दूध का फर्ज
देर रात गये दरवाजे की बेल बजी तो भय भी लगता है ।सरोज जी बस सोने ही जा रही थी अपने सतरह सौ स्कावयर फुट के फ्लैट में अकेली ही रहती हैं ।
बडा बेटा अनिल बहू के साथ बंगलोर में रहता है।
छोटा एम डी कर रहा सो होस्टल में ।
वे खाना खाकर कुछ देर टी वी देखने के बाद सोने ही जा रही थी ।
की होल से देखा अनिलऔर बहू खडे थे ।
दरवाजा खोला “.अरे तुम लोग बिना बताये “
” मम्मी आज आपका जन्म दिन है सो सप्राइज देने आ गये “बेटा बोला ।
“बाप रे ,ऐसे खतरनाक सप्राइज न दिया करो “
खैर बताओ क्या खाओगे
बहू बोली हम खाकर आये हैं आप परेशान न हों फिर भी उन्होंने तुरंत गर्म पूड़ियाँ तली ।
सब्जी खीर फ्रिज में था ।
सुबह जल्दी उठकर रोज की तरह टहलने निकल गयीं ।
ये दोनों सो रहे थे ।
आते समय दूध सब्जी सब लेते आईं
बच्चे उठे तब तक नहा धोकर पूजा पाठ भी कर लिया । उडद की कचौड़ी बेटे को प्रिय थी सो आलू की तरी सब्जी और कचौड़ी तैयार कर दी ।
बेटे ने ऊंगलियां चाट चाट कर खायी लगता है बहू को भली नहीं लगी ये बात ।
फ्लैटवालों ने एक मीटिंग रखी थी सो नीचे गयीं ,
दरवाजा खुला ही था ।
लौटी तो सुना बहू कह रही थी कि इनके अकेले के लिये इतने बडे फ्लैट की क्या जरुरत बेच दो ।
इन्हें साथ ले चलें कितनी स्मार्ट बैंड दूध सब्जी सब ले आई खाना भी कितना अच्छा और जल्दी बनाती हैं ।कामवालियों से तो छुट्टी मिल जायेगी और कोई रिस्क भी नहीं ।
अनिल जोर से चीखा -” रश्मि तुम्हें शर्म नहीं आती ये मेरी मां है मां ।
तुम्हारी तरह छत्तीस को दिनभर उठाती बैठाती थी । क्लासवन सरकारी अधिकारी थी ।
गाडी, पियून , बंगला सब था ।
ये फ्लैट भी खुद की कमाई से खरीदा तीन बेड रुम का कि हम सब साथ रह सकें ।
पापा के मरने के बाद हमको कितनी जतन से योग्य बनाया और तुम कह रही कि इनको अपनी नौकरानी का दर्जा दोगी ।
आइंदा ऐसी बात जुबान पर भी लाई तो जुबान काटकर फेंक दूंगा समझी । “
सरोज जी का कलेजा गर्व से फूल उठा कि वाह मेरे बेटे ।मेरे दूध का मान रख दिया ।
उनको देखते ही दोनों सकपका गये ।
उन्होंने ऐसा प्रदर्शित किया जैसे कुछ सुना ही नहीं।
सोकि ढींगरा