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एक फटी धोती और फटी कमीज पहने एक व्यक्ति अपनी 15-16 साल की बेटी के साथ एक बड़े होटल में पहुंचा। उन दोंनो को कुर्सी पर बैठा देख एक वेटर ने उनके सामने दो गिलास साफ ठंडे पानी के रख दिए और पूछा- आपके लिए क्या लाना है?

उस व्यक्ति ने कहा- “मैंने मेरी बेटी को वादा किया था कि यदि तुम कक्षा दस में जिले में प्रथम आओगी तो मैं तुम्हे शहर के सबसे बड़े होटल में एक डोसा खिलाऊंगा।
इसने वादा पूरा कर दिया। कृपया इसके लिए एक डोसा ले आओ।”वेटर ने पूछा- “आपके लिए क्या लाना है?” उसने कहा-“मेरे पास एक ही डोसे का पैसा है।”पूरी बात सुनकर वेटर मालिक के पास गया और पूरी कहानी बता कर कहा-“मैं इन दोनो को भर पेट नास्ता कराना चाहता हूँ।अभी मेरे पास पैसे नहीं है,इसलिए इनके बिल की रकम आप मेरी सैलेरी से काट लेना।”मालिक ने कहा- “आज हम होटल की तरफ से इस होनहार बेटी की सफलता की पार्टी देंगे।”

होटलवालों ने एक टेबल को अच्छी तरह से सजाया और बहुत ही शानदार ढंग से सभी उपस्थित ग्राहको के साथ उस गरीब बच्ची की सफलता का जश्न मनाया।मालिक ने उन्हे एक बड़े थैले में तीन डोसे और पूरे मोहल्ले में बांटने के लिए मिठाई उपहार स्वरूप पैक करके दे दी। इतना सम्मान पाकर आंखों में खुशी के आंसू लिए वे अपने घर चले गए।

समय बीतता गया और एक दिन वही लड़की I.A.S.की परीक्षा पास कर उसी शहर में कलेक्टर बनकर आई।उसने सबसे पहले उसी होटल मे एक सिपाही भेज कर कहलाया कि कलेक्टर साहिबा नास्ता करने आयेंगी। होटल मालिक ने तुरन्त एक टेबल को अच्छी तरह से सजा दिया।यह खबर सुनते ही पूरा होटल ग्राहकों से भर गया।

कलेक्टर रूपी वही लड़की होटल में मुस्कराती हुई अपने माता-पिता के साथ पहुंची।सभी उसके सम्मान में खड़े हो गए।होटल के मालिक ने उन्हे गुलदस्ता भेंट किया और आर्डर के लिए निवेदन किया।उस लड़की ने खड़े होकर होटल मालिक और उस बेटर के आगे नतमस्तक होकर कहा- “शायद आप दोनों ने मुझे पहचाना नहीं।मैं वही लड़की हूँ जिसके पिता के पास दूसरा डोसा लेने के पैसे नहीं थे और आप दोनों ने मानवता की सच्ची मिसाल पेश करते हुए,मेरे पास होने की खुशी में एक शानदार पार्टी दी थी और मेरे पूरे मोहल्ले के लिए भी मिठाई पैक करके दी थी।
🎈आज मैं आप दोनों की बदौलत ही कलेक्टर बनी हूँ।आप दोनो का एहसान में सदैव याद रखूंगी।आज यह पार्टी मेरी तरफ से है और उपस्थित सभी ग्राहकों एवं पूरे होटल स्टाफ का बिल मैं दूंगी।कल आप दोनों को “” श्रेष्ठ नागरिक “” का सम्मान एक नागरिक मंच पर किया जायेगा।

शिक्षा– किसी भी गरीब की गरीबी का मजाक बनाने के वजाय उसकी प्रतिभा का उचित सम्मान करें।
बेटी बचाओ।
बेटी पढाओ

