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⚛️ कर्मयोगी बनो ⚛️

एक छोटी सी कहानी

एक साधु नदी तट पर बैठा हुआ माला जप रहा था। पास बैठे एक ब्राह्मण ने जप का कारण पूछा तो उसने बताया “स्वर्ग प्राप्ति के लिए जप कर रहा हूँ।”

वह ब्राह्मण भी साधु के पास ही बैठ गया और एक – एक मुट्ठी बालू नदी में डालने लगा। उसे ऐसा करते देखकर साधू ने उससे पूछा – ” ब्राह्मण देवता ! आप ये बालू नदी में क्यों डाल रहे हो ?”
ब्राह्मण बोला – “मैं नदी पर पुल बनाऊँगा उस पर होकर पार जाऊँगा।

साधु जोर से हँसा और बोला – “मित्र पुल इस प्रकार नहीं बनता, उसके लिए इंजीनियर, श्रमिक, सामान एवं आवश्यक धन जुटाना पड़ेगा। बालू डालने भर से पुल नहीं बँध सकता।”

उलटकर ब्राह्मण बोला -” मंत्र माला जपने से स्वर्ग कैसे मिल जायगा। उसके लिए संयम, ज्ञान एवं परमार्थ जैसे पुण्य भी तो करने पड़ेंगे।”

साधु ने अपनी भूल समझी और कर्मयोगी बन गया।

🌹जय श्री कृष्णा🌹

गिरधारी अग्रवाल

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स्नेह के आँसू

सब्जी वाले ने तीसरी मंजिल की घंटी का बटन दबाया। ऊपर बालकनी का दरवाजा खोलकर बाहर आई महिला ने नीचे देखा।

“बीबी जी ! सब्जी ले लो ।” बताओ क्या- क्या तोलना है। कई दिनों से आपने सब्जी नहीं खरीदी मुझसे, कोई और देकर जा रहा है क्या ? सब्जी वाले ने कहा।

“रुको भैया! मैं नीचे आती हूँ।”

महिला नीचे उतर कर आई और सब्जी वाले के पास आकर बोली – “भैया ! तुम हमारे घर की घंटी मत बजाया करो। हमें सब्जी की जरूरत नहीं है।”

“कैसी बात कर रही हैं बीबी जी ! सब्जी खाना तो सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। किसी और से लेती हो क्या सब्जी ?” सब्जीवाले ने कहा।

“नहीं भैया ! उनके पास अब कोई काम नहीं है। किसी तरह से हम लोग अपने आप को जिंदा रखे हुए हैं। जब सब ठीक हो जाएगा, घर में कुछ पैसे आएंगे, तो तुमसे ही सब्जी लिया करूंगी। मैं किसी और से सब्जी नहीं खरीदती हूँ। तुम घंटी बजाते हो तो उन्हें बहुत बुरा लगता है ! उन्हें अपनी मजबूरी पर गुस्सा आने लगता है। इसलिए भैया अब तुम हमारी घंटी मत बजाया करो।” ईतना कहकर महिला अपने घर में वापिस जाने लगी।

“बहन जी ! तनिक रुक जाओ। हम इतने बरस से आपको सब्जी दे रहे हैं । जब तुम्हारे अच्छे दिन थे, तब तुमने हमसे खूब सब्जी और फल लिए थे। अब अगर थोड़ी-सी परेशानी आ गई है, तो क्या हम तुमको ऐसे ही छोड़ देंगे ?
सब्जी वाले हैं ! कोई नेता जी तो है नहीं कि वादा करके छोड़ दें। रुके रहो दो मिनिट।”

और सब्जी वाले ने एक थैली के अंदर टमाटर , आलू, प्याज, घीया, कद्दू और करेले डालने के बाद धनिया और मिर्च भी उसमें डाल दिया ।
महिला हैरान थी… उसने तुरंत कहा – “भैया ! तुम मुझे उधार सब्जी दे रहे हो, कम से कम तोल तो लेते और मुझे पैसे भी बता दो। मैं तुम्हारा हिसाब लिख लूंगी। जब सब ठीक हो जाएगा तो तुम्हें तुम्हारे पैसे वापस कर दूंगी।” महिला ने कहा।

“वाह ! ये क्या बात हुई भला ? तोला तो इसलिए नहीं है कि कोई मामा अपने भांजी -भाँजे से पैसे नहीं लेता हैं और बहिन ! मैं कोई अहसान भी नहीं कर रहा हूँ । ये सब तो यहीं से कमाया है, इसमें तुम्हारा हिस्सा भी है। गुड़िया के लिए ये आम रख रहा हूँ, और भाँजे के लिए मौसमी ।
बच्चों का खूब ख्याल रखना, ये बीमारी बहुत बुरी है और आखिरी बात भी सुन लो !
“घंटी तो मैं जब भी आऊँगा, जरूर बजाऊँगा।” ईतना कहकर सब्जी वाले ने मुस्कुराते हुए दोनों थैलियाँ महिला के हाथ में थमा दीं।
महिला की आँखें मजबूरी की जगह स्नेह के आंसुओं से भरी हुईं थीं।

