⭕️'पति-पत्नी की कहानी..✍️
राजीव आज लता को फिर उसकी औकात दिखा कर दफ्तर के लिए निकल गया और दिखाते भी क्यों ना, वह ज्यादा पढ़ी-लिखी महिला नहीं थी, वह सिंपल घर में रहने वाली महिला थी
जिसका काम सिर्फ कपड़े धोना, खाना पकाना, बिस्तर लगाना,घर की सफाई करना, बच्चों को अच्छी तालीम शिक्षा देना,
घर के बूढ़े बुजुर्गों का ध्यान रखना इत्यादि था और घर में आए हुए,मेहमानों का स्वागत करना उसका मेन काम था। इन सब काम की क्या अहमियत यह काम तो एक नौकरानी भी कर सकता..
यह सोचकर लता ने अपने गालों से आंसुओं के बूंदों को साफ किया,और फिर से अपने कामों में जुड़ गई रोज की तरह राजीव का फोन आया कि वो ऑफिस से देर से आएगा और खाना बाहर ही खायेगा लता समझ गई पिएगा भी बाहर पहले तो लता रोज अक्सर इस बात पर लड़ाई किया करती थी कि वह पीकर घर ना आया करें वह यह कह कर फटकार देता था कि वो मेहनत करता है यार कमाता है वो जो चाहे कर सकता है,
अब वो कह कह कर थक चुकी थी, वह राजीव से मुंह नहीं लगना चाहती थी क्योंकि राजीव उस से कई बार कह चुका था कि तेरी इस घर को कोई जरूरत नहीं है तो जब चाहे घर छोड़कर जा सकती हैं, लता यह सोचकर चुप हो जाती की शायद राजीव ठीक कह रहा है और वह जाएं भी तो कहां ?
मायका बचपन से ही पराया हो जाता है यदि घर की बेटी दो-चार दिन ही रहे तो आस-पड़ोस के लोगों के कान खड़े हो जाते हैं,रिश्ते नाते के लोग चुस्की लेना शुरू कर देते हैं,आखिरकार बात मां-बाप की इज्जत की होती है यह सोचकर अपमान सहकर रहती है,
एक दिन उसकी तबीयत खराब हो जाती है और उसे कड़ी बुखार हो जाती है,वह घर में लगी ही गोली खा लेती है, और जैसी तैसी करके वह बच्चों की टिफिन और खाना बनाती है, और कमरे में जाकर लेट गई राजीव यह कहकर चला गया कि डॉक्टर को दिखा लेना,शाम तक लता का बुखार,बहुत बढ़ चुका था उसकी तबियत में जरा सा सुधार नहीं था उसने राजीव को फोन किया तो उसने कहा वो घर आते समय दवा लेते आएगा,
राजीव ने दवा लता की पास रख दी और कहा ये ले लो,क्योंकि उसने दवा लाने का इतना महान काम किया था, पत्नियां ऐसा नहीं करती वो दवा देती है और हाथ उसके सिर पर फरेगी, उधर सासुमा ने आज का खाना बनाकर इस बात पर मुहर लगा दी कि वाकई में इस घर को लता की जरूरत नहीं है,रात को लता ने खाना नहीं खाई और बेचैन होकर तड़प रही थी उधर राजीव चैन कि निंद सो रहा था और सोए भी क्यों ना अगले दिन उसे काम पर जो जाना था,अगले दिन राजीव दवा ले लेना कहकर चला गया,उधर सास ने भी बीमारी में हाथ पैर चलाने की नसीहत..देकर महानता का उदाहरण दे दिया, साम तक लता की तबियत और बिगड़ गई,सास ने राजीव को फोन किया तो राजीव ने कहा वो आ रहा है,
एक घण्टे हो गए राजीव अब तक नहीं आए थे,और फिर से राजीव को फोन किया तो लता मौत के करीब पहुंच चुकी थी,राजीव घर आकर लता को अस्पताल ले जाता तब तक लता की मौत हो चुकी थी,अब लता को किसी की जरूरत नहीं थी पर लता की जरूरत सबको थी,आज लता की तेरहवीं हो चुकी थी सब मेहमान जा चुके थे,अब राजीव को दफ्तर जल्दी जाने की जरूरत नहीं था और जाता भी कैसे उसे घर के बहुत से काम जो करना था,जो लता के होने पर उसे पता ही नहीं चलता था,
आज उसे पता लगा कि लता की इस घर की कितनी जरूरत है,आज राजीव को अपने तौलिए, ऑफिस की फाइले, यहां तक कि छोटी छोटी चीजे जिसका उसे आभास भी नहीं था,नहीं मिल रहा था,
उसे पता भी नहीं था कि उसे लता की कितनी जरूरत है,आज लता के जाने के बाद घर घर नहीं चिड़ियाघर लग रहा था,सास की दवाई,बच्चो को समय पर खाना नहीं मिलता,
राजीव को बिस्तर लगा नहीं मिलता,राजीव को घर पर इंतिजार करने वाला कोई नहीं था, उसको कुछ बताने की जरूरत नहीं था की वो कहां हैं,कब आएगा,क्योंकि कोई पूछने वाला ही नहीं है, आज राजीव को लता की कितनी जरूरत है यह बताने के लिए उसे अपनी जान देनी पड़ गई,उसे अपनी अहमियत बताने के लिए इस दुनिया से विदा लेना पड़ा । आज सबने यह मान लिया कि लता को इस घर की नहीं,इस घर को लता की जरूरत है.
☀️’ध्यान दीजिये….’पत्नी की अहमियत न केवल मेरे लिए अहम है, बल्कि परिवार को भी पत्नी ही एकसूत्र में पिरोती है। जिंदगी में चाहे उतार-चढ़ाव आएं या खुशियां, पत्नी का साथ सदैव मिलता है। पारिवारिक रिश्तों की अहम डोर पत्नी के माध्यम से ही मजबूत रहती है। पत्नी का सम्मान और उनका सहयोग जरूरी है।
इसलिए हर पति-पत्नी के जीवन मे एक-दूसरे के प्रति प्यार,विश्वास,समर्पण की भावना होना बहुत जरुरी है.
तो आज आप सभी बताएं कि इस कहानी से आपको क्या शिक्षा मिला ?