रामचंद्र आर्य.
अ॑ग्रेजी के “C” से हुआ सिरदर्द
गांव की नयी नवेली दुल्हनअपने पति से अंग्रेजी भाषा सीख रही थी, लेकिन अभी तक वो “C” अक्षर पर ही अटकी हुई है।क्योंकि, उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि “C” को कभी “च” तो कभी “क” तो कभी “स” क्यूं बोला जाता है।एक दिन वो अपने पति से बोली, आपको पता है,”चलचत्ता के चुली भी च्रिचेट खेलते हैं”पति ने यह सुनकर उसे प्यार से समझाया, यहां “C” को “च” नहीं “क” बोलेंगे।इसे ऐसे कहेंगे, “कलकत्ता के कुली भी क्रिकेट खेलते हैं।”पत्नी पुनः बोली “वह कुन्नीलाल कोपड़ा तो केयरमैन है न ?”पति उसे फिर से समझाते हुए बोला, “यहां “C” को “क” नहीं “च” बोलेंगे।जैसे, चुन्नी लाल चोपड़ा तो चेयरमैन है न थोड़ी देर मौन रहने के बाद पत्नी फिर बोली,”आपका चोट, चैप दोनों चाटन का है न ?”पति अब थोड़ा झुंझलाते हुए तेज आवाज में बोला, अरे तुम समझती क्यूं नहीं, यहां”C” को “च” नहीं “क” बोलेंगेऐसे, आपका कोट, कैप दोनों कॉटन का है नपत्नी फिर बोली – अच्छा बताओ, “कंडीगढ़ में कंबल किनारे कर्क है ? “अब पति को गुस्सा आ गया और वो बोला, “बेवकुफ, यहां “C” को “क” नहीं “च” बोलेंगे।जैसे – चंडीगढ़ में चंबल किनारे चर्च है नपत्नीसहमते हुए धीमे स्वर में बोली,” और वो चरंट लगने से चंडक्टर और च्लर्क मर गए क्या ?”पति अपना बाल नोचते हुए बोला,” अरी मूरख, यहां “C” को “च” नहीं “क” कहेंगे…करंट लगने से कंडक्टर और क्लर्क मर गए क्या?इस पर पत्नी धीमे से बोली,” अजी आप गुस्सा क्यों हो रहे हो… इधर टीवी पर देखो-देखो…”केंटीमिटर का केल और किमेंट कितना मजबूत है”पति अपना पेशेंस खोते हुए जोर से बोला, “अब तुम आगे कुछ और बोलना बंद करो वरना मैं पगला जाऊंगा।”ये अभी जो तुम बोली यहां “C” को “क” नहीं “स” कहेंगे – सेंटीमीटर, सेल और सीमेंटहां जी पत्नी बड़बड़ाते बोली, “इस “C” से मेरा भी सिर दर्दकरने लगा है।और अब मैं जाकर चेक खाऊंगी, उसके बाद चोक पियूँगी फिर चाफी के साथ चैप्सूल खाकर सोऊंगी तब जाकर चैन आएगा।उधर जाते-जाते पति भी बड़बड़ाता हुआ बाहर निकला..तुम केक खाओ, पर मेरा सिर न खाओ..तुम कोक पियो या कॉफी, पर मेरा खून न पिओ..तुम कैप्सूल निगलो, पर मेरा चैन न निगलो..सिर के बाल पकड़ पति ने निर्णय कर लिया कि अब अंग्रेजी के चक्कर में नहीं पडूंगाहमारी मातृभाषा हिंदी है