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स्वामी विवेकानंद जी पर कुछ किताबे 


 स्वामी विवेकानंद जी पर कुछ किताबे 
 harshad30.wordpress.com
 973-66331781
  
1A Short Life Of Swami Vivekananda By Swami Tejasananda
2Life And Message Of Swami Vivekananda
3Notes Of Some Wanderings With Swami Vivekanand
4Patanjali Yoga Sutras – Swami Vivekananda
5Swami Vivekananda  Conferences Et Autres Ecrits
6Swami Vivekananda – Pictorial
7Swami Vivekananda Speech At Chicago – Welcome Address.flv
8Swami Vivekanandas Photos Gallery
9Swami Vivekanandas Rousing Call To Hindu Nation
10Swami Vivekanands Chicago Speech
11Talks With Swami Vivekananda – Advaita Ashrama
12Vivekananda – Amar Chitra Katha
13Vivekananda A Biography – Swami Nikhilananda
14Vivekanandar Stories – Tamil
15Wakeup Bharat Enlighten The World
16कर्मयोग – स्वामी विवेकानंद
17कल्याणी १९९४ – स्वामी विवेकानंद विशेषांक
18गुरु शिष्य संवाद – स्वामी विवेकानंद
19जाग्रति और प्रकाश (स्वामी विवेकानंद)
20ज्ञानमार्ग कर्मयोगी – स्वामी विवेकानंद
21ज्ञानयोग – स्वामी विवेकानंद
22धर्मतत्व – स्वामी विवेकानन्द
23न भूतो न भविष्यति – नरेन्द्र कोहली
24परिव्राजक – स्वामी विवेकानन्द
25भक्तियोग – स्वामी विवेकानंद
26भारत में विवेकानन्द
27मन की शक्तियां तथा जीवन-गठन की साधनाएँ
28मरणोत्तर जीवन – स्वामी विवेकानन्द
29मेरा जीवन तथा ध्येय – स्वामी विवेकानंद
30मेरे गुरुदेव – स्वामी विवेकानंद
31मैं कौन हूं – स्वामी विवेकानंद
32मैं विवेकानंद बोल रहा हूँ – सं. गिरिराज शरण
33युवाओ के प्रति – स्वामी विवेकानंद
34राजयोग – स्वामी विवेकानंद
35राजयोग – स्वामी विवेकानन्द
36वर्तमान भारत – स्वामी विवेकानंद
37विवेकानन्द साहित्य – भाग १
38विवेकानन्द साहित्य – भाग २
39विवेकानन्द साहित्य – भाग ३
40विवेकानन्द साहित्य – भाग ४
41विवेकानन्द साहित्य – भाग ५
42विवेकानन्द साहित्य – भाग ६
43विवेकानन्द साहित्य – भाग ७
44विवेकानन्द साहित्य – भाग ८
45विवेकानन्द साहित्य – भाग ९
46व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास – स्वामी विवेकानंद
47शक्तिदायी विचार – स्वामी विवेकानंद
48शिक्षा – स्वामी विवेकानंद
49स्वामी दयानन्द और स्वामी विवेकानन्द एक तुलनात्मक अध्ययन – डॉ. भवानीलाल भारतीय
50स्वामी विवेकानंद – पं. श्री राम शर्मा आचार्य
51स्वामी विवेकानंद – सचिन सिंघल
52स्वामी विवेकानंद की आत्मकथा – शंकर
53स्वामी विवेकानंद के जीवन की कहानियाँ
54स्वामी विवेकानन्द का जीवन और संदेश
55स्वामी विवेकानन्द की विचारधारा – स्वामी विद्यानन्द सरस्वती
56हिंदू धर्म – विवेकानंद
57हिंदू धर्मं – स्वामी विवेकानंद
58વિવેકાનંદ જીવનનાં અજાણ્યાં સત્યો – શંકર 
59વિવેકાનંદજી સાથે વાર્તાલાપ 
60સ્વામી વિવેકાનંદ
61સ્વામી વિવેકાનંદની દિવ્યવાણી – વિષ્ણુ મહંત
Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक महिला की आदत थी कि वह हर रोज रात में सोने से पहले अपनी दिन भर की खुशियों को एक काग़ज़ पर लिख लिया करती थीं।