सेवा का दिखावा करने के बजाय कहीं और न जाकर अपने आसपास के लोगों की सेवा यदि प्रत्येक व्यक्ति कर ले तो यह मुश्किल घड़ी भी आसानी से गुजर जाएगी और आत्मा आनंद अमृत से तृप्त होगी।

😷 केवल अपना ही नहीं… अपने परिजनों का भी ध्यान रखें ! 🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

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विटामिन-पी

संजना टेबल पर खाना लगा रही थी।आज विशेष व्यंजन बनाए गए थे, नंदरानी मिथिलेश जो आई थी।
“पापा, ले आओ अपनी कटोरी, खाना लग रहा है”मिथिलेश ने अरुण जी से कहा।
“दीदी, पापा अब कटोरी नही, कटोरा खाते हैं, खाने से पहले कटोरा भरकर सलाद और खाने के बाद कटोरा भर फ्रूट्स” संजना मुस्कुराती हुई बोली।
“अरे, ये चमत्कार कैसे हुआ, पापा की वो कटोरी में खूब सारी टेबलेट्स, विटामिन, प्रोटीन, आयरन, कैल्शियम होती थीं, कहाँ, कैसे, गायब हो गई” मिथिलेश ने आश्चर्य से पूछा।
“बेटा ये सब चमत्कार संजना बिटिया का है” कहते हुए वे पिछले दिनों में खो गए।
नई नवेली संजना ब्याह कर आई, ऐसे घर मे जहाँ, कोई स्त्री न थी, सासु माँ का देहांत हो चुका था और ननद का ब्याह।घर मे पतिदेव और ससुरजी , बस दो ही प्राणी थे।ससुर जी वैसे ही कम बोलते थे और रिटायरमेंट के बाद तो बस अपनी किताबों में ही सिमट कर रह गए थे।संजना देखती कि वे हर रोज़ खाना खाने से पहले दोनों समय एक कटोरी में खूब सारी टेबलेट्स निकाल लाते, पहले उन्हें खाते, उसके बाद अनमने से एकाध रोटी खाकर उठ जाते, रात को भी स्लिपिंग पिल्स खाकर सो जाते।एक दिन उसने ससुर जी से पूछ ही लिया-
“पापाजी, आप ये इतने सारे टेबलेट्स क्यों खाते हैं”
“बेटा, अब तो जीवन इनपर ही निर्भर है, शरीर में शक्ति और रात की नींद इनके बिना अब संभव नहीं”
“ओह पापाजी ,आपने खुद को इनका आदी कर लिया है, कल से आप मेरे हिसाब से चलेंगे, आपको सारे प्रोटीन, विटामिन, आयरन, कैल्शियम सब मिलेगा और रात को नींद भी जमकर आएगी”
अगले दिन सुबह अरुण जी अखबार देख रहे थे तभी संजना ने आकर कहा-
“चलिए पापा जी, थोड़ी देर गार्डन में घूमते हैं, वहाँ से आकर चाय पिएंगे” संजना के कहने पर अरुण जी को उसके साथ जाना पड़ा, जहाँ संजना ने उन्हें हल्का फुल्का योग भी करवाया और साथ ही लाफ थैरेपी देकर खूब हँसाया।
“ये लीजिए पापा जी, आपका कैल्शियम, चाय इसके बाद मिलेगी” संजना ने दूध का गिलास उन्हें पकड़ाया।नाश्ते में स्प्राउट्स देकर कहा- ये लीजिए ,भरपूर प्रोटींस खाईये पापाजी”
लंच के समय अरुण जी, दवाईयां निकालने लगे, तो संजना ने हाथ रोक लिया, और कहा-
“पापाजी, ये सलाद खाईऐ, इसमें टमाटर, चुकंदर है, आपका आयरन और कैल्शियम, खाना खाने के बाद फ्रूट्स खाईऐ”
अरुण जी उसके प्यार की मनुहार को टाल नही पाए।
दिन मे संजना उनके साथ कार्ड्स खेलने बैठ गई, रात का भोजन भी उन्होंने संजना के हिसाब से ही किया, रात को संजना उन्हें फिर गार्डन में टहलाने ले गई।
“चलिए पापा, अब सो जाईए”
अरुण जी की नज़रें अपनी स्लीपिंग पिल्स की शीशी तलाशने लगी।
“लेटिए पापाजी, मैं आपके सिर की मालिश कर देती हूँ” कहकर उसने अरुण जी को बिस्तर पर लिटा दिया और तेल लगाकर हल्के हल्के हाथों सिर का मसाज करने लगी, कुछ ही देर मे अरुण जी की नींद लग गई।
“संजना, बेटी कल रात तो बहुत ही अच्छी नींद आई”
“हाँ, पापाजी, अब रोज़ ही आपको ऐसी नींद आएगी, अब आप कोई टेबलेट नही खाएंगे”
“अब क्यों खाऊंगा, अब जो मुझे रामबाण औषधि मिल गई है”अरुण जी गार्डन जाने के लिए तैयार होते हुए बोले।
“थैंक्यू भाभी” अचानक मिथिलेश की आवाज़ ने अरुण जी की तंद्रा भंग की।
“हाँ बेटा, थैंक्स तो कहना ही चाहिए संजना बेटी को, इसने मेरी सारी टेबलेट्स छुड़वा दी, अब तो बस मैं एक ही टेबलेट खाता हूँ”अरुण जी बोले।
“कौनसी” संजना चौंककर बोली।
“विटामिन -पी, यानि भरपूर प्यार और परवाह “

