Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

मन का सुकून



शहर की बहुत बडी दुकान थी जिसके ब्रेड पकौड़े और समोसे बडे मशहूर थे।

मैं पहले भी सुन चुका था मगर कल जब एक खास दोस्त ने कहा-भाई श्याम क्या स्वादिष्ट थे समोसे और इतने बढिया मुलायम ब्रेड पकौड़े – वाह मजा ही आ गया.

सो आज मैंने भी वहां जाकर उन लजीज समोसों और ब्रेड पकौडों का मजा लेने की सोची.

आफिस से निकला तो 7 बज चुके थे सोचा आज उसी दुकान पर पहले कुछ खाया जाए फिर घर जाऊंगा …

मगर जैसे ही दुकान के बाहर गाडी खडी करके अंदर जाने को हुआ तो एक नन्हे से हाथों के स्पर्श ने मेरा ध्यान खींचा

देखा तो एक छोटी सी बच्ची 5 से 6 साल के बीच की ने मुझे रोककर कहा-

अंकल .क्या आप भी यहां समोसा और पकौड़ा खाने आए हैं

मैंने कहा-हां…. मगर तुम ऐसा क्यों पूछ रही हो .

क्या यहां अच्छे नहीं मिलते .?

वो बडी मासूमियत से बोली-मिलते हैं ना – बहुत अच्छे मिलते हैं पर आप मत जाओ उन्हें खाने…

मैं उसकी बातें सुनकर कुछ हैरान हुआ फिर मैंने उससे इसकी वजह पूछी तो वो बोली-अंकल …

ये दुकान वाले भैया ना– मुझे और मेरे छोटे भाई को हर रात बचे हुए समोसा पकौड़ा दे देते हैं उससे हमारा पूरे दिन का खाली पेट भर जाता है आज भी बहुत कम पकौडे बचे हैं ….

कल तो सब खत्म हो गए थे इसीलिए हमें मिले ही नहीं…

मैं तो भूखे रह लेती हूं मगर मेरा वो छोटू भूख के मारे रोता है .. ये कहकर रो पडी ….

मैने उसे चुप कराया और कहा..पर मैं तो जरूर समोसे और पकौड़े लूंगा…

और अंदर जाने लगा… ये देखकर वो कुछ परेशान हो गई….!

कुछ देर में जब मैं बाहर आया तो दुकानदार भी मेरे साथ था मैने वहां से जो समोसे और पकौड़े लिए थे वो उन दोनों बहन भाई को पकडा दिए और कहा- अबसे तुम्हें रात का इंतजार करने की जरुरत नहीं मैंने आपके इस दुकान वाले भैया से बात कर ली है अबसे ये तुम्हें समय पर रोज तुम्हारे समोसे और पकोड़े दे दिया करेंगे …

कहकर मैं भीगी आँखें लिए बाहर आ गया —

दोस्तों मैंने वो ब्रेड पकौड़े और समोसे तो नहीं खाए मगर उनका स्वाद सचमुच मेरे मन में था —

कयोंकि मैंने दुकानदार से हर महीने कुछ रुपये देने का वादा किया था जिसके बदले वो बिना कुछ बताए उन दोनों बहन भाई को रोज उनके मनपसंद स्वादिष्ट समोसे और पकौड़े दे दिया करेगा….

दोस्तों. बड़े बुजुर्ग कहते हैं कुछ काम ऐसे होने चाहिए जिसे करने से आपको और आपके मन दोनो को सुकून मिले–
कर भला तो हो भला
🌹🙏🏻जय श्री जिनेन्द्र🙏🏻🌹

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अकबर बीरबल


अकबर बीरबल हमेशा की तरह टहलने जा रहे थे।

रास्ते में एक तुलसी का पौधा दिखा, मंत्री बीरबल ने झुक कर प्रणाम किया ।

अकबर ने पूछा कौन हे ये ?
बीरबल –
मेरी माता है।

अकबर ने तुलसी के झाड़ को उखाड़ कर फेक दिया और बोला कितनी माता हैं तुम हिन्दू लोगों की ?

