगवान की गोद रूपी शय्या में प्राण त्याग रहे हैं ….प्रभु “श्रीराम” की शरण में….और बाणों पर लेटे लेटे भीष्म पितामह रो रहे हैं…. !

ऐसा अंतर क्यों…?

ऐसा अंतर इसलिए है कि भरे दरबार में भीष्म पितामह ने द्रौपदी का अपमान होते हुए देखा था…विरोध नहीं कर पाये थे…!

दुःशासन को ललकार देते…दुर्योधन को ललकार देते…लेकिन द्रौपदी रोती रही…बिलखती रही…चीखती रही…चिल्लाती रही… लेकिन भीष्म पितामह सिर झुकाये बैठे रहे…नारी की रक्षा नहीं कर पाये…!

उसका परिणाम यह निकला कि इच्छा मृत्यु का वरदान पाने पर भी बाणों की शय्या मिली !!

और….अरुणसुत जटायु ने नारी का सम्मान किया…अपने प्राणों की आहुति दे दी…तो मरते समय भगवान “श्रीराम” की गोद की शय्या मिली…!

शिक्षा :- जो दूसरों के साथ गलत होते देखकर भी आंखें मूंद लेते हैं उनकी गति भीष्म जैसी होती है…और जो अपना परिणाम जानते हुए भी…औरों के लिए संघर्ष करते हैं , उसका माहात्म्य अरुणसुत जटायु जैसा कीर्तिवान होता है…!!

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♥️जय सियाराम जी ♥️
♥️♥️♥️♥️♥️♥️♥️

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नालायक बेटा अद्भुत प्रसंग
देर रात अचानक ही पिता जी की तबियत बिगड़ गयी,

आहट पाते ही उनका नालायक बेटा उनके सामने था।
माँ ड्राईवर बुलाने की बात कह रही थी, पर उसने सोचा अब इतनी रात को इतना जल्दी ड्राईवर कहाँ आ पायेगा ?????

यह कहते हुये उसने सहज जिद और अपने मजबूत कंधो के सहारे बाऊजी को कार में बिठाया और तेज़ी से हॉस्पिटल की ओर भागा..!!

बाउजी दर्द से कराहने के साथ ही उसे डांट भी रहे थे

“धीरे चला नालायक, एक काम जो इससे ठीक से हो जाए।”

नालायक बोला
“आप ज्यादा बातें ना करें बाउजी, बस तेज़ साँसें लेते रहिये, हम हॉस्पिटल पहुँचने वाले हैं।”

अस्पताल पहुँचकर उन्हे डाक्टरों की निगरानी में सौंप,वो बाहर चहलकदमी करने लगा..!!

बचपन से आज तक अपने लिये वो नालायक ही सुनते आया था।
उसने भी कहीं न कहीं अपने मन में यह स्वीकार कर लिया था की उसका नाम ही शायद नालायक ही हैं ।

तभी तो स्कूल के समय से ही घर के लगभग सब लोग कहते थे की नालायक फिर से फेल हो गया..!!

नालायक को अपने यहाँ कोई चपरासी भी ना रखे।

कोई बेवकूफ ही इस नालायक को अपनी बेटी देगा।

शादी होने के बाद भी वक्त बेवक्त सब कहते रहते हैं कि इस बेचारी के भाग फूटें थे जो, इस नालायक के पल्ले पड़ गयी..!!

हाँ बस एक माँ ही हैं जिसने उसके असल नाम को अब तक जीवित रखा है, पर आज अगर उसके बाउजी को कुछ हो गया तो शायद वे भी..

इस ख़याल के आते ही उसकी आँखे छलक गयी और वो उनके लिये हॉस्पिटल में बने एक मंदिर में प्रार्थना में डूब गया..!!

प्रार्थना में शक्ति थी या समस्या मामूली, डाक्टरों ने सुबह सुबह ही बाऊजी को घर जाने की अनुमति दे दी..!!

घर लौटकर उनके कमरे में छोड़ते हुये बाऊजी एक बार फिर चीखें,

“छोड़ नालायक ! तुझे तो लगा होगा कि बूढ़ा अब लौटेगा ही नहीं।”

उदास वो उस कमरे से निकला, तो माँ से अब रहा नहीं गया…

“इतना सब तो करता है, बावजूद इसके आपके लिये वो नालायक ही है ???

विवेक और विशाल दोनो अभी तक सोये हुए हैं उन्हें तो अंदाजा तक नही हैं की रात को क्या हुआ होगा …..बहुओं ने भी शायद उन्हें बताना उचित नही समझा होगा ।

यह बिना आवाज दिये आ गया और किसी को भी परेशान नही किया

भगवान न करे कल को कुछ अनहोनी हो जाती तो ?????

