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🍁 લઘુકથા 🍁

🌷 આશરાધર્મ 🌷

  • માણેકલાલ પટેલ *

ગામના પાદરમાં વડલા નીચે પરબ હતી.
ત્રણ માટલાં પર સફેદ કપડાં બાંધીને ચોખ્ખાઈ પણ સરસ રાખવામાં આવતી હતી.
આ પરબે બેસતાં એ કાશીમા સેવાભાવી તો હતાં જ પણ નિ:સ્વાર્થી પણ હતાં.એ ગામ તરફથી મળતા મહેનતાણા ઉપરાંત કોઈની પાસેથી પાણીનો એક પૈસો પણ ન લેતાં.
આજે છેલ્લી બસમાંથી ઉતરીને કોઈ અજાણ્યું યુવાન દંપતિ પાણી પીવા આવ્યું ત્યારે એમણે બે ગ્લાસ ભરીને આપ્યા એટલે જ્યારે એ બન્ને પાણી પીતાં હતાં ત્યારે કાશીમા
એમના બોઘા મોંઢાને સહેજ ઉંચું કરી જોઈ રહ્યાં.
પાણી પીધા પછી પેલા યુવાને પૂછ્યું:- ” માજી ! ગીતાપુર અહીંથી કેટલું થાય ?”
” એતો દૂર છે અને હવે તો એકે બસેય નથી.”
આ સાંભળી બન્નેના ચહેરા પર ગભરાટ વ્યાપી ગયો.સાંજ પડવાની તૈયારી હતી.સાવ અજાણ્યું ગામ.યુવતીએ હિંમત એકઠી કરી હકીકત જણાવતાં કહ્યું:- ” માજી !અમે ભાગીને લગ્ન કરી લીધાં છે.અમને શોધવા ઘણા લોકો પાછળ પડ્યા છે.ગીતાપુર મોટું શહેર છે.ત્યાં પહોંચી જઈએ તો કોઈ હોટલમાં આશરો લઈ શકીએ.”
કાશીમા તો એમની વાત સાંભળી વિચારમાં પડી ગયાં.આમેય સાંજના છ તો વાગવા આવ્યા હતા.એ ઉભાં થયાં અને બોલ્યાં:- ” આ ગામમાં તમે જશો ક્યાં ?વાંધો ન હોય તો
મારા ઘરે ચાલો.ઝૂંપડી જેવું નાનું ઘર છે. ત્યાં રાત રોકાઈ સવારે નીકળી જજો.”
અજાણ્યાને ત્યાં રહેવું જોખમ તો હતું પણ બીજો કોઈ રસ્તો ન હોઈ એમણે નછૂટકે હા પાડી.
નાના ઘરમાં કાશીમા એકલાં રહેતાં હતાં.ત્રીસેક વર્ષ પહેલાં આ ગામના લાલજી સાથે એ ભાગીને આવી ગયાં હતાં.બે વર્ષ પહેલાં લાલજી પાછો થયો એ પછી ગામના કહેવાથી એ આ પરબ સંભાળતાં હતાં અને વટેમાર્ગુઓની તરસ છીપાવતાં હતાં.

  • સવારે પેલાં બન્ને નીકળ્યાં ત્યારે કાશીમાના કરચલીયોવાળા બોખા ચહેરા પર આશરાધર્મ નિભાવ્યાનો સંતોષ તરવરી રહ્યો હતો.
  • માણેકલાલ પટેલ *
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राजा दशरथ के मुकुट का एक अनोखा राज, पहले कभी नही सुनी होगी यह कथा आपने !!!!!!!!!!

अयोध्या के राजा दशरथ एक बार भ्रमण करते हुए वन की ओर निकले वहां उनका समाना बाली से हो गया। राजा दशरथ की किसी बात से नाराज हो बाली ने उन्हें युद्ध के लिए चुनोती दी। राजा दशरथ की तीनो रानियों में से कैकयी अश्त्र शस्त्र एवं रथ चालन में पारंगत थी।

अतः अक्सर राजा दशरथ जब कभी कही भ्रमण के लिए जाते तो कैकयी को भी अपने साथ ले जाते थे इसलिए कई बार वह युद्ध में राजा दशरथ के साथ होती थी। जब बाली एवं राजा दशरथ के मध्य भयंकर युद्ध चल रहा था उस समय संयोग वश रानी कैकयी भी उनके साथ थी।

युद्ध में बाली राजा दशरथ पर भारी पड़ने लगा वह इसलिए क्योकि बाली को यह वरदान प्राप्त था की उसकी दृष्टि यदि किसी पर भी पद जाए तो उसकी आधी शक्ति बाली को प्राप्त हो जाती थी। अतः यह तो निश्चित था की उन दोनों के युद्ध में हर राजा दशरथ की ही होगी।

