Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

टीपू सुल्तान


आज ओवैसी ने कहा टीपू सुल्तान हिंदुओं से नफरत नहीं करता था वह राम लिखा हुआ अंगूठी पहनता था

अब सच्चाई जानिए

पेशेवर वामपंथी इतिहासकारो ने टीपू सुल्तान को ये कहकर सेकुलर साबित करने की नाकाम कोशिस की , क्योकि वो राम लिखा अंगूठी पहनता था .जबकि ये झूठ है ।।

हैदर अली ने मैसूर के हिन्दू राजा की हत्या करके उनकी 41 ग्राम सोने की “राम” लिखी अंगूठी उनकी ऊँगली काटकर निकाल
ली थी ..

कहते हैं कि मैसूर के हिंदू राजा ने उसी वक्त हैदर अली को श्राप दिया था कि यही हश्र तुम्हारे साथ होगा


मैसूर के राजा की बात हैदर अली ने सुना था और हैदर अली इस बात में मानता था कि मरते समय दिया गया श्राप जरूर लगता है इसलिए हैदर अली ने अपने पूरे जीवन में इस अंगूठी को नहीं पहना

बाद में उसने ये अंगूठी अपने पुत्र टीपू सुल्तान को दी .. टीपू भी इसे पहनता नही था … क्योंकि उसे भी हैदर अली ने यह बात बताई थी

लेकिन श्रीरंगपट्टम के युद्ध में जाते समय उसने ये अंगूठी पहनी थी .. दरअसल टीपू सुल्तान के एक मंत्री ने उसे यह कह कर राजी कर लिया कि जिसके पास यह अंगूठी होगी वह इस युद्ध में विजई होगा

फिर श्रीरंगपट्टम्म के युद्ध में टीपू के साथ ठीक वही हुआ जो उसके पिता हैदर अली ने मैसूर के राजा के साथ किया था ..

अंग्रेजो ने उसे मार दिया और उसकी ऊँगली काटकर ये अंगूठी निकाल ली ..

बाद में नीलामी हाउस क्रिस्टीज ने इसे नीलाम किया जिसे मैसूर में राजा के वंशजो ने खरीद लिया ..इस तरह ये अंगूठी अपने मूल मालिक के पास करीब पांच सौ साल के बाद वापस पहुंच गयी ..

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किसी गाँव में एक भला आदमी रहता था । उसकी एक पत्नी थी । भली औरत थी । 5 – 7 बच्चे थे । परिवार गरीब था । फिर भी दोनों मेहनत मजूरी कर के गरीबी में ही सही बच्चों का पेट पाल लेते थे। सब कुछ सही चल रहा था । बच्चे खा पी रहे थे । पढ़ लिख रहे थे ।
फिर एक दिन उस आदमी के सिर न जाने क्या फितूर चढ़ा ……… वो बिलावजह अपनी बीवी पे शक करने लगा । दोनों में झगड़ा होने लगा । रोज़ कलह होने लगी । गाँव घर के लोगों ने समझाया बुझाया । ऊँच नीच समझाई । ये समझाया की इस कलह से घर बर्बाद हो जाएगा ।पर मति मारी गयी हो तो कुछ समझ नहीं आता । एक दिन उसने मार पीट के बीवी को घर से निकाल दिया ।
पर 4 दिन बाद ही अकल ठिकाने आ गयी । बीवी थी तो घर भी सम्हालती थी । बच्चे भी पालती थी । और मेहनत मजूरी भी करती थी । अब बच्चे भूख से बिलबिलाते थे । कोई सम्हालने वाला न था ।
पर किसान को अकल फिर भी न आई । बोला उसको वापस नहीं लाऊंगा ।
नयी बहू ले के आऊंगा ।
गाँव में एक वेश्या रहती थी । । उसी को घर ले आया ।
ले तो आया ……. पर उसके साथ घर से निकलना दूभर था । उसका इतिहास भूगोल सब जानते थे । वेश्या न खुद बसती है न किसी को बसने देती है ।
किसान के बच्चों के भाग्य में बिलबिलाना ही लिखा था ।
बिहार की यही दशा है । अच्छी खासी NDA की सरकार चल रही थी । बिहार प्रगति के रास्ते पे जा रहा था । नितीश की दुर्बुद्धि और आत्मश्लाघा ने कहीं का न छोड़ा । अब भाजपा का साथ छोड़ लालू जैसे बदनाम शख्स के साथ गलबहियां डाले हैं । सांप छछून्दर की गति हैं । न निगलते बनता है न उगलते । बदनाम लालू का जंगल राज याद आता भी है और भूलने की कोशिश भी करते हैं ।
उधर बिहार बेचारा विकास की बाट जोहता बिलबिला रहा है ।

