सोशल मीडिया दिखावा
पिताजी खामोश बैठे थे । मैने चुप्पी तोडते हुये पूछा क्या बात है ? आप चुप क्यों हैं ?
उन्होने कहा बेटा आज की आधुनिकता से दुखी हूँ । और तुम भी ठहरे आधुनिक समय में जीते हुयेमानव तो तुम से क्या कहूँ ?
मैंने कहा कुछ बतायें ?
पिताजी बोले बेटा तुझे घर आये लगभग पाँच घण्टे हो गये । तुमने सोशल मीडिया पर अपडेट भी कर दिया कि माँ पिताजी के चरणों में मगर बेटा तुम मेरे सामने तो अब आ रहे हो फिर ये झूठ क्यों ?
मै बोला पिताजी ये एक ट्रेंड है ये सब करना पड़ता है । वर्ना आधुनिक समाज आपको उतनी तवज्जो नहीं देता । और देखो न मेरे कितने मित्रो ने कमेन्ट में लिखा है कि पिताजी को प्रणाम आदि ।
मगर बेटा जरा सोचो जो बेटा मेरे सामने है उसने मेरे पैर नही छुये तो उनका प्रणाम कैसे मुझ तक पहुंचेगा ?
मैने कहा पिताजी आप रहने दो आप नही समझोगे इस बात पर बहस न करो हमारे और आपकी जीवन शैली में फर्क है । हम किसी से कुछ पूछते नहीं है गूगल है हमारे पास जो कि किसी भी धर्म किसी भी शास्त्र किसी भी गणना को खुद ही कर दिया करता है हमे बगैर कुछ करे जबाब मिल जाता है ।
पिताजी बोले वो सब ठीक है । अच्छा है हर जानकारी रखना मगर बेटा मेरा दुख तुम्हारी सुख सुविधा नहीं है । मेरा दुख तो वो हैं जो इस शोसल मीडिया ने तुम्हे दिया है ।
बहस हुई मैंने पूछा आखिर आप कहना क्या चाहते है। आज की आधुनिक जीवन शैलीसे आप इतने नाराज क्यों ?
पिताजी बोले बेटा मुझे कुछ सवालो के जबाब देदे ‘
क्या नया सोफा नया घर नई कार खरीद कर शोसल मीडिया में डालकर आप किसे दिखा रहे है । बेटा किसी भी चीज का सदुपयोग करो ।
लाईक कमेंट से रिस्ते नहीं बनते बेटा और इस आधुनिक वक्त में भी खुद को रिस्तों को घर को संभ्भालने के लिए इस सोशल मीडिया के भ्रमित तिलिस्म से बाहर आना होगा ।
गूगल माँ की महिमा बता सकता है मगर माँ का प्रेम माँ का सर पर हाथ फेरना प्यार से खिलाना इन सब का अनुभव गूगल से डाउनलोड नही होता इसके लिए माँ के पास ही जाना पडेगा ।
बहिन की राखी के लिये कलाई गूगल नहीं देगा । भाई के गले लगने के लिए भाई भाई को मिलना पडेगा क्योकि बेटा रिश्ते डाउनलोड नहीं होते उन्हें इस आधुनिक वक्त को चीर कर अपनाना पड़ता है ।
और दुनिया में कोई बैज्ञानिक या विज्ञान आपको सब कुछ दे सकता है मगर रिस्ते नहीं
क्योंकि रिस्ते सादगी ,त्याग, प्रेम , अपनत्व, भावना . सम्मान ‘ मधुरता और जिंदादिली से – बनते है और निभाये जाते है ।
और इस शोसल मीडिया ने जो तुम लोगों के अंदर दूसरों को दिखा कर कोई भी काम करने की लत लगाई है असल में बेटा तुम्हे सर्कीण बना दिया है ।
तुम आधुनिकता मे ये बहम पाले हुए हो कि तुमसे सुन्दर किसी भी क्षेत्र में कोई है ही नही क्योंकि तुम लाइक कमेंट पर जिंदा हो और तुम्हे अहम ये है कि मेरे साथ इतने लोग जुड़े हैं ।
मगर सच देखो बेटा तुम अकेले हो या यों कहें कि इस आधुनिकता की दौड़ में अकेले दौड रहे हों
मै इसलिए डरता हूं बेटा कि अकेलापन आदमी की सोच को उसके मन के प्रेम को और उसके जीवन को निगल जाता है ।
इसलिऐ दिखावे से अधिक असल जिंदगी जियो “
शायद पिताजी ठीक ही तो कहरहे है मै कई वर्षो से अपनी बहिन से अपने भाई से नही मिला होँ फेसबुक पर फोटो मे लाइक खूब करता हूं ।
फिर कहता हूं पिताजी सही है ।
संदीप गढवाली
गाँव बडखोलू पौडी गढ़वाल
उत्तराखण्ड CR 16821