एक गांव में एक महामूर्ख था.
वह बहुत परेशान था क्योंकि वह कुछ भी कहता तो लोग उसकी बात हंस देते थे.
शायद लोगों ने उसको महामूर्ख मान ही लिया थे.
हालात ऐसे हो गए कि वह कभी ठीक भी बात कहता तो भी लोग हंस देते.
इस कारण वो बेचारा सिकुड़ा सिकुड़ा जीता था और बोलता तक नहीं था.
लेकिन, समस्या थी कि…. न बोले तो लोग हंसते थे.. और, बोले तो लोग ज्यादा हंसते थे.
कुछ करे तो लोग हंसते थे.. न करे तो लोग ज्यादा हंसते थे.
फिर, उस गांव में एक साधु महाराज आये.
साधु महाराज की कीर्ति सुनकर उस महामूर्ख ने रात में जाकर उन साधु महाराज के चरणों में लोट गया और कहने कि मुझे कुछ आशीर्वाद दो..
मेरी जिंदगी क्या ऐसे ही बीत जायेगी सिकुड़े सिकुड़े ???
क्या मैं महामूर्ख की तरह ही मरूंगा…??
क्या कोई उपाय नहीं है कि थोड़ी बहुत भी बुद्धि मुझमें आ जाये ???
उसकी ये दारुण विनती सुनकर साधु ने कहा उपाय है…
यह ले सूत्र…. “तू निंदा शुरू कर दे”
इस पर महामूर्ख ने कहा : निंदा से क्या होगा ?
साधु ने कहा : सात दिन तू कर और फिर मेरे पास आना.
उस महामूर्ख ने पूछा : करना क्या है निंदा में ?
इस पर उस साधु ने कहा : कोई कुछ भी कहे… बस, तू नकारात्मक वक्तव्य देना.
जैसे कोई कहे कि… देखो, कितना सुंदर सूरज निकल रहा है !
तो, तू कहना इसमें क्या सुंदर है ? सिद्ध करो, सुंदर कहां है, क्या सुंदर है ?
रोज निकलता है, अरबों खरबों सालों से निकल रहा है.
आग का गोला है, इसमें सुंदर लायक क्या है ?
फिर कोई सुंदर स्त्री को देखकर कहे कितनी सुंदर स्त्री है…!
तो, तू कहना… इसमें है क्या ?
जरा नाक लंबी हो गयी तो हो क्या गया…
कि रंग जरा सफेद हुआ तो हो क्या गया ???
सफेद तो कोढ़ी भी होते हैं.
सुंदर कहां है, सिद्ध करो ???
तू हर एक से प्रमाण मांगना और खयाल रखना यह कि हमेशा नकार में रहना…
उनको विधेय में डाल देना,
तू नकार में रहना…!
और, फिर सात दिन बाद आ जाना.
फिर…. सात दिन बाद जब वो महामूर्ख आया महामूर्ख तो अकेला नहीं था बल्कि उसके कई शिष्य हो गये थे.
वह आगे—आगे आ रहा था और फूल मालाएं उसके गले में डली थी.
साथ ही उसके चेले चपाटी बैंड बाजे बजा रहे थे.
आते ही उसने साधु के पैरों पर गिर गया और कहा कि… तरकीब काम कर गयी प्रभु…!
गांव में एकदम सन्नाटा खिंच गया है. जहां निकल जाता हूं लोग सिर नीचा कर लेते हैं.
लोगों में खबर पहुंच गयी है कि मैं महामेधावी हूं.
क्योंकि, मेरी थेथरई के सामने कोई जीत नहीं सकता.
अब आगे क्या करना है ???
इस पर साधु ने उसे बताया : अब आगे तो कुछ करना ही मत..
बस तू इसी पर रुके रहना.
अगर तेरे को मेधा बचानी है तो कभी विधेय में मत पड़ना.
ईश्वर की कोई कहे तो तत्क्षण, तत्क्षण नास्तिकता प्रकट करना.
जो भी कहा जाये, तू हमेशा नकारात्मक वक्तव्य देना.
फिर, तुझे कोई न हरा सकेगा… क्योंकि, नकारात्मक वक्तव्य को असिद्ध करना बहुत कठिन है.
विधायक वक्तव्य को सिद्ध करना बहुत कठिन है.
किसी भी चीज को स्वीकार करने के लिए बड़ी बुद्धिमत्ता चाहिए… स्थिति के एनालाइसिस के लिए बड़ी सूक्ष्म दृष्टि चाहिए… दिमाग का अत्यंत जागरूक रूप चाहिए.
चैतन्य की निखरी हुई दशा चाहिए.
भीतर थोड़ी रोशनी चाहिए.
लेकिन…. ढिठाई और थेथरई करने के लिए तथा हर चीज को इंकार करने के लिए कुछ भी नहीं चाहिए.
कोई अनिवार्यता नहीं है किसी चीज को इंकार करने के लिए.
इसलिए, लोग… दुनिया में निंदा करते हैं.
मेरा ये लेख सोशल मीडिया के उन फूफाओं को समर्पित है जो हमेशा यहां नकारात्मकता फैलाते हैं.
यहाँ तक कि अभी काशी कॉरिडोर और महाकाल लोक के उद्घाटन के बाद भी लोग नकारात्मकता फैला रहे हैं कि सरकार धार्मिक स्थलों को पिकनिक स्पॉट बना रही है.
तो भाई…. बात ऐसी है कि…. अगर अपने प्रसिद्ध मंदिरों का जीर्णोंउद्धार करना और उसे भव्य रूप देना उसे पिकनिक स्पॉट बना देना है…
तो, फिर… ऐसा करते हैं कि…. अपने सारे भव्य और आलीशान मंदिरों को ढहा कर वहाँ झोपड़ी बना देते हैं ताकि वो धार्मिक स्थल के रूप में विकसित हो जाये.
शायद इस पूरी दुनिया में हिन्दू ही एकमात्र ऐसी प्रजाति होगी जिसे अपने प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के जीर्णोंउद्धार करने एवं उन्हें भव्य बनाने से भी कष्ट होता है.
क्योंकि.. दुनिया भर के धर्म और संप्रदाय अपने मंदिरों और आराध्य स्थलों को भव्य से भव्यतम रूप देने का प्रयास कर रहे हैं…
जबकि, हिन्दुस्तान के कुछ हिन्दू ऐसे भी हैं जिन्हें मंदिरों के भव्य होने से कष्ट अनुभव हो रहा है.
इसीलिए, ऐसे लोगों को मेरी तरफ से एक मुफ्त की सलाह है कि…
भाई… मंदिरों पर सलाह बाद में दे देना पहले किसी जांच घर में चेक काहे नहीं करवा लेते हो कि कहीं तुम्हारा DNA खिलजी अथवा गजनवी से तो नहीं मिलता है…
जो मंदिरों के भव्यता को देखकर ही दुख के मारे तुम्हारा कलेजा फटने लगता है और तुम हमारे मंदिरों को जीर्णशीर्ण अवस्था में ही देख कर मन में खुशी का अनुभव करते हो ???
जय महाकाल…!!!
नोट : पोस्ट में प्रयुक्त कहानी मैंने एक बार इसी सोशल मीडिया में पढ़ी थी.
कुमार हरीश