राजा दशरथ के युद्ध हारने पर बाली ने उनके सामने एक शर्त रखी की या तो वे अपनी पत्नी कैकयी को वहां छोड़ जाए या रघुकुल की शान अपना मुकुट यहां पर छोड़ जाए। तब राजा दशरथ को अपना मुकुट वहां छोड़ रानी कैकेयी के साथ वापस अयोध्या लौटना पड़ा।

रानी कैकयी को यह बात बहुत दुखी, आखिर एक स्त्री अपने पति के अपमान को अपने सामने कैसे सह सकती थी। यह बात उन्हें हर पल काटे की तरह चुभने लगी की उनके कारण राजा दशरथ को अपना मुकुट छोड़ना पड़ा।

वह राज मुकुट की वापसी की चिंता में रहतीं थीं। जब श्री रामजी के राजतिलक का समय आया तब दशरथ जी व कैकयी को मुकुट को लेकर चर्चा हुई। यह बात तो केवल यही दोनों जानते थे।

कैकेयी ने रघुकुल की आन को वापस लाने के लिए श्री राम के वनवास का कलंक अपने ऊपर ले लिया और श्री राम को वन भिजवाया। उन्होंने श्री राम से कहा भी था कि बाली से मुकुट वापस लेकर आना है।

श्री राम जी ने जब बाली को मारकर गिरा दिया। उसके बाद उनका बाली के साथ संवाद होने लगा।

प्रभु ने अपना परिचय देकर बाली से अपने कुल के शान मुकुट के बारे में पूछा था। तब बाली ने बताया- रावण को मैंने बंदी बनाया था। जब वह भागा तो साथ में छल से वह मुकुट भी लेकर भाग गया। प्रभु मेरे पुत्र को सेवा में ले लें। वह अपने प्राणों की बाजी लगाकर आपका मुकुट लेकर आएगा।

जब अंगद श्री राम जी के दूत बनकर रावण की सभा में गए। वहां उन्होंने सभा में अपने पैर जमा दिए और उपस्थित वीरों को अपना पैर हिलाकर दिखाने की चुनौती दे दी। रावण के महल के सभी योद्धा ने अपनी पूरी ताकत अंगद के पैर को हिलाने में लगाई परन्तु कोई भी योद्धा सफल नहीं हो पाया।

जब रावण के सभा के सारे योद्धा अंगद के पैर को हिला न पाए तो स्वयं रावण अंगद के पास पहुचा और उसके पैर को हिलाने के लिए जैसे ही झुका उसके सर से वह मुकुट गिर गया। अंगद वह मुकुट लेकर वापस श्री राम के पास चले आये।

यह महिमा थी रघुकुल के राज मुकुट की।

राजा दशरथ के पास गया तो उन्हें पीड़ा झेलनी पड़ी। बाली से जब रावण वह मुकुट लेकर गया तो तो बाली को अपने प्राणों को आहूत देनी पड़ी। इसके बाद जब अंगद रावण से वह मुकुट लेकर गया तो रावण के भी प्राण गए।

तथा कैकयी के कारण ही रघुकुल के लाज बच सकी यदि कैकयी श्री राम को वनवास नही भेजती तो रघुकुल सम्मान वापस नही लोट पाता। कैकयी ने कुल के सम्मान के लिए सभी कलंक एवं अपयश अपने ऊपर ले लिए अतः श्री राम अपनी माताओ सबसे ज्यादा प्रेम कैकयी को करते थे।

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सच्चा आदमी


🔥सच्चा आदमी🔥

एक संत एक छोटे से आश्रम का संचालन करते थे। एक दिन पास के रास्ते से एक राहगीर को पकड़कर अंदर ले आए और शिष्यों के सामने उससे प्रश्न किया कि यदि तुम्हें सोने की अशर्फियों की थैली रास्ते में पड़ी मिल जाए तो तुम क्या करोगे ?

वह आदमी बोला – “तत्क्षण उसके मालिक का पता लगाकर उसे वापस कर दूंगा अन्यथा राजकोष में जमा करा दूंगा।” संत हंसे और राहगीर को विदा कर शिष्यों से बोले -” यह आदमी मूर्ख है।”

शिष्य बड़े हैरान कि गुरुजी क्या कह रहे हैं ? इस आदमी ने ठीक ही तो कहा है तथा सभी को ही यह सिखाया गया है कि ऐसे किसी परायी वस्तु को ग्रहण नहीं करना चाहिए।थोड़ी देर बाद फिर संत किसी दूसरे को अंदर ले आए और उससे भी वही प्रश्न दोहरा दिया।

उस दूसरे राहगीर ने उत्तर दिया कि क्या मुझे निरा मूर्ख समझ रखा है ?, जो स्वर्ण मुद्राएं पड़ी मिलें और मैं लौटाने के लिए मालिक को खोजता फिरूं? तुमने मुझे समझा क्या है ? वह राहगीर जब चला गया तो संत ने कहा -” यह व्यक्ति शैतान है।

