Posted in ૧૦૦૦ જીવન પ્રેરક વાતો

धन्यो गृहस्थाश्रमः


લગ્ન સમયે વર કહે છે-

“द्यौरहं पृथ्वी त्वं सामाहम्हक्त्वम्।

सम्प्रिदौ रोचिष्णू सुमनस्यमानौजीवेव शरदः शतम्॥”

“હું આકાશ છું, તું પૃથ્વી છો. હું સામવેદ છું, તું ઋગ્વેદ છો. ચાલો એકબીજાને પ્રેમ કરીએ. એકબીજાને સુંદર બનાવિયે. એકબીજાના પ્રિય બનીએ. એકબીજા સાથે ઈમાનદારીથી વર્તીને એક હજાર પૂર્ણિમા સુધી જીવીએ.

એક  સજ્જન માણસ  રસ્તા પરથી  પસાર થઇ રહ્યો હતો ત્યારે તેણે  એક  અંધ વટેમાર્ગુને સામેથી  આવતો  જોયો.  એ જમાના માં હોટલ નહિ કે જમવાની ફિકર નહિ કરવાની. તે અંધ માણસ ના ચહેરા પર સ્પષ્ટ દેખાતું હતું કે ભૂખ્યો થયો છે. પાછો જમવાનો સમય. સજ્જન ના હૃદયમાં લાગણી  જન્મી ને  પેલાં  અંધને  પોતાને ઘેર જમવા આવવા કહ્યું. “અહીંથી ત્રીસ મિનિટ ના અંતરે મારું ઘર આવશે. કોઈને પણ પુછીસ કે હેમા ભાઈ નું ઘર ક્યાં ટો તે તુરંત કહી દેશે. પણ  પોતાને તો  ઉતાવળેથી  ઘેર  જવાનું  હતું જેથી ઘેર વહેલા પહોચી પત્ની ને કહી રસોઈ બનાવી દે.

અંધ માણસને  ધીમેધીમે ચાલતો હતો ને સજ્જન ઉતાવળે  પોતાને  ઘેર  ગયો.  તેણે  તેની  પત્નીને  એક  અંધ માણસનું  ભોજન  વધારે  કરવા  કહ્યું. ત્યારે  તેની  પત્નીએ  બે  માણસો  ધરાઈને  જમે  તેટલી  રસોઈ  બનાવી. જમવા માટે બે બાજોઠ તૈય્યાર કર્યા એ જોઇને  તેનાં પતિએ  કહ્યું ” તને  એક  થાળી  બનાવવાનું કહ્યું  ને તે  બે  થાળી  કેમ  તૈયાર કરી?”

તેની  પત્નીએ  જવાબ આપ્યો કે  ” અંધ  માણસ  કાંઈ  એકલો  નહિ  આવે, તેની  સાથે  તેને  દોરનારો  પણ  આવશે તમે જેમ સજ્જન અને કૃપાળુ છો તેમ હું પણ તમારી પત્ની છુ. તમારે રસ્તે ચાલનારી. હું કેમ પાછળ રહી જાઉં !.

પત્ની નું ઔદાર્ય જોઈ પતિ ખુશ થયો. ભગવાનનો આભાર માન્યો.

सानन्दं सदनं सुताश्च सुधियः कान्ता प्रियभाषिणी

सन्मित्रं सधनं स्वयोषिति रतिः चाज्ञापराः सेवकाः ।

आतिथ्यं शिवपूजनं प्रतिदिनं मिष्टान्नपानं गृहे

साधोः सङ्गमुपासते हि सततं धन्यो गृहस्थाश्रमः ॥

ઘરમાં સુખ હોવું જોઈએ, દીકરો સમજદાર હોવો જોઈએ, પત્ની મીઠી વાત કરનારી હોવી જોઈએ, સારા મિત્રો હોવા જોઈએ, સંપત્તિ હોવી જોઈએ, પતિ-પત્ની વચ્ચે પ્રેમ હોવો જોઈએ, નોકર આજ્ઞાકારી હોવો જોઈએ. આતિથ્ય સત્કાર થાય છે, પૂજા થાય છે, દરરોજ સારું ભોજન રાંધવામાં આવે છે, અને સત્પુરુષોનો સંગ થવો જોઈએ. – આવા ગૃહસ્થાશ્રમ ધન્ય છે.

હર્ષદ અશોડીયા ક.