नम्रता सरन “सोना”
भोपाल म.प्र.

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक, भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

27 जून 1976 की घटना है। इजराइल के तेल अवीव से एक फ्रांसीसी विमान लगभग 248 लोगों को लेकर पेरिस जा रहा था।

बीच में यूनान की राजधानी एथेंस में कुछ देर रुकने के बाद विमान ने ज्योहीं आगे की यात्रा शुरू की, त्योंही चार यात्री उठे, जिनमें दो फलीस्तीनी व दो जर्मन थे। उनमें एक जो महिला थी, उसने अपने हाथों में छुपाए ग्रेनेड को दिखाते हुए चेतावनी दी कि यदि किसी ने चुचप्पड़ किया तो पूरे विमान को उड़ा देगी!

विमान को इन चारों ने हाईजैक कर लिया था। धमकी के बल पर ये सभी विमान को मुड़वा कर अफ्रीकी देश लीबिया के शहर बेनगाजी ले गये, सात घण्टे वहाँ रुके। वहाँ उनके साथ कुछ और अपहरणकर्ता जुड़ गये, जिससे इनकी कुल संख्या सात हो गयी और बेनगाजी से ये सभी विमान को लेकर पूर्वी अफ्रीकी देश युगांडा के एयरपोर्ट एन्तेबे लेकर पहुँच गये।

इस समय युगांडा पर तानाशाह ईदी अमीन का शासन था। ईदी अमीन ने अपहरणकर्ताओं के साथ पूरा सहयोग किया। एन्तेबे हवाई अड्डे की एक पुरानी इमारत में इन सभी विमान यात्रियों को बंधक बना कर रखा गया। इनमें जो कुल 94 यहूदी यात्री थे तथा फ्रांसीसी विमान चालक दल के 12 सदस्य यानी 106 लोगों को छोड़कर बाकी सभी यात्रियों को दो दिनों के भीतर रिहा कर दिया गया।

अपहरणकर्ताओं ने इजराइल से मांग की कि उसकी जेल में जो 40 फलीस्तीनी तथा चार अन्य देशों में 13 अन्य फलीस्तीनी कैद हैं, उन सबको रिहा किया जाए, अन्यथा वह सभी 106 बंधकों को मार देंगे!

इजराइल में आपातकालीन बैठक बुलायी गयी। तब प्रधानमंत्री थे यितजिक राबिन। इजराइल से युगांडा की दूरी तकरीबन 4000 किलोमीटर है। ऐसे में वहाँ जाकर अपने लोगों को छुड़ाकर लाने जैसा दुस्साहस दुनिया में शायद ही कोई देश कर सकता था। तब जबकि फ्रांस के यात्री विमान सहित फ्रांसीसी विमान चालक दल के 12 सदस्य भी थे, पर फ्रांस को भी कुछ समझ न आ रहा था!

तीन रास्ते थे। सड़क मार्ग से केन्या होते हुए घुसा जाए, या समुद्री मार्ग से जाए अथवा हवाई मार्ग से ऑपरेशन को अंजाम दिया जाए। तय हुआ कि हवाई मार्ग से “ऑपरेशन थंडरबोल्ट” को अंजाम दिया जाएगा।

इसके लिए इजराइल के सबसे बेहतरीन 100 कमांडोज को चुना गया। ब्रिगेडियर जनरल डैम शॉमरॉन को मिशन का प्रमुख तथा लेफ्टिनेंट कर्नल योनातन नेतन्याहू (वर्तमान प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के बड़े भाई) को ऑपरेशन का इंचार्ज बनाया गया।

इजराइली खुफिया एजेंसी ‘मोसाद’ को काम पर लगा दिया गया। मोसाद के एक एजेंट ने युगांडा के पड़ोसी देश केन्या से विमान किराए पर लेकर एन्तेबे हवाई अड्डे की कई तस्वीरें खींच अच्छे से जानकारी जुटाई। जानकारी मिली कि एन्तेबे हवाई अड्डे के जिस इमारत में बंधकों को रखा गया है, उसका निर्माण एक इजराइली कंपनी ने ही किया था!