बीरबल को उसका जबाब देने की एक तरकीब सूझी ।

आगे एक बिच्छुपत्ती (खुजली वाला) झाड़ मिला !
बीरबल उसे दंडवत प्रणाम कर, कहा –
जय हो बाप मेरे ।

अकबर को गुस्सा आया …..
दोनों हाथों से झाड़ को उखाड़ने लगा ।

इतने में अकबर को भयंकर खुजली होने लगी तो बोला: बीरबल ये क्या हो गया ?

बीरबल ने कहा :
आप ने मेरी माँ को मारा इस लिए ये गुस्सा हो गए ।

अकबर जहाँ भी हाथ लगता वहाँ पर उसे खुजली होने लगती ।

अकबर बोला :
बीरबल जल्दी कोई उपाय बताओ ।

बीरबल बोला :
उपाय तो है लेकिन वो भी हमारी माँ है । उनसे विनती करनी पड़ेगी ।

अकबर बोला :
जल्दी करो ।

आगे गाय खड़ी थी बीरबल ने कहा :
गाय से विनती करो कि हे माता,
दवाई दो ?

गाय ने गोबर कर दिया ।
अकबर के शरीर पर उसका लेप करने से फौरन खुजली से राहत मिल गई ।

अकबर बोला :
बीरबल अब क्या राजमहल में ऐसे ही जायेंगे ?

बीरबल ने कहा :
नहीं बादशाह हमारी एक और माँ है ।
सामने गंगा बह रही थी ।

आप बोलिए हर हर गंगे …..
जय गंगा मईया की …..
और कूद जाइए ।

नहा कर अपने आप को तरोताजा महसूस करते हुए अकबर ने गंगा मैया को नमन किया तो बीरबल ने अकबर से कहा, “महाराज ये तुलसी माता, गौ माता, गंगा माता तो जगत जननी है सबकी माता हैं बिना भेदभाव सबका कल्याण करने वाली हैं ।

इनको मानने वालों को ही “हिन्दू” कहते हैं ।

हिन्दू एक “संस्कृति” है, “सभ्यता” है ।
सम्प्रदाय नहीं ।
गौ, गंगा, गीता और गायत्री का सम्मान कीजिये …..
ये सनातन संस्कृति के प्राण स्तंभ है ।

Radhe Radhe
🙏🏼🙏🏼

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वाली


*जब बाली को ब्रम्हा जी से ये वरदान प्राप्त हुआ की जो भी उससे युद्ध करने उसके सामने आएगा उसकी आधी ताक़त बाली के शरीर मे चली जायेगी और इससे बाली हर युद्ध मे अजेय रहेगा।

सुग्रीव, बाली दोनों ब्रम्हा के औरस (वरदान द्वारा प्राप्त) पुत्र हैं। और ब्रम्हा जी की कृपा बाली पर सदैव बनी रहती है।

बाली को अपने बल पर बड़ा घमंड था
उसका घमंड तब ओर भी बढ़ गया
जब उसने करीब करीब तीनों लोकों पर विजय पाए हुए रावण से युद्ध किया और रावण को अपनी पूँछ से बांध कर छह महीने तक पूरी दुनिया घूमी, रावण जैसे योद्धा को इस प्रकार हरा कर बाली के घमंड का कोई सीमा न रहा।

अब वो अपने आपको संसार का सबसे बड़ा योद्धा समझने लगा था और यही उसकी सबसे बड़ी भूल हुई, अपने ताकत के मद में चूर एक दिन एक जंगल मे पेड़ पौधों को तिनके के समान उखाड़ फेंक रहा था। हरे भरे वृक्षों को तहस नहस कर दे रहा था अमृत समान जल के सरोवरों को मिट्टी से मिला कर कीचड़ कर दे रहा था एक तरह से अपने ताक़त के नशे में बाली पूरे जंगल को उजाड़ कर रख देना चाहता था और बार बार अपने से युद्ध करने की चेतावनी दे रहा था- है कोई जो बाली से युद्ध करने की हिम्मत रखता हो
है कोई जो अपने माँ का दूध पिया हो
जो बाली से युद्ध करके बाली को हरा दे।

इस तरह की गर्जना करते हुए बाली उस जंगल को तहस नहस कर रहा था संयोग वश उसी जंगल के बीच मे हनुमान जी राम नाम का जाप करते हुए तपस्या में बैठे थे।