एक बार इस पोस्ट को पूरा समझो…

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*मनःशांती*
एकदा भगवान विष्णूंनी ठरविले की, आज जो जे मागेल ते त्याला द्यायचे. सर्वांच्या इच्छा पूर्ण करावयाच्या. सर्व याचक एका ओळीत उभे राहून आपली पाळी आली की आपल्याला हवे ते मागून घेत होते. कोणी धन, कोणी संतान, कोणी स्वास्थ्य तर कोणी वैभव मागत होते.
विष्णू दोन्ही हातांनी भरभरून देत होते. लक्ष्मीने पाहिले की, हळूहळू विष्णूचे भांडार रिकामे होत चालले आहे. तेव्हा विष्णूचा हात धरत ती म्हणाली, *अशा रीतीने देत राहिलात तर वैकुंठाचे सर्व वैभव काही क्षणातच नाहीसे होईल. मग आपण काय करायचे?*
सस्मित चेहऱ्याने विष्णूंनी उत्तर दिले, *‘तू अजिबात चिंता करू नकोस. मजजवळ अजून एक संपत्ती सुरक्षित आहे. ती मानव, गंधर्व, किन्नर या पैकी कोणीच अजून मागितलेली नाही. ती संपत्ती जोपर्यंत आपल्याजवळ आहे तोपर्यंत तू दुसरे काहीही द्यावे लागले तरी काळजी करू नकोस.’*
लक्ष्मीने विचारले, *‘सांगा बघू अशी कोणती अजब गोष्ट आपल्याजवळ आहे. माझ्या तर काही लक्षात येत नाही.’* विष्णू म्हणाले, *‘तिचं नाव आहे शांती’ जर मनःशांती नसेल तर विश्वातील सारी संपत्ती जरी माणसाला प्राप्त झाली तरी ती आपत्तीच ठरते. म्हणून मी शांती सांभाळून ठेवली आहे.*

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🙏 शुभ रात्रि🙏

एक मनोवैज्ञानिक स्ट्रेस मैनेजमेंट के बारे में… अपने दर्शकों से मुखातिब था..
उसने पानी से भरा एक ग्लास उठाया…
सभी ने समझा की अब “आधा खाली या आधा भरा है”.. यही पूछा और समझाया जाएगा..
मगर मनोवैज्ञानिक ने पूछा.. कितना वजन होगा इस ग्लास में भरे पानी का..??
सभी ने.. 300 से 400 ग्राम तक अंदाज बताया..
मनोवैज्ञानिक ने कहा.. कुछ भी वजन मान लो.. फर्क नहीं पड़ता..
फर्क इस बात का पड़ता है.. कि मैं कितने देर तक इसे उठाए रखता हूँ…
अगर मैं इस ग्लास को एक मिनट तक उठाए रखता हूँ.. तो क्या होगा?
शायद कुछ भी नहीं…
अगर मैं इस ग्लास को एक घण्टे तक उठाए रखता हूँ.. तो क्या होगा?
मेरे हाथ में दर्द होने लगेगा.. और शायद हाथ अकड़ भी जाए…
अब अगर मैं इस ग्लास को एक दिन तक उठाए रखता हूँ.. तो ??
मेरा हाथ… यकीनऩ, बेहद दर्दनाक हालत में होगा, हाथ पैरालाईज भी हो सकता है और मैं हाथ को हिलाने तक में असमर्थ हो जाऊंगा…
लेकिन… इन तीनों परिस्थितियों में ग्लास के पानी का वजन न कम हुआ.. न ज्यादा…
चिंता और दुःख का भी जीवन में यही परिणाम है…
यदि आप अपने मन में इन्हें एक मिनट के लिए रखेंगे..
आप पर कोई दुष्परिणाम नहीं होगा..
यदि आप अपने मन में इन्हें एक घंटे के लिए रखेंगे..
आप दर्द और परेशानी महसूस करने लगेंगे..
लेकिन यदि आप अपने मन में इन्हें पूरा पूरा दिन बिठाए रखेंगे..
ये चिंता और दुःख.. हमारा जीना हराम कर देगा.. हमें पैरालाईज कर के कुछ भी सोचने – समझने में असमर्थ कर देगा..
और याद रहे…
इन तीनों परिस्थितियों में चिंता और दुःख.. जितना था.. उतना ही रहेगा..
इसलिए.. यदि हो सके तो.. अपने चिंता और दुःख से भरे “ग्लास” को…
एक मिनट के बाद..
नीचे रखना न भूलें….
सुखी रहें, स्वस्थ रहें…
🙏🙏🙏

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आपको यह तो ज्ञात होगा कि NDA (National Defence Academy) में जो बेस्ट कैडेट होता है, उसको एक गोल्ड मैडल दिया जाता हैं | लेकिन क्या आपको यह ज्ञात हैं कि उस मैडल का नाम “लचित बोरफुकन” है ? कौन हैं ये “लचित बोरफुकन” ? पोस्ट को पूरा पढ़ने पर आपकों भी ज्ञात हो जाएगा कि क्यों वामपंथी और मुगल परस्त इतिहासकारों ने इस नाम को हम तक पहुचने नहीं दिया |

क्या आपने कभी सोचा है कि पूरे उत्तर भारत पर अत्याचार करने वाले मुस्लिम शासक और मुग़ल कभी बंगाल के आगे पूर्वोत्तर भारत पर कब्ज़ा क्यों नहीं कर सके ?

