Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

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किसी को गलत समझने से पहले एक बार
उसके हालात समझने की कोशिश करें


एक बादशाह की आदत थी, कि वह भेस बदलकर लोगों की खैर-ख़बर लिया करता था,एक दिन अपने वज़ीर के साथ गुज़रते हुए शहर के किनारे पर पहुंचा तो देखा एक आदमी गिरा पड़ा हैl

बादशाह ने उसको हिलाकर देखा तो वह मर चुका था लोग उसके पास से गुज़र रहे थे, बादशाह ने लोगों को आवाज़ दी लेकिन कोई भी उसके नजदीक नहीं आया क्योंकि लोग बादशाह को पहचान ना सके

बादशाह ने वहां रह रहे लोगों से पूछा क्या बात है? इस को किसी ने क्यों नहीं उठाया? लोगों ने कहा यह बहुत बुरा और गुनाहगार इंसान है ।।

बादशाह ने कहा क्या ये “इंसान” नहीं है?
और उस आदमी की लाश उठाकर उसके घर पहुंचा दी, और उसकी पत्नी को लोगों के रवैये के बारे में बताया ।।।

उसकी पत्नी अपने पति की लाश देखकर रोने लगी, और कहने लगी “मैं गवाही देती हूं मेरा पति बहुत नेक इंसान है”

इस बात पर बादशाह को बड़ा ताज्जुब हुआ कहने लगा “यह कैसे हो सकता है? लोग तो इसकी बुराई कर रहे थे और तो और इसकी लाश को हाथ तक लगाने को भी तैयार ना थे?”

उसकी बीवी ने कहा “मुझे भी लोगों से यही उम्मीद थी, दरअसल हकीकत यह है कि मेरा पति हर रोज शहर के शराबखाने में जाता शराब खरीदता और घर लाकर नालियों में डाल देता और कहता कि चलो कुछ तो गुनाहों का बोझ इंसानों से हल्का हुआ,

और रात में इसी तरह एक बुरी औरत यानी वेश्या के पास जाता और उसको एक रात की पूरी कीमत देता और कहता कि अपना दरवाजा बंद कर ले, कोई तेरे पास ना आए घर आकर कहता ख़ुदा का शुक्र है,आज उस औरत और नौजवानों के गुनाहों का मैंने कुछ बोझ हल्का कर दिया, लोग उसको उन जगहों पर जाता देखते थे,

मैं अपने पति से कहती “याद रखो जिस दिन तुम मर गए लोग तुम्हें नहलाने तक नहीं आएंगे,ना तुम्हारी अर्थी को कंधा देने आएंगे । वह हंसते और मुझसे कहते कि घबराओ नहीं तुम देखोगी कि मेरी अर्थी वक्त का बादशाह और नेक लोग उठाएंगे

यह सुनकर बादशाह रो पड़ा और कहने लगा मैं बादशाह हूं, कल हम इसको नहलायेंगे, इसकी अर्थी को कंधा देंगे और इसका दाह संस्कार भी करवाएंगेl

आज हम बज़ाहिर कुछ देखकर या दूसरों से कुछ सुनकर अहम फैसले कर बैठते हैं अगर हम दूसरों के दिलों के भेद जान जाएं तो हमारी ज़बाने गूंगी हो जाएं,

किसी को गलत समझने से पहले देख लिया करें कि वह ऐसा है भी कि नहीं? और हमारे सही या ग़लत कहने से सही ग़लत नहीं हो जायेगा और जो ग़लत है वो सही नहीं हो जायेगा।

हम दूसरों के बारे में फैसला करने में महज़ अपना वक़्त ज़ाया कर रहे हैंबेहतर ये है कि अपना कीमती वक़्त किसी की बुराई करने की बजाय अच्छी सोच के साथ परोपकार में लगाएं

शिक्षा – किसी को गलत समझने से पहले एक बार उसके हालात समझने की कोशिश जरुर करों हम सही हो सकते है लेकिन मात्र हमारे सही होने से सामने वाला गलत नही हो सकतासच्चे और शुभचिंतक लोग हमारे जीवन में सितारों की तरह होते है वो चमकते तो सदैव ही रहते है परंतु दिखायी तभी देते है जब अंधकार छा जाता है

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खुद को पहचानें

अकबर ने एक ब्राह्मण को दयनीय हालत में जब भिक्षाटन करते देखा तो बीरबल की ओर व्यंग्य कसकर बोले –
‘बीरबल ! ये हैं तुम्हारे ब्राह्मण ! जिन्हें ब्रह्म देवता के रूप में जाना जाता है । ये तो भिखारी हैं ।’

बीरबल ने उस समय तो कुछ नहीं कहा । लेकिन जब अकबर महल में चला गया तो बीरबल वापिस आया और ब्राह्मण से पूछा कि वह भिक्षाटन क्यों करता है ?

