Posted in राजनीति भारत की - Rajniti Bharat ki

जब एक आतंकवादी, यासिर अराफात ने इजराइल के विरुद्ध फिलिस्तीन राष्ट्र की घोषणा की, तो फिलिस्तीन को सबसे पहले मान्यता देने वाला देश कौन था❓

सउदी अरब? – जी नहीं,
पाकिस्तान? – जी नहीं,
अफगानिस्तान? – जी नहीं,
इराक? – जी नहीं,
तुर्की? – जी नहीं,
सोचिये फिर किस देश ने फिलिस्तीन को सबसे पहले मान्यता दी होगी❓

सेकुलर भारत! जी हाँ!

इंदिरा गाँधी ने मुस्लिम तुष्टीकरण के लिए, सबसे पहले फिलिस्तीन को मान्यता दी और यासिर अराफात जैसे आतंकवादी को “नेहरू शांति पुरस्कार” और राजीव गाँधी ने उसको “इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार” दिए।

और तो और
राजीव गाँधी ने तो उसको पूरे विश्व में घूमने के लिए बोइंग ७४७ गिफ्ट में दिया था।

अब आगे जानिए…

वही खुराफात, सॉरी अराफात, ने OIC (Organisation of Islamic Countries) में काश्मीर को “पाकिस्तान का अभिन्न भाग” बताया और उस आतंकवादी ने बोला कि “पाकिस्तान जब भी चाहे तब मेरे लड़ाके काश्मीर की आजादी के लिए लड़ेंगे।”

और जी हाँ, इतना ही नहीं, जिस शख्स को दुनिया के १०३ देश आतंकवादी घोषित किये हों, और जिसने ८ विमानों का अपहरण किया हो, और जिसने दो हजार निर्दोष लोगों को मार डाला हो, ऐसे आतंकवादी यासिर अराफात को सबसे पहले भारत ने किसी अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा। जी हाँ।

इंदिरा गाँधी ने उसे “नेहरू शांति पुरस्कार” दिया, जिसमें एक करोड़ रुपये नगद और २०० ग्राम सोने से बना एक शील्ड होता है।

अब आप सोचिये, १९८३ में, यानि आज से ३७ वर्षों पहले, एक करोड़ रुपये की आज वैल्यू क्या होगी। (देढ़ अरब से भी ऊपर)

फिर राजीव गाँधी ने उसे “इंदिरा गाँधी अंतर्राष्ट्रीय शांति पुरस्कार” दिया।

फिर यही यासिर अराफात काश्मीर के मामले पर खुलकर पाकिस्तान के साथ हो गया, और इसने घूम घूमकर पूरे इस्लामिक देशों में कहा, कि फिलिस्तीन और काश्मीर दोनों जगहों के मुसलमान गैर-मुसलमानों के हाथों मारे जा रहे हैं, इसलिए पूरे मुस्लिम जगत को इन दोनों मामलों पर एकजुट होना चाहिए।

अब, वो कांग्रेस पार्टी मोदी जी को सिखा रही है, कि “विदेश नीति कैसे की जाती है।”

— साभार

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