मीरा गोहल

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🛑
*जज साहब और आ(रो)पी !*

_जज – तुमने मोबाइल फोन क्यों चुराया ?_
*आरोपी – मीलॉर्ड आपको शायद पता नहीं है कि मेरी कमीज दुनिया की सबसे अच्छी कमीज है !*

जज – मैं पूछ रहा हूँ कि तुमने मोबाइल फोन क्यों चुराया ?
आरोपी – मेरी कमीज की चर्चा बड़े बड़े अखबारों में हो रही है मीलॉर्ड !

*जज(झल्लाते हुए) – अरे मैं पूछ रहा हूँ कि तुमने मोबाइल फोन क्यों चुराया,इस बात का जवाब दो !?*
आ(रो)पी – हुजूर मैं आपको असली बात बताता हूँ !
मेरी कमीज की बात करने वाले असल में मेरी कमीज से जलते हैं !

जज – ऑर्डर ऑर्डर ! तुम साफ साफ बताओ कि तुमने मोबाइल फोन क्यों चुराया ?
*आरोपी – माइलॉर्ड,उन्हें डर है मेरी कमीज से,वे डरते हैं इससे,क्योंकि उन्हें पता है कि मेरी कमीज के सामने वे टिक नहीं पाएंगे !*

जज – अरे पागल हो क्या,मैं पूछ रहा हूँ मोबाइल फोन की चोरी के बारे में और तुम अपनी कमीज का गुणगान किये जा रहे हो !
आरोपी – जज साहब, वे लोग पिछले आठ साल से मुझे ठीक से कमीज पहनने नहीं दे रहे, पागल और मनोरोगी तो वे हैं !

*जज – कमीज सिलवाने में कपड़ा कितना लगा और सिलाई कितनी लगी ?*
आरोपी – बीस मीटर कपड़ा और बीस हजार सिलाई !

जज – बावला हो गया है क्या ?
*बीस मीटर कपड़े में कहीं कमीज बनती है और उसकी सिलाई भी कहीं बीस हजार होती है क्या ?*
आरोपी – मीलॉर्ड यह कमीज वर्ल्ड क्लास कमीज है।सारी दुनिया में इसकी जबरदस्त चर्चा हो रही है।इसके डिजाइन को देखने-सीखने के लिए सरकारें अपने-अपने कपड़ा मंत्रियों तक को भेज रही हैं !

*जज – तुम क्या समझते हो कि तुम हमारी आँखों में धूल झोंक सकते हो,हम कमीज नहीं सिलवाते हैं क्या ??*
*सुनो, अगली सुनवाई तक के लिए कोर्ट बर्खास्त की जाती है !*

*साथ ही कोर्ट आरोपी को यह सख्त हिदायत भी देती है कि वह अपनी कमीज पर हुए खर्च के सारे कागजात अगली सुनवाई के दिन लेकर आये !

आरोपी – बहुत बहुत शुक्रिया मीलॉर्ड !

आरोपी (बाहर आकर प्रेस कॉन्फ्रेन्स में )– देखो जी,मुझ पर मोबाइल चोरी के लगे सारे आरोपों को जज साहब ने सिरे से खारिज कर दिया और उन्होंने मेरी कमीज से जलने वालों को फटकार लगाते हुए मुझसे इसके डिजाइन की एक कॉपी कभी कोर्ट की ओर आते समय लेते आने की गुजारिश भी की है !

पत्रकार – लेकिन मोबाइल का क्या हुआ ?
आरोपी – सत्यमेव जयते जी, सत्यमेव जयते !

सत्य हमेशा जीतता है, आखिर जज साहब भी मोबाइल फोन की चोरी भूलकर, मेरा मतलब है छोड़कर, कमीज पर आ गये न !!

हम कट्टर ईमानदार है जी, जज साहेब को मोदी ने भेजा है

CBI to AAP: Why did you hike the number of liquor outlets from 400 to 800? Why you allowed even blacklisted vendors to open shops? Why did you increase the margin of the liquor Cartel?

