एक चूहा एक कसाई के घर में बिल बना कर रहता था।एक दिन चूहे ने देखा कि उस कसाई और उसकी पत्नी एक थैले से कुछ निकाल रहे हैं। चूहे ने सोचा कि शायद कुछ खाने का सामान है।उत्सुकतावश देखने पर उसने पाया कि वो एक चूहेदानी थी।ख़तरा भाँपने पर उस ने पिछवाड़े में जा कर कबूतर को यह बात बताई कि घर में चूहेदानी आ गयी है।कबूतर ने मज़ाक उड़ाते हुए कहा कि मुझे क्या? मुझे कौनसा उस में फँसना है?निराश चूहा ये बात मुर्गे को बताने गया।मुर्गे ने खिल्ली उड़ाते हुए कहा : जा भाई, ये मेरी समस्या नहीं है।हताश चूहे ने बाड़े में जा कर बकरे को ये बात बताई… और बकरा हँसते हँसते लोटपोट होने लगा।उसी रात चूहेदानी में खटाक की आवाज़ हुई, जिस में एक ज़हरीला साँप फँस गया था।अँधेरे में उसकी पूँछ को चूहा समझ कर उस कसाई की पत्नी ने उसे निकाला और साँप ने उसे डस लिया।तबीयत बिगड़ने पर उस व्यक्ति ने हकीम को बुलवाया। हकीम ने उसे कबूतर का सूप पिलाने की सलाह दी।कबूतर अब पतीले में उबल रहा था।खबर सुनकर उस कसाई के कई रिश्तेदार मिलने आ पहुँचे जिनके भोजन प्रबंध हेतु अगले दिन उसी मुर्गे को काटा गया।कुछ दिनों बाद उस कसाई की पत्नी सही हो गयी, तो खुशी में उस व्यक्ति ने कुछ अपने शुभचिंतकों के लिए एक दावत रखी तो बकरे को काटा गया।चूहा अब दूर जा चुका था, बहुत दूर!अगली बार कोई आपको अपनी समस्या बतायेे और आप को लगे कि ये मेरी समस्या नहीं है, तो रुकिए और दुबारा सोचिये।अपने-अपने दायरे से बाहर निकलिये। स्वयं तक सीमित मत रहिये। सामाजिक बनिये !!
Day: September 18, 2020
दादी और पोती
दादी और पोती
💞
गजब लिखा है लिखने वाले ने।
“अम्मा मैं सुषमा और डॉली के साथ मॉल जा रहा हूं तुम घर का ख्याल रखना
” ठीक है बेटा. तुम जाओ वैसे भी मेरे पैर में दर्द हो रहा है मैं मॉल में नही जाना चाहती तुम लोग जाओ
” दादी आपको भी मॉल चलना पड़ेगा” 10 साल की पोती डॉली बोली …
” तुम्हारी दादी मॉल में सीढियां नही चढ़ सकती उन्हें escalator चढ़ना भी नही आता. और कयुंकि वहां कोई मंदिर नही है इसलिए दादी का मॉल जाने में कोई interest नही है वो सिर्फ मंदिर जाने में interested रहती हैं” बहू सुषमा अपनी बेटी डॉली से बोली।
इस बात से दादी सहमत हो गई पर उनकी पोती डॉली जिद पर अड़ गई की वो भी मॉल नही जाएगी अगर दादी नही चली, यद्यपि दादी कह चुकी थीं कि वो मॉल जाने में interested नही है।
अंत मे 10 साल की पोती के सामने दादी की नही चली और वो भी साथ जाने को तैयार हो गई, जिसपर पोती डॉली बहुत खुश हो गई
पिता ने सबको तैयार हों जाने को कहा। इससे पहले की मम्मी पापा तैयार होते सबसे बुजुर्ग दादी और सबसे छोटी लड़की तैयार हो गए।
पोती दादी को बालकनी में ले गई और पोती ने एक फिट की दूरी से दो लकीर चाक से बना दी
पोती ने दादी से कहा कि ये एक गेम है और आपको एक पक्षी की acting करनी है
आपको एक पैर इन दो लाइन्स के बीच मे रखना है और दूसरा पैर 3 ऊंच ऊपर उठाना है
ये क्या है बेटी?, दादी ने पूछा, ये bird game है मैं आपको सिखाती हूं
जब तक पापा कार लाये तब तक दादी पोती ने काफी देर ये गेम खेला
वो मॉल पहुंचे और जैसे ही वो escalator के पास पहुंचे, मम्मी पापा परेशान हो गए कि दादी कैसे escalator में चलेंगी।
पर मम्मी पापा आश्चर्यचकित रह गए जब उन्होंने देखा कि दादी आराम से escalator में सीढ़ियां चढ़ रही थी और बल्कि पोती दादी escalator में बार बार ऊपर नीचे जाकर खूब मज़े ले रहे थे (दरअसल पोती ने दादी से कह दिया था कि यहां पर दादी को वोही Bird Game खेलना है दादी ने अपना दायां पैर उठाना है और एक चलती हुई सीढी पर रखना है और फिर बायां पैर 3 इंच उठाकर चलती हुई अगली सीढ़ी पर रखना है)
इस तरह दादी आसानी से escalator पर चढ़ पा रही थी और दादी पोती खूब बार escalator में ऊपर नीचे जाकर मज़े भी ले रही थीं
उसके बाद वो पिक्चर हॉल गए जहां अंदर ठंडा था तो पोती ने चेहरे पर एक शरारतपूर्ण मुस्कान के साथ अपने बैग से एक शाल निकालकर दादी को उढ़ा दिया की वो पहले से तैयारी के साथ आई थी
Movie के बाद सब रेस्टारेंट में खाना खाने गए. बेटे ने अपनी माँ (डॉली की दादी) से पूछा कि आपके लिए कौन सी डिश order करनी है
पर डॉली ने पापा के हाथ से menu झपटकर जबरन अपनी दादी के हाथ मे दे दिया कि आपको पढ़ना आता है आप ही पढ़ कर deside कीजिये कि क्या खाना order करना है दादी ने मुस्कुराते हुए items फाइनल किये की क्या order करना है
खाने के बाद दादी और पोती ने video games खेले जो घर मे वो पहले ही खेलते थे
घर के लिए निकलने के पहले दादी वॉशरूम गई तो उनकी अनुपस्तिथि का फायदा उठा कर पापा ने बेटी से पूछ लिया कि तुम्हे दादी के बारे में इतना कैसे पता है जो बेटा होते हुए मुझे पता नही है?