फिर क्या था! उक्त कंपनी से पूरी इमारत के नक्शे को लिया गया। वैसा ही ढाँचा तैयार किया गया। सभी कमांडोज को रिहर्सल करायी गयी कि युगांडा के सैनिकों व अपहरणकर्ताओं से कैसे निबटना है!

इस दरमियान इजराइल सरकार अपने स्तर से ईदी अमीन से सम्पर्क कर रही थी। उसे यह भ्रम होने दिया जा रहा था कि इजराइल सरकार अपहरणकर्ताओं से बंधकों की रिहाई के लिए बातचीत हेतु तैयार है। ऐसा इसलिए ताकि इजराइल को उपर्युक्त ऑपरेशन के लिए आवश्यक समय मिल सके।

इस बीच युगांडा का आश्वस्त तानाशाह ईदी अमीन अफ्रीकी एकता संगठन के शिखर सम्मेलन में भाग लेने मॉरिशस की राजधानी पोर्ट लुई रवाना हो गया था। अतः इजराइल को समुचित समय मिल गया। यानी ईश्वर भी इजराइल की मदद कर रहे थे।

3 जुलाई को शाम में इजराइल के साइनाइ एयर बेस से चार हरक्यूलिस विमान महज 30 मीटर की ऊँचाई पर उड़ते हुए लाल सागर को पार कर गये। ऐसा इसलिए ताकि मिस्र, सऊदी अरब व सूडान के राडार उन्हें पकड़ न सके, अन्यथा इजराइल के ये दुश्मन तुरन्त अपहरणकर्ताओं को आगाह कर देते!

अब 4000 किलोमीटर जाकर वापस 4000 किलोमीटर लौटना भी था, अतः बीच आकाश में इन चारों विमानों में ईंधन भी भरा गया ताकि रास्ते में ईंधन की दिक्कत न हो। रास्ते में ही इजराइली कमांडोज ने युगांडा के सैनिकों की वर्दी पहने ली थी। एक हरक्यूलिस विमान को खाली ले जाया गया था ताकि वापसी में इसमें यात्रियों को लाया जा सके।

सात घण्टे की लगातार उड़ान के बाद ये विमान युगांडा के एन्तेबे हवाई अड्डे पर रात एक बजे चुपके से पहुँचे। अब तारीख थी 4 जुलाई 1976 यानी यात्रियों को बंधक बने लगभग एक सप्ताह होने को था।

इजराइली कमांडोज अपने साथ एक काली मर्सेडीज़ भी लेकर गये थे क्योंकि ईदी अमीन काली मर्सेडीज़ में ही चलता था। ऐसा इसलिए ताकि युगांडा के सैनिकों को लगे कि ईदी अमीन मॉरिशस से लौट कर बंधकों को देखने आया है।

पर यहीं एक गड़बड़ हो गयी। दरअसल कुछ दिनों से ईदी अमीन काली की बजाय सफेद मर्सेडीज़ में चलने लगा था। अतः युगांडा के सैनिकों ने काली मर्सेडीज़ देखते ही इन लोगों पर राइफल्स तान दी। पर युगांडा के थकेले सैनिक दुनिया के सबसे बेहतरीन जाबांजों के सामने क्या टिकते। पलक झपकते इजराइली कमांडोज ने युगांडा के इन सैनिकों को अपनी साइलेंसर लगे हथियारों से वहीं ढेर कर दिया!

उसके बाद अपने साथ लाये दो लैंड रोवर गाड़ियों में भरकर ये कमांडोज तेजी से उस इमारत की तरफ गये, जहाँ बंधकों को रखा गया था। वहाँ पहुँच कर इन कमांडोज ने अंग्रेजी व हिब्रू भाषा में अपना परिचय बंधकों को देकर उन सभी को सुरक्षा वास्ते फर्श के सहारे लिटा दिया तथा उनसे ही पूछ कर उस मुख्य हॉल की तरफ बढ़े, जिधर अपहरणकर्ता निश्चिंत होकर पड़े थे।