शिष्य बड़े हैरान हुए कि पहला मूर्ख और दूसरा शैतान, फिर गुरुजी चाहते क्या हैं ?अबकी बार संत तीसरे राहगीर को पकड़कर अंदर ले आए और वही प्रश्न दोहराया।

राहगीर ने बड़ी सज्जनता से उत्तर दिया–” महाराज! अभी तो कहना बड़ा मुश्किल है।इस चाण्डाल मन का क्या भरोसा,कब धोखा दे जाए ? एक क्षण की खबर नहीं। यदि परमात्मा की कृपा रही और सद्बुद्धि बनी रही तो लौटा दूंगा।”

संत बोले -” यह आदमी सच्चा है। इसने अपनी डोर परमात्मा को सौंप रखी है। ऐसे व्यक्तियों द्वारा कभी गलत निर्णय नहीं होता।

ज्येष्ठ पांडव, सूर्यपुत्र कर्ण कर्म, धर्म का ज्ञाता, क्या कारण था की अपने छोटे भाई अर्जुन से हार गया जबकि कर्म और धर्म दोनों में वो अर्जुन से श्रेष्ठ था। कारण था कि अर्जुन ने अपनी घर से निकलने से पहले ही अपनी जीवन रथ की डोरी,भगवान श्री कृष्ण के हाथ में दे दी थी।

आपको हमें भी इसी प्रकार अपने मन तथा जीवन की डोर प्रभु के हाथ में दे देनी चाहिए।

विश्वास कीजिए जितने भी उतार-चढ़ाव आएंगे जीवन में लेश मात्र भी अंतर नहीं पड़ेगा इसीलिए तो मैं सदैव कहता हूँ कि जो प्राप्त है-पर्याप्त है!!

🚩पंकज पाराशर🚩

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बॉलीवुड का पाकिस्तानी कनेक्शन


बॉलीवुड का पाकिस्तानी कनेक्शन60 के दशक की शुरुआत में, खुफिया एजेंसियों और कलकत्ता पुलिस के संयुक्त अभियान में भारत में घुसे एक पाकिस्तानी जासूस को गिरफ्तार किया गया। उस जासूस से एक डायरी बरामद की गई और डायरी में दर्ज नामों में से एक बंबई फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर फिल्म स्टार का था। कलकत्ता पुलिस बॉम्बे में उस फिल्म स्टार के घर भी गई थी लेकिन कुछ लोगों के हस्तक्षेप के कारण मामले को वहीं दबा दिया गया और यह निष्कर्ष निकाला गया कि पकड़ा गया पाकिस्तानी जासूस सिर्फ उस फिल्म स्टार का एक प्रशंसक था। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि किसी पूछताछ के दौरान कलकत्ता पुलिस को यह ईश्वरीय ज्ञान प्राप्त नहीं हुआ बल्कि हस्तक्षेप करने वालों द्वारा यही सफाई बोलने को कहा गया।लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। बॉम्बे में खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान के साथ संपर्क करते हुए एक रेडियो ट्रांसमीटर के कुछ संकेतों को पकड़ा। ट्रांसमीटर बॉम्बे में ही सक्रिय था। एजेंसी ने जल्दी ही उस उपकरण का ठिकाना ढूंढ निकाला ………जिस घर से यह उपकरण बरामद किया गया था, वह घर भी उसी फिल्म स्टार का था।लेकिन दिल्ली उन पर मेहरबान थी।ट्रांसमीटर के बारे में, फिल्म स्टार ने बहुत ही निर्दोष सा स्पष्टीकरण दिया कि वह पाकिस्तानी संगीत के शौकीन हैं और चूंकि भारत में पाकिस्तानी रेडियो पर प्रतिबंध है, इसलिए उन्होंने इस ट्रांसमीटर को अपने घर में रखा हुआ है।लेकिन मामला गंभीर था और इस बार यूं ही रफा दफा करना मुश्किल लग रहा था। तो आनन फानन में एक जांच समिति का गठन किया गया जिसने तुरंत ही जांच कर यह घोषणा कर दी कि फिल्म स्टार का बयान सच था।यह सवाल कभी नहीं पूछा गया कि उस फिल्मी सितारे को इतनी खास फ्रिक्वेंसी पर काम करने वाला ऐसा रेडियो ट्रांसमीटर कहां से मिला?मशहूर फिल्मस्टार यूसुफ खान है। बाद में पाकिस्तान ने इस अभिनेता को अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज़ से नवाजा। कारगिल युद्ध के दौरान, लोगों ने उनसे पुरस्कार लौटाने की पुरजोर मांग की लेकिन अभिनेता ने उन सार्वजनिक भावनाओं को अनसुना कर दिया। (दिलीप कुमार 1998 में पाकिस्तान में सम्मान लेनेअपने साथ सुनील दत्त को भी ले गए)लेकिन क्या आपने कभी इससे संबंधित कोई चर्चा मीडिया में कहीं सुनी ?? नहीं न …….क्योंकि बिकाऊ और चापलूस मीडिया कोई नई घटना नहीं है। यह बहुत लंबे समय से है।अंतर केवल इतना है कि अबकी इस भ्रष्टाचार में आकंठ डूबी हिजड़ी मीडिया का मुकाबला राष्ट्रवादी मीडिया और सोशल मीडिया के धड़े से ही गया है .. जो इनके कुकृत्यों का पर्दाफाश करने को दृढ़ संकल्प है ।जय श्री राम 

