एक बार एक हंस और हंसिनी हरिद्वार के सुरम्य वातावरण से भटकते हुए, उजड़े वीरान और रेगिस्तान के इलाके में आ गए!
हंसिनी ने हंस को कहा:- ये किस उजड़े इलाके में आ गये हैं❓ ना तो यहां जल है ना जंगल और ना ही ठंडी हवाएं हैं, यहां तो हमारा जीना मुश्किल हो जाएगा !😎
भटकते-भटकते शाम हो गई तो हंस ने हंसिनी से कहा :- किसी तरह आज की रात बीता लो, सुबह हम लोग हरिद्वार लौट चलेंगे !😃
रात हुई तो जिस पेड़ के नीचे हंस और हंसिनी रुके थे, उस पर एक उल्लू बैठा था।😎
वो जोर से चिल्लाने लगा।😃
हंसिनी ने हंस से कहा:- अरे यहां तो रात में सो भी नहीं सकते❓ये उल्लू चिल्ला रहा है। 😎
हंस ने फिर हंसिनी को समझाया:- किसी तरह रात काट लो,मुझे अब समझ में आ गया है कि ये इलाका वीरान क्यूं है ❓😎
ऐसे उल्लू जिस इलाके में रहेंगे वो तो वीरान और उजड़ा रहेगा ही।😎
पेड़ पर बैठा उल्लू दोनों की बातें सुन रहा था।😃
सुबह हुई, उल्लू नीचे आया और हंस से बोला:- हंस भाई, मेरी वजह से आपको रात में तकलीफ हुई, मुझे माफ़ कर दो…. 😃
हंस ने कहा:- कोई बात नही भैया,आपका धन्यवाद!
यह कहकर जैसे ही हंस अपनी हंसिनी को लेकर आगे बढ़ा,पीछे से उल्लू चिल्लाया:-
अरे हंस, मेरी पत्नी को लेकर कहां जा रहे हो❓😃
हंस चौंका,उसने कहा:- आपकी पत्नी❓अरे भाई,यह हंसिनी है,मेरी पत्नी है,मेरे साथ आई थी, मेरे साथ जा रही है!😎
उल्लू ने कहा:- खामोश रहो,ये मेरी पत्नी है।😃
दोनों के बीच विवाद बढ़ गया। पूरे इलाके के लोग एकत्र हो गए…
कई गावों की जनता बैठी,पंचायत बुलाई गई😎
पंचलोग भी आ गए,बोले:- भाई किस बात का विवाद है ❓😎
लोगों ने बताया:- उल्लू कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है और हंस कह रहा है कि हंसिनी उसकी पत्नी है..,…!😃
लंबी बैठक और पंचायत के बाद पंच लोग किनारे हो गए और बोले:-
भाई बात तो यह सही है कि हंसिनी हंस की ही पत्नी है😃 लेकिन……
ये हंस और हंसिनी तो अभी थोड़ी देर में इस गांव से चले जाएंगे।
हमारे बीच में तो उल्लू को ही रहना है,इसलिए फैसला उल्लू के ही हक़ में ही सुनाना चाहिए….! 😎
फिर पंचों ने अपना फैसला सुनाया और कहा:-
सारे तथ्यों और सबूतों की जांच करने के बाद यह पंचायत इस नतीजे पर पहुंची है कि हंसिनी उल्लू की ही पत्नी है और हंस को तत्काल गांव छोड़ने का हुक्म दिया जाता है…..!😃😃
यह सुनते ही हंस हैरान हो गया और रोने, चीखने और चिल्लाने लगा कि पंचायत ने गलत फैसला सुनाया है…. उल्लू ने मेरी पत्नी ले ली!😎
रोते- चीखते जब वह आगे बढ़ने लगा तो उल्लू ने आवाज लगाई:- ऐ मित्र हंस, रुको!😃
हंस ने रोते हुए कहा:- भैया, अब क्या करोगे❓ पत्नी तो तुमने ले ही ली,अब जान भी लोगे ❓😎
उल्लू ने कहा:- नहीं मित्र, ये हंसिनी आपकी पत्नी थी, है और रहेगी! 😃
लेकिन कल रात जब मैं चिल्ला रहा था तो आपने अपनी पत्नी से कहा था कि यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहां उल्लू रहता है! 😎
मित्र, ये इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए नहीं है कि यहां उल्लू रहता है बल्कि…..
यह इलाका उजड़ा और वीरान इसलिए है क्योंकि यहां पर ऐसे पंच रहते हैं जो उल्लुओं के हक़ में फैसला सुनाते हैं….!😎
शायद हम भी….
अपने परिवार व समाज में गलत को गलत ना कहकर,मोहवश होकर गलत फैसले लेकर अपना मान सम्मान व अपना स्थान,जिसके हम हकदार हैं, वो प्राप्त नही कर पाते हैं…. 😎😎
वेद प्रकाश वर्मा
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