ऐसे श्री भगवान को बारम्बार प्रणाम है ! 🙏
राजस्थान में एक भगवान श्री कृष्ण के दयालु भक्त थे , नाम था रमेश चंद्र… उनकी दवाइयों की दुकान थी , उनकी दुकान में भगवान श्री कृष्ण की एक छोटी सी तस्वीर एक कोने में लगी थी …वे जब दुकान खोलते साफ सफाई के उपरांत हाथ धोकर नित्य भगवान की तस्वीर को साफ करते और बड़ी श्रद्धा से धूप इत्यादि दिखाते…
उनका एक पुत्र भी था, राकेश जो … अपनी पढ़ाई पूरी करके उनके ही साथ दुकान पर बैठा करता था…वो भी अपने पिता को ये सब करते हुए देखा करता और चूंकि नए ज़माने का विज्ञान का पढ़ा लिखा नया युवक था लिहाजा अपने पिता को समझाता की भगवान वगैरा कुछ नहीं होते सब मन का वहम है… शास्त्र कहते हैं कि सूर्य अपने रथ पर ब्रह्मांड का चक्कर लगाता है…जबकि विज्ञान ने सिद्ध कर दिया कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है……इत्यादि इत्यादि न जाने कौन कौन से नए नए उदाहरण देता की कुल मिलाकर ईश्वर नहीं हैं !!!!
पिता उस को स्नेह भरी दृष्टि से देखते और मुस्कुरा कर रह जाते…शायद अनावश्यक तर्क वितर्क से बचने की चेष्टा करते !
समय बीतता गया पिता बूढ़े हो गए थे… शायद वे जान गए थे कि अब उनका अंत समय निकट ही आ गया है…
अतः एक दिन अपने बेटे से कहा , ” बेटा तू ईश्वर को मान या मत मान मेरे लिए ये ही बहुत है कि तू एक मेहनती , दयालु और सच्चा मनुष्य है… परन्तु मेरे जाने के बाद एक तो तू दुकान में भगवान की तस्वीर पर कपड़ा जरूर मारा करना और यदि कभी किसी परेशानी में फंस जाए तो हाथ जोड़कर श्रीकृष्ण से अपनी समस्या कह देना … बस मेरा इतना कहना मान लेना…पुत्र ने स्वीकृति भर दी…
कुछ ही दिनों के बाद पिता का देहांत हो गया ,
समय गुजरता रहा…
एक दिन बहुत तेज बारिश पड़ रही थी राकेश दुकान में दिनभर बैठा रहा ग्राहकी भी कम हुई…ऊपर से लाईट भी बहुत परेशान कर रही थी…तभी अचानक एक लड़का भीगता हुआ तेजी से आया और बोला,” भईया ये दवाई चाहिए मेरी माँ बहुत बीमार है डॉक्टर ने कहा ये दवा तुरंत ही चार चम्मच यदि पिला दी जाये तो ही माँ बच पायेगी क्या ये आपके पास है ?…
राकेश ने पर्चा देखकर तुरंत कहा हाँ ये है… लड़का बहुत खुश हुआ…और कुछ ही समय के लेन देन के उपरांत दवा लेकर चला गया…परन्तु ये क्या !!! लड़के के जाने के थोड़ी ही देर बाद राकेश ने जैसे ही काउंटर पर निगाह मारी तो सनाका निकल गया… मारे पसीने के बुरा हाल क्योंकि अभी थोड़ी देर पहले ही एक ग्राहक चूहे मारने की दवाई की शीशी वापस करके गया था…लाईट न आने की वजह से राकेश ने शीशी काउंटर पर ही रखी रहने दी , कि लाईट आने पर वापस जगह पर रख देगा… पर जो लड़का दवाई लेने आया था वह अपनी शीशी की जगह चूहे मार दवाई की ले गया और लड़का पढ़ा लिखा भी नहीं था !!!
” हे भगवान ! ” अनायास ही राकेश के मुँह से निकला ये तो अनर्थ हो गया !!! तभी उसे अपने पिता की बात याद आई और वो तुरंत हाथ जोड़कर भगवान कृष्ण की तस्वीर के आगे दुःखी मन से प्रार्थना करने लगा कि , हे प्रभु ! पिताजी हमेशा कहते थे , कि तू है यदि तू सचमुच है तो आज ये अनहोनी होने से बचा ले एक माँ को उसके बेटे द्वारा जहर मत पीने दे प्रभु मत पीने दे !!!
” भईया ! ” तभी पीछे से आवाज आई… ” मैं फिसल गया दवा की शीशी भी फूट गई ! आप एक दूसरी शीशी दे दो…
भगवान की मनमोहक मुस्कान से भरी तस्वीर को देखकर राकेश की आँखों से झर झर आँसू बह निकले !!!
हरे कृष्ण 🙏🙏