बाली की इस हरकत से हनुमान जी को राम नाम का जप करने में विघ्न लगा और हनुमान जी बाली के सामने जाकर बोले- हे वीरों के वीर, हे ब्रम्ह अंश, हे राजकुमार बाली, (तब बाली किष्किंधा के युवराज थे) क्यों इस शांत जंगल को अपने बल की बलि दे रहे हो, हरे भरे पेड़ों को उखाड़ फेंक रहे हो, फलों से लदे वृक्षों को मसल दे रहे हो, अमृत समान सरोवरों को दूषित मलिन मिट्टी से मिला कर उन्हें नष्ट कर रहे हो, इससे तुम्हे क्या मिलेगा, तुम्हारे औरस पिता ब्रम्हा के वरदान स्वरूप कोई तुहे युद्ध मे नही हरा सकता क्योंकि जो कोई तुमसे युद्ध करने आएगा उसकी आधी शक्ति तुममे समाहित हो जाएगी।

इसलिए हे कपि राजकुमार अपने बल के घमंड को शांत कर और राम नाम का जाप कर इससे तेरे मन में अपने बल का भान नही होगा और राम नाम का जाप करने से ये लोक और परलोक दोनों ही सुधर जाएंगे।

इतना सुनते ही बाली अपने बल के मद चूर हनुमान जी से बोला- ए तुच्छ वानर,, तू हमें शिक्षा दे रहा है, राजकुमार बाली को जिसने विश्व के सभी योद्धाओं को धूल चटाई है और जिसके एक हुंकार से बड़े से बड़ा पर्वत भी खंड खंड हो जाता है जा तुच्छ वानर, जा और तू ही भक्ति कर अपने राम वाम की और जिस राम की तू बात कर रहा है वो है कौन और केवल तू ही जानता है राम के बारे में मैंने आजतक किसी के मुँह से ये नाम नही सुना और तू मुझे राम नाम जपने की शिक्षा दे रहा है।

हनुमान जी ने कहा- प्रभु श्री राम, तीनो लोकों के स्वामी है उनकी महिमा अपरंपार है, ये वो सागर है जिसकी एक बूंद भी जिसे मिले वो भवसागर को पार कर जाए।

बाली- इतना ही महान है राम तो बुला ज़रा मैं भी तो देखूं कितना बल है उसकी भुजाओं में बाली को भगवान राम के विरुद्ध ऐसे कटु वचन हनुमान जो को क्रोध दिलाने के लिए पर्याप्त थे।

हनुमान- ए बल के मद में चूर बाली तू क्या प्रभु राम को युद्ध मे हराएगा पहले उनके इस तुच्छ सेवक को युद्ध में हरा कर दिखा।

बाली- तब ठीक है कल के कल नगर के बीचों बीच तेरा और मेरा युद्ध होगा।

हनुमान जी ने बाली की बात मान ली बाली ने नगर में जाकर घोषणा करवा दिया कि कल नगर के बीच हनुमान और बाली का युद्ध होगा।

अगले दिन तय समय पर जब हनुमान जी बाली से युद्ध करने अपने घर से निकलने वाले थे तभी उनके सामने ब्रम्हा जी प्रकट हुए।

हनुमान जी ने ब्रम्हा जी को प्रणाम किया और बोले- हे जगत पिता आज मुझ जैसे एक वानर के घर आपका पधारने का कारण अवश्य ही कुछ विशेष होगा।

ब्रम्हा जी बोले- हे अंजनीसुत, हे शिवांश, हे पवनपुत्र, हे राम भक्त हनुमान मेरे पुत्र बाली को उसकी उद्दंडता के लिए क्षमा कर दो और युद्ध के लिए न जाओ।

हनुमान जी ने कहा- हे प्रभु बाली ने मेरे बारे में कहा होता तो मैं उसे क्षमा कर देता परन्तु उसने मेरे आराध्य श्री राम के बारे में कहा है जिसे मैं सहन नही कर सकता
और मुझे युद्ध के लिए चुनौती दिया है
जिसे मुझे स्वीकार करना ही होगा अन्यथा सारे विश्व मे ये बात कही जाएगी कि हनुमान कायर है जो ललकारने पर युद्ध करने इसलिए नही जाता है क्योंकि एक बलवान योद्धा उसे ललकार रहा है।

