वो लड़की
माही अपने पति रोहन का मॉल में इंतजार कर रही थी। रोहन अब तक अाया नहीं तो वो कपड़े देखने एक दुकान मे चली गयी। शॉपिंग करते हुए अचानक वो एक लड़की से टकरा गई। दोनों ने एक दूसरे से माफी मांगी, इतने में रोहन अपनी बीवी को किसी अंजान औरत के साथ बात करता हुआ देख चौक गया क्योंकि वो औरत अंजान तो माही के लिए थी रोहन के लिए नहीं। रोहन एक दीवार की आड़ में छुप गया और उसे याद आई ५ साल पहले वाली वो शाम
५ साल पहले:
रोहन अपने दो दोस्तों के साथ गोवा घूमने गया था। खूब मजे किए थे सब ने, उस टाइम गोवा में कार्निवल चल रहा था। देश विदेश से कई पर्यटक आए थे कार्निवल में भाग लेने। रोहन और उसके दोस्त भीड़ में बिछड़ गए, रोहन उन्हें ढूंढते ढूंढते समंदर किनारे पहुंच गया। वहां एक लड़की जिसने सफेद शर्ट अौर शॉटस पहन रखी थी, हाथ में एक बोतल लिए समंदर की तरफ जा रही थी।
रोहन ने पीछे से बहुत आवाज लगाई “एक्सक्यूज मी, रुको। कहां जा रही हो? रुको”
पर वो लड़की बिना पलटे आगे बढ़ी जा रही थी। रोहन भागकर गया और उस लड़की का हाथ पकड़कर रोका। वो लड़की रोहन को सवालिया अौर गुस्से कि नजर से देख रही थी। देखने में सुंदर दुबली पतली सी थी, आंखों को देख कर लग रहा था बहुत देर से रो रही थी। हाथ में जो बोतल थी वो भी भरी हुई थी और वो लड़की भी होश में दिख रही थी।
रोहन में पूछा “मरने का इरादा है क्या?”
वो लड़की अपने आंसू पोछते हुए गुस्से में बोली “तुम से मतलब?”
रोहन को उस लड़की को वहां अकेले छोड़ना ठीक नहीं लगा, वो उसे बाहर की तरफ खींचने लगा। लड़की अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी। रोहन ने झट से उस लड़की को गोद में उठा लिया, लड़की छोड़ने के लिए चिल्ला रही थी पर ना ही रोहन सुनने वाला था अौर ना ही कार्निवल की मस्ती में मस्त लोग। रोहन ने उसे समंदर से बाहर लाकर रेत पर पटका और खुद वहां हांफ्ता हुआ बैठ गया। उस लड़की के हाथ से बोतल ली अौर पीने लगा।
लड़की चिल्लाई “ये मेरी बीयर की बोतल है।”
रोहन बोला “तो तुम तो वैसे भी मरने जाने वाली थी, तब ध्यान नहीं आया आपने बियर का?”
लड़की ने बोतल छीनी और उठ कर जाने लगी, रोहन ने उसका पीछा किया कहीं ये फिर मरने ना चली जाए ये सोचकर। वो लड़की भी उसी होटल मे ठहरी थी जहाँ रोहन अौर उसके दोस्त। उस लड़की ने भी रोहन को उसके कमरे मे जाते देख लिया। कुछ देर बाद वो लड़की रोहन के कमरे में आई, तब वो अपने होश में नहीं थी। दरवाजा खुलते ही वो अंदर आई अौर रोहन के गले लग गई। रोहन को कुछ समझ नहीं आया और उसने किसी के देखने से पहले दरवाजा बंद कर दिया। लड़की का खुद पर काबू नहीं था, वो रोहन के शर्ट की बटन खोलने लगी, रोहन की धड़कन बढ़ने लगी थी। एसी भी १६° पर चल रहा था पर रोहन को पसीना आ रहा था। रोहन को कुछ सूझ नहीं रहा था, उसने पास पड़ा पानी का जग उठाया और उस लड़की के सर पर पूरा पानी डाल दिया। लड़की को होश आया और वो सर झुकाये बिना कुछ बोले वहां से चली गई।
रोहन के दोस्तों ने लड़की को कमरे से बाहर निकलता देख लिया था। रोहन ने बहुत समझाया पर वो लोग नहीं माने कि दोनों के बीच कुछ नहीं हुआ। उनके हिसाब से लड़की जिस हालत में कमरे से बाहर निकली थी वो कुछ अलग ही कहानी बयां कर रही थी।
आज का दिन:
रोहन को माही ने देख लिया, वो उस लड़की के साथ रोहन के पास आई। रोहन दोनों को साथ देखकर चौंक गया। माही ने दोनों को मिलवाया, तीनों ने फिर वहीं मॉल मे कॉफी पी। वो लड़की जाते हुए माही कि नजरों से छिपकर एक कागज़ रोहन के हाथ में थमा गई। रोहन ने जब वो कागज़ पढ़ा उसके चहरे पर एक बड़ी सी मुस्कान आ गई। उसमें लिखा था “शुक्रिया उस रात मुझे रोकने के लिए, मरने से और बेहकने से”
फिर वो माही के गले लगकर, दोनों को बाय कहकर चली गई। रोहन के मन मे अब डर कि जगह एक मिठी मुलाकात कि याद ने ले ली थी।
स्वरचित
©लावण्या नायडू