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दीय घर ( व्यंग्य )


संसदीय घर ( व्यंग्य )—————-“आजकल तुम सब्जी सही नहीं बनाती हो। कभी नमक तेज ,तो कभी मिर्च ।ये रोज रोज लौकी ,टिंडे! कोई और सब्जी नहीं मिलती क्या ?” विपक्ष के नेता जैसे पति ने मीन मेख निकालते हुए कहा।यहाँ स्पष्ट कर दिया जाए कि यह पति बहुतों का प्रतिनिधित्व करता है ।यह विपक्ष का नेता भी है ,पत्नी पीड़ित वर्ग से भी है ।सबसे बड़ी और अहम बात –यह लोकतंत्र में सबसे महत्वपूर्ण पर सबसे अधिक हाशिये पर खड़ी जनता का भी प्रतिनिधि है।अब विपक्ष का नेता जैसा है तो नुक्स निकालना उसका लोकतांत्रिक व मौलिक अधिकार है । तारीफ करने से उसकी विपक्षीयत खतरे में आ जायेगी ।वैसे ही जैसे बिल्ली के छींकने से भी इस देश में बहुत कुछ खतरे में आ जाता है । हाँ तो बात चल रही थी -विपक्ष रूपी पति की ।अब उन्होनें अपना कर्तव्य पूरा करते हुए निंदा प्रस्ताव पेश कर दिया।बारी थी सत्ता पक्ष यानी पत्नी जी की । यहाँ एक सवाल खड़ा हो सकता है कि पति के साथ ‘जी’ नहीं लगाया,पत्नी के साथ क्यों लगाया? तो सुनिए साहब ! पत्नी के पास सत्ता है।साथ ही वो स्त्री हैं।एक तो सत्ता को सलाम ठोकना परम्परा है।दूसरा नारीवादी चुप रहें इसलिए जी का प्रयोग किया ।आजकल नारीवाद का झंडा बहुत बुलन्द है।कब,कहाँ ,किस सबसे तेज चैनल पर आप नारीविरोधी घोषित हो जाएं क्या पता ? तो जी लगाइए सुरक्षित रहिये । चलिए सब्जी पर आते हैं।पति द्वारा पेश निंदा प्रस्ताव पर पत्नी ने आँखें तरेरी। ” बचपन से माँ के हाथ की बेकार सब्जी खा रहे थे।इसलिए मेरी सब्जी अच्छी कैसे लगेगी।अब पुराना सब कुछ बदला जाएगा। यह सब्जी पुराने ढंग का नया विकास है।”ये प्रहार कुछ वैसा ही था जैसा इस देश में नए सत्ताधारी दल के समर्थक व नेता कहते हैं :”पुराने दल के 70 साल के राज में सब बेकार था ! अब हम नए परिवर्तन व विकास करेंगें !” पति ने मुद्दा फेंका: “अपनी सब्जी व माँ की सब्जी आमने सामने रख कर तुलना कर लो। ऐसा करो अपनी सहेलियों को चखा कर देख लो, फ़र्क़ पता चल जाएगा ।” पत्नी पूरी आक्रामक मुद्रा में थी। “मेरी सहेलियां पेड मीडिया हैं।कभी मेरे विरुद्ध न जायेंगीं।”फिर पत्नी थोड़ा मुस्कुराई :” तुम्हारी माँ की सत्ता खत्म हो चुकी है।उसे हम मार्गदर्शक मंडल में भेज चुके हैं।” “हाँ,तुम्हारे पिताजी अभी स्टैंडिंग कमेटी में है।उनके सामने मामला रखा जा सकता है।”पति के तेवर भी गर्म थे:” पहले लोकसभा यानी बच्चों के सामने मामला रखो।”बच्चे आये चुपचाप मम्मी के पक्ष में वोट देकर वॉक आउट हो गए ।” ये क्या बच्चों को साथ मिला लिया?” पति चिल्लाया।” चिल्लाओ मत! मेरा बहुमत है। मुझे गठबंधन करना आता है। मामला स्टैंडिंग कमेटी में भेजना है क्या ?”” नहीं भेजना !वहाँ मेरे पिताजी अकेले है। तुम्हारा भाई और बहन ,जो हमारे साथ रहते हैं ! उस कमेटी में उनका मत भी गिनोगी !”” वो तो होगा ही ।” पत्नी मुस्कुराई ।” मेरा मामला तो राज्यसभा में भी न जा सकता । “”ले जाना चाहो तो ले जाओ ।पर सोच लो अपना मुहल्ला राज्यसभा है और वहाँ भी तुम अल्पमत हो ।”” ठीक है , जो परोसोगी चुपचाप खा लूंगा ।” मैं तो जनता सरीखा हूँ ।जब मेरी तनख्वाह रूपी वोट चाहिए होते हैं तो वादों में 56 भोग दिखाए जाते हैं!”” बाद में जो परोसा जाता है वही जनता की नियति होती है !”पत्नी मुस्कुराई फिर सत्ताधारी वाली अदाएं छोड़ते हुए बोली:“मेरी प्यारी जनता रूपी पति मेरे प्राण तो तुम्हीं हो।हाँ ये ओर बात है कि इन प्राणों के लिए जरूरी ऑक्सीजन हम सत्ताधारियों के पास होती है!”डॉ संगीता गाँधी

