Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

सड़क फ़िल्म के इस सीन का सबक बहुत ही गहरा है, बहुत ही गहरा !

संजय दत्त उसे मारने आए सात आठ लोगों से घिर गया है। मृत्यु निश्चित दिख रही है। वह कहता है, “तुम लोग आज मुझे जरूर मार दोगे; लेकिन मरने से पहले, जो भी तुम में से मुझ पर पहला वार करेगा, मै भी उस एक को मार दूँगा यह पक्का समझ लेना।”

मारने आये लोग कई मिनट प्रतीक्षा करते है कि कौन पहला वार करे। कोई नही कर पाता क्यूँकि संजय दत्त के हाव भाव से स्पष्ट है कि उसकी धमकी खोखली नही है। अंत में वे बिना वार किए ही निकल लेते है।

जी, प्रतिकार में अपनी मृत्यु की निश्चितता ही मनुष्य को हिंसा से रोकती है। इसका अन्य कोई उपाय नही है, कोई भी उपाय नही। प्रतिकार नही होगा तो हिंसा नही रुकेगी, कितना भी “सूफ़ियों” के चरण चुम्बन कर लो।

– कॉपीड

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♦️♦️♦️ रात्रि कहांनी ♦️♦️♦️


*👉 परछाई* 🏵️
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एक रानी नहाकर अपने महल की छत पर
बाल सुखाने के लिए गई। उसके गले में एक हीरों का हार था, जिसे उतार कर वहीं आले पर रख दिया और बाल संवारने लगी।

इतने में एक कौवा आया। उसने देखा कि कोई चमकीली चीज है, तो उसे लेकर उड़ गया।

एक पेड़ पर बैठ कर उसे खाने की कोशिश की, पर खा न सका। कठोर हीरों पर मारते-मारते चोंच दुखने लगी। अंतत: हार को उसी पेड़ पर लटकता छोड़ कर वह उड़ गया।

जब रानी के बाल सूख गए तो उसका ध्यान अपने हार पर गया, पर वह तो वहां था ही नहीं। इधर-उधर ढूंढा, परन्तु हार गायब। रोती-धोती वह राजा के पास पहुंची, बोली कि हार चोरी हो गई है, उसका पता लगाइए।

राजा ने कहा, चिंता क्यों करती हो, दूसरा बनवा देंगे। लेकिन रानी मानी नहीं, उसे उसी हार की रट थी। कहने लगी,नहीं मुझे तो वही हार चाहिए। अब सब ढूंढने लगे, पर किसी को हार मिले ही नहीं।

राजा ने कोतवाल को कहा, मुझे वह गायब हुआ हार लाकर दो। कोतवाल बड़ा परेशान, कहां मिलेगा? सिपाही, प्रजा, कोतवाल- सब खोजने में लग गए।

राजा ने ऐलान किया, जो कोई हार लाकर मुझे देगा, उसको मैं आधा राज्य पुरस्कार में दे दूंगा।

अब तो होड़ लग गई प्रजा में। सभी लोग हार ढूंढने लगे आधा राज्य पाने के लालच में।

ढूंढते- ढूंढते अचानक वह हार किसी को एक गंदे नाले में दिखा। हार तो दिखाई दे रहा था, पर उसमें से बदबू आ रही थी। पानी काला था।

परन्तु एक सिपाही कूदा । इधर उधर बहुत हाथ मारा पर कुछ नहीं मिला। पता नहीं कहां गायब हो गया।

फिर कोतवाल ने देखा, तो वह भी कूद गया। दो को कूदते देखा तो कुछ उत्साही प्रजाजन भी कूद गए। फिर मंत्री कूदा। तो इस तरह उस नाले में भीड़ लग गई।

लोग आते रहे और अपने कपडे़ निकाल-निकाल कर कूदते रहे।
लेकिन हार मिला किसी को नहीं- कोई भी कूदता, तो वह गायब हो जाता।

जब कुछ नहीं मिलता,
तो वह निकल कर दूसरी तरफ खड़ा हो जाता।
सारे शरीर पर बदबूदार गंदगी,
भीगे हुए खडे़ हैं।

दूसरी ओर दूसरा तमाशा, बडे़-बडे़ जाने-माने ज्ञानी, मंत्री सब में होड़ लगी है, मैं जाऊंगा पहले, नहीं, मैं जाऊंगा पहले हार लाने के लिए।

इतने में राजा को खबर लगी। उसने सोचा, क्यों न मैं ही कूद जाऊं उसमें?
आधे राज्य से हाथ तो नहीं धोना पडे़गा।

तो राजा भी कूद गया।

इतने में एक संत गुजरे उधर से। उन्होंने देखा तो हंसने लगे, यह क्या तमाशा है?
राजा, प्रजा,मंत्री, सिपाही – सब कीचड़ मे लथपथ,
क्यों कूद रहे हो इसमें?