एक रात उसने लिखा…
मैं खुश हूं कि मेरा पति पूरी रात ज़ोरदार खर्राटे लेता है क्योंकि वह ज़िंदा है और मेरे पास है ना…भले ही उसकी खर्राटो की आवाज़ मुझें सोने नहीं देते…ये भगवान का शुक्र है…

मैं खुश हूं कि मेरा बेटा सुबह सवेरे इस बात पर झगड़ता है कि रात भर मच्छर-खटमल सोने नहीं देते यानी वह रात घर पर गुज़रता है आवारागर्दी नहीं करता…इस पर भी भगवान का शुक्र है…

मैं खुश हूं कि हर महीना बिजली,गैस, पेट्रोल, पानी वगैरह का अच्छा खासा टैक्स देना पड़ता है ,यानी ये सब चीजें मेरे पास,मेरे इस्तेमाल में हैं ना… अगर यह ना होती तो ज़िन्दगी कितनी मुश्किल होती…?इस पर भी भगवान का शुक्र है…..

मैं खुश हूं कि दिन ख़त्म होने तक मेरा थकान से बुरा हाल हो जाता है….यानी मेरे अंदर दिनभर सख़्त काम करने की ताक़त और हिम्मत सिर्फ ऊपरवाले के आशीर्वाद से है…

मैं खुश हूं कि हर रोज अपने घर का झाड़ू पोछा करना पड़ता है और दरवाज़े -खिड़कियों को साफ करना पड़ता है शुक्र है मेरे पास घर तो है ना… जिनके पास छत नहीं उनका क्या हाल होता होगा…?इस पर भी भगवान का शुक्र है…

मैं खुश हूं कि कभी कभार थोड़ी बीमार हो जाती हूँ यानी कि मैं ज़्यादातर सेहतमंद ही रहती हूं।इसके लिए भी भगवान का शुक्र है..

मैं खुश हूं कि हर साल दिवाली पर उपहार देने में पर्स ख़ाली हो जाता है यानी मेरे पास चाहने वाले मेरे अज़ीज़ रिश्तेदार ,दोस्त हैं जिन्हें उपहार दे सकूं…अगर ये ना हों तो ज़िन्दगी कितनी बे रौनक हो…?इस पर भी भगवान का शुक्र है…..

मैं खुश हूं कि हर रोज अलार्म की आवाज़ पर उठ जाती हूँ यानी मुझे हर रोज़ एक नई सुबह देखना नसीब होती है…ज़ाहिर है ये भी भगवान का ही करम है…

जीने के इस फॉर्मूले पर अमल करते हुए अपनी भी और अपने से जुड़े सभी लोगों की ज़िंदगी संतोषपूर्ण बनानी चाहिए…..छोटी-छोटी परेशानियों में खुशियों की तलाश..
खुश रहने का अजीब अंदाज़…औऱ हर हाल में खुश रहने की कला ही जीवन है…….!!

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

♦️♦️♦️ रात्रि कहांनी ♦️♦️♦️

👉 प्रेरणादायक 🏵️
🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻🌻

परसो रात मैं एक होटल में रुका था। सुबह दस बजेय मैं नाश्ता करने गया। क्योंकि नाश्ता का समय साढ़े दस बजे तक ही होता है, इसलिए होटल वालों ने बताया कि जिसे जो कुछ लेना है, वो साढ़े दस बजे तक ले ले। इसके बाद बुफे बंद कर दिया जाएगा।

कोई भी आदमी नाश्ते में क्या और कितना खा सकता है? पर क्योंकि नाश्ताबंदी का फरमान आ चुका था इसलिए मैंने देखा कि लोग फटाफट अपनी कुर्सी से उठे और कोई पूरी प्लेट फल भर कर ला रहा है, कोई चार छोले भटुरे का ऑर्डर कर रहा है। कोई इडली, डोसा उठा लाया तो एक आदमी दो-तीन गिलास जूस के उठा लाया। कोई बहुत से टोस्ट प्लेट में भर लाया और साथ में शहद, मक्खन और सरसो की सॉस भी।

मैं चुपचाप अपनी जगह पर बैठ कर ये सब देखता रहा ।

एक-दो मांए अपने बच्चों के मुंह में खाना ठूंस रही थीं। कह रही थीं कि फटाफट खा लो, अब ये रेस्त्रां बंद हो जाएगा।

