Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

एक आदमी घोड़े पर कहीं जा रहा था, घोड़े को जोर की प्यास लगी थी।

कुछ दूर कुएं पर एक किसान बैलों से “रहट” चलाकर खेतों में पानी लगा रहा था।

मुसाफिर कुएं पर आया और घोड़े को “रहट” में से पानी पिलाने लगा।
पर जैसे ही घोड़ा झुककर पानी पीने की कोशिश करता, “रहट” की ठक-ठक की आवाज से डर कर पीछे हट जाता।
फिर आगे बढ़कर पानी पीने की कोशिश करता और फिर “रहट” की ठक-ठक से डरकर हट जाता।

मुसाफिर कुछ क्षण तो यह देखता रहा, फिर उसने किसान से कहा कि थोड़ी देर के लिए अपने बैलों को रोक ले ताकि रहट की ठक-ठक बन्द हो और घोड़ा पानी पी सके।

किसान ने कहा कि जैसे ही बैल रूकेंगे कुएँ में से पानी आना बन्द हो जायेगा, इसलिए पानी तो इसे ठक-ठक में ही पीना पड़ेगा।

ठीक ऐसे ही यदि हम सोचें कि जीवन की ठक-ठक (हलचल) बन्द हो तभी हम भजन, सन्ध्या, वन्दना आदि करेंगे तो यह हमारी भूल है।

हमें भी जीवन की इस ठक-ठक (हलचल) में से ही समय निकालना होगा, तभी हम अपने मन की तृप्ति कर सकेंगे, वरना उस घोड़े की तरह हमेशा प्यासा ही रहना होगा।

सब काम करते हुए, सब दायित्व निभाते हुए ईश्वर सुमिरन में भी लगे रहना होगा, जीवन में ठक-ठक तो चलती ही रहेगी।

Posted in भारत का गुप्त इतिहास- Bharat Ka rahasyamay Itihaas

भाग_मोहन…….!!!!!!!!

बेनजीर भुट्टो , बार बार श्री जगमोहन को भागमोहन (जो डर के मारे कशमीर छोडकर भाग जायेगा) कहकर पुकारती थी । भुट्टो ने कशमीर के गर्वनर श्री जगमोहन साहब के बारे मे और भी ज्यादा नफरत का मुजाहिरा करते हुए कहा था कि हम उसे जग जग, मो मो, हन हन , बना देंगें । (उसके छोेटे छोटे टुकडे कर देंगें) आखिर कुछ तो बात थी उस बंदे मे , जिससे पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की भी सुलग रही थी । अपने दूसरे कार्यकाल जनवरी 1990- मई 1990 के बीच कशमीर के गवर्नर रहे जगमोहन ने कशमीरी मिलिटेंसी का दमन बडे ही सख्त और मजबूत हाथो से किया । कशमीरी इतिहास मे सुरक्षा बलो द्वारा तीनो सबसे सख्त एक्शन जगमोहन के दृढ निर्णयो का ही परिणाम थे । 21 जनवरी को Gawkadal मे CRPF ने फायर खोला ,और कशमीरी पंडितो की रक्षा के लिए आक्रामक और भडकाऊ भीड मे से 50 से ज्यादा कशमीरी आतंकी जहन्नुम भेज दिये । कशमीरी दावा करते है "गावकदल " मे 280 लोग मरे थे । 25 जनवरी को हंदवाडा मे BSF ने पंडितो की रक्षार्थ फायर खोलकर 21 को जहन्नुम का दीदार करवाया । 1 मार्च 1990 को जकूरा -टेंगपोरा मे 33 को BSF ने फिर से जन्नत का टिकट पकडाया था । जगमोहन साहब , कशमीर मे सबसे मजबूत और सख्त प्रशासक रहे , उन्होने मुफ्ती मुहम्मद सईद की मक्कारियो से रची चालो का मजबूती से क्रैकडाउन किया था । इसके अलावा वैष्णो माता शिरीन बोर्ड को अधिकारो से लैस करने के अलावा, इंफ्रास्ट्रक्चर और कई प्रशानिक सुधारो को अंजाम दिया था । वर्ष 1993 मे लिखी उनकी किताब My Frozen turbulence in kashmir कशमीरी पंडितो के Exodus को केंद्र बिंदु मे रखकर ही लिखी गई है । कशमीर से पंडितो के पलायन (Exodus ) के आदेश कथित तौर पर जगमोहन ने ही दिये थे । आज तक बेचारे पंडितो की घर वापिसी नही हो सकी । बहुत से लोग जगमोहन पर टीका टिप्पणी करते हुए 20 जनवरी 1990 के Exodus के लिए उन्हे जिम्मेदार ठहराते है , मगर ये भी सच है कि वो Exodus कशमीरी पंडितो की जीवन रक्षा का एक मात्र तरीका था । 4 मई को 93 साल की आयु मे जगमोहन मलहोत्रा साहब का निधन हो गया । जगमोहन कभी भागमोहन नही बने , मगर कशमीरी पंडित आज भी घर से दर बदर है , उनकी आज तक वापिसी नही हो सकी । काबिल ब्यूरोक्रेट , सख्त प्रशासक और जिम्मेदार राजनेता जगमोहन जी को शत शत नमन ....🙏🙏🙏