૮૩૬૯૧૨૩૯૩૫

harshad30.wordpress.com

Illustration of an Indian family making and eating ‘Roti’ in the traditional way
Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

कारे सिंह पहलवान जी हिन्दुस्तान के अजय हिन्द केशरी..
भरतपुर के गाँव कौंरेर में एक शेर जाट का जन्म हुआ,
7 फ़ुट 1 इंच उसकी लम्बाई थी, उन्हें बचपन से ही पहलवानी करने का जुनून था, और पहलवानी करते करते हिन्द केशरी बन गये और हिन्द केशरी बनने के बाद दुनियां में देश विदेश की बड़ी और रोमांचक 57 कुश्तियों में हिस्सा लिया और हर कुश्ती में जीत हासिल करके हिन्दुओं का नाम रोशन किया,
बडे बुजुर्ग बताते है कि कारे पहलवान जी जब दन्गल में प्रवेश करते थे तो शेर की तरह दहाडते थे, जिससे आसपास के पेडो से पंछी उड जाते थे और सामने वाले पहलवान के पसीने छूट जाते थे!
एक बार हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में एक भव्य दंगल का आयोजन हुआ था, जिसमें पाकिस्तान के लाल वेग नाम के मुसलमान पहलवान ने उस दंगल में हिस्सा लिया और भरे दंगल में सभी हिन्दू राजाओं और पहलवानों को ललकारा और कहा कि हिन्दुस्तान में कोई भी हिन्दू पहलवान मुझसे लड कर दिखाये, और मुझे हरा कर दिखाये, तो मैं पहलवानी छोड दूँगा !
तब शिमला में भरतपुर के राजा ब्रजेन्द्र सिंह जी भी थे, और उन्हें इस बात पर बहुत गुस्सा आया, तब उन्होनेे हिन्दुओ के हुए अपमान का बदला लेने के लिए वीर पहलवान कारे सिंह जी के पास संदेश भेजा ओर सारी बात बतायी..
लेकिन उस वक्त कारे पहलवान जी की उम्र भी बहुत हो गयी थी, जिस वजह से उन्होंने 3 साल पहले ही कुश्ती छोड दी थी, फ़िर भी अपने महाराजा और हिन्दूओ पर गिरी गाज को बचाने के लिए कारे पहलवान जी उसी समय शिमला के लिए रवाना हुए, और अगले दिन उस भव्य दंगल को देखने के लिए एक बहुत ही बड़ी भीड उमड पडी!
इस रोमांचक दंगल में पाकिस्तान का मुसलमान लालवेग हमारे शेर कारे पहलवान जी के सामने 4 मिनट भी नहीं डट पाया और शर्मसार होकर वापिस पाकिस्तान भाग गया, इस प्रकार हमारे वीर पहलवान कारे सिंह जी ने हिन्दुओं का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया !!!

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

मुग़ल इतिहास- १०६

#mannjeemugal

अकबर महान की लव स्टोरी खूब पढ़ाई गई फ़िल्मी अन्दाज़ में दिखाई गई। असलियत जानते है आज इसकी।

अकबर ने पहला निकाह किया अपने चाचे की लड़की रुकैया बेगम से – साल १५५२ में।
दूसरा निकाह किया अपने दरबारी अब्दुल्ला ख़ान की लड़की से – साल १५५७ में।

तीसरा निकाह किया सलीमा बेगम से जो बैरम खां की पहली बेगम थी। सलीमा अकबर की फुफेरी बहन थी और उसका पहला इश्क़ भी। इस सलीमा बेगम का लड़का था रहीम- दोहे वाला। तो रहीम का सौतेला बाप और मामा था अकबर- डबल रोल में।साल था १५६१।

चौथा निकाह किया मरियम जमानी से जिसे जोधा के नाम से उड़ाया गया। साल -१५६२ में।

पाँचवा निकाह किया बीवी दौलत शाद से – जो उसके दरबारी अब्दुल शाद की पहली बीवी थी। साल १५६३ में।
छठा निकाह किया खानदेश की शहज़ादी से – साल १५६४ में।
सातवा निकाह किया कश्मीर के सुल्तान की लड़की से – साल १५६९ में।

ये लिस्ट विशाल है। आख़िरी निकाह मियाँ अकबर ने किया था साल १५९९ में। साल १६०५ में अकबर ख़ुदा को प्यारा हुआ। मतलब इंतेकाल होने के छह साल पहले तक बाक़ायदा निकाह रचा रहा था अकबर महान। पैटर्न देखिए हर साल अकबर अपने नए निकाह का वलीमा पूरे दरबार को खिला रहा होता था।

वैसे अकबर का फेटिश था दरबारियों की बेगम आदि को टापना!