AAP TO CBI: Sisodiya is the best Education Minister in the world. Entire India wants to see Kejriwal as the new PM, in 2024, it will be only Kejriwal vs Modi.

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पड़ोसन का नीला दुपट्टा


“पड़ोसन का नीला दुपट्टा” !

मोहल्ले में नयी बहुत ही खूबसूरत और जवान पड़ोसन 👩‍🎤 रहने आई ।

पड़ोसन ने धीरे धीरे मोहल्ले के घरों में आना जाना शुरू किया।

एक दिन वह पड़ोसन सब्ज़ी वाले की दुकान पर शर्मा जी को मिली। उसने खुद आगे बढ़कर शर्मा जी को नमस्ते किया, शर्मा जी को अपनी क़िस्मत पर बड़ा गर्व हुआ, पड़ोसन बोली, ” शर्मा जी, बुरा न माने तो आपसे कुछ समझना था ?”

शर्मा जी ख़ुशी से पगला ही गए, वजह ये भी थी कि उस पड़ोसन ने आम अनजान औरतों की तरह भैय्या नहींं कहा था,बल्कि शर्मा साहब कहा था !

शर्मा जी ने बड़ी मुश्किल से अपनी ख़ुशी छुपाते हुए बड़े प्यार अंदाज़ में जवाब दिया ” जी फरमाइए !”

पड़ोसन ने कहा कि मेरे पति अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहते हैं, मैं इतनी पढ़ी लिखी नहीं हूँ, बच्चों के एडमिशन के लिए आपकी साथ की ज़रुरत थी ! ” वो आगे बोली,” यूं सड़क पर खड़े होकर बातें करना ठीक नहीं है, आपके पास वक़्त हो तो मेरे घर चल कर कुछ मिनट मुझे समझा दें, ताकि मैं कल ही बच्चों का एडमिशन करा दूँ !”

ख़ुशी से पगले हुए शर्मा जी चंद मिनट तो क्या सदियां बिताने को तैयार थे, उन्होंने फ़ौरन कहा कि जी, ज़रूर चलिए !

शर्मा जी पड़ोसन के साथ घर में दाखिल हुए, अभी सोफे पर बैठे ही थे कि बाहर स्कूटर 🛵 क रुकने की आवाज़ सी आयी।

पड़ोसन ने घबराकर कहा, “हे ईश्वर, लगता है मेरे पतिदेव आ गए, उन्होंने यहाँ आपको देख लिया तो वो मेरा और आपका दोनों का खून ही कर डालेंगे, कुछ भी नहीं सुनेंगे, आप एक काम कीजिये वो सामने कपड़ों का ढेर है, आप ये नीला दुपट्टा सर पर डाल लें और उन कपड़ों पर इस्त्री करना शुरू कर दें, मैं उनसे कह दूँगी कि प्रेस वाली मौसी काम कर रही है ! “

शर्मा जी ने जल्दी से नीला दुपट्टा ओढ़कर शानदार घूंघट निकाला और उस कपडे के ढेर से कपडे लेकर प्रेस करने लगे, तीन घंटे तक शर्मा जी ने ढेर लगे सभी कपड़ों पर इस्त्री कर डाली थी। आखरी कपडे पर इस्त्री पूरी हुई तब तक पड़ोसन का खुर्रांट पति भी वापस चला गया था।

पसीने से लथपथ और थकान से निढाल शर्मा जी दुपट्टा फेंक कर घर से निकले।

जैसे ही वो निकल कर चार क़दम चले सामने से उनके पडोसी दुबे जी आते दिखाई दिए।

शर्मा जी की हालत देख कर दुबे जी ने पूछा ” कितनी देर से अंदर थे ? ” शर्मा जी ने कहा ” तीन घंटों से, क्योंकि उसका पति आ गया था, इसलिए तीन घंटों से कपड़ों पर इस्त्री कर रहा था ! “

दुबे जी ने आह भर कर कहा ” जिन कपड़ों पर तुमने तीन घंटे घूंघट निकाल कर इस्त्री की है उस कपड़ों के ढेर को कल मैंने चार घंटे बैठ कर धोया है, क्या तुमने भी नीला दुपट्टा ओढ़ा था ? “
*🌹🌺 🌺🌹

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एक साहब सुबह अपने दफ्तर जा रहे थे..
कि
रास्ते में ही उनका मोबाइल चोरी हो गया।

अब ट्रेजडी शुरू,

दिन भर की व्यस्तता के बाद थके हारे जब साहब घर आए तो घर का दृश्य देखकर कांप गये।

घर में उसके सास और ससुर जी.. अपनी बेटी औऱ नाती नतिनी का सामान पैक कर उनका इंतजार कर रहे थे।

पत्नी और सास की आंखें रो रो कर लाल हो गई थीं।

ससुर जी के चेहरे पर दामाद को नापसंद करने वाला खूँखार असुर साफ साफ दिख रहा था।

“क्या मामला है….??