और आप हैं कि..????

उसे शर्मिंदा करने और डांटने का एक भी मौका नही छोड़ते ।

कहते कहते माँ रोने लगी थी..!!

इस बार बाऊजी ने आश्चर्य भरी नजरों से उनकी ओर देखा और फिर नज़रें नीची करली

माँ रोते रोते बोल रही थी
अरे, क्या कमी है हमारे बेटे में ?????

हाँ मानती हूँ पढाई में थोङा कमजोर था ….
तो क्या ????
क्या सभी होशियार ही होते हैं ??

वो अपना परिवार, हम दोनों को, घर-मकान, पुश्तैनी कारोबार, रिश्तेदार और रिश्तेदारी सब कुछ तो बखूबी सम्भाल रहा है

जबकि बाकी दोनों जिन्हें आप लायक समझते हैं वो बेटे सिर्फ अपने बीबी और बच्चों के अलावा ज्यादा से ज्यादा अपने ससुराल का ध्यान रखते हैं ।

कभी पुछा आपसे कि, आपकी तबियत कैसी हैं ??????

और आप ….

बाऊजी बोले.. सरला तुम भी मेरी भावना नही समझ पाई ????

मेरे शब्द ही पकङे न ??

क्या तुझे भी यहीं लगता हैं की इतना सब के होने बाद भी इसे बेटा कह के नहीं बुला पाने का, गले से नहीं लगा पाने का दुःख तो मुझे नही हैं ????

क्या मेरा दिल पत्थर का हैं ??????

हाँ सरला सच कहूँ दुःख तो मुझे भी होता ही है, पर उससे भी अधिक डर लगता है कि कहीं ये भी उनकी ही तरह *लायक* ना बन जाये।

इसलिए मैं इसे इसकी पूर्णताः का अहसास इसे अपने जीते जी तो कभी नही होने दूंगा ….

माँ चौंक गई …..

ये क्या कह रहे हैं आप ???

हाँ सरला …यहीं सच हैं

अब तुम चाहो तो इसे मेरा स्वार्थ ही कह लो..!!

“कहते हुये.. उन्होंने रोते हुए…. नजरे नीची किये हुए अपने हाथ माँ की तरफ जोड़ दिये….. जिसे माँ ने झट से अपनी हथेलियों में भर लिया..!!

अरे …अरे ये आप क्या कर रहे हैं..??

मुझे क्यो पाप का भागी बना रहे हैं ..!!

मेरी ही गलती हैं मैं आपको इतने वर्षों में भी पूरी तरह नही समझ पाई ……

और दूसरी ओर दरवाज़े पर वह नालायक खड़ा खङा यह सारी बातचीत सुन रहा था वो भी आंसुओं में तरबतर हो गया था।

उसके मन में आया की दौड़ कर अपने बाऊजी के गले से लग जाये पर ऐसा करते ही उसके बाऊजी झेंप जाते,
यह सोच कर वो अपने कमरे की ओर दौड़ गया..!!

कमरे तक पहुँचा भी नही था की बाऊजी की आवाज कानों में पङी..

अरे नालायक …..वो दवाईयाँ कहा रख दी
गाड़ी में ही छोड़ दी क्या ??????

कितना भी समझा दो इससे एक काम भी ठीक से नही होता ….

नालायक झट-पट आँसू पौछते हुये…

गाड़ी से दवाईयाँ निकाल कर बाऊजी के कमरे की तरफ दौङ गया ..!!

साभार – अज्ञात ✍️🙏

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रोटी

दो -चार बुजुर्ग दोस्त एक पार्क में बैठे हुऐ थे, वहाँ बातों -बातों में रोटी की बात निकल गई..

तभी एक दोस्त बोला – जानते हो की रोटी कितने प्रकार की होती है?

किसी ने मोटी, पतली तो किसी ने कुछ और हीं प्रकार की रोटी के बारे में बतलाया…

तब एक दोस्त ने कहा कि नहीं दोस्त…भावना और कर्म के आधार से रोटी चार प्रकार की होती है।”

पहली “सबसे स्वादिष्ट” रोटी “माँ की “ममता” और “वात्सल्य” से भरी हुई। जिससे पेट तो भर जाता है, पर मन कभी नहीं भरता।

एक दोस्त ने कहा, सोलह आने सच, पर शादी के बाद माँ की रोटी कम ही मिलती है।”

उन्होंने आगे कहा “हाँ, वही तो बात है।

दूसरी रोटी पत्नी की होती है जिसमें अपनापन और “समर्पण” भाव होता है जिससे “पेट” और “मन” दोनों भर जाते हैं।”,