ब्राह्मण ने कहा – ‘मेरे पास धन, आभूषण, भूमि कुछ नहीं है और मैं ज्यादा शिक्षित भी नहीं हूँ । इसलिए परिवार के पोषण हेतू भिक्षाटन मेरी मजबूरी है ।’

बीरबल ने पूछा – ‘भिक्षाटन से दिन में कितना प्राप्त हो जाता है ?’

ब्राह्मण ने जवाब दिया – ‘छह से आठ अशर्फियाँ ।’

बीरबल ने कहा – ‘आपको यदि कुछ काम मिले तो क्या आप भिक्षा मांगना छोड़ देंगे ?’

ब्राह्मण ने पूछा – ‘मुझे क्या करना होगा ?’

बीरबल ने कहा – ‘आपको ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके प्रतिदिन 10 माला गायत्री मन्त्र का जाप करना होगा और इसके लिए आपको प्रतिदिन भेंटस्वरुप 10 अशर्फियाँ प्राप्त होंगी ।’

बीरबल का प्रस्ताव ब्राह्मण ने स्वीकार कर लिया। अगले दिन से ब्राह्मण ने भिक्षाटन करना बन्द कर दिया और बड़ी श्रद्धा भाव से गायत्री मन्त्र जाप करना प्रारम्भ कर दिया और शाम को 10 अशर्फियाँ भेंटस्वरुप लेकर अपने घर लौट आता। ब्राह्मण की सच्ची श्रद्धा व लग्न देखकर कुछ दिनों बाद बीरबल ने गायत्री मन्त्र जाप की संख्या और अशर्फियों की संख्या दोनों ही बढ़ा दीं ।

अब तो गायत्री मन्त्र की शक्ति के प्रभाव से ब्राह्मण को भूख, प्यास व शारीरिक व्याधि की तनिक भी चिन्ता नहीं रही। गायत्री मन्त्र जाप के कारण उसके चेहरे पर तेज झलकने लगा। लोगों का ध्यान ब्राह्मण की ओर आकर्षित होने लगा । दर्शनाभिलाषी उनके दर्शन कर मिठाई, फल, पैसे, कपड़े चढाने लगे। अब तो उसे बीरबल से प्राप्त होने वाली अशर्फियों की भी आवश्यकता नहीं रही। यहाँ तक कि अब तो ब्राह्मण को श्रद्धापूर्वक चढ़ाई गई वस्तुओं का भी कोई आकर्षण नहीं रहा। बस वह सदैव मन से गायत्री जाप में लीन रहने लगा।

ब्राह्मण सन्त के नित्य गायत्री जप की खबर चारों ओर फैलने लगी। दूरदराज से श्रद्धालु दर्शन करने आने लगे। भक्तों ने ब्राह्मण की तपस्थली में मन्दिर व आश्रम का निर्माण करा दिया। ब्राह्मण के तप की प्रसिद्धि की खबर अकबर को भी मिली। बादशाह ने भी दर्शन हेतु जाने का फैसला लिया और वह शाही तोहफे लेकर राजसी ठाठबाट में बीरबल के साथ सन्त से मिलने चल पड़े। वहाँ पहुँचकर शाही भेंटे अर्पण कर ब्राह्मण को प्रणाम किया। ऐसे तेजोमय सन्त के दर्शनों से हर्षित हृदय सहित बादशाह बीरबल के साथ बाहर आ गए।

तब बीरबल ने पूछा – ‘क्या आप इस सन्त को जानतें हैं ?’

अकबर ने कहा – ‘नहीं, बीरबल मैं तो इससे आज पहली बार मिला हूँ ।’

फिर बीरबल ने कहा – ‘महाराज ! आप इसे अच्छी तरह से जानते हो । यह वही भिखारी ब्राह्मण है, जिस पर आपने व्यंग्य कसकर कहा था कि ‘ये हैं तुम्हारे ब्राह्मण ! जिन्हें ब्रह्म देवता कहा जाता है ?’