और

कहां लेकर जा रहे हैं मेरी पत्नी औऱ बच्चों को??

सब खैरियत तो है??”
उन्होंने कुछ न समझने वाले अंदाज में डरते डरते प्रश्न किया तो ससुर जी ने उनकी बीवी का मोबाइल उनके सामने रख दिया…??

“मैं तुम्हें तलाक़ देता हूं”…

बीवी के मोबाइल पर उनके मोबाइल से मैसेज आया था।

मैसेज देख कर साहब ने राहत की सांस ली…
और बताया कि..

उनका मोबाइल तो सुबह ही चोरी हो गया था।
उन्होंने सारी बात बताकर सबको अपने निर्दोष होने का यकीन दिलाया।

अब उनकी बीवी अपनी मां से लिपट कर रोने लगीं और ससुर जी शांत हो गये।

“लेकिन चोर ने मेरी बीवी को तलाक़ का मैसेज क्यों किया???”

इस कन्फ्यूजन में उन्होंने दूसरे फ़ोन से अपने मोवाईल पर नंबर डायल किया तो चोर ने फोन उठा लिया,

साहब छूटते ही टूट पड़े उस चोर पर…..
“ओए चोट्टे, कमीने हरामखोर इंसान! फोन चुराया सो चुराया! तूने मेरी बीवी को तलाक़ का मैसेज क्यों भेजा??”

जूते मार-मारकर थोबड़ा सूजा दूँगा तेरा…??

चोर ने शांति से उनकी बात सुनी और कहने लगा…

“देखिये साहब!
सुबह…जब से आपका फोन चुराया है… मेरी जिंदगी झंड हो गई है।
मुझे अब तक आपकी बीवी के हज़ारों मैसेज मिल चुके हैं….??

कहां हो??….

क्या कर रहे हो??….

कब आओगे??….

आते हुए पुदीना औऱ टमाटर ले आना??…

और हां

गुप्ता स्वीट्स से गरम समोसे लेना मत भूलना..!!

जल्दी आना….
देखो नींबू भी खत्म हो गई है…तीन से ज़्यादा मत लेना।

एक औऱ काम करते आना… बाबू की चड्डी सुबह से नहीं मिल रही..पता नहीं कहाँ गुम हो गई.. नई ले लेना।

गुड़िया का मोजा भी फट गया है..
देख लेना।

अपनी ऑफिस की रश्मि से ज़्यादा हँस कर बातें मत करना…
चुड़ैल है वो..
सारा दिन चपड़-चपड़ करते रहती है…?

गुप्ता जी के चक्कर में ज्यादा सिगरेट मत पीना..??

औऱ शायद कुछ भूल रही हूँ…

याद आते ही मैसेज करूँगी..??

वगैरह वगैरह……

मैं पागल हो गया था साहब…

एक तो सुबह सुबह मेरी बोहनी ख़राब हो गई….ऊपर से दर्द से सिर फट रहा है…अधमरा सा हो गया हूं साहब…??

