एक सच
“बहुत दिनों का बोझ था, अम्मा आज सब कुछ बता देंगे” –शास्त्री जी की पत्नी को यह कह कर शास्त्री जी के नौकर रहे रामनाथ, दिल्ली में मोतीलाल नेहरू के घर से संसद में शास्त्री जी की मृत्यु के सम्बन्ध में 1977 में जनता सरकार द्वारा बैठाई गई #रामनारायणइन्क्वायरी के समक्ष बयान देने के लिए घर से निकले। एक गाड़ी ने उन्हें टक्कर मारी, जिसमें वो बुरी तरह से घायल हुए। उनकी दोनों टांगें काटनी पड़ गयीं और उनकी याद्दाश्त चली गई।
इसी दिन मास्को दौरे पर शास्त्री जी के साथ गये उनके व्यक्तिगत चिकित्सक आर एन चुग अपना ब्यान देने दिल्ली आ रहे थे।अजीब संयोग था कि उनकी गाड़ी की भी दुर्घटनाग्रस्त हुई जिसमें उनकी, उनकी पत्नी और दो बेटोंकी मृत्यु हो गई। एक पुत्री बच गई परन्तु बहुत गम्भीर रुप से घायल हो गई।
शास्त्री जी देश को परमाणु शक्ति बनाना चाहते थे। 1966 में ही परमाणु वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की संदेहास्पद मृत्यु हो गई।अंतरिक्ष एवं परमाणु वैज्ञानिक डॉ विक्रम साराभाई की संदेहास्पद मृत्यु हो गई । लेकिन इस कांग्रेस ने कोई जेपीसी या सीबीआई इनक्वायरी नहीं करवाई।
दूसरे परिदृश्य में यही कांग्रेस उग्रवादियों के साथ की मुठभेड़ों और बाटला हाउस पर रोती है और उनकी न्यायिक जांच चाहती है।
21दिसम्बर को सीबीआई जज ने सोहराबुद्दीन और प्रजापति की एंकाउंटर को पोलिटिकली मोटिवेटेड बताते हुए कहा कि अपराधी पहले तय कर लिए गये थे फिर जांच की गयी। अपने मित्रों के बीच हृदयाघात से शांत हुए जज लोया की कांग्रेस हाई लेवल कमेटी से जांच कराना चाहती है। भ्रष्ट सीबीआई के डायरेक्टर के पीछे अपनी पूरी ताकत लगा कर कांग्रेस खड़ी है । समझ में नहीं आता ये सब कुछ सार्वजनिक होने के बाद भी लोग कांग्रेस को वोट कैसे देते हैं????
आज 11जनवरी को शास्त्री जी की पुण्यतिथि पर बहुत सी ऐसी घटनाएं यूं हीं दिमाग में घूम गयीं।
शास्त्री जी को हमारा शत शत नमन।🙏🙏🙏🙏
विपिन खुराना