क्या बात कही है यार ?” ऐसा तो हमने कभी सोचा ही नहीं।

फिर तीसरी रोटी किस की होती है?” एक दोस्त ने सवाल किया।

“तीसरी रोटी बहू की होती है जिसमें सिर्फ “कर्तव्य” का भाव होता है जो कुछ कुछ स्वाद भी देती है और पेट भी भर देती है और वृद्धाश्रम की परेशानियों से भी बचाती है”,

थोड़ी देर के लिए वहाँ चुप्पी छा गई।

“लेकिन ये चौथी रोटी कौन सी होती है ?” मौन तोड़ते हुए एक दोस्त ने पूछा-

“चौथी रोटी नौकरानी की होती है। जिससे ना तो इन्सान का “पेट” भरता है न ही “मन” तृप्त होता है और “स्वाद” की तो कोई गारँटी ही नहीं है”, तो फिर हमें क्या करना चाहिये

माँ की हमेशा पूजा करो, पत्नी को सबसे अच्छा दोस्त बना कर जीवन जिओ, बहू को अपनी बेटी समझो और छोटी मोटी ग़लतियाँ नज़रन्दाज़ कर दो बहू खुश रहेगी तो बेटा भी आपका ध्यान रखेगा।

यदि हालात चौथी रोटी तक ले ही आयें तो भगवान का शुकर करो कि उसने हमें ज़िन्दा रखा हुआ है, अब स्वाद पर ध्यान मत दो केवल जीने के लिये बहुत कम खाओ ताकि आराम से बुढ़ापा कट जाये, और सोचो कि वाकई, हम कितने खुशकिस्मत हैं…….

संकलित

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“कर्म क्या है?
एक राजा हाथी पर बैठकर अपने राज्य का भ्रमण कर रहा था।अचानक वह एक दुकान के सामने रुका और अपने मंत्री से कहा- “मुझे नहीं पता क्यों, पर मैं इस दुकान के स्वामी को फाँसी देना चाहता हूँ।”
यह सुनकर मंत्री को बहुत दु:ख हुआ। लेकिन जब तक वह राजा से कोई कारण पूछता, तब तक राजा आगे बढ़ गया।
अगले दिन, मंत्री उस दुकानदार से मिलने के लिए एक साधारण नागरिक के वेष में उसकी दुकान पर पहुँचा। उसने दुकानदार से ऐसे ही पूछ लिया कि उसका व्यापार कैसा चल रहा है? दुकानदार चंदन की लकड़ी बेचता था। उसने बहुत दुखी होकर बताया कि मुश्किल से ही उसे कोई ग्राहक मिलता है। लोग उसकी दुकान पर आते हैं, चंदन को सूँघते हैं और चले जाते हैं। वे चंदन कि गुणवत्ता की प्रशंसा भी करते हैं, पर ख़रीदते कुछ नहीं। अब उसकी आशा केवल इस बात पर टिकी है कि राजा जल्दी ही मर जाएगा। उसकी अन्त्येष्टि के लिए बड़ी मात्रा में चंदन की लकड़ी खरीदी जाएगी। वह आसपास अकेला चंदन की लकड़ी का दुकानदार था, इसलिए उसे पक्का विश्वास था कि राजा के मरने पर उसके दिन बदलेंगे।
अब मंत्री की समझ में आ गया कि राजा उसकी दुकान के सामने क्यों रुका था और क्यों दुकानदार को मार डालने की इच्छा व्यक्त की थी। शायद दुकानदार के नकारात्मक विचारों की तरंगों ने राजा पर वैसा प्रभाव डाला था, जिसने उसके बदले में दुकानदार के प्रति अपने अन्दर उसी तरह के नकारात्मक विचारों का अनुभव किया था।
बुद्धिमान मंत्री ने इस विषय पर कुछ क्षण तक विचार किया। फिर उसने अपनी पहचान और पिछले दिन की घटना बताये बिना कुछ चन्दन की लकड़ी ख़रीदने की इच्छा व्यक्त की। दुकानदार बहुत खुश हुआ। उसने चंदन को अच्छी तरह कागज में लपेटकर मंत्री को दे दिया।
जब मंत्री महल में लौटा तो वह सीधा दरबार में गया जहाँ राजा बैठा हुआ था और सूचना दी कि चंदन की लकड़ी के दुकानदार ने उसे एक भेंट भेजी है। राजा को आश्चर्य हुआ। जब उसने बंडल को खोला तो उसमें सुनहरे रंग के श्रेष्ठ चंदन की लकड़ी और उसकी सुगंध को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ। प्रसन्न होकर उसने चंदन के व्यापारी के लिए कुछ सोने के सिक्के भिजवा दिये। राजा को यह सोचकर अपने हृदय में बहुत खेद हुआ कि उसे दुकानदार को मारने का अवांछित विचार आया था।
जब दुकानदार को राजा से सोने के सिक्के प्राप्त हुए, तो वह भी आश्चर्यचकित हो गया। वह राजा के गुण गाने लगा जिसने सोने के सिक्के भेजकर उसे ग़रीबी के अभिशाप से बचा लिया था। कुछ समय बाद उसे अपने उन कलुषित विचारों की याद आयी जो वह राजा के प्रति सोचा करता था। उसे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए ऐसे नकारात्मक विचार करने पर बहुत पश्चात्ताप हुआ।
यदि हम दूसरे व्यक्तियों के प्रति अच्छे और दयालु विचार रखेंगे, तो वे सकारात्मक विचार हमारे पास अनुकूल रूप में ही लौटेंगे। लेकिन यदि हम बुरे विचारों को पालेंगे, तो वे विचार हमारे पास उसी रूप में लौटेगे
“अब सोचिये कर्म क्या है!!
उत्तर– “हमारे शब्द, हमारे कार्य, हमारी भावनायें, हमारी गतिविधियाँ…”
हमारे विचार ही हमारे कर्म हैं।”*