इसलिए मैंने मज़बूर होकर तलाक़ वाला मैसेज भेजा तब जाकर मेरी जान छूटी..
😉😉😁🤣😁😉😉

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🐿एक गिलहरी रोज अपने काम पर समय से आती थी और अपना काम पूरी मेहनत और ईमानदारी से करती थी❗
गिलहरी जरुरत से ज्यादा काम कर के भी खूब खुश थी❗
क्यों कि उसके मालिक, जंगल के राजा शेर ने उसे दस बोरी अखरोट देने का वादा कर रखा था❗
गिलहरी काम करते करते थक जाती थी तो सोचती थी , कि थोडी आराम कर लूँ , वैसे ही उसे याद आता कि शेर उसे दस बोरी अखरोट देगा❗
गिलहरी फिर काम पर लग जाती❗
गिलहरी जब दूसरे गिलहरीयों को खेलते देखती थी, तो उसकी
भी इच्छा होती थी कि मैं भी खेलूं , पर उसे अखरोट याद आ जाता, और वो फिर काम पर लग जाती❗
*ऐसा नहीं कि शेर उसे अखरोट नहीं देना चाहता था, शेर बहुत ईमानदार था❗*
ऐसे ही समय बीतता रहा ….
एक दिन ऐसा भी आया जब जंगल के राजा शेर ने गिलहरी को दस बोरी अखरोट दे कर आज़ाद कर दिया❗
*गिलहरी अखरोट के पास बैठ कर सोचने लगी कि अब अखरोट मेरे किस काम के❓*
पूरी जिन्दगी काम करते – करते दाँत तो घिस गये, इन्हें खाऊँगी कैसे❗
*यह कहानी आज जीवन की हकीकत बन चुकी है❗*
इन्सान अपनी इच्छाओं का त्याग करता है,
पूरी ज़िन्दगी नौकरी, व्योपार, और धन कमाने में बिता देता है❗
*60 वर्ष की उम्र में जब वो सेवा निवृत्त होता है, तो उसे उसका जो फन्ड मिलता है, या बैंक बैलेंस होता है, तो उसे भोगने की क्षमता खो चुका होता है❗*
तब तक जनरेशन बदल चुकी होती है,
परिवार को चलाने वाले बच्चे आ जाते है❗
क्या इन बच्चों को इस बात का अन्दाजा लग पायेगा की इस फन्ड, इस बैंक बैलेंस के लिये : –
*कितनी इच्छायें मरी होंगी❓*
*कितनी तकलीफें मिली होंगी❓*
*कितनें सपनें अधूरे रहे होंगे❓*
क्या फायदा ऐसे फन्ड का, बैंक बैलेंस का, जिसे पाने के लिये पूरी ज़िन्दगी लग जाये और मानव उसका
भोग खुद न कर सके❗
*इस धरती पर कोई ऐसा अमीर अभी तक पैदा नहीं हुआ जो बीते हुए समय को खरीद सके❗*
इस लिए हर पल को खुश होकर जियो व्यस्त रहो,
पर साथ में मस्त रहो सदा स्वस्थ रहो❗

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BOSS :-अगर मेरे हवाई जहाज़ में 50 ईंटे हो और मैं
एक नीचे फ़ेंक दूं तो कितने बचेंगे ?

Employee :- 49

BOSS :-तीन वाक्य में बताओ कि हाथी को फ्रीज़ में कैसे रखा जाये ?

Employee :-
(1) फ्रीज़ खोलिए,
(2) हाथी को उसमे रखिये और
(3) फ्रीज़ बंद कर दीजिये !

BOSS :-अब 4 वाक्य में बताओ कि हिरन को फ्रीज़ में कैसे रखा जाये ?

Employee :-
(1) फ्रीज़ खोलिए
(2) हाथी को बाहर निकालिए
(3) हिरन को अन्दर रखिये
(4)फ्रीज़ …बंद कर दीजिये!

BOSS :-आज जंगल में शेर का जन्मदिन मनाया जा रहा है, वहां एक को छोड़ कर सब जानवर मौजूद है, बताओ कौन गैरमौजूद है?

Employee :- हिरन, क्योंकि वो फ्रीज़ में बंद है !

BOSS :- बताओ, एक बूढी औरत मगरमच्छो से भरी तालाब को कैसे पार कर सकती है ?

Employee :- बड़े आसानी से, क्योंकि सारे मगरमच्छ शेर के जन्मदिन के पार्टी में गए हैं!

BOSS :- अच्छा आखिरी सवाल, वो बूढी औरत मर कैसे गयी?

Employee :-hmmmmm….लगता है सर कि वो तालाब में फिसल गयी अथवा गिर गयी होगी…..
Errrrrrrrrrrr..

BOSS:- अबे गधे, उसके सिर पर ईंट लगी थी जो मैंने
जहाज से फेंकी थी, यही problem है कि तुम अपने काम में जरा भी ध्यान नहीं लगाते हो और तुम्हारा दिमाग कही और रहता है आजकल ,इस साल भी तुम्हारा इंक्रीमेंट असंभव दिख रहा है !
You should always be focused on your job ! Understand ??????
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जब BOSS ने अपने मन में सोच ही लिया है तो वो आपकी बजाकर ही छोङेगा , चाहे आप कितने ही चतुर क्योँ न हो ?????

