राम और राहुल नामक दो मित्र कहीं जा रहे थे..!
हालांकि, दोनों थे तो मित्र ही लेकिन दोनों के आचरण में आसमान जमीन में अंतर था.
जहाँ राम बेहद सदाचारी और ईमानदार था तो वहीं राहुल बेहद बिगड़ैल एवं दुराचारी था.
कुछ दूर जाने के बाद… राम ने राहुल को मंदिर जाने और पूजा करने का प्रस्ताव दिया…
लेकिन, अपने आचरण के अनुसार राहुल ने मंदिर जाने से इंकार कर दिया और कहीं शराब पी कर वेश्यालय जाने पर अड़ गया.
अंततः… थोड़ी बहस के बाद दोनों में सहमति बनी कि… दोनों अपनी अपनी इच्छानुसार काम करें..
और, शाम में वापस आते समय फिर यहीं पर मिलें ताकि फिर दोनों साथ में घर चले जाएं.
इस तरह… राम, मंदिर चला गया और दिन भर भगवान के भजन-कीर्तन एवं पूजा पाठ में मगन रहा.
तथा राहुल… शराब पी कर वेश्यालय में पूरा दिन बिताया.
शाम में दोनों वापस फिर मिले…
लेकिन.. घर जाने के दौरान… रास्ते में पड़े एक पत्थर से राम को एक ठोकर लगी और उसका पैर लहूलुहान हो गया.
हालांकि… एक हल्की ठोकर राहुल को भी लगी लेकिन जब उसने झुक कर देखा तो वो कोई पत्थर नहीं बल्कि सोने का एक छोटा घड़ा था.
इससे दोनों बेहद आश्चर्यचकित हो गए कि…. ऐसा कैसे हुआ कि अच्छे कर्म करने वाले को बुरा फल…
और, बुरे कर्म करने वाले को अच्छा फल मिला ???
इसी उधेड़बुन में फंसे दोनों मित्र एक साधु के पास पहुंचे और उन्हें पूरा वृतांत सुनाया.
वृतांत सुनकर… साधु मुस्कुराया और उन्होंने बताया कि…
फल उल्टा नहीं मिला है बल्कि एकदम सीधा मिला है लेकिन तुम दोनों उसे समझ नहीं पा रहे हो.
असल में राहुल को आज राजा बनने का योग था…
लेकिन, उसके पाप कर्मों की वजह से इसका वो योग घटकर सोने के घड़े तक सीमित रह गया.
जबकि… राम के भाग्य में आज मृत्यु का योग था लेकिन इसके पुण्य कर्मों की वजह से इसकी मृत्यु टल गई और इसे सिर्फ ठोकर लगकर रह गया.
हालांकि… यह एक आध्यात्मिक कहानी है लेकिन इसमें समझने लायक एक महत्वपूर्ण संदेश है कि कभी कभी हम सिर्फ उतना ही समझ पाते हैं जो हमें दिखता होता है.
जबकि… उसके गूढ़ में कुछ और ही बात होती है.
मतलब कि… अगर वे दोनों साधु के पास नहीं जाते और साधु ने उन्हें ये बात नहीं बताई होती तो शायद दोनों को आजीवन ये भ्रम रहता कि… बुरे काम का अच्छा फल मिलता है और अच्छे काम का बुरा फल.
और…. आज भी हमारे समाज में यही हो रहा है.
कुछ मित्र पूरे जोश में हमें समझा रहे हैं कि… हमने अपने बचाव के लिए मोदी और भाजपा को वोट दिया फिर भी तो ऐसा हो रहा है.
मतलब कि.. हमें ठोकर क्यों लग गई और हम लहूलुहान क्यों हो गए ????
तो… इसका जबाब ये हैं कि…
क्या पता कि… उनकी समर्थित सरकार होने पर हमलोग कहीं के रहते ही नहीं.
लेकिन, बीजेपी की सरकार होने के कारण वो “कहीं का नहीं रहना” महज इक्के दुक्के घटना तक सिमट कर रह गई है…???
क्योंकि… 2014 से पहले देश में हर रोज होते ‘आतं क वादी’ हमलों, देश के हर मॉल एवं शहर में जानमाल के सलामती की कोई गारंटी नहीं होने के अलावा “भगवा ‘आतं क वाद'”, “वर्शिप एक्ट 1991” और प्रस्तावित “कम्युनल वायलेंस एक्ट”, सभी ‘आ तंक वा दियों’ और ‘जे हा दियों’ को दामाद बनाकर रखने का ट्रेंड तो ऐसा ही था कि…. एकबारगी लगने लगा था कि कहीं हम ‘मुग लिस्ता न’ में तो नहीं आ गए हैं ???