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युवा

हड़बड़ी में मोटरसाइकिल निकाल गाँव की ओर निकल गया। चाची की तबीयत का सुनकर पत्नी भी साथ आना चाहती थी पर अस्सी किलोमीटर धूप में इस खटारा साधन पर उसे ले जाना उचित नहीं समझा। सोचा थोड़ा शॉर्टकट ले लूँ।रास्ता सुनसान है थोड़ा खराब भी पर जल्दी पहुंच जाऊँगा। मुश्किल से पंद्रह किलोमीटर ही आया था कि एक कार वाले ने मेरे पूरे कपड़े पर कीचड़ उछाल दिया। और कट मार के आगे बढ़ गए। चार लड़के थे। बहुत गुस्सा आया। मैंने बड़बड़ाते हुए स्पीड बढ़ाई पर वो आगे निकल गए। ये बड़े घर के बिगड़ैल लड़के पता नहीं क्या समझते हैं।इंसान को इंसान नही समझते।चलने की तमीज नहीं। जरूर पीकर गाड़ी चला रहे होंगे। एक तो चाची के बारे में सोचकर और फिर इनकी हरकत ने इस लहलहाते धूप में मेरा दिमाग दुगुना गरम कर दिया था। इसी गुस्से में अभी कुछ दूर बढ़ा था कि वो चारो कार खड़ी कर एक टपरी पर थे शायद चाय या सिगरेट पी रहे होंगे। मन किया कि यहीं रुक कर हिसाब चुकता कर लूँ।पर उन चारों की कदकाठी और अपनी हालत देख मैंने इरादा बदल लिया। फिर भी मोटरसाइकिल थोड़ी धीरे कर उन्हें घूरता हुआ निकल गया। अभी और कुछ दूर आया तो मेरी गाड़ी बंद हो गई। शायद पेट्रोल नहीं था। मेन और रिजर्व पेट्रोल चेंज का स्विच पहले से खराब है।और आज का दिन तो पूरा खराब है। शॉर्टकट लेने के कारण पेट्रोल लेना भूल गया। पेट्रोल पम्प यहाँ से लगभग दस किलोमीटर पर था। इतनी धूप में गाड़ी को खींच पैदल निकल रहा था। पसीने और थकान से हालत खराब हो रही थी। सुनसान रास्ते पर कोई पानी पीने की दुकान भी नज़र नहीं आ रही। तपती गर्मी में पैदल गाड़ी खींचना मानो जान निकल रहा हो। इतने में वो लड़के आकर अपनी गाड़ी रोक दिए। मेरी तो हालत खराब होने लगी। बेकार में इन्हें घूर कर देखा था। गाँव जाकर कपड़े तो धोने ही पड़ते अब ये चारों मुझे धोएंगे!तभी उनमें से एक
“क्या हुआ भइया?”
“ककककुछ नहीं.. पेट्रोल खत्म हो गया है लग रहा है?” मैंने पसीना पोंछते हुए कहा
“कोई बात नहीं आप परेशान ना होइए पहले ये पानी पीजिए” कसम से आज पानी अमृत जैसा लग रहा था पूरा का पूरा बोतल खत्म कर दिया।
“और चाहिए” मैंने ना में गर्दन हिलाया। फिर उन्होंने मेरी गाड़ी चेक किया हिलाया डुलाया
“पेट्रोल तो है आपकी गाड़ी में! पेट्रोल पम्प तक आसानी से चले जायेंगे।..टूलकिट खोलिए जरा” उन्होंने गाड़ी खोल कार्बोरेटर और चॉक देखा फिर मेरी बाइक स्टार्ट कर दिया। मेरी जान में जान आई।
“धन्यवाद आपलोगों का”
“कोई बात नहीं भइया! गर्मी बहुत है आप निकलिए” वो चले गए मैं भी उनके पीछे निकल गया ये सोचता हुआ कि अनजाने में गंदे हुए मेरे कपड़े से ज्यादा तो इनके हाथ और कपड़े गंदे हो गए थे

मैं गलत था ये आवारा और बिगड़ैल नहीं आज के युवा हैं..जिनमें जज़्बा है दूसरों की मुसीबत में काम आने का..!

