जापान में ट्रेन की सीट फटी हुई थी, एक जापानी नागरिक ने अपने बैग में से सूई धागा निकाला और सीट की सिलाई करने लगा।
एक भारतीय नागरिक भी उसी ट्रेन मे था, उसने पूछा, क्या आप रेल्वे के कर्मचारी है…?
उसने कहा- “नहीं मैं एक शिक्षक हूं, मैं इस ट्रेन से हर रोज अप-डाउन करता हूँ, जाते वक्त इस सीट की खस्ता हालत देखकर वापस आते वक्त बाजार से सुई धागा खरीद लाया हूँ”…
मुझे महसूस होता था कि अगर कोई “विदेशी नागरिक इसे देखेगा तो मेरे देश की कितनी बेईज्जती होगी ऐसा सोच कर सीट की सिलाई कर रहा हूँ”…
जो नागरिक देश की इज्जत अपनी इज्जत समझता हो, जिस देश के नागरिको की सोच महान हो, वो देश विकसित और महान बन जाता है, जापान आज इतना विकसित हो गया है कि हम उससे बुलेट ट्रेन खरीद रहे है…
कहीं “मेरा भारत महान” लिख देने से कोई देश महान नही बन जाता, देश के नागरिकों की सोच महान होनी चाहिए…