लोगों ने कहा, महाराज! बात यह है कि रानी का हार चोरी हो गया है। वहां नाले में दिखाई दे रहा है। लेकिन जैसे ही लोग कूदते हैं तो वह गायब हो जाता है। किसी के हाथ नहीं आता।

संत हंसने लगे, भाई! किसी ने ऊपर भी देखा क्या?
ऊपर देखो, वह टहनी पर लटका हुआ है। नीचे जो तुम देख रहे हो, वह तो उसकी परछाई है।

*💐💐शिक्षा💐💐*

जिस चीज की हम को जरूरत है, जिस परमात्मा को हम पाना चाहते हैं, जिसके लिए हमारा हृदय व्याकुल होता है -वह सुख शांति और आनन्द रूपी हार क्षणिक सुखों के रूप में परछाई की तरह दिखाई देता है और
यह महसूस होता है कि इस को हम पूरा कर लेंगे। अगर हमारी यह इच्छा पूरी हो जाएगी तो हमें शांति मिल जाएगी, हम सुखी हो जाएंगे। परन्तु जब हम उसमें कूदते हैं, तो वह सुख और शांति प्राप्त नहीं हो पाती।

इसलिए सभी संत-महात्मा हमें यही संदेश देते हैं कि वह शांति, सुख और आनन्द रूपी हीरों का हार, जिसे हम संसार में परछाई की तरह पाने की कोशिश कर रहे हैं, वह हमारे अंदर ही मिलेगा, बाहर नहीं।



*सदैव प्रसन्न रहिये।*
*जो प्राप्त है, पर्याप्त है।। ओम शान्ति 🙏

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🙏🌹🌷भगवान पर विश्वास🌷🌹🙏

सुबह से ही बड़ी बैचैनी हो रही थी। पता नहीं क्या बात थी।सौम्या को तैयार करके स्कूल भेज दिया और नहाने चली गयी। आकर पूजा की तैयारी कर के पूजा करने जाने ही वाली थी कि पतिदेव आये और बोले – यार जल्दी नास्ता बना दो। आज बॉस ने जल्दी बुलाया है। लंच वही कर लूंगा।
मैंने पूछा – इतनी जल्दी ? हाँ यार, कोई जरूरी मीटिंग है कहकर वो नहाने चले गए। पता नहीं क्यों बैचैनी ज्यादा हो रही थी। बड़े ही अनमने मन से नाश्ता बनाया। ये खाकर ऑफिस के लिए निकल गए। जल्दी से सब रखकर हाथ पाँव धोये और भागी पूजाघर की तरफ।
मेरे कान्हा – मेरे सबसे अच्छे दोस्त!