जो लोग होटल में ठहरते हैं, आमतौर पर उनके लिए नाश्ता मुफ्त होता है।

मतलब होटल के किराए में सुबह का नाश्ता शामिल होता है।

मैंने बहुत बार बहुत से लोगों को देखा है कि वो कोशिश करते हैं कि सुबह देर से नाश्ता करने पहुंचें और थोड़ा अधिक खा लें ताकि दोपहर के खाने का काम भी इसी से चल जाए।

कई लोग इसलिए भी अधिक खा लेते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि मुफ्त का है, तो अधिक ले लेने में कोई बुराई नहीं।

कई लोग तो जानते हैं कि वो इतना नहीं खा सकते, लेकिन वो सिर्फ इसलिए जुटा लेते हैं कि कहीं कम न पड़ जाए। दरअसल हर व्यक्ति अपनी खुराक पहचानता है। वो जानता है कि वो इतना ही खा सकता है। पर वो लालच में फंस कर ज़रूरत से अधिक जुटा लेता है। मैं चुपचाप अपनी कुर्सी से सब देखता रहा।

साढ़े दस बज गए थे। रेस्त्रां बंद हो चुका था। लोग बैठे थे। टेबल पर खूब सारी चीजें उन्होंने जमा कर ली थीं।पर अब उनसे खाया नहीं जा रहा था। कोई भला दो-तीन गिलास जूस कैसे पी सकता है? बहुत सारे टोस्ट। कई बच्चे मां से झगड़ रहे थे कि उन्हें अब नहीं खाना। मांएं भी खा कर और खिला कर थक चुकी थीं। और अंत में एक-एक कर सभी लोग टेबल पर जमा नाश्ता छोड़ कर धीरे-धीरे बाहर निकलते चले गए। मतलब इतना सारा जूस, फल, ब्रेड सब बेकार हो गया। *यही है ज़िंदगी।*

हम सब अपनी भूख से अधिक जुटाने में लगे हैं। हम सभी जानते हैं कि हम इसका इस्तेमाल नही कर पाएंगे। हम जानते हैं कि हमारे बच्चे भी इसे नहीं भोग पाएंगे। पर हम अपनी-अपनी टेबल पर ज़रूरत से अधिक जुटाते हैं।

जब हम जुटाते हैं तो हम इतने अज्ञानी नहीं होते कि हम नहीं जानते कि हम इन्हें पूरी तरह नहीं खा पाएंगे। हम जानते हैं कि हम इन्हें छोड़ कर दबे पांव शर्माते हुए रेस्त्रां से बाहर निकल जाएंगे, सबकुछ टेबल पर छोड़ कर।

उतना ही जमा कीजिए, जितने की आपको सचमुच ज़रुरत है। *ये दुनिया एक रेस्त्रां है। कोई इस रेस्त्रां में सदा के लिए नहीं बैठ सकता।*

कोई इस रेस्त्रां में लगातार नहीं खा सकता।

सबके खाने की सीमा होती है। रेस्त्रां में सबके रहने की भी अवधि तय होती है।

उतना ही लीजिए, जिसमें आपको आनंद आए। उतना ही जुटाइए जितने से आपकी ज़रूरत पूरी हो सके।

बाकी सब यहीं छूट जाता है। चाहे नाश्ता हो या कुछ और *हम में से बहुत से लोग संसार रूपी रेस्त्रां से बहुत से लोगों को टेबल पर ढेर सारी चीज़ें छोड़ कर जाते हुए देखते हैं। पर फिर भी नहीं समझते कि हमें कितने की ज़रूरत है।*

हम जानते हैं कि हम भी सब छोड़ जाएंगे, लेकिन जुटाने के चक्कर में, जो है, हम उसका स्वाद लेना भी छोड़ देते हैं।

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एक महिला की आदत थी कि वह हर रोज रात में सोने से पहले अपनी दिन भर की खुशियों को एक काग़ज़ पर लिख लिया करती थीं।

एक रात उसने लिखा…
मैं खुश हूं कि मेरा पति पूरी रात ज़ोरदार खर्राटे लेता है क्योंकि वह ज़िंदा है और मेरे पास है ना…भले ही उसकी खर्राटो की आवाज़ मुझें सोने नहीं देते…ये भगवान का शुक्र है…

मैं खुश हूं कि मेरा बेटा सुबह सवेरे इस बात पर झगड़ता है कि रात भर मच्छर-खटमल सोने नहीं देते यानी वह रात घर पर गुज़रता है आवारागर्दी नहीं करता…इस पर भी भगवान का शुक्र है…

मैं खुश हूं कि हर महीना बिजली,गैस, पेट्रोल, पानी वगैरह का अच्छा खासा टैक्स देना पड़ता है ,यानी ये सब चीजें मेरे पास,मेरे इस्तेमाल में हैं ना… अगर यह ना होती तो ज़िन्दगी कितनी मुश्किल होती…?इस पर भी भगवान का शुक्र है…..