इन अपहरणकर्ताओं ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि उनकी मौत कुछ इस तरह उनके सामने आकर खड़ी हो जाएगी। देखते ही देखते इजराइली कमांडोज ने सातों अपहरणकर्ताओं को मौत की नींद सुला दिया। पर अपहरणकर्ताओं की तरफ से हुयी गोलीबारी में तीन बंधकों की भी मौत हो गयी।

तब तक अलर्ट हो चुके युगांडा के सैनिकों ने एन्तेबे एयरपोर्ट को घेरना शुरू किया। इसी दरमियान इजराइली कमांडोज सभी यहूदी यात्रियों व फ्रांसीसी चालक दल के सदस्यों यानी कुल 102 लोगों को लेकर चौथे विमान में बिठाने लगे।

उसी दौरान इजराइली ऑपरेशन के इंचार्ज लेफ्टिनेंट कर्नल योनातन नेतन्याहू को सीने में गोली लग गयी। जवाबी कार्रवाई में इजराइली कमांडोज ने युगांडा के कमसेकम 45 सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। साथ ही एन्तेबे हवाई अड्डे पर खड़े 11 मिग विमानों समेत युगांडा के कमसेकम 30 विमानों को नष्ट कर दिया ताकि ये उनका पीछा न कर सकें!

महज 58 मिनट में इस लगभग असंभव ऑपरेशन को अंजाम देकर इजराइल के ये बेहतरीन कमांडोज वापस लौट गये। वापसी में घायल हो चुके लेफ्टिनेंट कर्नल योनातन नेतन्याहू ने दम तोड़ दिया, जबकि पाँच कमांडोज ज़ख्मी हुए थे।

एक यहूदी बंधक डोरा ब्लॉक को वापस नहीं लाया जा सका क्योंकि उसे युगांडा की राजधानी कम्पाला के मुलागो अस्पताल में अचानक तबियत बिगड़ने पर भर्ती कराया गया था। जब युगांडा का तानाशाह ईदी अमीन वापस आया तो उसने गुस्से में भरकर डोरा ब्लॉक की अस्पताल के बिस्तर से ही खींच कर हत्या करवा दी!

इस प्रकार अपने मात्र एक सैनिक (वर्तमान प्रधानमंत्री के बड़े भाई) व चार बंधकों को खोकर इजराइल ने वह अंसभव-सा कारनामा कर दिखाया था, जो आज तक के मानव इतिहास में किसी की औकात नहीं है करने की।

जब “ऑपरेशन थंडरबोल्ट” को अंजाम देकर ये जाबांज़ कमांडोज वापस अपने देश इजराइल पहुँचे, तो अपार जनसमूह उनके स्वागत के लिए पलकें पावड़े बिछाए इंतजार कर रहा था। जाबांजों ने हिम्मत दिखायी, तो ऊपरवाले ने भी कदम-कदम पर इनका साथ दिया!

देश के प्रधानमंत्री यितजिक राबिन ने जब विपक्ष के नेता मेनाखिम बेगिन को यह खुशखबरी देते हुए सिंगल माल्ट शराब पेश की, तो विपक्ष के नेता ने कहा कि वह चूँकि शराब नहीं पीते, इसलिए चाय पीकर इस खुशखबरी को सेलिब्रेट करेंगे। तब प्रधानमंत्री ने विपक्ष के नेता को कहा कि अरे समझ लीजिये कि आप रंगीन चाय पी रहे, तो मारे खुशी के विपक्ष के नेता कि लाइये, आज के इस ऐतिहासिक दिन तो मैं कुछ भी पी सकता हूँ!

Beinghindu

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☀ સૂર્ય-પૂજા શા માટે જરૂરી છે ☀

પહેલા આપણા રાજાઓ હંમેશા સૂર્ય પૂજા કરતા પરતું કેમ સૂર્ય પૂજા કરતા હતા ?
કેમ સૂર્ય ઉપાસક હતા?

એના માટે પહેલા ગ્રહ મંડળ સમજવું પડશે..

આપણા શાસ્ત્રો કહે છે કે આખુંય બ્રહ્માંડ આપણા શરીર મા સમાયેલું છે.

પહેલા ઋષિ મુનિયો ને કઈ પણ જોવું જાણવું હોય તો દિવ્યદ્રષ્ટિ થી પોતાની અંદર જોઈ લેતા અને એમને બધી જ ખબર પડી જતી.

આપણા બ્રહ્માંડ મા નવ ગ્રહો છે.

એમા સૂર્ય એટલે આપણે પોતે. આપણો આત્મા એને સૂર્ય કહેવાય. મતલબ આપણે આપણી પોતાની જ પૂજા કરતા હતા.

આપણે પોતાના આત્મબળ ઉપર જીવવા વાળા હતા.

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નવ ગ્રહો એ જ દર્શાવે છે.

