मासूम चुन्नी
एक दिन 10 वर्षीय चुन्नी ने रोते-रोते अपनी मां से कहा “अम्मा..अब मैं सेठ के घर काम पर नहीं जाऊंगी।”
चुन्नी की बात सुनकर उसकी विधवा मां ने आंखें तरेर कर कहा “काम पर नहीं जाएगी तो खाएगी क्या? तेरे दो दो छोटे छोटे भाई बहन हैं उनको क्या खिलाऊंगी? तू जो कमाकर लाती है उसी से तो गुजारा होता है। भाई बहन छोटे-छोटे हैं, मैं भी तो काम पर नहीं जा पाती। तुझे तो काम पर जाना ही पड़ेगा। पर तू क्यों नहीं जाना चाहती? तेरा बापू नासपिटा तो तीन-तीन बच्चे पैदा करके, शराब पी पी कर मर गया। अब मुसीबत मेरे सर पर आ पड़ी है।” चुन्नी की मां कमली बाई भुनभुना रही थी।
“तुम कुछ भी कहो अम्मा.. मैं काम पर नहीं जाऊंगी!” रो-रो कर चुन्नी कह रही थी।
चुनने की बात सुनकर कमली ने उसे एक थप्पड़ मारते हुए कहा “नासपीटी.. बाप की तरह आलसी है। काम पर नहीं जाएगी तो खाएगी क्या और तेरे भाई बहनों को क्या खिलाऊंगी? अच्छा पैसा तो देते हैं सेठ जी फिर क्यों मना कर रही है?”
“अम्मा.. बहुत काम कराती हैं सेठानी। जब खाना मांगती हूं तो बहुत गाली देती है, उसके बाद बासी सूखी रोटी और प्याज खाने को देती है। बहुत थक जाती हूं मैं। अगर थोड़ी देर भी बैठ जाती हूं तो बहुत गालियां देती है। कभी-कभी थप्पड़ भी मार देती है। मालिक देख देख कर हंसते हैं अपनी बीवी को कुछ नहीं कहते। जब मैं रोती हूं तो मुझे बुलाकर अपने पास बिठा लेता है और मेरे शरीर पर हाथ फेरता रहता है, मुझे अच्छा नहीं लगता।”
“अरे बावली.. तू छोटी है, प्यार से पास बिठाकर तुझे सांत्वना देते हैं.. इसलिए पीठ पर हाथ फेरते हैं.. इसमें क्या हो गया? सेठ जी बड़े अच्छे है.. दयालु है.. तभी तो तुझे काम पर रखा है!” कमली ने बेटी को समझाते हुए कहा।
“नहीं अम्मा.. सेठ जी बहुत गंदे हैं।” डरते डरते चुन्नी ने कहा।
“सेठ जी के कारण ही तो हम सब जिंदा है। तुझे काम नहीं मिलता तो भूखे मर जाते और तू कह रही है सेठ जी गंदे हैं। ठीक अपने बाबू की तरह आलसी है!” कमली गुस्से में दांत पीस रही थी।
मां का गुस्सा देखकर भी आज चुन्नी ने ठान लिया मां को सच बता कर ही रहेगी इसलिए उसने फिर कहा “अम्मा.. सेठ जी मुझे बुलाकर एक कमरे में ले जाते हैं और मेरे सारे कपड़े उतार देते हैं और मेरे साथ गंदी हरकत करते हैं। मुझसे यह सब बर्दाश्त नहीं होता। अब मैं काम पर नहीं जाऊंगी, भले ही मैं भूखी मर जाऊंगी।” बुरी तरह रो रही थी चुन्नी।
चुन्नी की बातें सुनकर कमली की जुबान बंद हो गई। आंखें फटी की फटी रह गई। वह दौड़ कर चुन्नी को अपनी बाहों में भर लिया और रोते हुए कहा “मेरी चुन्नी.. मेरी चुन्नी.. तुझे अब कभी काम पर जाने नहीं दूंगी मैं, उस गंदे सेठ के घर। हम भले ही भूखे मर जाएंगे मगर तुझे काम पर नहीं भेजूंगी। तू घर में बैठकर अपनी भाई बहनों को संभालना.. मैं जाऊंगी काम पर! लोगों की खेत में मजदूरी करूंगी, मगर सेठ के घर में कभी काम नहीं करूंगी।”
मां का प्यार भरा स्पर्श पाकर और बातें सुनकर मासूम चुन्नी के होठों पर मुस्कान खिल उठी “सच कह रही हो अम्मा.. मेरी अच्छी अम्मा..!” उसने मां के सीने में अपना मुंह छुपा लिया.. उसे जैसे स्वर्ग मिल गया हो!
ज्योत्सना पाॅल
स्वरचित मौलिक।