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કોલેજના વિદ્યાર્થીઓના એક જૂથે *કેજરીવાલ* ને પૂછ્યું…

સાહેબ, ભારતમાં *”આમ આદમી પાર્ટી”* નો અર્થ શું છે.?

કેજરીવાલ : આ માટે હું એક ઉદાહરણ આપું છું.

ધારો કે બે વ્યક્તિઓ મારી પાસે આવે છે. એક ખૂબ જ સ્વચ્છ અને બીજી ખૂબ જ ગંદી. હું બંનેને નહાવા અને સ્વચ્છ થવાની સલાહ આપું છું.

હવે તમે જ કહો કે તેમાંથી કોણ સ્નાન કરશે.?

એક વિદ્યાર્થીએ કહ્યું, “જે ગંદા હશે તે સ્નાન કરશે.

*કેજરીવાલ:* “ના, આ ફક્ત સ્વચ્છ વ્યક્તિ જ કરશે.. કારણ કે તેને નહાવાની ટેવ છે. જ્યારે ગંદા માણસને સ્વચ્છતાનું મહત્વ પણ ખબર નથી.

*કેજરીવાલ:* હવે મને કહો કે કોણ સ્નાન કરશે.?

અન્ય વિદ્યાર્થીએ કહ્યું, “સ્વચ્છ વ્યક્તિ.”

*કેજરીવાલે* કહ્યું, “ના, ગંદા વ્યક્તિ નહાશે કારણ કે, તેને સફાઈની જરૂર છે.

હવે મને કહો કે કોણ સ્નાન કરશે.??”

બે વિદ્યાર્થીઓએ કહ્યું, “જે ગંદા હશે તે સ્નાન કરશે.

*કેજરીવાલ:* “ના, બંને નહાશે..કારણ કે સ્વચ્છ વ્યક્તિને નહાવાની ટેવ હોય છે અને ગંદાને નહાવાની જરૂર હોય છે.

હવે મને કહો કે કોણ સ્નાન કરશે.

હવે ત્રણ વિદ્યાર્થીઓએ એકસાથે કહ્યું, “હા, બંને નહાશે.

*કેજરીવાલ:* “ખોટું, કોઈ નહાશે નહિ, કારણ કે ગંદાને નહાવાની આદત નથી હોતી જ્યારે સ્વચ્છને નહાવાની જરૂર નથી.

હવે મને કહો કે કોણ સ્નાન કરશે.

એક વિદ્યાર્થીએ નમ્રતાથી કહ્યું, “સર, તમે દર વખતે જુદા જુદા જવાબો આપો છો અને દરેક જવાબ સાચો લાગે છે. સાચો જવાબ કેવી રીતે જાણી શકાય.??”

*કેજરીવાલે* કહ્યું, “બસ, આ *”આમ આદમી પાર્ટી”* છે… એ મહત્વનું નથી કે વાસ્તવિકતા શું છે.”

તમે શું સમજો છો.?.🧐
સામેવાળા શું સમજે છે ?
જજ શું સમજે છે??
સાચું શું કે ખોટું શું ??