સૂર્ય એટલે આત્મા.
ચંદ્ર એટલે આપણું મન.
મંગલ એટલે આપણી લડવાની શક્તિ,
બુધ આપણને બુદ્ધિ પ્રદાન કરે છે.
ગુરુ એટલે આપણું જ્ઞાન આધ્યાત્મિક જ્ઞાન.
શુક્ર એટલે આપણી સુખ સાહ્યબી મોજ શોખ.
શનિ એટલે આપણું કર્મ નોકર ચાકર.
રાહુ એટલે આપણી કુટ નીતી.
કેતુ મોક્ષ પ્રદાન કરે છે.

ધ્યાન થી જોશો તો આ એક રાજા નું મંત્રીમંડલ છે.

સૂર્ય એટલે રાજા પોતે .
ચંદ્ર એટલે એનું મન.
બુધ એટલે રાજા નો બુદ્ધિમાન મંત્રી.
ગુરુ એટલે રાજા નો આધ્યાત્મિક ગુરુ આચાર્ય.
શુક્ર એટલે રાજા ની રાજ નર્તકીઓ તથા રાજા ની બીજી મોજ શોખ ની વસ્તુઓ.
શનિ એટલે રાજા ના નોકર ચાકર એના સેવકો.
મંગલ એટલે રાજા નો લડાયક સેના પતિ.
રાહુ એટલે રાજા નો કુટ નીતિજ્ઞ .

બ્રહ્માંડ નું નવ ગ્રહો નું મંત્રી મંડળ એ જ રાજા નું પોતાનું મંત્રી મંડળ.

બ્રહ્માંડ ના નવે ગ્રહો ને ઉર્જા તથા પ્રકાશ કોણ પુરો પાડે?

સૂર્ય મતલબ જેના મા આત્મબળ વધારે હોય એ જ રાજા બની શકે.

જેના મા આત્મબળ હોય એના કહ્યા મા બધા રે.

એની પાસે જ સારો વહીવટ ચલાવવા ની શક્તિ હોય. અને આ આત્મબળ વધારવા માટે જ આપણે સૂર્ય ની પૂજા કરતા હતા.

સૂર્ય ને ક્યારેય કોઈ ની જરૂર પડતી નથી. એમ એક રાજા ને ક્યારેય કોઈ ની જરૂર પડતી નથી. પણ એના માટે રાજા એ પોતાનું આત્મબળ ટકાવી રાખવુ જરૂરી છે.

બધા ગ્રહો સૂર્ય ની આસપાસ પ્રદક્ષિણા કરે છે સૂર્ય જોડે થી ઉર્જા મેળવવા. પણ સૂર્ય કોઈ ની પ્રદક્ષિણા નથી કરતો. એ જ રીતે રાજા નું આખું મંત્રીમંડલ રાજા ની આસપાસ વીંટલાયેલું રહે છે રાજા ને કોઈ ની જરૂર પડતી નથી.
અને એ માટે આપણે ક્ષત્રિયો હંમેશા સૂર્ય ની પૂજા કરતા હતા.

પરંતુ ખીલજી જેવા કેટલાક આક્રમણ કારીઓ એ આપણા બધા મંદિરો નો નાશ કર્યો.

હાલ મા આપણું એક સૂર્ય મંદિર મોઢેરા મા છે જે ખંડિત છે પણ ત્યાં પૂજા થતી નથી, પરંતુ ફક્ત લોકો ને બતાડવા માટે રાખેલું છે.
અંદર ચમાચીડિયા ઉડતા હોય છે.
જે સૂર્યદેવતાનું અપમાન દર્શાવે છે.

આપણા રાજા ભીમદેવ સોલંકી એ આ મંદિર સૂર્યની પૂજા કરવા બનાવ્યું હતું. નહીં કે સરકાર એની ખંડેર જેવી સ્થિતિ મા પ્રદર્શન કરે એના માટે.

”ક્ષત્રિય સમાજે આનો સખત વિરોધ કરી અંદર સૂર્ય મૂર્તિ સ્થાપિત કરી ફરીથી સૂર્ય પૂજા શરૂ કરવી જરૂરી છે.”

જો ક્ષત્રિય સમાજે ફરીથી પતન થી ઉત્થાન તરફ વળવું હોય તો સૂર્ય પૂજા ફરીથી શરૂ કરી પોતાનું આત્મબળ વધારવું જરૂરી છે.

સૂર્ય પૂજા નો ખાલી એક જ દોષ છે કે આત્મબળ વધતાની સાથે અહંકાર આવી જાય છે અને અહંકારી નું પતન થાય છે.

આત્મવિસ્વાસ નું સ્થાન અહંકાર ના લે એ ખૂબ જરૂરી છે.

એનું સૌથી મોટું ઉદાહરણ છે હનુમાનજી.