इसलिए काम भले कम कीजिए लेकिन ” यस सर ,यस सर ,यस सर , यस सर “……….करते रहिए…….!!

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अब एक हल्की फुल्की कहानी मेरी भी😊 (प्यार)

एक अजीब सी दूरी आ चली थी प्रज्ञा और दिनेश के बीच, बच्चों के होने के बाद से।
उधर दिनेश की अति व्यस्तता, और बच्चों औए सामाजिक संबंधों को निभाते- निभाते प्रज्ञा—, दोनों ही चिड़चिड़े हो चले थे।
प्रज्ञा, आज मैंने अपने कुछ मित्रों को खाने पर बुला लिया है, कुछ ढंग का बना लेना, कह कर दिनेश आफिस की तैयारी में लग गया।
‘कमाल है’ चीख कर प्रज्ञा ने कहा, कम से कम कुछ समय तो दिया करो सोचने समझने का, बुलाने से पहले मुझ से पूछ तो सकते थे—-
अब से आफिस जाने से पहले भी तुम से पूछ लिया करूंगा, प्रज्ञा मैं आफिस जाऊँ?? व्यंगात्मक स्वर में उलाहना देता हुआ दिनेश ऑफिस चल दिया। और प्रज्ञा हाथ का काम छोड़ रोने बैठ गई।
उन दोनों में कहा- सुनी कोई नई बात नही थी, पर अफसोस कि ये विकराल रूप लेती जा रही थी।
आज भी कुछ ऐसा ही हुआ था। गुस्से में भरी प्रज्ञा बोली,
लगता है मर ही जाऊँ, छुट्टी मिले।
और एक गुस्से से भरा प्रतिउत्तर आया,” कल की मरती आज मर जाओ”
और उसके बाद तो कान में गड़ चुके इस वाक्य को प्रज्ञा जितना भुलाने की कोशिश करती, उतनी ही उसकी रुलाई भी बढ़ती जाती।
अचानक वो उठी,और स्लीपिंग पिल्स की शीशी उठा,1,2,10 मालूम नही वो कितनी गोली खाती गई–
आंखें खुली तो शरीर निर्जीव सा, सफेद कोट पहने कुछ साये से वो देख पा रही थी, फिर अचेत—–
पुनः आंख खुली तो कमरे में मौजूद दिनेश को वो देख पाई, गालों पर आंसू और अस्फुट से स्वर, पागल हो क्या?भगवान तुम से पहले मुझे उठा ले—
उसके आगे वो फिर कुछ न सुन सकी,आंखें मुंदती गई।
फिर एक बार आंख खुली तो वो घर मे थी। दिनेश की गोदी में उसका सर था, आंखें भरी हुई, लो चाय पी लो, देखो कैसी बनी है—-
अब आगे से ऐसी हरकत की, तो मेरा मरा मुँह दिखोगी,
और रोते हुए प्रज्ञा ने उसके मुंह पर अपना हाथ रख दिया—
रश्मि सिन्हा
पूर्णतः मौलिक रचना

Posted in संस्कृत साहित्य

आप केवल इतना भर जानते हैं कि #चक्रव्यूह में #अभिमन्यु मार गया था.. या फिर #कौरव महाबलियों ने उसे घेर कर मार दिया था ..!!??

रुकिये फिर आप .. #श्रीकृष्ण जिसके #गुरु हों और जो स्वंय #केशव ही का जो #भांजा भी हो …?? उसको शौर्य को फिर आधा ही जानते हैं आप तब .. ?? कुछ तथ्यों से आप वंचित हैं ..!! क्योंकि उस लड़ाई में #अभिमन्यु ने जिन वीरपुत्र योद्धाओं को मार कर वीरगति पाई थी ..? उनको जान लीजिये ..
●#दुर्योधन का पुत्र #लक्ष्मण
●कर्ण का छोटा पुत्र.
●अश्मका का बेटा
●शल्या का छोटा भाई
●शल्या के पुत्र रुक्मरथ
● दृघलोचन Drighalochana
● कुंडवेधी Kundavedhi
● सुषेण Sushena
● वसत्य Vasatiya
● क्रथा और कई योद्धा …

और ये तब था जब … उस चक्रव्यूह को जिसे अभिमन्यु को भेदना था ..उसके प्रत्येक द्वार – पहले से लेकर सातवें पर योद्धाओं को देखिये –
१) #अश्वथामा
२) #दुर्योधन
३)#द्रोणाचार्य
4) #कर्ण
५) #कृपाचार्य
६) #दुशासन
7) #शाल्व (दुशासन के पुत्र)
अभिमन्यु के प्रवेश के बाद ही #जयद्रथ ने ..प्रथम प्रवेशद्वार पर #पांडवों के प्रवेश को रोक दिया था ..