मैं खुश हूं कि दिन ख़त्म होने तक मेरा थकान से बुरा हाल हो जाता है….यानी मेरे अंदर दिनभर सख़्त काम करने की ताक़त और हिम्मत सिर्फ ऊपरवाले के आशीर्वाद से है…

मैं खुश हूं कि हर रोज अपने घर का झाड़ू पोछा करना पड़ता है और दरवाज़े -खिड़कियों को साफ करना पड़ता है शुक्र है मेरे पास घर तो है ना… जिनके पास छत नहीं उनका क्या हाल होता होगा…?इस पर भी भगवान का शुक्र है…

मैं खुश हूं कि कभी कभार थोड़ी बीमार हो जाती हूँ यानी कि मैं ज़्यादातर सेहतमंद ही रहती हूं।इसके लिए भी भगवान का शुक्र है..

मैं खुश हूं कि हर साल दिवाली पर उपहार देने में पर्स ख़ाली हो जाता है यानी मेरे पास चाहने वाले मेरे अज़ीज़ रिश्तेदार ,दोस्त हैं जिन्हें उपहार दे सकूं…अगर ये ना हों तो ज़िन्दगी कितनी बे रौनक हो…?इस पर भी भगवान का शुक्र है…..

मैं खुश हूं कि हर रोज अलार्म की आवाज़ पर उठ जाती हूँ यानी मुझे हर रोज़ एक नई सुबह देखना नसीब होती है…ज़ाहिर है ये भी भगवान का ही करम है…

जीने के इस फॉर्मूले पर अमल करते हुए अपनी भी और अपने से जुड़े सभी लोगों की ज़िंदगी संतोषपूर्ण बनानी चाहिए…..छोटी-छोटी परेशानियों में खुशियों की तलाश..
खुश रहने का अजीब अंदाज़…औऱ हर हाल में खुश रहने की कला ही जीवन है…….!!

Posted in रामायण - Ramayan

Lord Sri Rama image printed Bombay Hing Supply Co. vintage hing tin box in my collection. Sharing this vintage hing tin box today on the auspicious “Sri Rama Navami” festival. #SriRamaNavami #Sriramanavami2021 #SriRama #RamNavmi #RamNavami #RamNavami2021

Posted in रामायण - Ramayan

𝗔𝘀𝗵𝘁 𝗦𝗶𝗱𝗱𝗵𝗶𝘀 𝗢𝗳 𝗛𝗮𝗻𝘂𝗺𝗮𝗻 𝗝𝗶

Hanuman Ji is the incarnation of Bhagwan Shiv who wished to assist Sri Ram. Therefore right from his birth, Hanuman exhibited marvelous powers.

When Hanuman Ji reached Lanka in search of Mata Sita, she was comforted with the news of Bhagwan Rama’s well being and the preparations underway to release her from the captivity of Ravana. Mata Sita Was Happy And blessed him saying that Hanuman would not only have the Ashta Siddhis, He would also have the power to confer these siddhis to those who worship and pray him.

Therefore Hanuman ji is praised in the Hanuman Chalisa as :

“अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता”

“Ashta Siddhi Nava Nidhi Ke Data”

(The Master of eight sidhhis and nine types of wealth). Here are the eight Sidhhis of Hanuman Ji.