એ અમારે નથી જોવાનું … અમારું કામ બધાને ગોટે ચડાવવાનું છે…
*બસ આ જ આમ આદમી પાર્ટી અને અરવિંદ કેજરીવાલ છે* 😂😆

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दर्द
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पचास वर्षीय राजेश बाबू ने सुबह सुबह करवट ली और हमेशा की तरंह अपनी पत्नी मीता को चाय बनाने को कहा और फिर रजाई ढक कर करवट ले ली ।
कुछ पल उन्होने इंतजार की पर कोई हलचल ना होने पर उन्होने दुबारा आवाज दी ।
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ऐसा कभी भी नहीं हुआ था इसलिए राजेश बाबू ने लाईट जलाई और मीता को हिलाया पर कोई हलचल ना होने पर ना जाने वो घबरा से गए ।
रजाई हटाई तो मीता निढ़ाल सी एक ओर पड़ी थी ।
ना जाने रात ही रात में क्या हो गया ।
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अचानक मीता का इस तरंह से उनकी जिंदगी से हमेशा हमेशा के लिए चले जाना …. असहनीय था ।
धीरे धीरे जैसे पता चलता रहा लोग इकठठे होते रहे और उसका अंतिम संस्कार कर दिया ।
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एक हफ्ता किस तरंह बीता उन्हें कुछ याद ही नहीं । उन का एक ही बेटा था जो कि अमेरिका रहता था ।
पढाई के बाद वही नौकरी कर ली थी ।
बेटा आकर जाने की भी तैयारी कर रहा था ।
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उसने अपने पापा को भी साथ चलने को कहा और वो तैयार भी हो गए । पर मीता की याद को अपने दिल से लगा लिया था ।
अब उन्हें हर बात में उसकी अच्छाई ही नजर आने लगी । उन्हें याद आता कि कितना ख्याल रखती थी मीता उनका पर वो कोई भी मौका नहीं चूकते थे उसे गलत साबित करने का । ना कभी उसकी तारीफ करते और ना कभी उसका मनोबल बढाते बल्कि कर काम मे उसकी गलती निकालने मे उन्हे असीम शांति मिलती थी ।
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उधर मीता दिनभर काम मे जुटी रहती थी ।
एक बार् जब काम वाली बाई 2 महीने की छुट्टी पर गई थी तब भी मीता इतने मजे से सारा काम बिना किसी दर्द और शिकन के आराम से गुनगुनाते हुए किया जबकि कोई दूसरी महिला होती तो अशांत हो जाती ।
दिन रात राजेश बाबू उनकी यादों के सहारे जीने लगे ।
काश वह तब उसकी कीमत जान पाते । काश वो तब उसकी प्रशंसा कर पाते । काश …. !!! पर अब बहुत देर हो चुकी थी ।
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आज राजेश अमेरिका जाने के लिए सामान पैक कर रहे थे ।
पैक करते करते मीता की फोटो को देख कर अचानक फफक कर रो पडे और बोले मीता, मुझे माफ कर दो ।
प्लीज वापिस आ जाओ । मैं तुम्हारे बिना कुछ नहीं हूँ । आज जान गया हूँ कि मैं तुमसे कितना कितना प्यार करता हूँ…
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तभी उन्हें किसी ने पीठ से झकोरा ।
इससे पहले वो खुद को सम्भाल पाते अचानक उनकी आखं खुल गई ।
मीता उन्हे घबराई हुई आवाज मे उठा रही थी.
वो सब सपना था ।
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एक बार तो उन्हे विश्वास ही नहीं हुआ पर दूसरे पल उन्होने मीता का हाथ अपने हाथों मे ले लिया पर आखों से आसूँ लगातार बहे जा रहे थे ।
बस एक ही बात कह पाए … आई लव यू मीता !!!! आई लव यू !!!
और मीता नम हुई आखों से अपलक राजेश को ही देखे जा रही थी…

Posted in आयुर्वेद - Ayurveda

કુદરતે વનસ્પતિમાં ઠાંસી ઠાંસીને આયુર્વેદ ભરેલું છે પરંતુ આપણને પેલી ટીવીમાં આવતી લોભામણી જાહેરાતો જોઈને કેમિકલ યુક્ત ઠંડા પીણા પીએ છીએ તે આપણી સૌથી મોટી ભૂલ છે
રોગોમાં જુદા જુદા શાકભાજી અને ફળના રસનો ઉપયોગ..કરો અને જીવનભર નિરોગી રહો.