कारण था वो हिन्दू योद्धा जिसे वामपंथी और मुग़ल परस्त इतिहासकारों ने इतिहास के पन्नो से गायब कर दिया – असम के परमवीर योद्धा “लचित बोरफूकन।” अहोम राज्य (आज का आसाम या असम) के राजा थे चक्रध्वज सिंघा और दिल्ली में मुग़ल शासक था औरंगज़ेब। औरंगज़ेब का पूरे भारत पे राज करने का सपना अधूरा ही था बिना पूर्वी भारत पर कब्ज़ा जमाये।

इसी महत्वकांक्षा के चलते औरंगज़ेब ने अहोम राज से लड़ने के लिए एक विशाल सेना भेजी। इस सेना का नेतृत्व कर रहा था राजपूत राजा राजाराम सिंह। राजाराम सिंह औरंगज़ेब के साम्राज्य को विस्तार देने के लिए अपने साथ 4000 महाकौशल लड़ाके, 30000 पैदल सेना, 21 राजपूत सेनापतियों का दल, 18000 घुड़सवार सैनिक, 2000 धनुषधारी सैनिक और 40 पानी के जहाजों की विशाल सेना लेकर चल पड़ा अहोम (आसाम) पर आक्रमण करने।

अहोम राज के सेनापति का नाम था “लचित बोरफूकन।” कुछ समय पहले ही लचित बोरफूकन ने गौहाटी को दिल्ली के मुग़ल शासन से आज़ाद करा लिया था।
इससे बौखलाया औरंगज़ेब जल्द से जल्द पूरे पूर्वी भारत पर कब्ज़ा कर लेना चाहता था।

राजाराम सिंह ने जब गौहाटी पर आक्रमण किया तो विशाल मुग़ल सेना का सामना किया अहोम के वीर सेनापति “लचित बोरफूकन” ने। मुग़ल सेना का ब्रम्हपुत्र नदी के किनारे रास्ता रोक दिया गया। इस लड़ाई में अहोम राज्य के 10000 सैनिक मारे गए और “लचित बोरफूकन” बुरी तरह जख्मी होने के कारण बीमार पड़ गये। अहोम सेना का बुरी तरह नुकसान हुआ। राजाराम सिंह ने अहोम के राजा को आत्मसमर्पण ने लिए कहा। जिसको राजा चक्रध्वज ने “आखरी जीवित अहोमी भी मुग़ल सेना से लडेगा” कहकर प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया।

लचित बोरफुकन जैसे जांबाज सेनापति के घायल और बीमार होने से अहोम सेना मायूस हो गयी थी। अगले दिन ही लचित बोरफुकन ने राजा को कहा कि जब मेरा देश, मेरा राज्य आक्रांताओं द्वारा कब्ज़ा किये जाने के खतरे से जूझ रहा है, जब हमारी संस्कृति, मान और सम्मान खतरे में हैं तो मैं बीमार होकर भी आराम कैसे कर सकता हूँ ? मैं युद्ध भूमि से बीमार और लाचार होकर घर कैसे जा सकता हूँ ? हे राजा युद्ध की आज्ञा दें….

इसके बाद ब्रम्हपुत्र नदी के किनारे सरायघाट पर वो ऐतिहासिक युद्ध लड़ा गया, जिसमे “लचित बोरफुकन” ने सीमित संसाधनों के होते हुए भी मुग़ल सेना को रौंद डाला। अनेकों मुग़ल कमांडर मारे गए और मुग़ल सेना भाग खड़ी हुई। जिसका पीछा करके “लचित बोफुकन” की सेना ने मुग़ल सेना को अहोम राज के सीमाओं से काफी दूर खदेड़ दिया। इस युद्ध के बाद कभी मुग़ल सेना की पूर्वोत्तर पर आक्रमण करने की हिम्मत नहीं हुई। ये क्षेत्र कभी गुलाम नहीं बना।