  1. 𝗔𝗻̣𝗶𝗺𝗮̄ – The ability to decrease the size of one’s body and become as small as an atom.
  2. 𝗠𝗮𝗵𝗶𝗺𝗮 – The ability to increase the size of one’s body, ultimately enveloping the universe.
  3. 𝗚𝗮𝗿𝗶𝗺𝗮 – The ability to become very heavy or immovable.
  4. 𝗟𝗮𝗴𝗵𝗶𝗺𝗮 – The ability to make one’s body lighter than air.
  5. 𝗣𝗿𝗮̄𝗽𝘁𝗶 – Ability To obtain anything.
  6. 𝗣𝗿𝗮̄𝗸𝗮̄𝗺𝘆𝗮 – Ability to acquire anything.
  7. 𝗜𝘀̣𝗶𝘁̣𝘃𝗮 – Possessing Absolute Superiority.
  8. 𝗩𝗮𝘀́𝗶𝘁𝘃𝗮 – Vashikaran is the ability of getting a control on life and death. Power to subjugate all.

जय श्री राम | Jai Shri Ram 🚩

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केसकीफीस

पेशे से हम पति पत्नी दोनों वकील हैं। पिछले साल ही शादी हुई है।दो दिन पहले इतेफाक से हमदोनों के पास तलाक के केस आये हैं। और इतेफाक ये भी कि, शालिनी के पास उस जोड़े की तरफ से पति का केस है, और मेरे पास उसी की पत्नी का।
केस स्टडी में मैंने पाया कि दोनों की शादी को दस साल हो गए हैं। दो बच्चे हैं। पति का खुद का बिजनेस है, पत्नी हाउसवाइफ है। पति काम के सिलसिले में इधर कुछ सालों से बाहर ज्यादा रहता है। घर में पत्नी अब सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव रहती है। कुछ मेल फ्रैंड भी बन गए हैं। दोनों एकदूसरे पर शक करते हैं। दोनों में अब बहुत ज्यादा लड़ाइयां होनी शुरू हो गई हैं। दोनों ही साथ नहीं रहना चाहते। और किसी भी तरह तलाक लेना चाहते हैं। पर बच्चों को दोनों अपने साथ रखना चाहते हैं। इसी वजह से दोनों ने अपनी अपनी तरफ से हमदोनों को वकील रखा है। कल पहले पत्नी गई थी उनके घर। और शाम में मैं भी। पत्नी ने भी महसूस किया कि बच्चे दोनों के बगैर नहीं रह सकते। वे बहुत मासूम से हैं। उनका बचपन छीन जाएगा। और मैंने भी यही महसूस किया। हमने एक चीज़ और महसूस किया कि दोनों पति पत्नी के बीच प्यार पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है बस शक ने उसे कमजोर जरूर कर दिया है।
आज पत्नी उस क्लाइंट के ऑफिस में है और ठीक उसी समय मैं भी मौजूद हूँ उसकी पत्नी के साथ घर में।
“जी कुछ भी कर के बस ये हो जाये कि बच्चे मेरे साथ ही रहें, नहीं तो वो, इन बच्चों पर ध्यान नहीं दे पाएंगे”
तभी मेरे फोन पर शालिनी का फोन आया।जिसे मैंने पेपर वैगरह देखते देखते स्पीकर ऑन कर टेबल पर ही रख दिया
“हेल्लो कहां हो तुम?”
“मैं अपने एक क्लाइंट के साथ हूँ”
“अच्छा! और वो तुम्हारी क्लाइंट फिर से कोई लेडी ही होंगी, है ना? क्यूँ सही कहा ना?”
“ये क्या बकवास है? बेवजह कितना शक करती हो तुम, और यही सवाल मैं करूं कि तुम कहाँ हो? और किसके साथ हो”
हमने प्लानिंग के हिसाब से एकदूसरे से झगड़े शुरू कर दिए।मेरी क्लाइंट मुझसे नाम जोड़े जाने के बाद तमतमा उठी। गुस्से में मेरी क्लाइंट ने शालिनी को कहा
“देखिए, ये सिर्फ मेरे केस के सिलसिले में मुझसे मिलने आये हैं, आप बेवजह शक कर रही हैं” तभी दूसरी तरफ से उनके पति मुझसे बोले
“सुनिए, शालिनी जी एक सभ्य और सुलझी हुई महिला हैं, अपने पेशे की वजह से मेरे साथ मेरी ऑफिस में हैं, और आप पति हैं,इसका मतलब ये नहीं कि आप अपनी पत्नी पर बेवजह शक करें” मेरे चेहरे पर मुस्कान खिल गई
“बिलकुल सही कहा सर आपने। फिर आप क्यूँ अपनी पत्नी पर शक करते हैं”
उधर से शालिनी की आवाज आई
“हाँ मैम, सर भी तो अपने काम और परिवार के लिए ही बाहर रहते हैं”
मैंने देखा। उनकी पत्नी की आंखों में प्रायश्चित के आँसू थे। वे सर झुकाए कुछ सोचने लगीं। तभी दूसरी तरफ से आवाज आई
“मधु! मुझे माफ़ कर दो, मैंने बेवजह तुम्हें तकलीफ दी” उनकी पत्नी ने टेबल पर रखे पेपर को फाड़कर डस्टबिन में डाल दिया। और अपने आँसू पोछते हुए बोले जा रही थीं
“राज, तुम भी मुझे माफ़ कर दो..मैं तुम्हारे त्याग को समझ ही नहीं पाई”
दोनों मासूम बच्चे दूसरे कमरे में खेल रहे थे। मैं अपना बैग उठा ये सोचते हुए चलने को हुआ कि इस पेशे से पैसे तो हम आगे भी कमा लेंगे..पर इन बच्चों का बचपन बचा कर जो खुशियां कमाई हैं,वो फिर शायद कभी ना कमा पाऊं।दरवाजे पर ही था कि उनकी पत्नी की आवाज आई
“सर, आपकी बाकी की.. कुछ फीस..!” मैंने पलट कर हँसते हुए कहा
“इन बच्चों की खिलखिलाहट ही हमारी बाकी की फीस है मैम..!”