🔹ઘઉંના જવારાના રસ થી કેન્સર સામે રક્ષણ મળે છે. વાળ ખરતાં અટકે છે. લોહી ચોખ્ખું કરે છે. ચામડીના રોગો મટે છે.
🔹દૂધીનો રસ પીવાથી પેટનો ગેસ ઓછો થઈ જાય છે. એસીડીટી મટે છે. ઠંડક થાય છે. દૂધી કરે લોહીની શુદ્ધિ
🔹લીલા પાંદડાંવાળી મેથી- તાંદળજાની ભાજીમાં આયર્ન છે, જેથી લોહી સુધરે છે. એસીડીટી મટાડે છે.
🔹કોથમીરનો રસ ઠંડક આપે છે. પાચનક્રિયામાં મદદ કરે છે. લોહીનું હિમોગ્લોબીન સુધારે છે. આંખની શક્તિ વધારે છે.
🔹તુલસીનો રસ પીવાથી ગેસ મટે છે. પેટના કૃમિનો નાશ કરે છે. ઉલટી થતી મટાડે છે. ઉધરસ મટાડે છે તાવને આવતો અટકાવે છે
🔹પાલકનો રસ લોહી સુધારે છે. પેટ સાફ રાખે છે. ઉધરસ મટાડે છે.
🔹ફૂદીનાનો રસ ભૂખ મટાડે છે. ઉધરસ મટાડે છે. પેટના રોગોમાં ફાયદો કરે છે. મધ અને લીંબુના રસ સાથે ફૂદીનાનો રસ આપવાથી પાચનક્રિયામાં મદદ મળે છે.
🔹સફેદ ડુંગળીના રસ માં એક ચમચી ઘી મેળવીને પીવાથી પેટના રોગો- દુ:ખાવો- ગેસ- એસીડીટી મટે છે. વાયરસથી થતા રોગો મટે છે.
🔹કારેલાનો રસ પીવાથી ભૂખ લાગે, ઉધરસ મટાડે છે. કરમીયા દૂર કરે છે. કોઢ (લ્યુકોડર્મા) મટાડે છે, કિડની સ્ટોન દૂર કરે છે ડાયાબીટીસ માટે ફાયદાકારક
🔹કોબીજનો રસ સવારે ભૂખ્યા પેટે તાજો ૧૦૦ મી.લી. પીવાથી એસીડીટી તદ્દન મટી જશે. તેમાં રહેલા વિટામિન ‘બી’ કોમ્પલેક્ષ ચામડીની ચમક વધારે છે. ઉધરસ મટે છે, હોજરી અને આંતરડાનાં ચાંદાં દૂર થાય છે.
🔹ટમેટાના રસમાં વિટામિન ‘એ’ મળે છે. વજન ઓછું કરવામાં મદદ કરે છે. ડાયાબીટીસમાં રાહત આપે છે. કિડનીને વધારે કાર્યક્ષમ બનાવે છે. પાચનક્રિયા સુધારે છે. હિમોગ્લોબીન વધારે છે. આંખની શક્તિ વધારે છે *લાલ ટામેટા જેવા થવું હોય તો લાલ ટામેટા ખાજો*
🔹ગાજરનો રસ પીવાથી આંખની જોવાની શક્તિ અકબંધ રહે છે. શરીરમાં રહેલો યુરીક એસિડ કાઢી નાખે છે
એટલે ‘ગાઉટ’ રોગ થતો નથી. ગાજર ચાવીને ખાવાથી દાંત મજબુત થાય છે. ખરજવામાં ફાયદો કરે છે. ગાજર તંદુરસ્તી હાજર
🔹બીટનો રસ તેમાં રહેલા આયર્નને કારણે હિમોગ્લોબીન વધારે છે. પેટ સાફ રાખે છે. ઠંડક આપે છે. બીટ શરીરને રાખે ફીટ
🔹કાકડીનો રસ પીવાથી ડાયાબીટીસની અસર દૂર થાય છે. ગાઉટમાં ફાયદો કરે છે. વજન ઓછું કરવામાં મદદ કરે છે,ચામડી વાળને સારા રાખે છે
🔹 મૂળા અને મૂળાની ભાજીનો રસ કબજીયાત મટાડે છે. લોહી સુધારે છે. કિડનીને કાર્યક્ષમ બનાવે છે.
🔹ચોળીની શિંગ થી ઈન્સ્યુલીન વધારે ઉત્પન્ન થાય છે. ડાયાબીટીસ કાબુમાં આવે છે.
🔹લસણનો રસ પીવાથી શરીર જકડાઈ ગયું હોય તો તેમાં રાહત થાય છે. પેટના રોગો (વાયરસ બેકટેરીઆ નાશ પામવાથી)માં આરામ મળે છે. આ ઉપરાંત બી.પી.નું પ્રમાણ ઓછું થાય છે,લોહીને શુદ્ધ કરે છે
