कई हजार घंटों पहले की बात है।
भारत देश में एक गरीब महिला रहती थी। गांव के दबंगों ने उसके पति रजुआ की हत्या पहले ही कर दी थीं।
रजुआ इस महिला – सेंजो को समाज के विरोध के बावजूद किसी दूसरे देश के नृत्यकला केंद्र से लाया था।
रजुआ और उसका दोस्त माधौ – मदिरालय मे सेंजो का मादक नृत्य देखकर रीझ गये थे।
मधुआ राजपरिवार से था और रजुआ भारत देश के गरीब गाजी परिवार से था।
सेंजो मधुआ से मधुर संबंध रखती थी।
पर सेंजो के कुल गुरु पोपदास ने कहा कि तुम को रजुआ से शादी करनी चाहिए जिससे कि हम भारत में जोसुआ प्रोजेक्ट पर काम कर सकें।
इसमें अगर गाजी परिवार बाधा बनेगा तो मूस की AGB तुम्हारी मदद से गाजी परिवार के सदस्यों को ठिकाने लगा देगी।
तुम्हारी सहायता से भारत को मूस देश कभी हथियारों में आत्मनिर्भर नहीं बनने देगा।
तुम भारत के हर प्रोजेक्ट की जानकारी हमें दोगी क्योंकि गाजी परिवार का भारत पर शासन है।
तुम जाओ और भारत के अपने पहले लडाकू विमान मारुत को विफल करो।
और तुमको मूस देश के हथियारों पर कमीशन भी मिलेगा।
धीर धीरे-धीरे गाजी परिवार का AGB ने विनाश करना शुरू कर दिया।
अब सेंजो दुनिया की सबसे चौथी गरीब औरत बन गयी।
इतनी गरीबी आयी कि घर मे एक कुर्सी बची।
किस्मत ने उसको एक लंठ बुद्धि पुत्र AMUL और शातिर बुद्धि पुत्री विंका दी थी।
दोनों मां बेटी इस गाजी परिवार के चिराग को ढो रही थीं।
गरीबी के चलते विंका की शादी एक गरीब किसान से हुई थी।
अमूल भी ५० वर्ष को हो गया था लेकिन उसका दिमाग अभी भी दिन में ५ वर्ष का और रात को १८ वर्ष का हो जाता था।
अमूल ने एक गरीब बालिका लूकन्या का अपनी मित्र मंडली के साथ शील भंग किया था।
मामला भारत के सबसे बडे जज के पास गया।
वहां से भी अमूल जीत गया।
फिर लूकन्या ने अमूल को श्राप दिया कि तु मंदबुद्धि हो जाये। तू आज के बाद किसी भी कन्या का शीलभंग करने लायक नहीं रहेगा। इसी क्षण तेरा ध्वज भंग हो जायेगा।
और हर रात लडके तेरा शील भंग करेंगे जिस से तुझे मेरी वेदना की अनुभूति होगी।
ये श्राप देकर लूकन्या ऐसी गायब हुई कि आजतक किसी ने नहीं देखा है।
समय बदला और भारत पर गाजी परिवार के बजाय तैलंग स्वामी का शासन आ गया।
अब सेंजो अपनी १३५ वर्ष पुरानी कुर्सी पर बेठती है।
और उस पर –
कभी अमूल बैठ जाता है और कभी विंका।
पर कुछ गाजी परिवार के गुलाम उस कुर्सी को भी चुराने की योजना बना रहे हैं।
सब कुछ जानते हुए भी सेंजो चुप है क्योंकि ना उसकी मदद AGB कर पा रही है और ना ही कुल गुरु पोपदास।
वो तो भला हो चीनी बाबा का जो गाजी परिवार का एहसान आज भी चुका रहे हैं।
क्योंकि गाजी परिवार ने ही चीनी बाबा को तपस्या के लिए भारत की पवित्रम जमीन कैलाश मानसरोवर सहित दी थी।
इसी जगह की तपस्या से चीनी बाबा को इतनी शक्तियां मिली कि उन्होंने आसन के लिये आसमानी कबीले को चुना।
और अपनी शक्तियों से कबीले के आस्था स्थलों को लघुशंका निवारण गृहों में बदल दिया।
अब चीनी बाबा और तैलंग स्वामी मे अपनी शक्तियों की आजमाइश चल रही है।
जहाँ सेंजो आज भी चीनी बाबा की चीनी का कर्ज उतार रही है।
तैलंग स्वामी के साथ डोना स्वामी भी मिलकर चीनी बाबा को पटखनी देने में लगे हुए हैं।
चीनी बाबा ने कुपित होकर दोनों देशों पर कोरोना अस्त्र चलाया है।
जिस से डोना स्वामी के देश में त्राहि-त्राहि मज गयी है।
डोना स्वामी पर दो अन्य अस्त्र – काला अस्त्र व कबीला अस्त्र का प्रयोग किया है।
इन अस्त्रों ने डोना के पाताल देश में व्यापक जबाही मचाया है।
डोना की सत्ता जाने वाली है।
भारत पर कोरोना अस्त्र को फेल देखकर चीनी बाबा ने एक साथ दो अस्त्र भारत पर फेंक दिया।
कबीला अस्त्र ने कोरोना अस्त्र का प्रसार पूरे भारत में कर दिया।
तैलंग स्वामी ने कबीला अस्त्र की काट के लिए योगी अस्त्र चलाया है।
लेकिन फिर भी धन जन की व्यापक हानि हुई है।
अब डोना स्वामी ने भी योगी अस्त्र की सहायता ली है।
अब सेंजो पुरानी कुर्सी पर बैठकर अपने पुराने दिनों की याद करती रहती है कि कैसे उसने इस कुर्सी को सुरक्षित रखने के लिये कितने ही मुर्गा कुर्बानी में दिए थे।
कभी अमूल उसको हटाकर उसपर बैठ जाता है और कभी अमूल को हटाकर वो। और अब वो ये कुर्सी विंका को देना चाहती है।
और कुर्सी को सुरक्षित रखने के लिए गरीब मुर्गा की बलि देना चाह रही है।
पर तैलंग स्वामी ने बलि पर प्रतिबंध लगा दिया है।
ये कहानी ऐसे ही हजारों घंटों से चलती जा रही है।
देखना होगा कि डोना स्वामी, तैलंग स्वामी व यहूदी बाबा का गठबंधन कैसे चीनी बाबा के आसमानी अस्त्र को विफल करता है।
Disclaimer :- ये कहानी पूर्णतया काल्पनिक है। सभी पात्र व घटना भी काल्पनिक हैं। ये कहानी सिर्फ़ मनोरंजन के उद्देश्य से लिखी गयी है। अगर किसी की भावना आहत होती है तो लेखक क्षमा प्रार्थी है।
अग्नि पुत्र