लेकिन… अब वे सब खत्म हो चुकी है और मन में एक भरोसा भी है कि “गजवा ए हिन्द” को बैकफुट पर धकेला जा चुका है.
तथा, अब हम अपनी विरासत और अपनी पहचान को पुनर्स्थापित करने के लिए लड़ रहे हैं.
और… यही चीज दुश्मनों को रास नहीं आ रही है.
साथ ही दुश्मनों ने हमारी एक बहुत बड़ी कमजोरी पकड़ ली है कि…. चाहे केरल के सुदूर में कहीं पटाखे फूटे या फिर बंगाल में किसी का शौचालय खराब हो जाये.
हम बिना सिस्टम को समझे ही कूद कर मोदी और संघ को गाली देने लगते हैं.
मतलब कि… हम हर बात का गुस्सा मोदी पर निकालते हैं.
और… दुश्मन भी यही चाहते हैं कि हम ऐसा करें क्योंकि हमारे ऐसा करने से ही असंतोष फैलेगा और लोग मोदी का साथ छोड़ देंगे… जिससे, मोदी को सत्ता से हटाया जा सकेगा.
मुझे मालूम नहीं है कि सोशल मीडिया के कितने मेन स्ट्रीम न्यूज देखते हैं.
लेकिन, मैं रेगुलर देखता हूँ.
और, उस समय मेरी आश्चर्य का कोई ठिकाना नहीं रहा जब टीवी पर खान्ग्रेस के प्रवक्ता ने राजस्थान की घटना का बचाव करते हुए कहा कि… हमें ज्यादा दोष न दो, क्योंकि तुम्हारे यहाँ योगी राज में कमलेश तिवारी के साथ भी तो हुआ था ऐसा.
आश्चर्य की बात है कि… टीवी पर खान्ग्रेस प्रवक्ता के ऐसा बोलते ही तुरत ये बात सोशल मीडिया पर आ गई और लोग उदयपुर की घटना को छोड़कर कमलेश तिवारी की बात करने लगे.
तो क्या ये माना जाए कि…. हमारे फ्रेंड लिस्ट में और पोस्ट पढ़ने वाले कुछेक मित्र भी दुश्मनों के एजेंडा को आगे बढ़ाने में मददगार हैं ???
इस बारे में नीति कहती है कि…. जब दोस्त चुनने में कन्फ्यूजन हो रहा हो तो फिर दुश्मन को पहचान लो.
फिर जो दुश्मन नहीं है वो नेचुरल तौर पर हमारा दोस्त हुआ.
और… खान्ग्रेस, टोंटी जादो, मोमता, खुजलीवाल आदि को उनके कारनामों की वजह से मैं हिंदुत्व का दुश्मन मानता हूँ.
तो नीति के अनुसार…. उसके बाद जो बचता है वही मेरा दोस्त है.
बात बहुत सिंपल है… और, इसे समझने के लिए किसी रॉकेट साइंस की जरूरत नहीं है.
और एक अंतिम बात कि… अगर युद्ध के दौरान किसी को दोस्त और दुश्मन की बेसिक समझ तक न हो तो निश्चय ही गंभीर चिंता एवं आत्ममंथन का विषय होना चाहिए.
लेकिन, मुझे खुशी है कि मुझे इस तरह का कोई कन्फ्यूजन नहीं है.
जय महाकाल…!!!
Nitin Agrawal की वाल से
Day: June 30, 2022
तीस्ता जावेद सीतलवाड़ को कल के सुप्रीम कोर्ट के दिये फैसले की वजह से आज गुजरात SIT ने घर से उठाया ।
पर ….
ये कोई नहीं जानता कि ये देश जस्टिस एमबी सोनी का भी कर्जदार है!!*
*_आइए बताता हूं!_*
*नरेंद्र मोदी को जेल मे सडाने की प्लानिंग किसकी थी!!!?*
*कैसे नरेंद्र मोदी बच सके!!? *
_षड्यंत्र कितने खतरनाक!!!_
आप अंदाज नहीं लगा सकते!!!
अगर वो सफल हो जाते!!!
तो हम क्या खो देते????
तो नरेंद्र मोदी का हश्र क्या होता!!!?