🔹આદુનો રસ પીવાથી ગેસ ઓછો થાય છે, ઉધરસ મટે છે, હૃદયરોગ થતો અટકાવે છે, ગળા અને નાક (સાઈનસ)માં ભરાએલા કફને દૂર કરે છે. માથુ દૂખતું હોય ત્યારે નાકમાં આદુનો રસ બે ટીપાં નાખવાથી મટી જાય છે.
🔹સફરજનનો રસ એસીડીટી, અપચો, કિડનીના રોગો અને જ્ઞાનતંતુના રોગોમાં રાહત આપે છે હદય સંબંધી બિમારીઓ દૂર કરે છે
🔹કાળી દ્રાક્ષનો રસ પીવાથી કબજિયાત મટી જાય છે. હરસ થતા અટકે છે. શરીરમાં ગરમી લાગતી હોય તેમાં રાહત આપે છે શક્તિનો ખજાનો છે
🔹જામફળનો રસ પીવાથી કબજિયાત મટે છે. શુક્રાણુ વધે છે અને શરીરને શક્તિ આપે છે ડાયાબીટીસ કાબુમાં રાખે છે
🔹લીંબુનો રસ આંતરડામાં બેકટેરીઆનો નાશ કરે છે. બધા જ પ્રકારના ચેપથી રક્ષણ થાય છે. માટલાના ઠંડા પાણીમાં લીંબુનો રસ મેળવી તેમાં મધ નાખી રોજ ભૂખ્યા પેટે પીવાથી કબજિયાત મટે છે. લીંબુના રસથી હૃદયરોગ સામે રક્ષણ મળે છે. મગજ શાંત કરે છે. લીંબુના રસમાં રહેલ વિટામિન સી લોહીની નળીઓને મજબૂત બનાવે છે. બી.પી.ને કાબૂમાં લાવે છે.
🔹આમળાનો રસ પેટ સાફ કરે,વિટામિન સી ભરપૂર ચામડી,વાળને સારા રાખે છે
🔹તરબૂચ અને ટેટીનો રસ ઠંડક આપે છે. કિડનીને વધારે કાર્યક્ષમ કરે છે. દૂષિત પદાર્થો શરીરમાંથી બહાર નીકળી જાય છે. કબજિયાત મટાડે છે.
🔹નારંગીનો રસ પીઓ ત્યારે પેશીની આજુબાજુ રહેલ સફેદ કવર (ફાઈબર)માં કેલ્શ્યમ ખૂબ મળે છે. હાડકાં- દાંત મજબૂત થાય છે. શ્વાસના રોગો- એલર્જી, કફ- દમમાં રાહત આપે છે.
🔹પપૈયાનો રસ લીવર માટે ફાયદાકારક છે. પાચનક્રિયામાં મદદ કરે છે. કબજિયાત મટાડે છે. પેશાબના રોગોમાં રાહત આપે છે.
🔹 પાઈનેપલનો રસ પેટના કૃમિનો નાશ કરે છે. ગેસ મટાડે છે.
🔹લીલા અંજીર થી પેશાબના દર્દો મટી જાય છે. ખાંસી ઓછી થાય છે. પેટના રોગો મટી જાય છે.
🔹કોળાનો રસ પીવાથી પ્રોસ્ટેટ ગ્રંથિની તકલીફ દૂર થાય છે. પેટના રોગોમાં રાહત આપે છે. કરમીઆનો નાશ કરે છે.
🔹જાંબુનો રસ માં રહેલા આયર્નથી લોહી સુધરે છે. શરીરમાં સ્ફૂર્તિ આવે છે. લીવરના રોગો મટાડે છે.
શેરડીનો રસ વિશ્વનો સૌથી શક્તિશાળી રસ શક્તિવર્ધક,બી12 વધારે
દાડમનો રસ શક્તિનો ખજાનો,દાડમ મડદાને બેઠું કરે તેવી શક્તિ
ઘરે ગ્રીનજ્યુસ બનાવો પાલક સૌથી વધારે
કોથમીર
ફુદીનો
મીઠો લીમડો
દૂધી
આંમળા ના હોય તો આંમળા પાવડર નાખવો
લિબુ, આદું , વગેરે
કુદરતના સાનિધ્યમાં જીવવાનું ચાલુ કરશો તો આપને જીવનભર એલોપથી ગોળીઓ ખાઈને જીવવાની લગભગ જરૂર પડશે નહિ પરંતુ આપણને આવું કરવાનું ગમતું કે ફાવતું નથી અને એટલેજ તો ઉધરસથી માંડીને કેન્સર સુધીના રોગની યાત્રા કરવી પડે છે

