“गरीब की बेटी “
नेहा पग फेरा में मैके आई तो नेहा की माँ ने देखा, नयी दुल्हन के चेहरे पर जो रौनक रहती है वह नेहा के चेहरे में कहीं नहीं दिख रही है…
जो लड़की दिन भर बक-बक करती थी, एक रात मे कैसे चुप हो सकती है…
जरुर.. कुछ न कुछ तो बात है….
माँँ का दिल अनजान आंशका से घिरने लगा था वह चाह रही थी, जल्दी से बात करे…
पर, पास पडो़स के लोग जो नेहा को देखने आये थे हट नहीं रहे थे। जब पड़ोस के लोग चले गये तब मां ने धड़कते दिल से ससुराल का हाल पुछा….
नेहा ने सबकी तारीफ की बस पति के नाम पर चुप रह गई तब माँ ने दुबारा पुछा,
“..दामाद जी कितने बजे लेने आयेंगे…
नेहा चुप रही तब माँ ने नेहा का हाथ पकडा़ और बोली,
“बेटा शेखर कैसे है…नेहा की आँखें भर आई..
“क्या बात है…. मुझे बता! मैं तेरी माँ हूं! कुछ दिक्कत है तो मुझे बोल बेटा…. नेहा तब भी चुप रही अब माँ को पक्का यकीन हो गया कि कुछ न कुछ तो गड़बड़ है वह एकदम शातं स्वर में बोली,
” नेहा माँ बाप से कोई बात छुपानी नहीं चाहिए …
तब नेहा ने रोते हुये बताया कि शेखर ने विवशता में शादी की है वह किसी और से प्यार करता है। मैने कहा कि आपने उससे शादी क्यों नहीं की… तो बोले करुंगा! बहन की शादी हो जाने के बाद! और तुमको क्या तकलीफ है कहां थी और कहां आ गई! पैसों के ढेर में बैठी हो। देखो, यह आलमारी है कपडों और गहनों से भरा है। तुम्हारे लिए एक गाडी़ डाईवर के साथ खड़ा रहेगा। लो! यह कार्ड है! एक लाख महीना खर्चे कर सकती हो। जहां मन हो जब मन हो जाओ कोई रोक-टोक नहीं। बस घर की इज्जत का ध्यान रखना। मुझसे तुम्हारा कोई संबंध नहीं। दुनियां की नजर में बस तुम मेरी पत्नि हो। किसी को शक न हो इसलिए मैं बीच बीच में आता रहूंगा!”
उन लोगों ने जान कर मुझे चुना। गरीब घर की लड़की लायेगें तो वह हर बात सहेगी। इतना कह कर नेहा रोने लगी। नेहा की माँ ने कहा,
“बेटा! हम गरीब जरुर हैं!पर अपनी बेटी गिरवी नहीं रखते! तुझे ड़रने की जरुरत नहीं है! पति नहीं, तो ऐसी शादी का अर्थ क्या….
वो क्या तुझे छोड़ेगा! तुझे अब वहां जाने की जरुरत नहीं है! मेरी बेटी गरीब ही सही मेरे घर की शान है!”
नेहा पहली बार अपनी माँ का ऐसा रुप देख रही थी..