Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

मुसीबत का सामना

एक गाँव में एक बढ़ई रहता था। वह शरीर और दिमाग से बहुत मजबूत था।

एक दिन उसे पास के गाँव के एक अमीर आदमी ने फर्नीचर बनबाने के लिए अपने घर पर बुलाया।

जब वहाँ का काम खत्म हुआ तो लौटते वक्त शाम हो गई तो उसने काम के मिले पैसों की एक पोटली बगल मे दबा ली और ठंड से बचने के लिए कंबल ओढ़ लिया।

वह चुपचाप सुनसान रास्ते से घर की और रवाना हुआ। कुछ दूर जाने के बाद अचानक उसे एक लुटेरे ने रोक लिया।

डाकू शरीर से तो बढ़ई से कमजोर ही था पर उसकी कमजोरी को उसकी बंदूक ने ढक रखा था।

अब बढ़ई ने उसे सामने देखा तो लुटेरा बोला, ‘जो कुछ भी तुम्हारे पास है सभी मुझे दे दो नहीं तो मैं तुम्हें गोली मार दूँगा।’

यह सुनकर बढ़ई ने पोटली उस लुटेरे को थमा दी और बोला, ‘ ठीक है यह रुपये तुम रख लो मगर मैं घर पहुँच कर अपनी बीवी को क्या कहुंगा। वो तो यही समझेगी कि मैने पैसे जुए में उड़ा दिए होंगे।

तुम एक काम करो, अपने बंदूक की गोली से मेरी टोपी मे एक छेद कर दो ताकि मेरी बीवी को लूट का यकीन हो जाए।’

लुटेरे ने बड़ी शान से बंदूक से गोली चलाकर टोपी में छेद कर दिया। अब लुटेरा जाने लगा तो बढ़ई बोला,

‘एक काम और कर दो, जिससे बीवी को यकीन हो जाए कि लुटेरों के गैंग ने मिलकर मुझे लूटा है । वरना मेरी बीवी मुझे कायर ही समझेगी।

तुम इस कंबल मे भी चार- पाँच छेद कर दो।’ लुटेरे ने खुशी खुशी कंबल में भी कई गोलियाँ चलाकर छेद कर दिए।

इसके बाद बढ़ई ने अपना कोट भी निकाल दिया और बोला, ‘इसमें भी एक दो छेद कर दो ताकि सभी गॉंव वालों को यकीन हो जाए कि मैंने बहुत संघर्ष किया था।’

इस पर लुटेरा बोला, ‘बस कर अब। इस बंदूक में गोलियां भी खत्म हो गई हैं।’

यह सुनते ही बढ़ई आगे बढ़ा और लुटेरे को दबोच लिया और बोला, ‘मैं भी तो यही चाहता था।

तुम्हारी ताकत सिर्फ ये बंदूक थी। अब ये भी खाली है। अब तुम्हारा कोई जोर मुझ पर नहीं चल सकता है।

चुपचाप मेरी पोटली मुझे वापस दे दे वरना …..

यह सुनते ही लुटेरे की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई और उसने तुरंत ही पोटली बढई को वापिस दे दी और अपनी जान बचाकर वहाँ से भागा।

आज बढ़ई की ताकत तब काम आई जब उसने अपनी अक्ल का सही ढंग से इस्तेमाल किया।

इसलिए कहते है कि मुश्किल हालात मे अपनी अक्ल का ज्यादा इस्तेमाल करना चाहिए तभी आप मुसीबतों से आसानी से निकल सकते हैं।

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जब महाभारत का युद्घ होने वाला था उस समय पर श्री कृष्ण और अर्जुन युद्घ के लिए भूमि देखने के लिए निकलपड़े ,घूमते घूमते वो कुरुक्षेत्र पहुँच गए । वहां उन्होंने देखा एक किसान और साथ में उसका बेटा दोनों खेती कर रहेथे ,तभी अचानक एक साँप ने उस किसान के बेटे को डस लिया ,उस
किसान ने अपने बेटे की लाश को खेत से बाहरकर दिया और फ़िर से खेती करने लगा । आगे भगवान ने देखा एक महिला खाना ले कर आ रही थी ,श्री कृष्ण नेउससे पुछा तुम कहा जा रही हो ,उसने कहाँ अपने पति और ससुर के लिए खाना ले कर जा रही हूँ ,
श्री कृष्ण बोलेतुम्हारे पति को तो साँप ने डस लिया हैं और तुम्हारे ससुर ने उसकी लाश को खेत से बाहर कर दिया हैं और फ़िर खेती करने लगा हैं ,
ये सुनते ही वो महिला वही बैठ गई और खाना खाने लग गई अपने पति के हिस्से का खाना खाकर वो ससुर का खाना ले कर आगे बढ़ गई। श्री कृष्ण ने अर्जुन से बोला के यही जगह सही हैं युद्घ के लिए यहाँ किसी को किसी से कोई मतलब नही हैं सब अपने बारे में सोचते हैं।
अगर आज भगवान श्री कृष्ण को युद्घ के लिए भूमि देखने जाना पड़े तो आसानी से मिल जायेगी क्योंकि हर जगह सब अपने बारे में ही सोचते हैं।