ब्रम्हपुत्र नदी के किनारे सरायघाट पर मिली उस ऐतिहासिक विजय के करीब एक साल बाद ( उस युद्ध में अत्यधिक घायल होने और लगातार अस्वस्थ रहने के कारण ) माँ भारती का यह अदभुद लाड़ला सदैव के लिए माँ भारती के आँचल में सो गया |

माँ भारती के ऐसे अद्वितीय पुत्र को कोटि – कोटि नमन .
🙏🏻🙏🏻

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समय रहते, सही इलाज की सख्त आवश्यकता है…

1955-60 के लगभग की घटना है…

हरियाणा के सिरसा में मुसलमानों ने ताजिया निकाला था…

शहर के बीच मुख्य मंदिर में लगे पीपल का एक टहना, दीवार के ऊपर से बाहर सड़क की और निकला हुआ था…

ताजिया आराम से निकल सकता था…

पर जानबूझकर शरारत करने के लिए ताज़िये को उस टहने में अडा कर बैठ गये… कहने लगे हम ये पीपल का टहना काट कर ही ताजिया निकालेंगे… और वो लोग मंदिर की दीवार पर चढ गये…

बात बढ गई… हिन्दू भी इकट्ठे हो गये… कह दिया कि पीपल का टहना नहीं काटने देंगे… आरएसएस के कार्यकर्ताओं तक बात पहुँच गई…

जानने वाले बताते है कि, उस वक्त हमारा सिस्टम ऐसा था कि, केवल एक आवाज पर संघ कार्यकर्ता तुरंत एक जगह इकट्ठे हो जाया करते थे…

मुसलमानों को बहुत समझाया कि ताजिया आराम से निकल सकता है निकाल ले जाओ… पीपल नही काटने देंगे…

पुलिस भी आ गई …

पर मुसलमान पीपल काटने पर उतारू थे… 2-3 घंटे समझाइश चलती रही, पर वे मानने को तैयार नही थे… हालात खराब हो रहे थे…

आखिर हिसार ख़बर की गई… वहाँ से डीएसपी आये… वो जाट थे… उन्होंने भी बहुत समझाया… पर मुसलमान नहीं माने… हालात और ज्यादा खराब होने लगे…

आखिर डीएसपी ने आर्डर दिया… मारो सालों को…

मंदिर चौराहे पर था… तीन रास्ते संघ कार्यकर्ताओं ने बंद कर दिये और एक रास्ता पुलिस ने… दोनों ने मिलकर जिहादियों को खुब फोड़ा… खुब फोड़ा… ताजिया वग़ैरा वहीं छोड़कर भाग खड़े हुए… उसके बाद उस रास्ते से फिर कभी आने की हिम्मत ही नही की…

आज भारत में मुसलमानों की संख्या 20 प्रतिशत से भी उपर बढ चुकी है… धर्म की आड़ लेकर मुसलमान राजनैतिक लाभ पाने के लिये परिवार नियोजन का विरोध करते हैं… और हमारे कुछ भ्रष्ट नेता उनका खुल कर सपोर्ट भी करते है… हालात यह है कि आज मुसलमान मतदाताओं पर यह निर्भर है कि भारत में किस प्रदेश में किस राजनैतिक गठबन्धन की सरकार बने…

कल जब मुस्लिम मतदाता 30 प्रतिशत हो जायेंगे तो फिर वह अपनी ही सरकार बना कर एक और पाकिस्तान बना लेंगे… आँखों पर धर्म निरपेक्षता की पट्टी बँधी होने के कारण, हिन्दूओं को कश्मीर, केरल, असम और पश्चिम बंगाल में हो रही, हिन्दूओं की दुर्दशा का ज्ञान ही नहीं है… जहाँ हिन्दू तेजी से अल्पसंख्यंक बनते जा रहै हैं…

अब समय आ गया है कि सभी हिंदू मांग करे कि, ये पांच सूत्रीय कानून अविलंब देश में लागू किया जाय… 90% देश की समस्या का समाधान हो जायेगा…
1- एक देश एक कानून
2- जनसंख्या नियंत्रण कानून
3- मुसलमानों का अल्पसंख्यक दर्जा हटे क्योकि वो 30 करोड़ हो गए हैं
4- आरक्षण आर्थिक आधार पर
5- एक ही शिक्षा नीति

