एक पेड़ पर बंदर और बंदरिया बैठे थे,नीचे कुछ दूर एक शेर सोया हुआ था।
बंदरिया ने बंदर को उकसाते हुए कहा कि-“अगर बहादुर हो तो उस शेर की पूँछ मरोडकर दिखाओ।
बंदर के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न था।उसने जाकर डरते-डरते धीरे से शेर की पूँछ मरोड दी और भाग चला।शेर की नींद टूटी ,वह एकदम खडा हुआ और बंदर के पीछे तेजी से दौड़ पड़ा।
आगे-आगे बंदर पीछे शेर,बंदर दौडता हुआ पास के गाँव में घुस कर एक नाई की दूकान में छिप गया।
दूकान में उस समय कोई नही था। बंदर हजामत वाली कुर्सी पर आकर बैठ गया और उसने बाहर झाँककर देखा तो दूर उसे शेर आता दिखाई दिया। उसने झट से पास में ही रखा हुआ एक पुराना अखबार उठा लिया और उसकी आड में अपना मुँह ढक लिया।
शेर ने पास आकर उसी से पूछा- ” भाईसाहब…..आपने किसी बंदर को इधर से जाते देखा है ?
अखबार के पीछे से बंदर ने कहा- ” किस बंदर के बारे में पूछ रहे हो, क्या वही जिसने शेर की पूँछ मरोड़कर उसे पटक पटक कर लात घूसों से पीटकर अधमरा कर दिया था।
यह सुनकर शेर शर्म से पानी पानी हो गया और उल्टे पाँव जंगल की ओर तेज़ी से भाग चला।उसके बाद जंगल में शेर लगातार मीडिया वालों को कोस रहा था….”कमीने घटना होती नही कि अखबार मे बढ़ाचढ़ाकर छाप देते हैं,ये साले सुधरेंगे नहीं क़भी,पूरी बिरादरी में मेरी इज्ज़त का कचुम्बर निकाल दिया, अब टीवी चैनल वाले भी मेरी बची खुची आबरू नीलाम करेंगे”……….