थोड़ा रुकिये..
#चक्रव्यूह
#कुरुक्षेत्र के सबसे खतरनाक युद्ध तंत्र था ..#चक्रव्यूह चक्रव्यू को भेदना असंभव था..
#द्वापरयुग में केवल 7 लोग ही जानते थे:
●कृष्णा
●अर्जुन
●भीष्म
●द्रोणाचार्य
●कर्ण
●अश्वत्थामा
●प्रद्युम्न
#अभिमन्यु केवल उसमें प्रवेश करना जानता था
चक्रव्यूह को #घूर्णन_मृत्यु_चक्र (rotating death wheel) भी कहा जाता था ..

यह पृथ्वी की तरह घूमता था, साथ ही हर परत के चारों ओर घूमता था। इस कारण से, निकास द्वार हर समय एक अलग दिशा में मुड़ता था, जो दुश्मन को भ्रमित करता था.. #PIC_4

आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि #संगीत या #शंख ध्वनि के अनुसार, चक्रव्यूह के सैनिक अपनी स्थिति बदल सकते थे। कोई भी #कमांडर या #सिपाही स्वेच्छा में अपनी स्थिति नहीं बदल सकता था…द्रोण रचित चक्रव्यूह एक घूमते हुए चक्र #कुंडली की तरह था, अगर कोई योद्धा इस व्यूह के खुले हुए हिस्से में घुसता था तो मारे गए सैनिक की जगह तुरंत ही दूसरा अधिक शक्तिशाली सैनिक आ जाता था, सैनिकों की पंक्ति लगातार घूमती रहती थी और बाहरी सभी चक्र शक्तिशाली होते रहते थे…

इसलिए चक्रव्यूह में प्रवेश आसान था पर बाहर निकलने के लिए #योद्धा को व्यूह की किसी भी समय तात्कालिक स्थिति की जानकारी होना आवश्यक था और इसके लिए व्यूह के हर चक्र के एक योद्धा की स्थिति उसे याद रखनी पड़ती थी…

माना जाता है कि चक्रव्यूह के गठन दुश्मन को #मनोवैज्ञानिक और मानसिक रूप से इतना तोड़ देता था कि दुश्मन के हजारों सैनिक एक पल में मर जाते थे…

“अभिमन्यु चक्रव्यूह या #पद्मावुहा में प्रवेश करते हुए, #केदारेश्वर_मंदिर, #हलेबुल, कर्नाटक” #होसल्या_स्थापत्य .

यह अकल्पनीय है कि यह रणनीति सदियों पहले “वैज्ञानिक रूप से” गठित की गई थी..

…. अगले दिन #कौरव_सेना ने #जयद्रथ की रक्षा के लिए जिस व्यूह की रचना की थी ..उसका नाम था . #शकट_व्यूह.. इसे #चक्र_शटक_व्यूह भी कहा गया है कहीं-कहीं .. इसपर विस्तार से बात होगी ..

#घूर्णन_मृत्यु_चक्र

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♦️♦️♦️ रात्रि कहांनी ♦️♦️♦️


👉 कमृ का फल 🏵️
🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅
*कहानी कर्म_फल को भोगना ही पड़ेगा । कोई रोक नहीं सकता*


🕉️🕉️🕉️
*दुर्योधन ने एक अबला स्त्री को दिखा कर अपनी जंघा ठोकी थी, तो उसकी जंघा तोड़ी गयी। दु:शासन ने छाती ठोकी तो उसकी छाती फाड़ दी गयी।*

*महारथी कर्ण ने एक असहाय स्त्री के अपमान का समर्थन किया, तो श्रीकृष्ण ने असहाय दशा में ही उसका वध कराया।*

*भीष्म ने यदि प्रतिज्ञा में बंध कर एक स्त्री के अपमान को देखने और सहन करने का पाप किया, तो असँख्य तीरों में बिंध कर अपने पूरे कुल को एक-एक कर मरते हुए भी देखा…।*

