हमारे पड़ोस में एक आँटी रहती हैं। क्रिश्चि-यन है, पति काफी पहले एक हादसे में गुज़र गए थे। एक बेटा और एक बेटी है। बेटी की एक सम्पन्न परिवार मैं शादी हो चुकी है। बेटा पढ़ाई पूरी कर चुका है और ज्यादातर समय दोस्तों के साथ घूमने में बिताता है। जिंदगी सुख से कट रही थी कि तभी किसी ने आंटी के बेटे को परधानी का चुनाव लड़ने की सलाह दे दी।
प्रधानी जीतने के लिए सबसे पहले तो समाज में अच्छी छवि होनी चाहिए, तो बेटे ने समाजसेवा काम शुरू कर दिया। हर आपदा में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने लगा। पिछले दिनों केरल में बाढ़ आई थी तो बेटा तुंरन्त ही केरल के सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित जिलों जर्मनी और इंग्लैंड की यात्रा पर निकल गया था। परधानी का चुनाव जीतने के लिए समाज सेवा तक तो ठीक था, लेकिन धीरे-धीरे परधान बनना उसकी बीमारी बनता गया।
उसकी बीमारी का सबसे पहला लक्षण तब प्रकट हुआ जब उसने गांव में बेरोजगारी के खिलाफ एक जनसभा की और वहां माइक पर जोर जोर से चिल्लाने लगा ‘खून मेरा गरम है क्योंकि हिंदू मेरा धर्म है।’ मैंने उसी वक्त आंटी को चेताया था कि इस पर कड़ी नजर रखो वरना ये मेरा जशु जशु करना भूल कर वसीम रिजवी बन जाएगा।
आंटी ने ध्यान नहीं दिया और लड़के की बीमारी बढ़ती गई। दिन भर गाँधी जी की फ़ोटो सीने से लगाकर घूमता है और कहता है कि अंग्रेज़ो का दला-ल सावर-कर अगर चाहता तो गाँधी जी को बचा सकता था। मैंने पूछा किसने कहा तो बोला मेरे बाप का नाना रिटायर्ड स्वतंत्रता सेनानी ज्वार लाल लेहरू जिसने अंग्रेज़ो से लोहा लेकर मेरे बाप को कम्प्यूटर बनाने के लिए दिया।
ऐसा नहीं है कि लड़का दिल का बुरा हो। सर्वधर्म समभाव में यकीन रखता है। हिन्दू बनने को इतना उतावला है कि अंतरराष्ट्रीय गो रक्षक समूह के नाम से व्हाटसअप और फेसबुक ग्रुप बना लिया है। भोला इतना है कि एक दिन सड़क पर घूम रहे सांड को गाय समझ बैठा। फिर क्या था, फेसबुक पर अपलोड करने के लिए सांड़ के साथ सेल्फी लेने बैठ गया, “आज सुबह गाय माता का दूध दुहते आपके गौ सेवक राहुल पंडा।’
सांड़ ने दो तीन बार मुंडी हिलाकर चेतावनी दी कि तेरे हाथ मे जो हैं वो तेरे नाना का कश्मीर नहीं, मेरा अंडमान निकोबार है, लेकिन लड़के का ध्यान बाएं हाथ मे पकड़े मोबाइल के कैमरे की तरफ था और वो लगातार दाएं हाथ से सांड़ का दूध दुहने का प्रयास करता रहा।
फिर मजबूरन सांड़ को अपना अंडमान निकोबार बचाना पड़ा। लड़के की पीछे वाली छाती में सींगों के आधा दर्जन घाव हैं, 24 टांकें लगे हैं। लड़का सरकारी अस्पताल में भर्ती है और ‘हिंदुत्ववा-दी पीछे से छाती में वा-र करता है’ चिल्ला चिल्ला कर पूरा अस्पताल सर पर उठा रखा है। उसकी माँ का रो रो कर बुरा हाल है। पीछे वाले दिमाग का कोई डॉक्टर हो सजेस्ट करिए, लड़के की जान बचाना बहुत जरूरी है।
रामचंद्र आर्य