शेरनी /लघुकथा
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“संध्या दरवाजा खोलो!”
वह दरवाजा पीट रहा था और भीतर से साल भर के चिंटू के रोने की तेज आवाज उसके सीने को चीर रही थी।
ऑफिस से लौटकर घर में प्रवेश करते ही भीतर का मंजर देखकर उसकी रूह तो पहले ही कांप गई थी,..
अधखुला दरवाजा,.हॉल से लेकर किचन तक बिखरा सामान और बेडरूम से आती चिंटू के रोने की तेज आवाज सुन वो कमरे के दरवाजे तक गया लेकिन दरवाजा तो भीतर से लॉक था!
मेनगेट खुला छूट जाने की वजह से दरवाजा पीटने और बच्चे के रोने की आवाज सुनकर पड़ोसी भी उसके दरवाजे पर जमा होने लगे थे और उन्हीं में से किसी शुभचिंतक ने 100 नंबर पर डायल कर पुलिस को भी वहां किसी अनहोनी की आशंका से अवगत करा दिया।
तभी बेडरूम का दरवाजा एक झटके के साथ खुल गया और अस्त-व्यस्त हालत में चिंटू को गोद में उठाए वो सामने खड़ी थी,.पसीने से लथपथ!
“सुबह तो मेरे लाख कहने पर भी तुम ढ़ीठ बने रहे!.फिर अब दरवाजा क्यों पीट रहे हो?” वो उस पर एकदम से बिफर पड़ी।
“मैंने कहा था ना कि,.ऑफिस से लौटकर उसका कुछ ना कुछ इंतजाम कर दूंगा!.फिर भी तुम”..
“अब तुम्हें कुछ करने की जरूरत नहीं!.उसका जो होना था वो हो चुका!”
“मतलब?”
“मैंने उसे मार डाला!!”
“लेकिन क्यों??” उसके चेहरे के कठोर भाव देख वह लगभग चीख पड़ा।
“और क्या करती?.तुम्हें तो मेरी परेशानी दिखती नहीं! मेरी जिंदगी तबाह कर रखी थी उसने।”
चिंटू को चुप कराती वह खुद भी फफक कर रो पड़ी।
“हटो!.देखने दो मुझे।” वह आगे बढ़ा।
“खबरदार!.जो सुबूत मिटाने की किसी ने कोशिश की!.पीछे हटो।”
पुलिस अचानक मौका-ए-वारदात पर पहुंची गई थी।
“सर!.ऐसी कोई बात नहीं है!.वो मैंने”…
अचानक अपने घर में वर्दीधारीयों को देख उसकी जुबान लड़खड़ा गई।
“भीतर जाकर लाश को कब्जे में ले लो!”
इंस्पेक्टर ने उसे दरवाजे से पीछे हटने का और अपने साथ आए पुलिसकर्मियों को भीतर जाने का इशारा किया।
पुलिस की उपस्थिति देख कई पड़ोसी किसी अनहोनी की आशंकावश भीतर हॉल तक आकर उसके बेडरूम में झांकने की कोशिश करने लगे।
इंस्पेक्टर के तेवर देख वो चिंटू को गोद में उठाए पत्नी संग बेडरूम का दरवाजा छोड़ एक ओर हो गया और तीन पुलिसकर्मी फुर्ती से भीतर प्रवेश कर गए।
हॉल में पड़ोसियों की भीड़ और बेडरूम में झांकती सवालिया निगाहों का सामना करते पति पत्नी सकपका गए।
तभी पुलिसकर्मियों में से एक कमरे से बाहर आकर इंस्पेक्टर के कान में कुछ फुसफुसाया और इंस्पेक्टर दुगनी फुर्ती से बेडरूम के भीतर भागा।
“सच-सच बताओ!.तुम लोगों में से 100 नंबर पर डायल किसने किया था?”
इंस्पेक्टर बित्ता भर के मोटे ताजे चूहे की लाश को उसकी पूंछ से पकड़ बेडरूम से बाहर हॉल में आकर उसके पड़ोसियों से मुखातिब था।
किसी ने जवाब देना जरूरी नहीं समझा क्योंकि उसके पड़ोसियों की जुबान पर तो बस उस चूहे को मारने वाली शेरनी के वीरता के चर्चे और एक ही सवाल था..
“आखिर आपने यह महान काम किया कैसे!!”😳
पुष्पा कुमारी “पुष्प”
पुणे (महाराष्ट्र)