*भारत का कोई बुजुर्ग अपने सामने अपने बच्चों को मरते देखना नहीं चाहता, पर भीष्म अपने सामने चार पीढ़ियों को मरते देखते रहे। जब-तक सब देख नहीं लिया, तब-तक मर भी न सके… यही उनका दण्ड था।*

धृतराष्ट्र का *दोष था पुत्रमोह, तो सौ पुत्रों के शव को कंधा देने का दण्ड मिला उन्हें। सौ हाथियों के बराबर बल* वाला धृतराष्ट्र सिवाय रोने के और कुछ नहीं कर सका।

दण्ड केवल कौरव दल को ही नहीं मिला था। दण्ड पांडवों को भी मिला।

*द्रौपदी ने वरमाला अर्जुन के गले में डाली थी, सो उनकी रक्षा का दायित्व सबसे अधिक अर्जुन पर था। अर्जुन यदि चुपचाप उनका अपमान देखते रहे, तो सबसे कठोर दण्ड भी उन्ही को मिला। अर्जुन पितामह भीष्म को सबसे अधिक प्रेम करते थे, तो कृष्ण ने उन्ही के हाथों पितामह को निर्मम मृत्यु दिलाई।*

*अर्जुन रोते रहे, पर तीर चलाते रहे… क्या लगता है, अपने ही हाथों अपने अभिभावकों, भाइयों की हत्या करने की ग्लानि से अर्जुन कभी मुक्त हुए होंगे क्या ? नहीं… वे जीवन भर तड़पे होंगे। यही उनका दण्ड था।*

*युधिष्ठिर ने स्त्री को दाव पर लगाया, तो उन्हें भी दण्ड मिला। कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी सत्य और धर्म का साथ नहीं छोड़ने वाले युधिष्ठिर ने युद्धभूमि में झूठ बोला, और उसी झूठ के कारण उनके गुरु की हत्या हुई। यह एक झूठ उनके सारे सत्यों पर भारी रहा… धर्मराज के लिए इससे बड़ा दण्ड क्या होगा ?*

दुर्योधन को गदायुद्ध सिखाया था स्वयं बलराम ने। एक अधर्मी को गदायुद्ध की शिक्षा देने का दण्ड बलराम को भी मिला। उनके सामने उनके प्रिय दुर्योधन का वध हुआ और वे चाह कर भी कुछ न कर सके…

*उस युग में दो योद्धा ऐसे थे जो अकेले सबको दण्ड दे सकते थे, कृष्ण और महात्मा बर्बरीक। पर कृष्ण ने ऐसे कुकर्मियों के विरुद्ध शस्त्र उठाने तक से इनकार कर दिया, और बर्बरीक को युद्ध में उतरने से ही रोक दिया।*

लोग पूछते हैं कि बर्बरीक का वध क्यों हुक्षक्षक्षक्षमआ? यदि बर्बरीक का बध नहीं हुआ होता तो द्रौपदी के अपराधियों को यथोचित दण्ड नहीं मिल पाता। कृष्ण युद्धभूमि में विजय और पराजय तय करने के लिए नहीं उतरे थे, कृष्ण इन अपराधियों को दण्ड दिलाने के लिए ही कुरुक्षेत्र में उतरे थे।

कुछ लोगों ने कर्ण का बड़ा महिमामण्डन किया है। पर सुनिए! *कर्ण कितना भी बड़ा योद्धा क्यों न रहा हो, कितना भी बड़ा दानी क्यों न रहा हो, एक स्त्री के वस्त्र-हरण में* सहयोग का पाप इतना बड़ा है कि उसके समक्ष सारे पुण्य छोटे पड़ जाएंगे।

*स्त्री कोई वस्तु नहीं कि उसे दांव पर लगाया जाय। कृष्ण के युग में दो स्त्रियों को बाल से पकड़ कर घसीटा गया।*

देवकी के बाल पकड़े कंस ने, *और द्रौपदी के बाल पकड़े दु:शासन ने। श्रीकृष्ण ने स्वयं दोनों के अपराधियों का समूल नाश किया। किसी स्त्री के अपमान का दण्ड अपराधी के समूल नाश से ही पूरा होता है, भले वह अपराधी विश्व का सबसे शक्तिशाली व्यक्ति ही क्यों न हो…।*

*कर्म करते समय सदैव सचेत रहें क्योंकि कर्म फल कभी पीछा नहीं छोड़ते..!!*
*🙏 ओम शांति*


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