જેમના ગુરુ ખુદ સૂર્ય પોતે હતા. ખૂબ આત્મવિશ્વાસ હતો પણ અહંકાર જરાય નહીં. જેથી કોઈ એમનું કશું બગડી શક્યું નથી આજ સુધી.

🙏 સૂર્ય પૂજા – ભલે ઊગ્યા ભાણ 🙏

🌞 ભલે ઊગ્યા ભાણ ભાણ તુંહારા ભામણા,
મરણ જીયણ લગ માણ અમારી રાખજો કાશપરાઉત…!

🌞 કાશપ જેહડો ન કોય જેને દણીઅણ જેહડા દિકરા,
લખદળ ભાંગે લોય ઉગાનુ આળસ નહીં
ચળુ ન પડે ચુક કમણે કાશપરાઉત…!

🌞 તેજ પંજર તિમ્મર ટળણ ભયા કાશપકુળ ભાણ,
અમલા વેળા આપને રંગ હો સુરજરાણ…!

🌞 સામસામા ભડ આફડે ભાંગે કે તારા ભ્રમ્મ,
તણ વેળા કાશપતણા તમે સૂરજ રાખો શરમ્મ…!

🌞 તું ઉગા ટળીયા તમ્મર ગૌ છુટા ગાળા,
તસગર ભે ટાણા દન કર કાશપદેવાઉત…!

🌞 અળ પર ઉગતા અરક ઓસડ તું અંધાર,
થે ઝાલર ઝણકાર દીઓળે કાશપદેવાઉત…!

🌞 સવારે ઉઠે કરે કરે સૂરજની આશ,
એને ગોરસ રસ ને ગ્રાસ દેશે કાશપરાઉત…!

🌞 સૂરજથી ધન સાંપડે સૂરજથી ધણ્ય હોય,
સુરજ કેરે સમરણે દોખી ન લંજે કોય…!

🌞 સૂરજ ને શેષનાગ બેય ત્રોવડ કે’વાય,
એકે ધરતી સર ધરી એકે ઉગ્યે વાણુ વાય…!

🌞 કે’દાદર કે’ડાકલા કે પુંજે પાખાણ,
રાત ન ભાંગે રાણ કમણે કાશપરાઉત…!

🌞 સૂરજ પ્રત્યક્ષ દેવ હે નર વંદે પાખાણ,
ઇસર કે ઉમૈયા સુણો એતાં લોક અજાણ…!

સૌરાષ્ટ્ર, ગુજરાત, કચ્છ અને કાઠિયાવાડની સંસ્કૃતિની મઝા એ છે, સૂર્યનારાયણનો ઉદય થાય. ભગવાન ભાસ્કર છે એ આદિત્ય પોતાના રથના ઘોડાને આભમાં વ્હેતા મુકે અને તેજપુંઝના પડદાનો પૃથ્વીની માથે ઘા કરે અને ઝળળળળળળળળ કરીને આખી પચાસ કરોડ પૃથ્વી છે ઈ ઝળાહળા થઈ જાય, તે દિ કોઈએ ગાયત્રીની વંદના કરી, કોઈએ સૂર્યની વંદના કરી,

॥ૐ ભાસ્કરાયવિતમહે મહદ્ જુત્તકરાય્ ધિમહી ધિયો યોનઃ પ્રચોદયાત્ ॥

કોઈએ એમ કિધુ,

॥ યમ્ મંડલમ્ બ્રહ્મોવિદો વદંતિકાયન્તિ યસ્ ચારણસિદ્ધ સંગા પુનાતુમ્ તત્સવિતુર્વરેણ્ યમ્ ॥

ભગવાન સૂરજનારાયણ ઉગે તેજપુંઝના પડદાનો ધરતીની માથે ઘા કરે. કોઈએ આયુષ્ય માંગુ, કોઈએ ધન માંગુ, કોઈએ સંતતિ માંગી, કોઈએ સંપતિ માંગી… પણ આ દેશના શુરવીર મહાપુરુષો એવા જન્મ્યા, એણે સૂરજનારાયણના ઓવારણા લઈને એમ કિધુ કે,

“એયયય, સૂરજનારાયણ સંપતિ નથી જોતી, સત્તા નથી જોતી, આયુષ્ય નથી જોતુ, પણ આ જગતના ચોકમાં જેટલા દિવસ અમારા આયુષ્યના લખાણા હોય, એટલા દિવસ, એયય સૂરજનારાયણ તને મારી ભલામણ ઈ છે કે અમારી લાજને, અમારી આબરૂને જગતના ચોકમાં ન જાવા દેતો, એયય સૂરજનારાયણ ! જગતના ચોકમાં અમારી આબરૂ નિલામ નો થાય.”