तपाक से जवाब आया कि पापा जब आप छोटे से थे तो आपको घर मे नही छोड़ते थे और आपको घर से बाहर ले जाने के पहले आपकी मां कितनी तैयारी करती थीं? दूध की बोतलें, diapers, आपके कपड़े, खाने पीने का समान??
आप क्यों सोचते हैं कि आपकी मां को सिर्फ मंदिर जाने में रुचि है उनकी भी वोही साधारण इच्छाएं होती हैं कि मॉल में जाएं सबके साथ खूब मज़ा करे खाएं पियें, पर बुजुर्गों को लगता है कि वो साथ जाकर आपके मज़े को किरकिरा करेंगे, इसलिए वो खुद पीछे हट जाते हैं और अपने दिल की बात ज़ुबा पर नही ला पाते।
पिता का मुंह खुला का खुला रह गया हालांकि वो खुश थे कि उनकी 10 साल की बिटिया ने उन्हें कितना नया और सुंदर पाठ पढ़ाया
कृपया अपने परिवार और दोस्तो में ज़रूर प्रेषित कीजिये अगर आप उन्हें मॉ बाप से प्यार व लगाव करने देना चाहते हैं
🙏🏻🙏🏻🙏🏻😊
बुढ़िया की चक्की..
बुढ़िया की चक्की..😔😔
किसी गांव में एक अम्मा ने अपनी खुंद पड़ी “आटा-चक्की” को खुंटवाने के लिए कारीगर को बुलाया..
“देख भाई जानता तो है ना..?
ये रही चक्की, इसे ठीक कर दे..बस आज के खाने लायक दलिया बचा था वो चूल्हे पर चढ़ा दिया है..
तू इसे ठीक कर..तब तक मैं कुएँ से मटकी भर कर लाती हूँ”..
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कारीगर बोला, “ठीक है अम्मा, तू चिंता मत कर…मेरी कारीगरी के सात गाँवों में चर्चे हैं..
ऐसी चक्की खोटूंगा कि तू आटा पीसेगी तो भी मैदा निकालेगी और चूल्हे पर चढ़ा पक रहा तेरा दलिया भी सम्भाल लूंगा..तू बेफिक्र पानी भरने चली जा”..
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बुढ़िया निश्चिन्त होकर कुएँ की तरफ निकल गयी और कारीगर चक्की की खुटाई करने लगा…
काम करते हुए हत्थे से निकलकर अचानक हथौड़ी उछलकर चूल्हे के ऊपर लटकी हुई घी की मटकी पर जा पड़ी…घी सहित मटकी चूल्हे पर पक रहे दलिया की हांडी पर जा गिरी..
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इतना सब होने पर कारीगर हड़बड़ा गया और हड़बड़ाहट में उससे चक्की का पाट भी टूट गया…
कारीगर के कुछ समझ में आता, उससे पहले ही चूल्हे पर बिखरे घी से लपटें भभकीं तो घास-फूस की छत ने आग पकड़ ली और झोंपड़ी धूं-धूं करके जलने लगी..
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कारीगर घबराकर उलटे पाँव भागा तो रास्ते में आती बुढ़िया से टकरा गया, और उसकी पानी की मटकी भी गिरकर फूट गयी..
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बुढ़िया चिल्लाई, “अरे करमजले, तुझे ऐसी भी क्या जल्दी थी, अब रात को क्या प्यासी सोऊंगी..? एक ही मटकी थी वो भी तूने फोड़ दी।”
कारीगर बोला,
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“अरे अम्मा, तू किस-किस को रोयेगी..
पानी की मटकी को रोयेगी, या
घी से भरी मटकी को रोयेगी, या
दलिये की हांड़ी को रोयेगी, या
टूटी चक्की को रोयेगी, या फिर
जल गई अपनी झोंपड़ी को रोयेगी?”
ये कहता हुआ वह “कुशल कारीगर” झोला उठाकर भाग निकला….
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ठीक इसी प्रकार… हमारा भविष्य भी अब कुछ ऐसे ही कुशल कारीगर के हाथों में सुरक्षित पड़ा हुआ है,
चीन-पाक को रोओगे या
GDP को रोओगे या
कोरोना को रोओगे या
बेरोजगारी को रोओगे या
महंगाई को रोओगे या फिर
(अंबानी/अडानी के हाथों)
बिक व बर्बाद हो चुकी
संस्थाओं #संसाधनों को रोओगे..
किस-किस को रोओगे… ??😟😟😟
ये आँसू भी कम पड़ जाऐंगे…!!
तमाशबीन फिर भी कहते रहते हैं
“#कारीगर_कुशल है, इसका कोई विकल्प नहीं..!🤫🤫🤫🤫
Post credit by_ William Thomas