आज आप स्वयं उसी ब्राह्मण के पैरों में शीश नवा कर आए हैं । अकबर के आश्चर्य की सीमा नहीं रही । बीरबल से पूछा – ‘लेकिन यह इतना बड़ा बदलाव कैसे हुआ ?’

बीरबल ने कहा – ‘महाराज ! वह मूल रुप में ब्राह्मण ही है । परिस्थितिवश वह अपने धर्म की सच्चाई व शक्तियोंं से दूर था । धर्म के एक गायत्री मन्त्र ने ब्राह्मण को साक्षात् ‘ब्रह्म’ बना दिया और कैसे बादशाह को चरणों में गिरने के लिए विवश कर दिया ।’ यही ब्राह्मण आधीन मन्त्रों का प्रभाव है। यह नियम सभी ब्राह्मणों पर समान रुप से लागू होता है । क्योंकि ब्राह्मण तप से दूर रहकर जी रहे हैं, इसीलिए पीड़ित हैं। वर्तमान में आवश्यकता है कि सभी ब्राह्मण पुनः अपने कर्म से जुड़ें, अपने संस्कारों को जानें और मानें। मूल ब्रह्मरुप में जो विलीन होने की क्षमता रखता है वही ब्राह्मण है। यदि ब्राह्मण अपने कर्मपथ पर दृढ़ता से चले तो देव शक्तियाँ उसके साथ चल पड़ती हैं ।

आप सभी सामाजिक मर्यादाओं के कारण अंग्रेजी नव वर्ष की बधाई दे रहे हैं। मैं केवल अपना कलेंडर बदलूँगा, Happy New Year बोल कर अपनी लाखों वर्ष पुरानी संस्कृति नहीं बदलूँगा! यदि हम सभी अपनी संस्कार संस्कृति की डोर को कस के पकड़ लें और सभी को बताएँ तो ही बात बनेगी।

हिन्दू हूँ, तो हिन्दू नववर्ष मनाऊंगा, जो प्रकृति भी मनाती है। अंग्रेजों की गुलामी करते हुए, अंग्रेजी नववर्ष मनाकर अपने उन पूर्वजों के बलिदान को अपमानित नहीं करूँगा, जिन्होंने इनके अत्याचार सहकर भी धर्म नहीं बदला🙏🏻

🚩मेरा नववर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को होता है इस बार 👉13 अप्रैल 2021 को होगा

कैलेंडर” बदलो “धर्म” नहीं । आप से चैत्रशुक्लप्रतिपदा पर पुनः बधाईयां बाटेंगे

🚩गर्व से कहो हम हिन्दू हैं🚩

Posted in जीवन चरित्र

છત્રપતિ શિવાજી

ઇતિહાસમાં શિવાજી વિશે શાળામાં ક્યારેય વધારે શીખવડ્યું ન હતું. ઘણા લોકો તેના વિશે શું વિચારે છે તેનાથી આશ્ચર્યચકિત થઈ જશો..:

“કાબુલથી કંદહાર સુધી મારા તૈમૂર પરિવારે મોગુલ સલ્તનતની રચના કરી. ઇરાક, ઈરાન, તુર્કિસ્તાન અને ઘણા વધુ દેશોમાં મારી સેનાએ વિકરાળ યોદ્ધાઓને પરાજિત કર્યા. પરંતુ ભારતમાં શિવાજીએ અમારા પર રોક લગાવી દીધાં. મેં મારી મહત્તમ શક્તિ શિવાજી પર ખર્ચ કરી પરંતુ હું હરાવી શક્યો નહીં.

યા અલ્લાહ, તમે મને એક બહાદુર,નિર્ભય , ઈમાનવાળો ,સ્ત્રી ઓની ઈજ્જત કરવાવાળો દુશ્મન આપ્યો, કૃપા કરીને તેમના માટે સ્વર્ગના દરવાજા ખુલ્લા રાખો કારણ કે વિશ્વનો શ્રેષ્ઠ અને મોટા દિલનો યોદ્ધા તમારી પાસે આવી રહ્યો છે. “

