मैंगोलीचलानेकाआदेशनहींदूँगा , सरकार जानी है तो जाए।
ऐ शब्द है माननीय कल्याण सिंह जी के । आज अत्यंत ही दुखद समाचार मिला कि कल्याण सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं ।
कल्याण सिंह जी के साहसिक प्रयास को भुलाया नही जा सकता…
भारत के इतिहास में 2 नवंबर 1990 का दिन एक काले अध्याय के समान है। यही वो खून से रंगी तारीख है जिस दिन अयोध्या में कारसेवकों पर पुलिस ने मुलायम सिंह यादव के आदेश पर गोलियां बरसाईं थी।
एक कारसेवक पुलिस द्वारा फेंके गए आंसू गैस के गोले को उठा कर दोबारा उन्ही (पुलिस) पर ही फेंक रहा था। आंसू गैस के प्रभाव से बचने के लिए उस शख्स ने अपनी आंखों के आस-पास चूना लगा रखा था, हालांकि थोड़ी देर बाद ही वह व्यक्ति पुलिस की गोली का शिकार हो कर सड़क पर गिर जाता है। जिसके बाद सड़क पर वह अपने खून से ‘सीताराम’ लिख देता है।
इस भयावह गोलीकांड में 40 कारसेवकों की मौत हो गई थी, हालांकि सरकारी आदेश का पालन करने वाले सुरक्षाकर्मियों की आंखों से कारसेवकों पर गोली चलाते वक्त आंसू बह रहे थे, 2 नवंबर के गोलीकांड से पहले 30 अक्टूबर को भी कारसेवकों पर गोलियां चलाई गई थीं, जिसमें 11 कारसेवक मारे गए थे। इसके बाद मुल्ला मुलायम सरकार गिर जाती हैं।
फिर नब्बे के दशक में कल्याण सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री बने…भाजपा ने अयोध्या में राम मंदिर को लेकर पूरे भारत में रथ यात्राएं निकाली थी। उत्तर प्रदेश की जनता ने पूर्ण बहुमत के साथ कल्याण सिंह को उत्तर प्रदेश की सत्ता दी…यानी खुल के कहा की जाओ मंदिर बनाओ…?
कल्याण सिंह बहुत भावुक नेता थे , सरकार बनने के बाद तुरंत विश्व हिन्दू परिषद को बाबरी ढ़ांचे से सटी जमीन कार सेवा के लिए दे दी…संघ के हज़ारों कार सेवक साधु संत दिन रात उस जमीन को समतल बनाने में लगे रहते…
सुप्रीम कोर्ट ये सब देख के बहुत परेशान हो रहा था । सर्वोच्च न्यायालय ने कल्याण सिंह से स्पष्ट शब्दों में पूछा कि आपको पक्का यकीन हैं ना,ये हाफ पैंट वाले सिर्फ यहाँ की जमीन समतल करने आये हैं..? मतलब की कोई गडबड नहीं होनी चाहिए.।..आपके लोगों ने अगर बाबरी मस्जिद को हाथ लगाया तो अच्छा नहीं होगा.।..यही लोग दो साल पहले मस्जिद के गुम्बद पर चढ़ गए थे फावड़ा ले के…अबकी बार अगर फिर ऐसा हुवा तो…?
कल्याण सिंह ने मिलाॅड को समझाया कि हुजुर अब कुछ नहीं होगा…आप भरोसा रखिये…! लेकिन मिलाॅड नहीं माने… बोले, हमें तुम संघियों पर भरोसा नहीं, इसलिए लिख कर दो कि कुछ नहीं करोगे…?
कल्याण सिंह ने मिलाॅड को बाकायदा लिख के एक हलफनामा दिया कि हम लोग सब कुछ करेंगे लेकिन मस्जिद को हाथ नहीं लगायेंगे.!
तो साहब अयोध्या में कार सेवा के लिए दिन रखा गया। छह दिसंबर 1992 ,केंद्र की कांग्रेसी सरकार से कहा कि साहब केवल दो लाख लोग आयेंगे कार सेवा के लिए, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने पांच लाख लोगों को कारसेवा के लिए बुला लिया प्रशाशन को ख़ास हिदायत थी की भीड़ कितनी भी उग्र हो कोई गोली लाठी नहीं चलाएगा…?
पांच लाख लोग एक जगह जुट गए जय श्री राम और मंदिर वही बनायेगे के नारे लगने लगे। लोगों को जोश आ गया और लोग गुम्बद पर चढ़ गए…पांच घंटे में उस चार सौ साल पुराने ढ़ांचे का अता पता नहीं था ।
एक-एक ईंट कार सेवकों ने उखाड़ दी…बस फिर क्या था,…केंद्र सरकार के गृह मंत्री का फोन कल्याण सिंह के CM ऑफिस में आया…गृह मंत्री ने कल्याण सिंह से पूछा ये सब कैसे हुआ…?
कल्याण सिंह ने कहा कि जो होना था वो हो गया,…अब क्या कर सकते हैं…? एक गुम्बद और बचा है कारसेवक उसी को तोड़ रहे हैं, लेकिन आप जान लीजिये कि मै गोली नहीं चलाऊंगा।
उधर सुप्रीम कोर्ट के मिलाॅड कल्याण सिंह से बहुते नाराज हो गए थे…! छह दिसंबर की शाम कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया और उधर काँग्रेस ने भाजपा की चार राज्यों की सरकारों को बर्खास्त कर दिया, कल्याण सिंह को जेल हो गयी…!
उत्तर प्रदेश में दुबारा चुनाव हुए, बीजेपी को यही लगा कि हिंदुओं के लिए इतनी बड़ी कुर्बानी देने के बाद उत्तर प्रदेश की जनता उन्हें फिर से चुनेगी, लेकिन हुआ उलटा, बीजेपी उत्तर प्रदेश चुनाव हार गयी और एक बार फिर मुल्ला मुलायम की सरकार बन गई।
कल्याण सिंह जैसे बड़े और साहसिक फैसले लेने वाले नेता का कैरियर बाबरी मस्जिद विध्वंस ने खत्म कर दिया 400 साल से खड़े किसी विवादित ढांचे को पांच लाख की भीड़ से गिरवाने के लिए 56 इंच का सीना चाहिए होता है, जो वाकई में कल्याण सिंह के पास था।
कल्याण सिंह जी को भावभीनी श्रद्धांजलि 💐🙏🙏
Like this:
Like Loading...