♦️♦️♦️ रात्रि कहांनी ♦️♦️♦️
एक गरीब एक दिन एक सिक्ख के पास अपनी जमीन बेचने गया बोला सरदारजी मेरी 2 एकड़ जमीन आप रख लो ,🏵️ 🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅🔅
सिक्ख बोला ,क्या कीमत है ,
गरीब बोला, –50 हजार रुपये ,
सिक्ख थोड़ी देर सोच के ,वो ही खेत जिसमे ट्यूबल लगा है
गरीब ,— जी आप मुझे 50, से कम भी दे दे
सिक्ख ने आंखे बंद की 5 मिनिट सोच के
नही मैं , उसकी कीमत 2 लाख रुपये दूँगा ,
गरीब पर मैं 50 हजार ले रहा हूँ आप 2 लाख क्यो?????
सिक्ख बोला तुम जमीन क्यो बेच रहे हो ,
गरीब बोला ,बेटी की शादी करना है बच्चो की पढ़ाई की फीस जमा करना है बहुत कर्ज है मजबूरी है इसीलिए मजबूरी में बेचना है पर आप 2 लाख क्यो दे रहे
सिक्ख बोला , मुझे जमीन खरीदना है ,,किसी की मजबूरी नही खरीदना ,अगर आप की जमीन की कीमत मुझे मालूम है तो मुझे आपके कर्ज आपकीं जवाबदेही और मजबूरी का फायदा नही उठाना मेरा वाहेगुरू कभी खुश नही होगा ऐसी जमीन या कोई भी साधन जो किसी की मज़बूरिओ को देख के खरीदे हो वो घर और जिंदगी में सुख नही देते आने वाली पीढ़ी मिट जाती है ,
है मेरे मित्र तुम खुशी खुशी अपनी बेटी की तैयारी करो 50 हजार की हम पूरा गांव व्यवस्था कर लेगा तेरी जमीन भी तेरी रहेगी
मेरे गुरु नानक देव साहिब ने भी अपनी बानी में येही हुक्म दिया है , गरीब हाथ जोड़ कर आखों में नीर भरी खुशी खुशी दुआय देता चला गया
क्या ऐसा जीवन हम किसी का बना सकते है
बस किसी की मजबूरी न खरीदे
किसी के दर्द मजबूरी को समझ कर सहयोग करना ही सच्चा तीर्थ है एक यज्ञ है सच्चा कर्म और बन्दगी है हम सबके संत भी येही कहते है
वाहेगुरू जी 🙏
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