©️विनय कुमार मिश्रा
Vinay Kumar Mishra

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पति पत्नी एक कार से जंगल से गुजर रहे थे। अचानक पत्नी ने घायल जानवर के बच्चे को सड़क पर तड़पते देखा और ड्राइवर को बोली कार रोको !!

दोनों लोग कार से नीचे उतरे।पत्नी बोली ये तो कुत्ते के बच्चा है और उसको पानी पिलाने लगी ,बच्चे में जान आ गई ,पत्नी बोली इसको साथ ले चलते है ,पति बोला इस जंगल में कुत्ता कहां से आया?ये भेड़िये का बच्चा है ।पत्नी जिद्द कर बैठी ये कुत्ते का बच्चा है और उसे अपने साथ घर ले आई !!

इन दोनों के घर में पहले से दो कुत्ते थे और उन दोनों के दो बच्चे।कुछ दिनों के बाद एक कुत्ता घर से गायब हो गया ,तलाश की गई तो उसकी हड्डियां घर के पीछे मिलीं।पति बोला देखो भेड़िये ने हमारे वफादार कुत्ते को मार डाला।पत्नी बोली ये दोनों कुत्ते पहले दिन से इससे चिढ़ते थे इसीलिए इसने प्रतिक्रिया में ऎसा किया होगा।कुछ दिनों के बाद दूसरा कुत्ता भी गायब हो गया और फिर कुछ दिनों के बाद उनका अपना बच्चा भी गायब हो गया !!
घर में झगड़ा शुरू हो गया।पड़ोसी भी बोलने लगे।मोहल्ले से भेड़िये को भगाओ। लेकिन पत्नी मानने को तैयार नहीं थी।दोनों के बीच तलाक़ हो गया।पत्नी भेड़िये और अपने बचे हुए दूसरे बच्चे को लेकर अपनी मायके आ गई। कुछ दिनों के बाद भेड़िया दूसरे बच्चे को खाकर भाग गया।पत्नी भेड़िये को खोजने निकल पड़ी। लोगों ने कहा अब खोज कर क्या करोगी ?

पत्नी बोली उस भेड़िये से माफ़ी मांगूंगी कि मेरे पति और मेरे दोनों कुत्तों ने अगर उस मासूम भेड़िये से नफरत ना की होती तो बेचारे को मानव मांस खाने को मजबूर नहीं होना पड़ता !!

यही गाँधी विचार धारा है।भेड़ियों से हमदर्दी और अपने ही हिन्दुओं से नफरत जो आज समाज में घुल गयी है।तमाम लोग इन सभी भेड़ियों से मुहब्बत कर रहे है ये जानते हुए भी कि भेड़िये अपने चरित्र नहीं बदलते।वो खुनी होते हैं,केवल खुनी !!🙏🚩

लेखक अज्ञात

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युवा

हड़बड़ी में मोटरसाइकिल निकाल गाँव की ओर निकल गया। चाची की तबीयत का सुनकर पत्नी भी साथ आना चाहती थी पर अस्सी किलोमीटर धूप में इस खटारा साधन पर उसे ले जाना उचित नहीं समझा। सोचा थोड़ा शॉर्टकट ले लूँ।रास्ता सुनसान है थोड़ा खराब भी पर जल्दी पहुंच जाऊँगा। मुश्किल से पंद्रह किलोमीटर ही आया था कि एक कार वाले ने मेरे पूरे कपड़े पर कीचड़ उछाल दिया। और कट मार के आगे बढ़ गए। चार लड़के थे। बहुत गुस्सा आया। मैंने बड़बड़ाते हुए स्पीड बढ़ाई पर वो आगे निकल गए। ये बड़े घर के बिगड़ैल लड़के पता नहीं क्या समझते हैं।इंसान को इंसान नही समझते।चलने की तमीज नहीं। जरूर पीकर गाड़ी चला रहे होंगे। एक तो चाची के बारे में सोचकर और फिर इनकी हरकत ने इस लहलहाते धूप में मेरा दिमाग दुगुना गरम कर दिया था। इसी गुस्से में अभी कुछ दूर बढ़ा था कि वो चारो कार खड़ी कर एक टपरी पर थे शायद चाय या सिगरेट पी रहे होंगे। मन किया कि यहीं रुक कर हिसाब चुकता कर लूँ।पर उन चारों की कदकाठी और अपनी हालत देख मैंने इरादा बदल लिया। फिर भी मोटरसाइकिल थोड़ी धीरे कर उन्हें घूरता हुआ निकल गया। अभी और कुछ दूर आया तो मेरी गाड़ी बंद हो गई। शायद पेट्रोल नहीं था। मेन और रिजर्व पेट्रोल चेंज का स्विच पहले से खराब है।और आज का दिन तो पूरा खराब है। शॉर्टकट लेने के कारण पेट्रोल लेना भूल गया। पेट्रोल पम्प यहाँ से लगभग दस किलोमीटर पर था। इतनी धूप में गाड़ी को खींच पैदल निकल रहा था। पसीने और थकान से हालत खराब हो रही थी। सुनसान रास्ते पर कोई पानी पीने की दुकान भी नज़र नहीं आ रही। तपती गर्मी में पैदल गाड़ी खींचना मानो जान निकल रहा हो। इतने में वो लड़के आकर अपनी गाड़ी रोक दिए। मेरी तो हालत खराब होने लगी। बेकार में इन्हें घूर कर देखा था। गाँव जाकर कपड़े तो धोने ही पड़ते अब ये चारों मुझे धोएंगे!तभी उनमें से एक
“क्या हुआ भइया?”
“ककककुछ नहीं.. पेट्रोल खत्म हो गया है लग रहा है?” मैंने पसीना पोंछते हुए कहा
“कोई बात नहीं आप परेशान ना होइए पहले ये पानी पीजिए” कसम से आज पानी अमृत जैसा लग रहा था पूरा का पूरा बोतल खत्म कर दिया।
“और चाहिए” मैंने ना में गर्दन हिलाया। फिर उन्होंने मेरी गाड़ी चेक किया हिलाया डुलाया
“पेट्रोल तो है आपकी गाड़ी में! पेट्रोल पम्प तक आसानी से चले जायेंगे।..टूलकिट खोलिए जरा” उन्होंने गाड़ी खोल कार्बोरेटर और चॉक देखा फिर मेरी बाइक स्टार्ट कर दिया। मेरी जान में जान आई।
“धन्यवाद आपलोगों का”
“कोई बात नहीं भइया! गर्मी बहुत है आप निकलिए” वो चले गए मैं भी उनके पीछे निकल गया ये सोचता हुआ कि अनजाने में गंदे हुए मेरे कपड़े से ज्यादा तो इनके हाथ और कपड़े गंदे हो गए थे