उनसे अपने मन की हर बात कह देती हूं मैं। फिर डर नहीं लगता। जैसे उन्होंने सब संभाल लिया हो।
प्रभु बड़ा डर लग रहा है। आप ही बताओ न क्या बात है? ऐसा डर तो कभी नहीं लगता। वैसे आप हो तो काहे की चिंता ? सबका भला करना प्रभु! हम सब पर कृपा बनाये रखना!!
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं! हे गिरधारी तेरी आरती गाऊं!
आरती गाने में जाने खो सी जाती हूं मैं। पूजा करने के बाद घर के काम निपटाने मे लग गयी। जैसे सब ठीक हो गया हो। बड़ा हल्का महसूस कर रही थी।
थोड़ी ही देर में दरवाजे की घंटी बजी। देखा तो पड़ोस वाली आंटी अंकल बड़े परेशान से खड़े थे। आइये आइये, अंदर आइये ना – मैंने कहा। पर उन्होंने कहा आज रवि (यानि मेरे पति) मिला था। कह रहा था जरूरी काम है। सुबह 8:30 की ट्रैन पकड़ने वाला था।
जी अंकल, पर बात क्या है? – मैंने घबराते हुए पूछा। आंटी अचानक ही रोने लगी बोली उस लोकल में तो बम ब्लास्ट हो गया है। कोई नहीं बचा। मेरे आसपास तो अँधेरा ही अँधेरा छा गया। मेरी क्या हालत थी, शव्दों में बयान नहीं कर पा रही हूँ।
सीधे दौड़ते हुए कान्हा के पास गयी। उन्हें देखा तो लगा ऐसा नहीं हो सकता। बस वही बैठे बैठे कान्हा कान्हा करने लगी।
तभी मेरा मोबाइल बजा जो आंटी ने उठाया और ख़ुशी से चिल्लायी – *बेटा रवि का फ़ोन है। वो ठीक है।*
मैंने आँख खोलकर कान्हा जी को देखा। लगा वो मुस्कुरा रहे हैं। मैं भी मुस्कुरा दी। इनकी आवाज कानो में पड़ी तो लगा जैसे अभी अभी प्यार हो गया हो। आप बस जल्दी आ जाइए – इतना ही बोल पायी।
ये घर आये तो मैं ऐसे गले लगी जैसे किसी का लिहाज ही न हो। थोड़ी देर में अंकल ने पूछा – हुआ क्या था बेटा, तुम ट्रैन में नहीं गए क्या?
नहीं अंकल, बस यही मोड़ पर एक बहुत ही सुन्दर लड़का मिल गया। साथ साथ चल रहा था। मैंने पूछा – कहाँ रहते हो? पहले तो कभी नहीं देखा तुमको? कहने लगा – यहीं तो रहता हूँ। आप कहाँ रहते हो? मैंने बताया कि मैं शिवम् बिल्डिंग में रहता हूं। ऑफिस का भी बताया। उसने बताया कि वो मेरे ऑफिस के पास ही जा रहा है। लेकिन टैक्सी से। और कहने लगा – आप भी क्यों नहीं चलते मेरे साथ? मैंने कहा – नहीं, थैंक्यू। मैं ट्रैन से जाता हूं। अब वो ज़िद करने लगा। बोला मुझे अच्छा लगेगा अगर आप चलेंगे तो। वैसे भी टैक्सी जा तो रही है न उस तरफ। मैंने भी सोचा चलो ठीक है। आज टैक्सी से सही। कम से कम ट्रैन की धक्का मुक्की से तो बचूंगा। और हम लोगो ने एक टैक्सी कर ली।
मुझे देखकर ये बोले – यामिनी, पता नहीं क्या जादू था उस लड़के में की बस मैं खिंचा चला जा रहा था। बहुत ही प्यारा था वो। आज जैसा मुझे पहले कभी नहीं लगा।
मैं भागी कान्हा की तरफ। मेरे सबसे अच्छे मित्र ने आज मेरे पति के साथ साथ मेरा जीवन भी जो बचा लिया था।

*वो अभी भी मुस्कुरा रहे थे।*

भक्ति में शक्ति है।
जिसका मन सच्चा और कर्म अच्छा हैं वही भगवान का सच्चा भक्त हैं और ऐसे लोगो पर ईश्वर की कृपा हमेशा बनी रहती हैं!!
Radhey Radhey jai shri Krishna 🙏

सिमी महोत्र

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

Emilie Schenkl


यह कहानी एक जर्मन महिला की है, जिनका नाम था, एमिली शेंकल #Emilie_Schenkl

मुझे नहीं पता आपमें से कितनों ने ये नाम सुना है…
और अगर नहीं सुना है तो आप दोषी नहीं, इस नाम को इतिहास से खुरच कर निकाल फेंका गया…

श्रीमती एमिली शेंकल ने १९३७ में भारत माँ के लाड़ले बेटे #सुभाष_चन्द्र_बोस से विवाह किया…
और एक ऐसे देश को ससुराल के रूप में चुना जिसने कभी इस बहू का स्वागत नहीं किया…

न बहू के आगमन में किसी ने मंगल गीत गाये और न उसकी बेटी के जन्म पर कोई सोहर गायी गयी…
कभी कहीं जनमानस में चर्चा तक नहीं हुई कि वो कैसे जीवन गुजार रही हैं…

सात साल के कुल वैवाहिक जीवन में सिर्फ ३ साल ही उन्हें अपने पति के साथ रहने का अवसर मिला…
फिर उन्हें और नन्हीं सी बेटी को छोड़ पति देश के लिए लड़ने चला आए…
इस वायदे के साथ कि पहले देश को आज़ाद करा लूँ…
फिर तो सारा जीवन तुम्हारे साथ बिताना ही है…..