બસ થોડી જીવનશૈલી બદલો અને જીવનભર નિરોગી રહો

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“नमस्कार सर! मुझे पहचाना?”

“कौन?”

“सर, मैं आपका विद्यार्थी। 40 साल पहले का आपका विद्यार्थी।”

“ओह! अच्छा। आजकल ठीक से दिखता नही बेटा और याददाश्त भी कमज़ोर हो गयी है। इसलिए नही पहचान पाया। खैर। आओ, बैठो। क्या करते हो आजकल?” उन्होंने उसे प्यार से बैठाया और पीठ पर हाथ फेरते हुए पूछा।

“सर, मैं भी आपकी ही तरह शिक्षक बन गया हूँ।”

“वाह! यह तो अच्छी बात है लेकिन शिक्षक की पगार तो बहुत कम होती है फिर तुम कैसे…?”

“सर। जब मैं कक्षा सातवीं में था तब हमारी कक्षा में एक घटना घटी थी। उसमें से आपने मुझे बचाया था। मैंने तभी शिक्षक बनने का निर्णय ले लिया था। वो घटना मैं आपको याद दिलाता हूँ। आपको मैं भी याद आ जाऊँगा।”

“अच्छा! क्या हुआ था तब बेटा, मुझे ठीक से कुछ याद नहीं…..?”

“सर, सातवीं में हमारी कक्षा में एक बहुत अमीर लड़का पढ़ता था। जबकि हम बाकी सब बहुत गरीब थे। एक दिन वह बहुत महंगी घड़ी पहनकर आया था और उसकी घड़ी चोरी हो गयी थी। कुछ याद आया सर?”

“सातवीं कक्षा?”

“हाँ सर। उस दिन मेरा मन उस घड़ी पर आ गया था और खेल के पीरियड में जब उसने वह घड़ी अपने पेंसिल बॉक्स में रखी तो मैंने मौका देखकर वह घड़ी चुरा ली थी। उसके ठीक बाद आपका पीरियड था। उस लड़के ने आपके पास घड़ी चोरी होने की शिकायत की औऱ बहुत जोर जोर से रोने लगा। आपने कहा कि जिसने भी वह घड़ी चुराई है, उसे वापस कर दो। मैं उसे सजा नही दूँगा। लेकिन डर के मारे मेरी हिम्मत ही न हुई घड़ी वापस करने की।”

“उसके बाद फिर आपने कमरे का दरवाजा बंद किया और हम सबको एक लाइन से आँखें बंद कर खड़े होने को कहा और यह भी कहा कि आप सबकी जेब औऱ झोला देखेंगे लेकिन जब तक घड़ी मिल नही जाती तब तक कोई भी अपनी आँखें नही खोलेगा वरना उसे स्कूल से निकाल दिया जाएगा और ऊपर से जबरदस्त मार पड़ेगी वो अलग…।”

“हम सब आँखें बन्द कर खड़े हो गए। आप एक-एक कर सबकी जेब देख रहे थे। जब आप मेरे पास आये तो मेरी धड़कन तेज होने लगी। मेरी चोरी पकड़ी जानी थी। अब जिंदगी भर के लिए मेरे ऊपर चोर का ठप्पा लगने वाला था। मैं ग्लानि से भर उठा था। उसी समय जान देने का निश्चय कर लिया था लेकिन…. लेकिन मेरी जेब में घड़ी मिलने के बाद भी आप लाइन के अंत तक सबकी जेबें देखते रहे और घड़ी उस लड़के को वापस देते हुए कहा, अब ऐसी घड़ी पहनकर स्कूल नही आना और जिसने भी यह चोरी की थी वह दोबारा ऐसा काम न करे।”
इतना कहकर आप फिर हमेशा की तरह पढाने लगे थे ये कहते कहते उसकी आँख भर आई।

वह रुंधे गले से बोला, “आपने उस समय मुझे सबके सामने शर्मिंदा होने से बचा लिया था सर। आगे भी कभी किसी पर भी आपने मेरा चोर होना जाहिर न होने दिया। आपने कभी मेरे साथ भेदभाव नही किया। उसी दिन मैंने तय कर लिया था कि मैं आपके जैसा एक आदर्श शिक्षक ही बनूँगा।”

“हाँ हाँ..मुझे याद आया।” उनकी आँखों मे चमक आ गयी। फिर चकित हो बोले, “लेकिन बेटा… मैं आजतक नही जानता था कि वह चोरी किसने की थी क्योंकि…जब मैं तुम सबकी जेब देख कर रहा था तब मैंने भी अपनी आँखें बंद कर ली थीं.. इतना कहकर सरजी ने अपने छात्र को गले से लगा लिया……।”

इसीलिए तो कहा गया है–
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः |
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्रीगुरवे नम: ||