मैं गलत था ये आवारा और बिगड़ैल नहीं आज के युवा हैं..जिनमें जज़्बा है दूसरों की मुसीबत में काम आने का..!

©️विनय कुमार मिश्रा
Vinay Kumar Mishra

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माँ का सम्मान


एक मध्यम वर्गीय परिवार के एक लड़के ने 10वीं की परीक्षा में 90% अंक प्राप्त किए ।

पिता, मार्कशीट देखकर खुशी-खुशी अपनी बीवी को कहा कि बना लीजिए मीठा दलिया, स्कूल की परीक्षा में आपके लाड़ले को 90% अंक मिले हैं ..!

माँ किचन से दौड़ती हुई आई और बोली, “..मुझे भी बताइये, देखती हूँ…!

इसी बीच लड़का फटाक से बोला…
“बाबा उसे रिजल्ट कहाँ दिखा रहे हैं ?… क्या वह पढ़-लिख सकती है ? वह अनपढ़ है …!”

अश्रुपुर्ण आँखों से पल्लु से पूछती हुई माँ दलिया बनाने चली गई ।

ये बात मेरे पिता ने तुरंत देखा …! फिर उन्होंने लड़के के कहे हुए वाक्यों में जोड़ा, और कहा… “हां रे ! वो भी सच है…!

जब हमारी शादी हुई तो तीन महीने के अंदर ही तुम्हारी माँ गर्भवती हो गई.. मैंने सोचा, शादी के बाद कहीं घुमने नही गए.. एक दूसरे को ठीक से हम समझे भी नही हैं, चलो इस बार अबॉर्शन करवा कर आगे चांस लेते हैं.. लेकिन तुम्हारी माँ ने ज़ोर देकर कहा “नहीं” बाद में चाँस नही…. घूमना फिरना, और आपस में समझना भी नही, फिर तेरा जन्म हुआ…..
वो अनपढ़ थी ना….!

जब तु गर्भ में था, तो उसे दूध बिल्कुल पसंद नहीं था, उसने आपको स्वस्थ बनाने के लिए हर दिन नौ महीने तक दूध पिया …
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना … तुझे सुबह सात बजे स्कूल जाना रहता था, इसलिए उसे सुबह पांच बजे उठकर तुम्हारा मनपसंद नाश्ता और डिब्बा बनाती थी.....

क्योंकि वो अनपढ़ थी ना …

जब तुम रात को पढ़ते-पढ़ते सो जाते थे, तो वह आकर तुम्हारी कॉपी व किताब बस्ते में भरकर, फिर तुम्हारे शरीर पर ओढ़ना से ढँक देती थी और उसके बाद ही सोती थी…
क्योकि अनपढ़ थी ना …

बचपन में तुम ज्यादातर समय बीमार रहते थे… तब वो रात- रात भर जागकर वापस जल्दी उठती थी और सुबह का काम पर लग जाती थी….
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना…

तुम्हें, ब्रांडेड कपड़े लाने के लिये मेरे पीछे पड़ती थी, और खुद सालों तक एक ही साड़ी पर रहती थी ।
क्योंकि वो अनपढ़ थी ना….