पर ऐसा हुआ नहीं औऱ १९४५ में एक कथित विमान दुर्घटना में वो लापता हो गए…

उस समय एमिली शेंकल बेहद युवा थीं…
चाहतीं तो यूरोपीय संस्कृति के हिसाब से दूसरा विवाह कर सकतीं थीं…
पर उन्होंने ऐसा नहीं किया और सारा जीवन बेहद कड़ा संघर्ष करते हुए बिताया…
एक तारघर की मामूली क्लर्क की नौकरी और बेहद कम वेतन के साथ वो अपनी बेटी को पालती रहीं…
न किसी से शिकायत की न कुछ माँगा…

भारत भी तब तक आज़ाद हो चुका था…
और वे चाहतीं थीं कि कम से कम एक बार उस देश में आएँ जिसकी आजादी के लिए उनके पति ने जीवन न्योछावर कर दिया था…

भारत का एक अन्य राजनीतिक नेहरू/गाँधी परिवार इस एक महिला से इतनी बुरी तरह भयभीत था…
कि जिसे सम्मान सहित यहाँ बुलाकर देश की नागरिकता देनी चाहिए थी…
उसे कभी भारत का वीज़ा तक नहीं दिया गया..

आखिरकार बेहद कठिनाइयों भरे और किसी भी तरह की चकाचौंध से दूर रहकर बेहद साधारण जीवन गुजार कर श्रीमती एमिली शेंकल बोस ने मार्च १९९६ में गुमनामी में ही जीवन त्याग दिया…

जो इस देश के सबसे लोकप्रिय जन नेता नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की धर्मपत्नी थीं…
और जिन्हें नेहरू/ गाँधी कुनबे ने कभी इस देश में पैर नहीं रखने दिया…
नेहरू/गाँधी परिवार यह जानता था कि ये देश सुभाष बाबू की पत्नी को सर आँखों पर बिठा लेगा…
इसीलिए उन्हें एमिली बोस का इस देश में पैर रखना अपनी सत्ता के लिए चुनौती लगा…

काँग्रेसी और उनके जन्मजात अंध चाटुकार, कुछ पत्रकार, और इतिहासकार (?) अक्सर विदेशी मूल की राजीव की बीबी सोनिया गाँधी को देश की बहू का ख़िताब दे डालते हैं…
उसकी कुर्बानियों का बखान बेहिसाब कर डालते हैं…

क्या एंटोनिया माइनो (सोनिया गाँधी) कभी भी श्रीमती एमिली बोस की मौन कुर्बानियों के सामने कहीं भी ठहर सकती है…?

Posted in हिन्दू पतन

अचार


वामपंथियों का एजेंडा देखिए उनके अनुसार भारतीय पिछड़े हुए थे कुछ नहीं जानते थे लेकिन रेगिस्तान से मुगल आए और भारतीयों को सब कुछ सिखाया

अब जरा सच्चाई जानिए

भोजन इतिहासकार केटी आचाया ने लिखा है कि अचार ‘बिना खाना पकाने’ की श्रेणी में आते हैं; हालांकि, आजकल कई अचार तैयारी के दौरान कुछ हद तक हीटिंग या आग का उपयोग करते हैं। भारत में अचारों की एक समृद्ध विरासत है, जो स्पष्ट है कि इतिहासकार आगे कहता है कि ईसा पूर्व 1594 का कन्नड़ कार्य, गुरुुलिंग देसिका के लिंगापुराना में पचास प्रकार के अचार का वर्णन है’!

