नाखून
“पारू से तेज आवाज में बाते क्यों कर रही हो ?”राजन कमरे में प्रवेश करते हुए पत्नी सुधा से बोला।
“दो दिन से डायरी में लिखा आ रहा है कि इसके नाखून बढ़ रहे है.. मैं काटने के लिए कह रही हूँ पर यह सुने तब ना.. ।”सुधा धीमे स्वर में बोली।
“प्यार से नही कह सकती क्या ,छह साल की बच्ची ही तो है .. सौतेली माँ जो ठहरी ,ऐसे ही डांट कर बात करोगी तुम तो।” राजन ने कर्कश स्वर में बोला ।
सुधा को बोलेने का अवसर दिए बिना राजन दूसरे कमरे में चला गया।
‘सौतेली ‘शब्द सुधा के मन मस्तिष्क में एक चक्रवात ले आता था। सोचने लगी ..रात दिन यही सुनने को मिलता है मंजू ऐसी थी ..मंजू वैसी थी .. हर बात में तुलना।
“मंजू के खोल में दुबके इंसान जरा बाहर निकल कर देख.. मैं भी इंसान हूँ..मंजू को गये ढाई साल हो गए और मैं दो साल से इस घर मे हूँ..अगर मंजू से इतना प्यार था तो छह महीने बाद ही दूसरी शादी क्यों कर ली?” सुधा खुद से ही बातें करने लगी।
लेकिन क्या करे? तलाक शुदा थी ना…
राजन को क्या पता कि उसका पूर्व पति रमेश अपनी एक कलीग को उसकी सौत बनाने पर तुला था…
अब राजन भी मंजू को सुधा की सौत बनाने में कोई कसर नही रख रहा है।
घर मे क्लेश न हो इस वजह से सुधा चुप हो जाती थी पर आज मन को समझा न पाई.. आँखो में आये अश्रुओं के सैलाब को काबू में करके राजन के पास जाकर बोली"सगी हूँ या सौतेली, स्कूल वाले नही जानते.. मैंने ही पारो का अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवाया.. पी .टी .एम . में भी मैं ही जाती हूँ.. आपको तो अपने काम से ही फुरसत नही है ..और सुनो मैं मंजू नही सुधा हूँ मुझे अपनी तुलना किसी से करवाना पसंद नही है .."
“चार महीने का मुन्नू आप ही का बेटा है ..रोता रहेगा ,मजाल है गोदी में ले कर बहला लो।”
हालांकि सुधा को इस समय ऐसा लग रहा था कि सांस बस ऊपर ही ऊपर चल रही है फिर भी अपने को संभाल कर फिर बोली।
” माँजी ,रीता भाभी और सुमन दीदी ने तो आज तक मेरे लिए कुछ गलत नही बोला।पड़ोस की सुमेधा भाभी तो कहती है ‘तुमने इस घर को संवार दिया..नही तो इस घर का पानी पीने में भी घिन आती थी’ “
“पारू से अगर इतना प्यार है तो कल से उसका टिफिन,कपड़े धोना और होम वर्क सब आप के जिम्मे .. ।”
सुधा को लगा अभी कुछ और रह गया है। पारू की डायरी उठा कर बोली
“पारू की डायरी में लिख देती हूं कि मैं प्रतिमा की सौतेली माँ हूँ ..इसकी पढ़ाई के बारे में कोई भी बात मेरे फोन पर न करे इसके पापा के फोन पर करे..अब तक तो मैने पारू के साथ कोई सौतेलापन नही दिखाया पर अब जरूर दिखाऊंगी।”
मुन्नू जग कर रोने लगा ..राजन मुन्नू को गोद मे लेकर झुलाने लगा ..पारू को सुधा के सामने खड़ा कर दिया।
सुधा को लगा सिर्फ पारू के नाखून ही नही कट रहे.. मंजू और सौतेली माँ नाम के नाखून भी कट रहे जो बढ़े हुए नाखून की तरह हर दिन उसे चुभते थे।
दीप्ति सिंह (स्वरचित व अप्रकाशित)
२१ – ६ – २०२०