*कांग्रेस राज में कोई भी केस सुप्रीम कोर्ट में जाने के पहले ही सब कुछ मैनेज हो जाता था!!*
_वो…कि केस किस जज की बेंच में जायेगा और वो जज क्या फैसला देंगे …_
*कांग्रेस की 70 सालों की सफलता का यही सबसे बड़ा राज है कि!!…उसने मीडिया और न्यायपालिका सबको मैनेज करके अपना राज स्थापित किया ..*
*गुजरात हाईकोर्ट के रिटायर जज जस्टिस एमबी सोनी ने इसका खुलासा तब किया, जब उन्होंने पाया की गुजरात दंगो के सम्बन्धित कोई भी याचिका, जो तीस्ता सीतलवाड सुप्रीम कोर्ट में दायर करती है वो सिर्फ जस्टिस आफताब आलम के बेंच में ही क्यों जाती है, जबकि रोस्टर के अनुसार वो किसी और के बेंच में जानी चाहिए ।..*
_फिर उन्होंने और तहकीकात की तो पता चला कि रजिस्ट्रार को ऊपर से आदेश था कि तीस्ता का केस जस्टिस आफ़ताब आलम के बेंच में भेजा जाए और इसके लिए मस्टर रोल और रोस्टर को बदल दिया जाये .._
फिर उन्होंने और तहकीकात की तो पता चला कि…. *जस्टिस आफताब आलम की सगी बेटी अरुसा आलम, तीस्ता के एनजीओ सबरंग में पार्टनर है और … उस समय के केबिनेट मंत्री और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की पत्नी भी उसी NGO में हैं, ..*
यह सब जानकर उन्होंने …इसके खिलाफ चीफ जस्टिस को पत्र भेजा, और…. *जस्टिस आफ़ताब आलम, कांग्रेस नेता और हिमाचल के मुख्यमंत्री की बेटी (जस्टिस अभिलाषा कुमारी) के 10 फैसलों की बकायदा आठ हजार पन्नों में विस्तृत विबेचना करके भेजा …. और कहा कि इन लोगों ने खुलेआम न्यायव्यवस्था का बलात्कार किया है।*
इसके बाद ही इस गैंग को ….गुजरात के हर एक मामले से अलग किया गया।
…..अगर जस्टिस एम बी सोनी नहीं होते” तो कांग्रेस सरकार नरेंद्र मोदी को दंगों के मामलों में फंसाने की पूरी प्लानिंग कर चुकी थी।
*कभी आपने राहुल गाँधी, लालू यादव, सीताराम येचुरी, मायावती, अखिलेश, ममता, महबूबा, और विपक्ष के नेताओं को एक दूसरे को चोर बोलते सुना है ?*
…नहीं !!!
*_जबकि इनमें से कुछ को ….सजा भी हो चुकी है, …कोई जेल में है, ….कोई बेल पर है और ….कुछ पर कोर्ट में मुकदमे चल रहे हैं, मगर …. ये लोग एक दूसरे को चोर कभी नहीं बोलते !_*
परन्तु मोदी जिस पर …कोई भी आधिकारिक आरोप नहीं है, ….कोई FIR नहीं है, ….कोई मुकदमा भी नहीं चल रहा है और ….किसी कोर्ट ने किसी जाँच का आदेश भी नहीं दिया, उसे ये सारे नेता चोर बोलते हैं !
यह देखकर आश्चर्य होता है …. धन्य है इस तरह की बेहूदी समझ को, और देश के प्रति गैरजिम्मेदारी के भाव को …..बल्कि *लानत है ऐसे देशद्रोही समझ पर! और लानत है इनके पीछे चलने वाले चमचों पर!!*
और ये भी …
जब आप मुंबई में मुंबई के पॉश एरिया जुहू में घूमेंगे तब जूहू तारा रोड पर अमिताभ बच्चन के बंगले के बाद 2-3 बड़े उद्योगपतियों के बंगले है फिर एक बेहद विशाल बंगला आपको नजर आएगा
जिसका नाम है निरान्त
यह बंगला अमिताभ बच्चन के बंगले से भी 3 गुना बड़ा है इस बंगले में करीब 3 एकड़ का लॉन है और बेहद आलीशान बंगला है आप सोच में पड़ जाएंगे कि आखिर यह किस उद्योगपति का मुंबई के जुहू जैसे पास एरिया में इतना आलीशान बंगला है
और यह बंगला तीस्ता जावेद सीतलवाड़ का है ।
🙄🙄सुभम वर्मा
भगवान कृष्ण ने किस ग्रंथ में कहा है ‘धेनुनामसिम’ मैं गायों में कामधेनु हूं?