बेटा …. पढ़े-लिखे लोग पहले अपना स्वार्थ और मतलब देखते हैं.. लेकिन आपकी माँ ने आज तक कभी नहीं देखा।
क्योंकि अशिक्षित है ना वो…

वो खाना बनाकर और हमें परोसकर, कभी-कभी खुद खाना भूल जाती थी… इसलिए मैं गर्व से कहता हूं कि ‘तुम्हारी माँ अशिक्षित है…’

यह सब सुनकर लड़का रोते रोते, और लिपटकर अपनी माँ से बोलता है.. “माँ, मुझे तो कागज पर 90% अंक ही मिले हैं। लेकिन आप मेरे जीवन को 100% बनाने वाली आप पहली शिक्षक हैं।
माँ, मुझे आज 90% अंक मिले हैं, फिर भी मैं अशिक्षित हूँ और आपके पास पीएचडी के ऊपर भी उच्च डिग्री है। क्योंकि आज मैं अपनी माँ के अंदर छुपे रूप में, मैं डॉक्टर, शिक्षक, वकील, ड्रेस डिजाइनर, बेस्ट कुक, इन सभी के दर्शन ले लिये !

ज्ञानबोध: …. प्रत्येक लड़का-लड़की जो अपने माता-पिता का अपमान करते हैं, उन्हें अपमानित करते हैं, छोटे- मोटे कारणों के लिए क्रोधित होते हैं। उन्हें सोचना चाहिए, उनके लिए क्या-क्या कष्ट सहा है, उनके माता पिता ने … 🙏🙏
❤️❤️ जय श्री राधे कृष्णा जी ❤️❤️

सुभ कश्यप

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

19 ऊंट की कहानी..
केवल हास्य में मत लेना जी..

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एक गाँव में एक व्यक्ति के पास 19 ऊंट थे।

एक दिन उस व्यक्ति की मृत्यु हो गयी।

मृत्यु के पश्चात वसीयत पढ़ी गयी । जिसमें लिखा था कि:

मेरे 19 ऊंटों में से आधे मेरे बेटे को,19 ऊंटों में से एक चौथाई मेरी बेटी को, और 19 ऊंटों में से पांचवाँ हिस्सा मेरे नौकर को दे दिए जाएँ ।

सब लोग चक्कर में पड़ गए कि ये बँटवारा कैसे हो ?

19 ऊंटों का आधा अर्थात एक ऊँट काटना पड़ेगा, फिर तो ऊँट ही मर जायेगा । चलो एक को काट दिया तो बचे 18 उनका एक चौथाई साढ़े चार – साढ़े चार…
फिर..?

सब बड़ी उलझन में थे । फिर पड़ोस के गांव से एक बुद्धिमान व्यक्ति को बुलाया गया ।

वह बुद्धिमान व्यक्ति अपने ऊँट पर चढ़ कर आया, समस्या सुनी, थोडा दिमाग लगाया, फिर बोला इन 19 ऊंटों में मेरा भी ऊँट मिलाकर बाँट दो ।

सबने सोचा कि एक तो मरने वाला पागल था, जो ऐसी वसीयत कर के चला गया, और अब ये दूसरा पागल आ गया जो बोलता है कि उनमें मेरा भी ऊँट मिलाकर बाँट दो । फिर भी सब ने सोचा बात मान लेने में क्या हर्ज है ।

19+1=20 हुए ।

20 का आधा 10, बेटे को दे दिए ।

20 का चौथाई 5, बेटी को दे दिए ।

20 का पांचवाँ हिस्सा 4, नौकर को दे दिए ।

10+5+4=19

बच गया एक ऊँट, जो बुद्धिमान व्यक्ति का था…

वो उसे लेकर अपने गॉंव लौट गया ।

इस तरह 1 उंट मिलाने से, बाकी 19 उंटो का बंटवारा सुख, शांति, संतोष व आनंद से हो गया ।

सो हम सब के जीवन में भी 19 ऊंट होते हैं ।

5 ज्ञानेंद्रियाँ
(आँख, नाक, जीभ, कान, त्वचा)

5 कर्मेन्द्रियाँ
(हाथ, पैर, जीभ, मूत्र द्वार, मलद्वार)

5 प्राण
(प्राण, अपान, समान, व्यान, उदान)

और

4 अंतःकरण
(मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार)

कुल 19 ऊँट होते हैं।

सारा जीवन मनुष्य इन्हीं 19 ऊँटो के बँटवारे में उलझा रहता है।

और जब तक उसमें प्रेम रूपी ऊँट नहीं मिलाया जाता यानी के अपनों के साथ…. सगे-संबंधियों के साथ, जीवन नहीं जिया जाता, तब तक सुख, शांति, संतोष व आनंद की प्राप्ति नहीं हो सकती ।

यह है 19 ऊंट की कहानी…!
प्रेम है तो जीवन में आनंद है

जय सियाराम..💐💐