एक और बाद का उल्लेख 11 वीं शताब्दी में Śivatattvaratnākara, केलादी के राजा बसवराजा के प्राचीन भारतीय अचार प्रेम का एक विश्वकोश है।

भारत में अचार तीन मूल प्रकार हैं: वे सिरका में संरक्षित हैं; नमक में संरक्षित; और तेल में संरक्षित। भारत में, तेल पिकलिंग के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक लोकप्रिय माध्यम है। पिकलिंग की प्रक्रिया खाद्य पदार्थ को संरक्षित करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है।

मुगलों और इस्लाम की जन्म के पहले उपनिषद और वेद में तथा रामायण और महाभारत में सुश्रुत संहिता में चीजों को संरक्षित करके खाने की विधि का वर्णन है कलयुग तो छोड़िए सतयुग द्वापर और त्रेता युग की किताबों में भी अचार का वर्णन आता है

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक पाँच छ: साल का मासूम सा बच्चा अपनी छोटी बहन को लेकर गुरुद्वारे के एक तरफ कोने में बैठा हाथ जोडकर भगवान से न जाने क्या मांग रहा था ।

कपड़ो में मैल लगा हुआ था मगर निहायत साफ थी, उसके नन्हे नन्हे से गाल आँसूओं से भीग चुके थे ।

बहुत लोग उसकी तरफ आकर्षित होते थे और वह बिल्कुल अनजान अपने भगवान से बातों में लगा हुआ था ।

जैसे ही वह उठा एक अजनबी ने बढ़ के उसका नन्हा सा हाथ पकड़ा और पूछा : –
“क्या मांगा भगवान से”
उसने कहा : –
“मेरे पापा की मृत्यु हो गई हैं उनके लिए स्वर्ग,
मेरी माँ रोती रहती है उनके लिए सब्र,
मेरी बहन माँ से कपडे और सामान मांगती है उसके लिए पैसे”..
अजनबी का सवाल स्वाभाविक सा था।
“तुम स्कूल जाते हो”..?

हां जाता हूं, लडके ने कहा ।

किस क्लास में पढ़ते हो ? अजनबी ने पूछा

नहीं अंकल पढ़ने नहीं जाता, माँ चने बना देती है वह स्कूल के बच्चों को बेचता हूँ ।
बहुत सारे बच्चे मुझसे चने खरीदते हैं, हमारा यही काम धंधा है ।
बच्चे का एक एक शब्द मेरी रूह में उतर रहा था ।

“तुम्हारा कोई रिश्तेदार है “
न चाहते हुए भी अजनबी बच्चे से पूछ बैठा ।

पता नहीं, माँ कहती है गरीब का कोई रिश्तेदार नहीं होता,
माँ झूठ नहीं बोलती,
पर अंकल,
मुझे लगता है मेरी माँ कभी कभी झूठ बोलती है,
जब हम खाना खाते हैं हमें देखती रहती है ।
जब कहता हूँ
माँ तुम भी खाओ, तो कहती है मैने खा लिया था, उस समय लगता है झूठ बोलती है ।

बेटा अगर तुम्हारे घर का खर्च मिल जाय तो पढाई करोगे ?
“बिल्कुलु नहीं”

“क्यों”
पढ़ाई करने वाले, गरीबों से नफरत करते हैं अंकल,
हमें किसी पढ़े हुए ने कभी नहीं पूछा – पास से गुजर जाते हैं ।

अजनबी हैरान भी था और शर्मिंदा भी ।

फिर उसने कहा
“हर दिन इसी गुरुद्वारे में आता हूँ,
कभी किसी ने नहीं पूछा – यहाँ सब आने वाले मेरे पिताजी को जानते थे – मगर हमें कोई नहीं जानता ।

“बच्चा जोर-जोर से रोने लगा”

अंकल जब बाप मर जाता है तो सब अजनबी क्यों हो जाते हैं ?

मेरे पास इसका कोई जवाब नही था…

ऐसे कितने मासूम होंगे जो हसरतों से घायल हैं ।
बस एक कोशिश कीजिये और अपने आसपास ऐसे ज़रूरतमंद, बेसहाराओ को ढूंढिये और उनकी मदद किजिए …………….

किसी भी धार्मिक संस्थान में कुछ भी दान देने से पहले अपने आस – पास किसी गरीब को देख लेना शायद उसको किसी वस्तु की ज्यादा जरुरत हो ।

कुछ समय के लिए एक गरीब बेसहारा की आँख मे आँख डालकर देखे, आपको क्या महसूस होता है । स्वयं में व समाज में बदलाव लाने के प्रयास जारी रखें । 🙏🚩🇮🇳

हर हर महादेव!🚩
सभी मित्रों को सुप्रभात🙏प्रणाम!

हरीश शर्मा