©️विनय कुमार मिश्रा
रोहतास(बिहार)
Vinay Kumar Mishra

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तपस्विनी

मीरा ने फोन पर बताया डॉ सिन्हा नही रहीं तो दिल धक्क रह गया.. बुखार आया था.. दो दिन बाद चल बसीं।
मैं अतीत के समुद्र में डूब गयी।

“तुम एक बार मेरा कहना नही मान सकती क्या? शहर की सारी गायनोकोलॉजिस्ट को तो दिखा चुकी हो .. डॉ सिन्हा के पास भी तो जाकर देखो ” मीरा झल्ला कर बोली।
मैं अपने यूरिन इंफेक्शन को लेकर काफी परेशान थी ..मोटे मोटे कैप्सूल निगल कर भी पीड़ा से तड़प जाती थी।

“ठीक है! चलो अब की बार तुम्हारी बात भी मान लेती हूँ। ” एक मोटा कैप्सूल निगल कर पीड़ा को शांत करते हुए मैं बोली

मैं डॉ सिन्हा के सामने थी ,करीब पचहत्तर वर्ष की उम्र.. गौरवर्णी , आँखों पर नजर का चश्मा.. श्वेत केश ,श्वेत धोती का सिर पर पल्ला ले कर कोई किताब पढ़ रही थीं।

अभिवादन का जवाब देकर बैठने का इशारा किया।सारी रिपोर्ट देखने के बाद बोलीं “बस यह टेस्ट और करा लो सब पता चल जायेगा।”
मैं फीस देने लगी
“अरे भाई !इलाज तो हो जाने दो।”डॉ सिन्हा मुस्कराकर बोली

टेस्ट की रिपोर्ट ले कर पहुँची तो डॉ सिन्हा बोलीं “तुम्हारे गर्भाशय में टी. बी.हो गयी है..”
मुझे पसीने से नहाया देख कर आश्वस्त करने लगी”अरे !घबराओ मत ,अभी तो शुरुआत है …शुक्र मनाओ कि जल्दी पता चल गया.. देर हो जाती तो तब मुश्किल की बात थी ..मैंने दवाई लिख दी है किसी भी कैमिस्ट से खरीद लेना, नौ महीने दवाई खाओगी ठीक हो जाओगी …बस बीच बीच मे आकर दिखा जाना।”

मैं घबराऊँ ना इसलिए वह मुझसे बातें करने लगी।

“मेरे पिता जी तो मुझे डाक्टर बनाने को तैयार नही थे पर मेरी जिद के सामने उनकी एक न चली.. मैंने लाहौर से एम. बी. बी. एस.किया फिर देश के बंटवारे के बाद हम लखनऊ आ गये वहाँ के मेडिकल कॉलेज से एम. डी. किया..मेरी शादी में नाममात्र को दिलचस्पी नही थी.. “

“आप तो काफी प्रतिभाशाली और जिद्दी थीं इसका मतलब.. ” घबराहट कम होने के कारण मैं भी उनके साथ खुल गयी।

