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कुम्हार का हीरा


Ram Ram ji,एक कुम्हार को रास्ते पर चलते समय..बाजार से लौटता था अपनी मटकियां बेच कर, अपने गधे को लेकर..एक हीरा पड़ा मिल गया। बड़ा हीरा! उठा लिया सोच कर कि चमकदार पत्थर है, बच्चे खेलेंगे। फिर राह में ख्याल आया उसे कि बच्चे कहीं गंवा देंगे, यहां-वहां खो देंगे, अच्छा हो गधे के गले में लटका दूं। गधे के लिए आभूषण हो जाएगा।

कुम्हार के हाथ हीरा पड़े तो गधे के गले में लटकेगा ही, और जाएगा कहां! उसने गधे के गले में हीरा लटका दिया। एक जौहरी अपने घोड़े पर सवार आता था। देख कर चैंक गया। बहुत हीरे उसने देखे थे, पर ऐसा हीरा नहीं देखा था। और गधे के गले में लटका! रोक लिया घोड़ा।

समझ गया कि इस मूढ़ को कुछ पता नहीं है। इसलिए नहीं कहा कि इस हीरे का कितना दाम; कहा कि इस पत्थर का क्या लेगा? कुम्हार ने बहुत सोचा-विचारा, बहुत हिम्मत करके कहा कि आठ आने दे दें। जौहरी तो बिल्कुल समझ गया कि इसे कुछ भी पता नहीं है।

आठ आने में करोड़ों का हीरा बेच रहा है! मगर जौहरी को भी कंजूसी पकड़ी। उसने सोचा: चार आने लेगा? चार आने में देगा? आठ आने, शर्म नहीं आती इस पत्थर के मांगते। कुम्हार ने कहा कि फिर रहने दो। फिर गधे के गले में ही ठीक। चार आने के पीछे कौन उसके गले में पहनाए हुए पत्थर को उतारे!

जौहरी यह सोच कर आगे बढ़ गया कि और दो आने लेगा, ज्यादा से ज्यादा; या आगे बढ़ जाऊं तो शायद चार आने में ही दे दे। मगर उसके पीछे ही एक और जौहरी आ गया। और उसने एक रुपये में वह पत्थर खरीद लिया।

जब तक पहला जौहरी वापस लौटा, सौदा हो चुका था। पहले जौहरी ने कहा: अरे मूर्ख, अरे पागल कुम्हार! तुझे पता है तूने क्या किया? करोड़ों की चीज एक रुपये में बेच दी!

वह कुम्हार हंसने लगा। उसने कहा: मैं तो कुम्हार हूं, मुझे तो पता नहीं कि करोड़ों का था हीरा। मैंने तो सोचा एक रुपया मिलता है, यही क्या कम है! महीने भर की मजदूरी हो गई। मगर तुम्हारे लिए क्या कहूं, तुम तो जौहरी हो, तुम आठ आने में न ले सके।

करोड़ों तुमने गंवाए हैं, मैंने नहीं गंवाए। मुझे तो पता ही नहीं था।

तुम्हें भी पता नहीं है कि तुम कितना गंवा रहे हो! और वो लोग जो तुम्हे जानते है पर लालच या अहंकार के कारण सस्ते में सौदा करना चाहते हैं वो तुमसे भी ज्यादा वे गंवा रहे हैं। तुम तो नहीं जानते कि तुम क्या गंवा रहे हो, वो तो जानते है तुम्हारी कीमत कम से कम उन्हें तो बोध होना चाहिए।

कुम्हार तो मुर्ख है है, पर उसकी मूर्खता अज्ञानता के कारण है.. पर जौहरी… वो तो महामूर्ख निकला..

आपने जीवन के ऐसे महामूर्खों के लिए दुखी मत होइए…
Ram Ram ji

शिव कुमार भारद्वाज

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