॥ લજ રખ તો જીવ રખ, લજ વિણ જીવ મ રખ, છાયા માંગુ એતરો રખ, તો દોનોય ભેરાં રખ. ॥

હે પરમાત્મા ! હે ભગવતી! હે નવલાખ લોબળીયાળી ! મારા જેટલા શ્વાસો લખાયેલા હોય એમાં મારી લાજ જો રહેતી હોય તો જ મારા પંડમાં પ્રાણને રાખજે. લાજ અને જીવતર બેય ભેળા હોય તો જીવવાની મઝા આવે.”

આપણો ક્ષત્રિય સમાજ ફરીથી આત્મવિશ્વાસ તથા આત્મબળ થી ભરપૂર બની ફરીથી ઉત્થાન પામે એવી આશા સાથે જય માતાજી.. કોઈપણ ભૂલ હોય તો જણાવવા વિનંતી.

🌞 જય સૂર્યદેવ 🌞
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स्नेह के आँसू

गली से गुजरते हुए सब्जी वाले ने तीसरी मंजिल की घंटी का बटन दबाया। ऊपर से बालकनी का दरवाजा खोलकर बाहर आई महिला ने नीचे देखा।

“बीबी जी ! सब्जी ले लो । बताओ क्या- क्या तोलना है। कई दिनों से आपने सब्जी नहीं खरीदी मुझसे, कोई और देकर जा रहा है?” सब्जी वाले ने चिल्लाकर कहा।

“रुको भैया! मैं नीचे आती हूँ।”

उसके बाद महिला घर से नीचे उतर कर आई और सब्जी वाले के पास आकर बोली – “भैया ! तुम हमारी घंटी मत बजाया करो। हमें सब्जी की जरूरत नहीं है।”

“कैसी बात कर रही हैं बीबी जी ! सब्जी खाना तो सेहत के लिए बहुत जरूरी होता है। किसी और से लेती हो क्या सब्जी ?” सब्जीवाले ने कहा।

“नहीं भैया! उनके पास अब कोई काम नहीं है। और किसी तरह से हम लोग अपने आप को जिंदा रखे हुए हैं। जब सब ठीक होने लग जाएगा, घर में कुछ पैसे आएंगे, तो तुमसे ही सब्जी लिया करूंगी। मैं किसी और से सब्जी नहीं खरीदती हूँ। तुम घंटी बजाते हो तो उन्हें बहुत बुरा लगता है, उन्हें अपनी मजबूरी पर गुस्सा आने लगता है। इसलिए भैया अब तुम हमारी घंटी मत बजाया करो।” महिला कहकर अपने घर में वापिस जाने लगी।

“ओ बहन जी ! तनिक रुक जाओ। हम इतने बरस से तुमको सब्जी दे रहे हैं । जब तुम्हारे अच्छे दिन थे, तब तुमने हमसे खूब सब्जी और फल लिए थे। अब अगर थोड़ी-सी परेशानी आ गई है, तो क्या हम तुमको ऐसे ही छोड़ देंगे ? सब्जी वाले हैं, कोई नेता जी तो है नहीं कि वादा करके छोड़ दें। रुके रहो दो मिनिट।”

और सब्जी वाले ने एक थैली के अंदर टमाटर , आलू, प्याज, घीया, कद्दू और करेले डालने के बाद धनिया और मिर्च भी उसमें डाल दिया । महिला हैरान थी। उसने तुरंत कहा –

“भैया ! तुम मुझे उधार सब्जी दे रहे हो, कम से कम तोल तो लेते, और मुझे पैसे भी बता दो। मैं तुम्हारा हिसाब लिख लूंगी। जब सब ठीक हो जाएगा तो तुम्हें तुम्हारे पैसे वापस कर दूंगी।” महिला ने कहा।

“वाह….. ये क्या बात हुई भला ? तोला तो इसलिए नहीं है कि कोई मामा अपने भांजी -भाँजे से पैसे नहीं लेता है। और बहिन ! मैं कोई अहसान भी नहीं कर रहा हूँ । ये सब तो यहीं से कमाया है, इसमें तुम्हारा हिस्सा भी है। गुड़िया के लिए ये आम रख रहा हूँ, और भाँजे के लिए मौसमी । बच्चों का खूब ख्याल रखना। ये बीमारी बहुत बुरी है। और आखिरी बात सुन लो …. घंटी तो मैं जब भी आऊँगा, जरूर बजाऊँगा।” और सब्जी वाले ने मुस्कुराते हुए दोनों थैलियाँ महिला के हाथ में थमा दीं।

अब महिला की आँखें मजबूरी की जगह स्नेह के आंसुओं से भरी हुईं थीं।

(निशब्द )

नव नंदन प्रसाद