“हाँ ! मैं बहुत जिद्दी थी..मेरी भाभी छह साल से निसंतान थी ..भाई बोले ‘तेरी डॉक्टरी को तो मैं तब मानूँगा जब तू अपनी भाभी को माँ बना दे ‘
मैंने भी भाभी और भाई का इलाज करके उन्हें संतान का सुख दिया।”हँस कर बोली।

“यह तो चुनौती दे दी आपके भाई ने आपको “मैं बोली।

” चुनौतियां ही तो अच्छी लगती है मुझे, मैंने इसी काम को आगे बढ़ाया.. कोई औरत, माँ बन जाये इससे बढ़िया क्या बात है बोलो ..”

“हाँ ! ये तो बिल्कुल सही कह रही है आप” मैंने कहा

” अच्छा बताओ !आज खाने में तुमने क्या बनाया है ..? डॉ सिन्हा ने पूछा

“साबुत उरद और राजमा..” मैंने बताया

“अरे वाह ! हमारी माँ बनाया करती थी.. सुबह भिगो देती थीं ,शाम को खाना बना कर मिट्टी की हांडी को चूल्हे पर चढ़ा देती थी उसके ढक्कन को आटे से चिपका देती थी.. सारी रात धीमी आँच पर उबलते रहते थे..फिर सुबह सिल पर मसाला पीस कर बनाती थी बहुत स्वाद था मेरी माँ के हाथों में.. ” माँ की यादों में डूबती उतराती डॉ सिन्हा बोली।

“हाँ जी! माँ के हाथ की तो बात ही कुछ और होती है।”मैं बोली

“माँ की बहुत याद आती है। ” एक शबनमी उदासी डॉ सिन्हा चेहरे पर उतर आई।

” ठीक है.. अब जब भी आया करूँगी आप के लिए कुछ न कुछ अच्छा सा बना कर ले आया करूँगी ..आप अकेली रहती है क्या इतने बड़े घर मे ?”

“फिर तो यही मेरी फीस हो जाएगी वैसे गुलिस्तां भी बहुत अच्छा खाना बनाती है” हँस कर बोली डॉ सिन्हा..
“घर किराये पर दे रखा जो भी किराया आता है उसे अनाथालय को दे देती हूँ मेरे लिए तो पेंशन ही काफी है। “

तभी मोबाइल बजा, देखा मीरा थी.. हम दोनों डॉ सिन्हा के निवास पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित कर रहे थे।

दीप्ति सिंह (स्वरचित ,मौलिक )

Posted in रामायण - Ramayan

! ! सुप्रभात ! !

” अद्भुत, अलौकिक व उत्कृष्ट भारतीय शिल्पकला “

श्री कोदंड रामास्वामी मंदिर, पूर्वी गोदावरी,आंध्रप्रदेश
मंदिर को श्री कोदंड राम मंदिर के नाम से जाना जाता है और यह गोल्ला मामी दादा गाँव में स्थित है, इसलिए इसे गुलमलामीदादा राम मंदिर के नाम से जाना जाता है।
कोदंड राम मंदिर दक्षिण भारत का एक लोकप्रिय मंदिर है। यह मंदिर पूरे आंध्र प्रदेश राज्य में लोकप्रिय है । इस मंदिर में विशाल गोपुरम हैं। पूर्वी गोपुरम 170 फीट ऊँचा है, पश्चिम गोपुरम 200 फीट ऊँचा है।मंदिर 16 एकड़ के क्षेत्र में स्थित है
मंदिर का निर्माण 1889 में द्वारमपुदी सुब्बी रेड्डी और रामा रेड्डी द्वारा किया गया था।मंदिर में भगवान राम, देवी सीता और लक्ष्मण की मूर्तियां हैं।गोपुरम ऐसा लगता है जैसे 9 वीं मंजिल से आसमान को छू रहा है .. गोपुरम की हर मंजिल रामायण की पौराणिक मूर्तियों से गढ़ी गई है।