तब कुछ सोंच कर ब्रम्हा जी ने कहा- ठीक है हनुमान जी पर आप अपने साथ अपनी समस्त सक्तियों को साथ न लेकर जाएं केवल दसवां भाग का बल लेकर जाएं बाकी बल को योग द्वारा अपने आराध्य के चरणों में रख दे युद्ध से आने के उपरांत फिर से उन्हें ग्रहण कर लें।

हनुमान जी ने ब्रम्हा जी का मान रखते हुए वैसे ही किया और बाली से युद्ध करने घर से निकले उधर बाली नगर के बीच मे एक जगह को अखाड़े में बदल दिया था और हनुमान जी से युद्ध करने को व्याकुल होकर बार बार हनुमान जी को ललकार रहा था पूरा नगर इस अदभुत और दो महायोद्धाओं के युद्ध को देखने के लिए जमा था।

हनुमान जी जैसे ही युद्ध स्थल पर पहुँचे,,
बाली ने हनुमान को अखाड़े में आने के लिए ललकारा। ललकार सुन कर जैसे ही हनुमान जी ने एक पावँ अखाड़े में रखा।
उनकी आधी शक्ति बाली में चली गई बाली में जैसे ही हनुमान जी की आधी शक्ति समाई बाली के शरीर मे बदलाव आने लगे, उसके शरीर मे ताकत का सैलाब आ गया बाली का शरीर बल के प्रभाव में फूलने लग उसके शरीर फट कर खून निकलने लगा बाली को कुछ समझ नही आ रहा था।

तभी ब्रम्हा जी बाली के पास प्रकट हुए और बाली को कहा- पुत्र जितना जल्दी हो सके यहां से दूर अति दूर चले जाओ,
बाली को इस समय कुछ समझ नही आ रहा रहा वो सिर्फ ब्रम्हा जी की बात को सुना और सरपट दौड़ लगा दिया।

सौ मील से ज्यादा दौड़ने के बाद बाली थक कर गिर गया कुछ देर बाद जब होश आया तो अपने सामने ब्रम्हा जी को देख कर बोला- ये सब क्या है हनुमान से युद्ध करने से पहले मेरा शरीर का फटने की हद तक फूलना फिर आपका वहां अचानक आना और ये कहना कि वहां से जितना दूर हो सके चले जाओ मुझे कुछ समझ नही आया।

ब्रम्हा जी बोले- पुत्र जब तुम्हारे सामने हनुमान जी आये, तो उनका आधा बल तुममे समा गया, तब तुम्हे कैसा लगा।

बाली- मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे शरीर में शक्ति की सागर लहरें ले रही है। ऐसे लगा जैसे इस समस्त संसार मे मेरे तेज़ का सामना कोई नही कर सकता। पर साथ ही साथ ऐसा लग रहा था जैसे मेरा शरीर अभी फट पड़ेगा।

ब्रम्हा जो बोले- हे बाली मैंने हनुमान जी को उनके बल का केवल दसवां भाग ही लेकर तुमसे युद्ध करने को कहा,, पर तुम तो उनके दसवें भाग के आधे बल को भी नही संभाल सके।

सोचो, यदि हनुमान जी अपने समस्त बल के साथ तुमसे युद्ध करने आते तो उनके आधे बल से तुम उसी समय फट जाते जब वो तुमसे युद्ध करने को घर से निकलते इतना सुन कर बाली पसीना पसीना हो गया और कुछ देर सोच कर बोला- प्रभु, यदि हनुमान जी के पास इतनी शक्तियां है तो वो इसका उपयोग कहाँ करेंगे

ब्रम्हा- हनुमान जी कभी भी अपने पूरे बल का प्रयोग नही कर पाएंगे क्योंकि ये पूरी सृष्टि भी उनके बल के दसवें भाग को नही सह सकती।

ये सुन कर बाली ने वही हनुमान जी को दंडवत प्रणाम किया और बोला जो हनुमान जी जिनके पास अथाह बल होते हुए भी शांत और रामभजन गाते रहते है और एक मैं हूँ जो उनके एक बाल के बराबर भी नही हूँ और उनको ललकार रहा था मुझे क्षमा करें।