  • ઓરંગઝેબ
    (શિવાજી ના મ્રુત્યુ -3 એપ્રિલ 1680 પર) “તે દિવસે શિવાજીએ પૂણેમાં મારા મહેલમાં ઘુસી ને ફક્ત મારી આંગળીઓ નહીં કાપી, પણ મારું ગૌરવ કાપી નાખ્યું. મને સપનામાં પણ શિવાજી દેખાય છે.”
  • શાહિસ્તા ખાન. “મારા રાજ્યમાં શિવજીને હરાવી સકે તેવો કોઈ માણસ બાકી નથી ??”
  • હતાશ બેગમ અલી આદિલશાહ. “નેતાજી, તમારા દેશને કોઈ પણ હિટલર ની બ્રિટીશ લોકો ને કાઢી નાખવાની માટે જરૂર નથી.
    તમારે શિવાજીનો ઇતિહાસ બાળપણ થી શીખવવાની જરૂર છે.” -એડોલ્ફ હિટલર “જો શિવાજીનો જન્મ ઇંગ્લેંડમાં થયો હોત, તો આપણે ફક્ત પૃથ્વી પર જ નહીં પરંતુ સમગ્ર બ્રહ્માંડ પર શાસન કર્યું હોત.” -લોર્ડ માઉન્ટબેટન “જો શિવાજી બીજા દસ વર્ષ જીવ્યા હોત, તો અંગ્રેજોએ ભારતનો ચહેરો જોયો ન હોત.”
  • તત્કાલીન બ્રિટીશ ગવર્નર _જો ભારતને સ્વતંત્ર બનાવવાની જરૂર હોય તો એકમાત્ર રસ્તો બહાર આવે છે, ‘ દેશ વાશી શિવાજીની જેમ લડે’. “
  • નેતાજી “શિવાજી એ માત્ર નામ નથી, તે ભારતીય યુવાનો માટે એક ઉર્જા સ્ત્રોત છે, જેનો ઉપયોગ ભારતને મુક્ત બનાવવા માટે કરી શકાય છે.”
  • સ્વામી વિવેકાનંદ. “જો શિવાજીનો જન્મ અમેરિકામાં થયો હોત, તો અમે તેમને એસ.યુ.એન. તરીકે નામ આપતા.”
  • બેરેક ઓબામા ગિનિસ બુક Worldફ વર્લ્ડ રેકોર્ડ્સમાં ઉમ્બરખિંડના પ્રખ્યાત યુદ્ધનો ઉલ્લેખ છે: “ઉઝબેકિસ્તાનની કર્તાલાબ ખાનની 30,000 ના મજબૂત સૈન્યને શિવાજીના માત્ર 1000 માલવા ઓ એ પરાજિત કરી હતી. એક પણ ઉઝબેકી આક્રંતાને ઘરે પરત ફરવા માટે જીવતો બાકી નહોતો.” શિવાજી આંતરરાષ્ટ્રીય ખ્યાતિના રાજા હતા. તેની કારકિર્દીના 30 વર્ષના ગાળામાં તેણે ફક્ત બે જ યુદ્ધ ભારતીય લડવૈયાઓ સાથે લડ્યા. બીજા બધા બહારના હતા. શાહિસ્તા ખાન, જેણે સપનામાં પણ શિવજીનો ડર રાખ્યો હતો તે અબુ તાલિબાન અને તુર્કિસ્તાનનો રાજા હતો. બેહલોલખાન પઠાણ, સિકંદર પઠાણ, ચિદરખાન પઠાણ એ બધા અફઘાનિસ્તાનના યોદ્ધા સરદાર હતા. દિલરખાન પઠાણ મંગોલિયાનો મહાન યોદ્ધા હતો. તે બધાએ શિવાજીની સામે ધૂળ ખાય છે. સિદ્દી જોહર અને સલાબા ખાન ઈરાની લડવૈયા હતા, જે શિવાજીથી પરાજિત થયા. સિદ્દી જૌહરે પછીથી દરિયાઇ હુમલો કરવાની યોજના બનાવી. જેના જવાબમાં શિવાજીએ એક નૌકાદળ ઉભું કર્યું, પ્રથમ ભારતીય નૌકાદળ.
    પરંતુ કાર્ય સિદ્ધ કરતા પહેલા શિવાજીએ આ દુનિયા છોડી દીધી. (તેમને આપણા જ ગદ્દારોદ્વારા ઝેર આપવામાં આવ્યું હતું.)

સ્રોત ગૂગલ “શિવાજી, મેનેજમેન્ટ ગુરુ.” તે બોસ્ટન યુનિવર્સિટીનો સંપૂર્ણ વિષય છે.
આપણા અભ્યાસ ક્રમ મા ક્યારે આવશે ?