” हायेनं लैच भारी “

” व्वाह क्या बात हैं “

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

એક વખત જરૂર વાંચજો થોડો સમય કાઢી ને…

એક શાળા માં એક નવી 30 32 વરસ ની એક શિક્ષિકા ની ભરતી થઇ.. એ શાળા girls school હતી.. એ શિક્ષિકા દેખાવ માં અતિ સુંદર હતી પણ એને હજી સુધી લગ્ન નોહતા કર્યા..
બધી છોકરીઓ એની આજુ બાજુ ઘૂમ્યા કરતી.. અને પ્રશ્ન કરતી કે
” મેડમ તમે હજી સુધી લગ્ન કેમ નથી કર્યા તમે તો એટલા સુંદર છો કે તમને તો ગમે તે હા પાડી દે .
શિક્ષિકા એક વાત કહે છે બધાને…
એક સ્ત્રી ને 5 દીકરીઓ હતી.. પણ એક પણ દીકરો ન હતો.. એટલે એ સ્ત્રી નો પતિ નારાજ હતો એનાથી..
એ સ્ત્રી ફરી પ્રેગ્નેન્ટ થઇ ને એટલે એના પતિ એ કહ્યું કે જો આ બાળક પણ છોકરી જ હશે ને તો એને હું બહાર રસ્તા માં છોડી આવીશ એનો સ્વીકાર નહિ કરું હું ..
પણ ભગવાન ની ઈચ્છા હોય એ જ થાય છે.. એ સ્ત્રી ને ફરી છોકરી જ આવી.. એટલે એના પતિ એ છોકરી ને ગામ માં થોડે દૂર રસ્તા ના ચોક માં મૂકી આવ્યો… એ સ્ત્રી આખી રાત એ છોકરી ની સલામતી માટે પ્રાથના કરતી રહી…
સવારે એના પતિ ત્યાં ચોક પર જાય છે તો તે છોકરી ત્યાં ને ત્યાં જ હતી કોઈ લઇ નોહ્તું ગયું…એટલે ફરી એ ઘરે લઇ આવ્યો એને..
આવું 4 5 દિવસ કર્યું એણે પણ કોઈ એ છોકરી ને લઇ ન જતું .. ને હવે એ ભાઈ પણ થાકી ગયા તા એટલે ભગવાન ની મરજી સમજી એ છોકરી ને રાખી લે છે…
થોડો સમય જતા એ સ્ત્રી ફરી પ્રેગ્નેન્ટ થઇ આ વખતે એને દીકરો આવ્યો પણ એના આવ્યા પછી એની દીકરી માંથી એક દીકરી મરી જાય છે…
એ પછી એ સ્ત્રી ને બીજા 3 દીકરા આવ્યા પણ દરેક વખતે એક એક દીકરી મરતી જતી .. હવે એ સ્ત્રી ને 4 દીકરા તો આવ્યા પણ દિકરી એક જ રહી..અને એ પણ એ જ કે જેને એ ભાઈ રસ્તા પર છોડી આવ્યા હતા જેને એ સ્વીકારવા નોહતા માંગતા..
થોડા સમય માં એ સ્ત્રી આ દુનિયા છોડી જતી રહી એટલે એક દીકરી ને 4 દિકરા એકલા થઇ ગયા… ને એ ભાઈ એ બધા ની દેખભાળ રાખતા ધીરે ધીરે બધા મોટા થઇ ગયા…
પછી એ શિક્ષિકા કહે છે કે
” તમને ખબર છે કે એ છોકરી કોણ હતી જે બચી ગઈ હતી..
એ હું. ને મેં એટલે લગ્ન નથી કર્યા કેમ કે મારા પિતા હવે વૃદ્ધ થઇ ગયા છે ને એ જરા પણ કામ નથી કરી શકતા.. એટલે મારી કમાણી ઉપર જ અમારું ઘર ચાલે છે ને હું મારા પપ્પા ની દેખભાળ રાખી શકું છું.. કેમ કે મારા ભાઈઓ પાસે પપ્પા પાસે આવવાનો સમય નથી. . છોડી ને જતા રહ્યા છે એ બધા…
અને. પપ્પા હવે દુઃખી થઇ ને કહે છે જે દીકરા મેળવવા મેં તને આટલી તકલીફ આપી એ વિચારી ને હું શર્મિન્દગી અનુભવું છું…..

દીકરી એ દિકરી છે એની તોલે કોઈ ન આવી શકે. દીકરો કદાચ મા બાપ ને છોડી દેશે પણ દીકરી આખરી દમ સુધી મા બાપ નો સાથ નહીં છોડે…

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વિશાલ સોજીત્રા