हास्य रचना-अनर्थ हो गया
आंगन में बैठी सास ने बहू को सामने से मुस्कुराते और गुनगुनाते हुए आते देखा तो बोली,”बहू, आज गाना ही गाती रहोगी या चाय भी पिलाओगी?”
बहू-“आप, आप तो नहाने जा रही थी, मैंने तो बाल्टी में गरम पानी भी मिला दिया था।”
सास-“बहू, प्रकाश को ऑफिस जाने में देर हो रही थी इसलिए पहले वह नहाने चला गया। मैं उठ कर कमरे में चली गई, अभी अभी तो आंगन में आई हूं।”
अचानक बहू जोर से चीखी,”यह क्या हो गया, मां जी बहुत बड़ा अनर्थ हो गया।”ऐसा कहकर वह स्नान घर की तरफ भागी। सास भी बहू के पीछे पीछे भागी। स्नान घर का दरवाजा खुला हुआ था और वहां एक मेंढक उछल कूद कर रहा था।
बहू ने मेंढक को हाथों में उठा लिया और रोने लगी।
सास-“बहू, रो क्यों रही हो और इसे हाथों में क्यों उठाया है?”
बहू-मां जी, ये,वो,वो।
सास-वो,वो करती रहेगी या आगे भी कुछ बोलेगी।”
बहू-मां जी ,आप मुझे माफ कर देंगी ना।”
सास-“बता तो सही हुआ क्या है?”
बहू-मां जी, यह मेंढक नहीं है आपका बेटा है यानी कि मेरे वो।”
सास-“पागल हो गई है क्या, क्या बोल रही है?”
बहू-मांजी, दरअसल मैं आपकी टोका टोकी की आदत से बहुत परेशान हो गई थी। कल मैं एक बाबा जी के पास गई तो उन्होंने मुझे एक सफेद रंग का पाउडर दिया और आपके नहाने के पानी में मिलाने को कहा। उन्होंने कहा कि आप उस पानी से नहा कर मेंढकी बनकर टर्र टर्र करती हुई चली जाओगी। मैंने आपके लिए पानी में पाउडर मिलाया था और उससे मेरे पति ने नहा लिया और मेंढक बनकर कूद रहे हैं। “ऐसा कहकर बहू जोर जोर से रोने लगी
सास को विश्वास नहीं आया, कहने लगी,”माना कि तुम से गलती हुई है पर कभी इंसान भी मेंढक बन सकता है क्या?”
बहू,”आपके सामने ही तो है। “
सास-चल ,फिर जल्दी चल, बाबा के पास उससे मेंढक को वापस इंसान बनाने के बारे में पूछते हैं।”
दोनों झटपट बाबा जी के पास पहुंची और पूरी बात बताई।
बाबाजी स्वयं अपने चमत्कार पर मन ही मन हैरान हो रहे थे। सोच रहे थे नमक और मीठा सोडा मिलाकर दिया था, इतना बड़ा चमत्कार कैसे हो गया? दोनों कह रही हैं तो सच ही होगा। स्वयं को मन में शाबाशी देने लगे और उपाय पूछने पर बड़ा इतराते हुए बोले,”मेंढक को वापस इंसान बनाने की हमारी साधना अभी पूरी नहीं हुई है। थोड़ा समय और बहुत पैसा लगेगा, तब तक तुम इस मेंढक को संभाल कर रखो।”
दोनों बाबा के आगे बहुत गिड़गिड़ाई और बाबा को ₹500 देकर रोते-धोते शाम को घर वापस आ गई, मेंढक के साथ।
घर में कदम रखते ही प्रकाश की आवाज सुनाई दी। दोनों सास और बहू कमरे की तरफ भागी। देखा सामने सोफे पर प्रकाश बैठा अपने दोस्त सोहन से बातें कर रहा है।
दोनों -“आप/तू ठीक तो हो?/है”
प्रकाश-हां मैं तो ठीक हूं पर तुम दोनों कहां चली गई थी? पता भी है आज क्या हुआ? जब मैं नहाने गया था उसी समय बहुत जोर जोर से किसी के चीखने की आवाज आई, गिर गया गिर गया। मैं फटाफट कपड़े पहनकर गली में भागा तो देखा कि सोहन का बेटा सोनू पतंग उड़ाने के चक्कर में छत से गिर गया है। हम उसे तुरंत अस्पताल ले गए, सुबह से शाम तक वही थे। अच्छा हुआ कि अब सोनू खतरे से बाहर है। इसीलिए मैंने सोहन को चाय पीने के लिए यहां बुला लिया।”
दोनों सास बहू एक दूसरे को देख रही थी और सोहन के जाने के बाद प्रकाश को पूरी बात बताई। पहले तो प्रकाश हंसते हंसते लोटपोट हो गया और फिर बाद में अपनी पत्नी को बहुत डांटा।
सब मिलकर बाबा जी के पास गए और लोगों को धोखा देने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
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गीता वाधवानी दिल्ली