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आर्डर आर्डर
न्यायधीश का दंड🌳

👉🏽अमेरिका में एक पंद्रह साल का लड़का था, स्टोर से चोरी करता हुआ पकड़ा गया। पकड़े जाने पर गार्ड की गिरफ्त से भागने की कोशिश में स्टोर का एक शेल्फ भी टूट गया।
जज ने जुर्म सुना और लड़के से पूछा, “तुमने क्या सचमुच कुछ चुराया था ब्रैड और पनीर का पैकेट”?
लड़के ने नीचे नज़रें कर के जवाब दिया। ;- हाँ’
जज,:- ‘क्यों ?’
लड़का,:- मुझे ज़रूरत थी।
जज:- ‘खरीद लेते।
लड़का:- ‘पैसे नहीं थे।’
जज:- घर वालों से ले लेते।’ लड़का:- ‘घर में सिर्फ मां है। बीमार और बेरोज़गार है, ब्रैड और पनीर भी उसी के लिए चुराई थी
जज:- तुम कुछ काम नहीं करते ?
लड़का:- करता था एक कार वाश में। मां की देखभाल के लिए एक दिन की छुट्टी की थी, तो मुझे निकाल दिया गया।’
जज:- तुम किसी से मदद मांग लेते?
लड़का:- सुबह से घर से निकला था, तकरीबन पचास लोगों के पास गया, बिल्कुल आख़िर में ये क़दम उठाया।

जिरह ख़त्म हुई, जज ने फैसला सुनाना शुरू किया, चोरी और ख़ुसूसन ब्रैड की चोरी बहुत शर्मनाक जुर्म है और इस जुर्म के हम सब ज़िम्मेदार हैं। ‘अदालत में मौजूद हर शख़्स मुझ सहित सब मुजरिम हैं, इसलिए यहाँ मौजूद हर शख़्स पर दस-दस डालर का जुर्माना लगाया जाता है। दस डालर दिए बग़ैर कोई भी यहां से बाहर नहीं निकल सकेगा।’

ये कह कर जज ने दस डालर अपनी जेब से बाहर निकाल कर रख दिए और फिर पेन उठाया लिखना शुरू किया:- इसके अलावा मैं स्टोर पर एक हज़ार डालर का जुर्माना करता हूं कि उसने एक भूखे बच्चे से ग़ैर इंसानी सुलूक करते हुए पुलिस के हवाले किया।
अगर चौबीस घंटे में जुर्माना जमा नहीं किया तो कोर्ट स्टोर सील करने का हुक्म दे देगी।’
जुर्माने की पूर्ण राशि इस लड़के को देकर कोर्ट उस लड़के से माफी तलब करती है।

फैसला सुनने के बाद कोर्ट में मौजूद लोगों के आंखों से आंसू तो बरस ही रहे थे, उस लड़के के भी हिचकियां बंध गईं। वह लड़का बार बार जज को देख रहा था जो अपने आंसू छिपाते हुए बाहर निकल गये।

क्या हमारा समाज, सिस्टम और अदालत इस तरह के निर्णय के लिए तैयार हैं?

चाणक्य ने कहा है कि यदि कोई भूखा व्यक्ति रोटी चोरी करता पकड़ा जाए तो उस देश के लोगों को शर्म आनी चाहिए

धन्य हैं ऐसा जज…
💐💐💐
धन्य हैं वें लोग जो जजसाहब के निर्णय का स्वागत कर रहे थे…
🙏🙏🙏

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📚💡 कोई निर्णय करने से पहले सच्चाई जाननी चाहिए💡📚

प्राचीन समय की बात है। एक राजा था👑। उसके महल में एक मैतरानी थी, जिसे भंगण🙍🏽‍♀️ भी कहा जाता है। वह राजा👑 के महल में साफ सफाई🧹 का कार्य करती थी ।

एक दिन वह बीमार🤧 पड़ गई और उस दिन वह साफ🧹 सफाई करने के लिए राजा के महल में ना🚫 जा सकी। उसने अपने पति🙍🏽‍♂️ से कहा कि मैं आज बीमार हूं। आज आप राजा के महल में चले जाइए और साफ सफाई🧹 का कार्य पूरा कर दीजिये। इसको सुनकर उसका 🙍🏽‍♂️पति घबरा😟 गया। वह कहने लगा कि मैं पहले कभी महल में गया नहीं मैं वहां कैसे कार्य करूंगा।