और आत्मग्लानि से भर कर बाली ने राम भगवान का तप किया और आगे चलकर अपने मोक्ष का मार्ग उन्ही से प्राप्त किया 🌹 जय श्री राम 🌹 🌹 जय श्री सीताराम जी 🌹 🌹 जय श्री सियाराम जी🌹 🌹 जय श्री रुद्रावतार रामभक्त हनुमान जी🌹 🌹 जय श्री संकटमोचन महाबली वीर महान 🌹 *!! जय श्री हनुमान !!* 🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸

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श्रीखंड महादेव


भगवान शिव की वो यात्रा जो अमरनाथ से भी कठिन है

हिमालय पर्वत की बर्फीली चोटिओं पर भगवान शिव का निवास स्थान है. आपने अमरनाथ केदारनाथ और कैलाश मानसरोवर के बारे में तो सुना होगा लेकिन इन सबसे भी आगे पर्वतों की चोटी पर स्थित भगवान शिव के इस रोचक स्थान श्रीखंड महादेव के बारे में नहीं सुना होगा. यहां हर कोई जाना चाहता है. यह वह स्थान हैं जहां भगवान शिव भस्मासुर से बचने के लिए छिपे थे.

कहते हैं कि भस्मासुर राक्षस ने कई वर्षों तक भगवान शिव की कड़ी तपस्या की थी. उसकी तपस्या से खुश होकर भगवान भोलेनाथ ने उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा.

भगवान शिव का यह प्रश्न सुनकर भस्मासुर ने कहा कि मुझे ऐसा वरदान चाहिए कि जिस जीव के सिर पर वह हाथ रखे वह उसी समय भस्म हो जाए. भगवान भोलेनाथ ने उसे यह वरदान दे दिया.

यह वरदान पाने के बाद भस्मासुर घमंड से भर गया और उसने भगवान शिव को ही जलाने की सोच ली. इससे बचने के लिए भगवान शिव को निरंमंड के देओढ़ांक में स्थित एक गुफा में छिपना पड़ा. कई महीनों तक भगवान शिव इसी गुफा में रहे.

उधर, भगवान विष्णु ने भगवान शिव को बचाने और भस्मासुर का अंत करने के लिए मोहिनी नाम की एक सुंदर महिला का रूप धारण कर लिया. भस्मासुर मोहिनी के सौंदर्य को देखकर मोहित हो गया. मोहिनी ने भस्मासुर को अपने साथ नृत्य करने को कहा. भस्मासुर भी तैयार हो गया. वह मोहिनी के साथ नृत्य करने लगा. इसी बीच चतुराई दिखाते हुए मोहिनी ने नृत्य के दौरान अपना हाथ सिर पर रखा. इसे देखकर भस्मासुर ने जैसे ही अपना हाथ अपने सिर पर रखा वही उसी समय राख में बदल गया.

भस्मासुर का नाश होने के बाद सभी देवता ढांक पहुंचे और भगवान शिव से बाहर आने की प्रार्थना की. महर भोलेनाथ एक गुफा में फंस गए. यहां से वह बाहर नहीं निकल पा रहे थे. वह एक गुप्त रास्ते से होते हुए इस पर्वत की चोटी पर शक्ति रूप में प्रकट हो गए.

जब भगवान शिव यहां से जाने लगे तो यहां एक धमाका हुआ उस धमाके में एक विशाल आकार की एक शिला बच गई. इसे शिवलिंग मानकर पूजा जाने लगा. इसके साथ ही दो बड़ी चट्टाने हैं जिन्हें मां पार्वती और भगवान गणेश के नाम से पूजा जाता है.

इस मार्ग में पार्वती बाग नाम की जगह आती है. ऐसा माना जाता है कि सबसे दुर्लभ ब्रह्म कमल भी यहीं पाए जाते हैं.

यहां पार्वती झरना भी दर्शनीय है। मां पार्वती इस झरने का स्नानागार के रूप में इस्तेमाल करती थीं।
श्रीखंड महादेव जाते वक्त रास्ते में खास तरह की चट्टानें भी मिलती हैं जिन पर कुछ लेख लिखे हैं। कहा जाता है भीम ने स्वर्ग जाने के लिए सीढ़ियां बनाने के लिए इनका इस्तेमाल किया था। मगर समय की कमी के कारण पूरी सीढ़ियां नहीं बन पाई।

ओली अमित