Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

तर्पण


एक पंडितजी को नदी में तर्पण करते देख एक फकीर अपनी बाल्टी से पानी गिराकर जाप करने लगा कि..”मेरी प्यासी गाय को पानी मिले।”पंडितजी के पूछने पर उस फकीर ने कहा कि… जब आपके चढाये जल और भोग आपके पुरखों को मिल जाते हैं तो मेरी गाय को भी मिल जाएगा.इस पर पंडितजी बहुत लज्जित हुए।”यह मनगढंत कहानी सुनाकर एक इंजीनियर मित्र जोर से ठठाकर हँसने लगे और मुझसे बोले कि – “सब पाखण्ड है जी..!”शायद मैं कुछ ज्यादा ही सहिष्णु हूँ… इसीलिए, लोग मुझसे ऐसी बकसोदी करने से पहले ज्यादा सोचते नहीं है क्योंकि, पहले मैं सामने वाली की पूरी बात सुन लेता हूँ… उसके बाद ही उसे जबाब देता हूँ.खैर… मैने कुछ कहा नहीं ….बस, सामने मेज पर से ‘कैलकुलेटर’ उठाकर एक नंबर डायल किया… और, अपने कान से लगा लिया. बात न हो सकी… तो, उस इंजीनियर साहब से शिकायत की.इस पर वे इंजीनियर साहब भड़क गए.और, बोले- ” ये क्या मज़ाक है…??? ‘कैलकुलेटर’ में मोबाइल का फंक्शन भला कैसे काम करेगा..???”तब मैंने कहा…. तुमने सही कहा…वही तो मैं भी कह रहा हूँ कि…. स्थूल शरीर छोड़ चुके लोगों के लिए बनी व्यवस्था जीवित प्राणियों पर कैसे काम करेगी ???इस पर इंजीनियर साहब अपनी झेंप मिटाते हुए कहने लगे- “ये सब पाखण्ड है , अगर ये सच है… तो, इसे सिद्ध करके दिखाइए”इस पर मैने कहा…. ये सब छोड़िएऔर, ये बताइए कि न्युक्लीअर पर न्युट्रान के बम्बारमेण्ट करने से क्या ऊर्जा निकलती है ?वो बोले – ” बिल्कुल ! इट्स कॉल्ड एटॉमिक एनर्जी।”फिर, मैने उन्हें एक चॉक और पेपरवेट देकर कहा, अब आपके हाथ में बहुत सारे न्युक्लीयर्स भी हैं और न्युट्रांस भी…!अब आप इसमें से एनर्जी निकाल के दिखाइए…!!साहब समझ गए और तनिक लजा भी गए एवं बोले-“जी , एक काम याद आ गया; बाद में बात करते हैं “कहने का मतलब है कि….. यदि, हम किसी विषय/तथ्य को प्रत्यक्षतः सिद्ध नहीं कर सकते तो इसका अर्थ है कि हमारे पास समुचित ज्ञान, संसाधन वा अनुकूल परिस्थितियाँ नहीं है ,इसका मतलब ये कतई नहीं कि वह तथ्य ही गलत है.क्योंकि, सिद्धांत रूप से तो हवा में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन दोनों मौजूद है..फिर , हवा से ही पानी क्यों नहीं बना लेते ???अब आप हवा से पानी नहीं बना रहे हैं तो… इसका मतलब ये थोड़े ना घोषित कर दोगे कि हवा में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन ही नहीं है.उसी तरह… हमारे द्वारा श्रद्धा से किए गए सभी कर्म दान आदि भी आध्यात्मिक ऊर्जा के रूप में हमारे पितरों तक अवश्य पहुँचते हैं.इसीलिए, व्यर्थ के कुतर्को मे फँसकर अपने धर्म व संस्कार के प्रति कुण्ठा न पालें…!और हाँ…जहाँ तक रह गई वैज्ञानिकता की बात तो….क्या आपने किसी भी दिन पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं…या, किसी को लगाते हुए देखा है?क्या फिर पीपल या बरगद के बीज मिलते हैं ?इसका जवाब है नहीं….ऐसा इसीलिए है क्योंकि… बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु वह नहीं लगेगी.इसका कारण यह है कि प्रकृति ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है.जब कौए इन दोनों वृक्षों के फल को खाते हैं तो उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसिंग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं.उसके पश्चात कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं.और… किसी को भी बताने की आवश्यकता नहीं है कि पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन (O2) देता है और वहीं बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है.साथ ही आप में से बहुत लोगों को यह मालूम ही होगा कि मादा कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है.तो, इस नयी पीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है…शायद, इसलिए ऋषि मुनियों ने कौवों के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर दी होगी.जिससे कि कौवों की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जाये……इसीलिए…. श्राघ्द का तर्पण करना न सिर्फ हमारी आस्था का विषय है बल्कि यह प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है.साथ ही… जब आप पीपल के पेड़ को देखोगे तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं.अतः…. सनातन धर्म और उसकी परंपराओं पे उंगली उठाने वालों से इतना ही कहना है कि…. जब दुनिया में तुम्हारे ईसा-मूसा-भूसा आदि का नामोनिशान नहीं था…उस समय भी हमारे ऋषि मुनियों को मालूम था कि धरती गोल है और हमारे सौरमंडल में 9 ग्रह हैं.साथ ही… हमें ये भी पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है…कौन सी चीज खाने लायक है और कौन सी नहीं…?इसीलिए… तुम सब हमें ज्ञान न दो वही अच्छा है अन्यथा, भरे बाजार नंगे कर दिए जाओगे.जय महाकाल…!!!

Author:

Buy, sell, exchange old books

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s