उस मैतरानी🙍🏽‍♀️ ने अपने पति🙍🏽‍♂️ को सब कुछ समझा दिया। वह भंगी महल में पहुंच गया। जब वह राजा👑 के कक्ष की साफ सफाई🧹 कर रहा था। वह उस कक्ष की शान ✨और शौकत 💵को देखकर बहुत हैरान😲 हुआ। उसके खानदान में आज तक किसी ने ऐसा ठाठ बाठ नहीं देखा 👁️था । जब उसने राजा👑 के पलंग 🛏️को देखा, तो उस पर बहुत ही नरम और मखमली गद्दे बिछे हुए थे। उसके मन में विचार आया कि अभी मुझे कोई नहीं देख👀 रहा ऊहै। तो क्यों न मैं इस पलंग🛏️ पर लेट जाऊँ । वह डरते हुए उस पलंग🛏️पर बैठ गया पर लेट गया। उसको पलंग पर लेट कर बहुत ही आनंद आया। उसने अपनी आंखों को बंद कर लिया और आनंद का अनुभव करने लगा। इतने में उसे नींद 😴आ गई।

थोड़ी देर बाद रानी👸🏻 उस कक्ष में आई। उसने सोचा🤔कि राजा सोया हुआ है। वह उसके साथ पलंग🛏️ पर लेट गई। इसके कुछ ही क्षणों⌛ के बाद राजा👑 भी अपने कक्ष में आया। जब उसने देखा की रानी👸🏻 किसी और पुरुष के साथ लेटी 🛏️हुई है। तो वह आग😡 बबूला हो उठा। उसने तुरंत अपनी तलवार⚔️ निकाल ली। राजा कहने लगा कि मैं दोनों का गला👸🏻🙍🏽‍♂️ काट दूंगा। जब राजा👑 ने भंगी के उपर ओढ़ी हुई चादर को खींचा तो वह भंगी🙍🏽‍♂️ उठकर बैठ गया और बहुत डर😱 गया।

वह दोनों हाथ जोड़कर 🙏🏼राजा👑 के सामने खड़ा हो गया और कहने लगा महाराज👑 आपके हाथ ⚔️में तलवार है आप चाहे तो मेरा गला काट सकते हैं पर मेरी एक प्रार्थना 😟🙏🏼सुन लीजिए।

वह राजा👑 बहुत बुद्धिमान था। उसने अपने विवेक से काम लिया और भंगी🙍🏽‍♂️ की बात सुनने🦻🏻 लगा। भंगी 🙍🏽‍♂️ने पूरी घटना का वर्णन राजा👑 के समक्ष किया। कि आज उसकी पत्नी 🙍🏽‍♀️बीमार पड़ गई थी। उसने ही मुझे आपके महल में साफ-सफाई🧹 करने के लिए भेजा था। मैंने पहले कभी राजमहल🏛️ नहीं देखा👁️ था। इसीलिए विश्राम करने के लिए थोड़ा पलंग🛏️ पर लेट गया था। जिसके कारण मुझे नींद😴 आ गई।

उसके बाद रानी👸🏻 भी अपनी व्यथा सुनाने लगी। कि जब मैं कक्ष में आई, तो मैंने समझा🤔 कि आप👑 लेटे हुए हैं क्यों कि और तो कोई आपके पलंग🛏️पर नहीं लेट सकता है। इसीलिए मैं पलंग 🛏️🛏️पर लेट गई।

दोनों ने बड़े सरल हृदय से राजा👑 के समक्ष पूरी घटना का वर्णन किया । *इसे सुनकर💬 राजा👑 को विश्वास हो गया। उसने उन दोनों को क्षमा कर दिया। ✅✅

तो यहां पर बहुत ही विचार करने योग्य बात है। अगर राजा👑 पूरी घटना की सच्चाई को ना जानता तो उससे दो निर्दोष हत्यायें हो जानी थी।

👉🏻 इसलिए व्यक्ति को किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले उसकी पूरी घटना की जांच पड़ताल कर लेनी चाहिए।अन्यथा उसके बहुत ही भीषण परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।

पुरषोत्तम मास कथा, 11वां दिन दिनांक 28 सितम्बर 2020, उधमपुर से लिया गया ।

🙏🏼 परम पूज्य🙏🏼
🌹✨ श्रील नव योगेन्द्र स्वामी महाराज 🌹✨
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