તેમ છતાં, આપણે ભારતીયો તેના વિશે ખૂબ જ ઓછું જાણીએ છીએ ….. કેટલી દુખ ની વાત છે…… ઓછામાં ઓછું. ચાલો આપણે આપણી ભાવિ પેઢીને આ મહાન ભારત અને તેના મહાન યોદ્ધા ઓ વિશે જાણીવિયે..70 સાલ વિદેશી એજન્ટો હીન્દુસ્થાનમા રાજ કરનારા ઓ એ ક્યાય અભ્યાસ મા કેમ ન લીધુ ? પણ તેણે તો હીન્દુ સંસ્કૃતિને નષ્ટ કરવા પ્રયત્ન કર્યા છે જાગો હીન્દુઓ જાગો

એક રાષ્ટ્ર ભક્ત, અને હીન્દુસંસ્ક્રતિ ના મુળ રખેવાળ બારોટ સમાજ ના એક હીન્દુ સંસ્કૃતિ ના પ્રેમી અમરૂભાઈ બારોટ ની સાચી વેદના સાચી હોય તો આગળ મોકલજ્યો જય શ્રી રામ
ભારત માતા કી જય…
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. अच्छा इंसान बने और दूसरों को बनने के लिए प्रेरित करें..! ___________________________________

एक 7 वर्ष का लडका अपनी 5 वर्ष की छोटी बहन के साथ बाजार से जा रहा था.अचानक से उसे लगा की,उसकी बहन पीछे रह गयी है। वह रुका, पीछे मुडकर देखा तो जाना कि, उसकी बहन एक खिलौने के दुकान के सामने खडी कोई चीज निहार रही है।

लडका पीछे आता है और बहन से पुछता है, “कुछ चाहिये तुम्हे ?” लडकी एक गुड़िया की तरफ उंगली उठाकर दिखाती है।

बच्चा उसका हाथ पकडता है, एक जिम्मेदार बडे भाई की तरह अपनी बहन को वह गुड़िया देता है। बहन बहुत खुश हो गयी है।

दुकानदार यह सब देख रहा था, बच्चे का व्यवहार देखकर आश्चर्यचकित भी हुआ अब वह बच्चा बहन के साथ काउंटर पर आया और दुकानदार से पुछा, “सर, कितनी कीमत है इस गुड़िया की ?”

दुकानदार एक शांत व्यक्ती है, उन्होने बडे प्यार और अपनत्व से बच्चे से पुछा, “बताओ बेटे, आप क्या दे सकते हो,बच्चा अपनी जेब से वो सारी सीपें बाहर निकालकर दुकानदार को देता है जो उसने थोडी देर पहले बहन के साथ समुंदर किनारे से चुन चुन कर लायी थी।दुकानदार वो सब लेकर युं गिनता है जैसे पैसे गिन रहा हो।

सीपें गिनकर वो बच्चे की तरफ देखने लगा तो बच्चा बोला,”सर कुछ कम है क्या?” दुकानदार :-” नही नही, ये तो इस गुड़िया की कीमत से ज्यादा है, ज्यादा मै वापिस देता हूं” यह कहकर उसने 4 सीपें रख ली और बाकी की बच्चे को वापिस दे दी।

बच्चा बडी खुशी से वो सीपें जेब मे रखकर बहन को साथ लेकर चला गया।यह सब उस दुकान का नौकर देख रहा था, उसने आश्चर्य से मालिक से पुछा, ” मालिक इतनी महंगी गुड़िया आपने केवल 4 सिपों के बदले मे दे दी ?”

दुकानदार हंसते हुये बोला,”हमारे लिये ये केवल सीप है पर उस 7 और 6 साल के बच्चों के लिये अतिशय मूल्यवान है। और अब इस उम्र मे वो नही जानता की पैसे क्या होते है ?पर जब वह बडा होगा ना..और जब उसे याद आयेगा कि उसने सिपों के बदले बहन को गुड़िया खरीदकर दी थी, तब ऊसे मेरी याद जरुर आयेगी, वह सोचेगा कि “यह दुनिया अच्छे इंसानों से भरा हुआ है।” यही बात उसके अंदर सकारात्मक दृष्टीकोण बढाने मे मदद करेगी और वो भी अच्छा इंन्सान बनने के लिये प्रेरित होगा

शिक्षा – सकारात्मक दृष्टीकोण बढाने मे मदद करें अच्छे और नेक कार्य करें ,अच्छा इंसान बने ताकि दूसरे आप को देख कर प्रेरित हों