श्रीमद् भगवतगीता |
‘चाहे मुझे मार डालो पर गाय पर हाथ न उठाओ’ किस महापुरुष ने कहा था?
बाल गंगाधर तिलक |
रामचंद्र ‘बीर’ ने कितने दिनों तक गौहत्या पर रोक लगवाने के लिए अनशन किया?
70 दिन |
पंजाब में किस शासक के राज्य में गौ हत्या पर मृत्यु दंड दिया जाता था?
पंजाब केसरी महाराज रणजीत सिंह |
गाय के घी से हवन पर किस देश में वैज्ञानिक प्रयोग किया गया?
रूस |
गोबर गैस संयंत्र में गैस प्राप्ति के बाद बचे पदार्थ का उपयोग किस में होता है?
खेती के लिए जैविक (केंचुआ) खाद बनाने में |
मनुष्य को गौ-यज्ञ का फल किस प्रकार होता है?
कत्लखाने जा रही गाय को छुड़ाकर उसके पालन-पोषण की व्यवस्था करने पर |
एक तोला (10 ग्राम) गाय के घी से यज्ञ करने पर क्या बनता है?
एक टन आँक्सीजन |
ईसा मसीहा का क्या कथन था?
एक गाय को मरना, एक मनुष्य को मारने के समान है |
प्रसिद् मुस्लिम संत रसखान ने क्या अभिलाषा व्यक्त की थी?
यदि पशु के रूप में मेरा जन्म हो तो मैं बाबा नंद की गायों के बीच में जन्म लूं |
पं. मदन मोहन मालवीय जी की अंतिम इच्छा क्या थी?
भारतीय संविधान में सबसे पहली धारा सम्पूर्ण गौवंश हत्या निषेध की बने |
भगवान शिव का प्रिय श्री सम्पन्न ‘बिल्वपत्र’ की उत्पत्ति कहा से हुई है?
गाय के गोबर से |
गौवंशीय पशु अधिनियम 1995 क्या है?
10 वर्ष तक का कारावास और 10,000 रुपए तक का जुर्माना |
गाय की रीढ़ में स्थित सुर्यकेतु नाड़ी से क्या होता है?
सर्वरोगनाशक, सर्वविषनाशक होता है |
देशी गाय के एक ग्राम गोबर में कम से कम कितने जीवाणु होते है?
300 करोड़ |
गाय के दूध में कौन-कौन से खनिज पाए जाते है?
कैलिशयम 200 प्रतिशत, फास्फोरस 150 प्रतिशत, लौह 20 प्रतिशत, गंधक 50 प्रतिशत, पोटाशियम 50 प्रतिशत, सोडियम 10 प्रतिशत, पाए जाते है |
‘गौ सर्वदेवमयी और वेद सर्वगौमय है’, यह युक्ति किस पुराण की है?
स्कन्द पुराण |
विश्व की सबसे बड़ी गौशाला का नाम बताइए?
पथमेड़ा, राजस्थान |
गाय के दूध में कौन-कौन से विटामिन पाए जाते है?
विटामिन C 2 प्रतिशत, विटामिन A (आई.क्यू) 174 और विटामिन D 5 प्रतिशत |
यदि हम गायों की रक्षा करेंगे तो गाय हमारी रक्षा करेंगी ‘यह संदेश किस महापरुष का है?
पंडित मदन मोहन मालवीय का |
‘गौ’ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की धात्री होने के कारण कामधेनु है| इसका अनिष्ट चिंतन ही पराभव का कारण है| यह विचार किनका था?
महर्षि अरविंद का |
भगवान बालकृष्ण ने गायें चराने का कार्य किस दिन से प्रारम्भ किया था?
गोपाष्टमी से |
श्री राम ने वन गमन से पूर्व किस ब्राह्मण को गायें दान की थी?
त्रिजट ब्राह्मण को |
‘जो पशु हां तों कहा बसु मेरो, चरों चित नंद की धेनु मंझारन’ यह अभिलाषा किस मुस्लिम कवि की है?
रसखान |
‘यही देहु आज्ञा तुरुक को खापाऊं, गौ माता का दुःख सदा मैं मिटआऊँ‘ यह इच्छा किस गुरु ने प्रकट की?
गुरु गोबिंद सिंह जी ने |
अरुण शुक्ला