ग्यारह राजभोग
महेश बाबू बाहर बगीचे में गुनगुनी धूप का आनन्द ले रहे थे…साथ में चाय मखाने …वाह वाह… क्या मस्त कॉम्बिनेशन है…आनन्द के अतिरेक से उन्होनें आँखें बंद कर ली…तभी पास पड़ा फोन घरघराने लगा…लपक कर उठाया… मुंबई से छोटे का फोन था….”भैया आपकी पोती हुई है…घर में लक्ष्मी जी का आगमन हुआ है”
वो बहुत खुश होकर बधाई देने लगे,”देख छोटे, कितने दिनों पर खुशी वाला समाचार मिला है…पार्टी जोरदार होनी चाहिए”
तभी साइकिल की घंटी बजाता मंगलू दूधवाला आ गया… और वहीं धूप में बैठ गया… शायद उसने उनकी बात सुन ली थी…स्नेह से बोला,”ये तो सुबह सुबह बड़ी बढ़िया खबर सुन ली…छोटे बाबू के यहां पोती आ गई… यहाँ सभी भाइयों को राखी बाँधने वाली आ गई”
अब अकेले बैठे महेश जी को भी उसकी बातों में रस मिलने लगा,”वैसे मंगलू, आजकल बिटिया लोगों का सीज़न चल रहा है…इधर सब जगहों से बेटियों के जन्म की ही खबर आ रही है…कभी बेटों का सीजन चलता है…हर जगह से बेटे के जन्म की खबर आ जाती है”
मंगलू खुशी से उछल पड़ा,”आपके मुँह में घी शक्कर बाबूजी…मेरी गाय भी गाभिन है…दुआ करो कि इस कन्याओं के सीजन में मेरे घर भी बाछी आ जाए…पूरे ग्यारह राजभोगों का भोग लगाऊँगा।”
नीरजा कृष्णा
पटनासिटी