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ये मिट्टी किसी को नही छोडेगी:-


ये मिट्टी किसी को नही छोडेगी:-

एक राजा बहुत ही महत्त्वाकांक्षी था और उसे महल बनाने की बड़ी महत्त्वाकांक्षा रहती थी उसने अनेक महलों का निर्माण करवाया!

रानी उनकी इस इच्छा से बड़ी व्यथित रहती थी की पता नही क्या करेंगे इतने महल बनवाकर!

एक दिन राजा नदी के उस पार एक महात्मा जी के आश्रम के वहाँ से गुजर रहे थे तो वहाँ एक संत की समाधी थी और सैनिकों से राजा को सूचना मिली की संत के पास कोई अनमोल खजाना था और उसकी सूचना उन्होंने किसी को न दी पर अंतिम समय मे उसकी जानकारी एक पत्थर पर खुदवाकर अपने साथ ज़मीन मे गढ़वा दिया और कहा की जिसे भी वो खजाना चाहिये उसे अपने स्वयं के हाथों से अकेले ही इस समाधी से चोरासी हाथ नीचे सूचना पड़ी है निकाल ले और अनमोल सूचना प्राप्त कर लेंवे और ध्यान रखे उसे बिना कुछ खाये पिये खोदना है और बिना किसी की सहायता के खोदना है अन्यथा सारी मेहनत व्यर्थ चली जायेगी !

राजा अगले दिन अकेले ही आया और अपने हाथों से खोदने लगा और बड़ी मेहनत के बाद उसे वो शिलालेख मिला और उन शब्दों को जब राजा ने पढ़ा तो उसके होश उड़ गये और सारी अकल ठिकाने आ गई!

उस पर लिखा था हॆ राहगीर संसार के सबसे भूखे प्राणी शायद तुम ही हो और आज मुझे तुम्हारी इस दशा पर बड़ी हँसी आ रही है तुम कितने भी महल बना लो पर तुम्हारा अंतिम महल यही है एक दिन तुम्हे इसी मिट्टी मे मिलना है!

सावधान राहगीर, जब तक तुम मिट्टी के ऊपर हो तब तक आगे की यात्रा के लिये तुम कुछ जतन कर लेना क्योंकि जब मिट्टी तुम्हारे ऊपर आयेगी तो फिर तुम कुछ भी न कर पाओगे यदि तुमने आगे की यात्रा के लिये कुछ जतन न किया तो अच्छी तरह से ध्यान रखना की जैसै ये चोरासी हाथ का कुआं तुमने अकेले खोदा है बस वैसे ही आगे की चोरासी लाख योनियों मे तुम्हे अकेले ही भटकना है और हॆ राहगीर ये कभी न भूलना की “मुझे भी एक दिन इसी मिट्टी मे मिलना है बस तरीका अलग अलग है”

फिर राजा जैसै तैसे कर के उस कुएँ से बाहर आया और अपने राजमहल गया पर उस शिलालेख के उन शब्दों ने उसे झकझोर के रख दिया और सारे महल जनता को दे दिये और “अंतिम घर” की तैयारियों मे जुट गया!

हमें एक बात हमेशा याद रखना की इस मिट्टी ने जब रावण जैसै सत्ताधारियों को नही बक्सा तो फिर साधारण मानव क्या चीज है इसलिये ये हमेशा याद रखना की मुझे भी एक दिन इसी मिट्टी मे मिलना है क्योंकि ये मिट्टी किसी को नही छोड़ने वाली है!

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अहंकार


।।अहंकार।।

एक बार एक अजनबी किसी के घर गया वह अंदर गया और मेहमान कक्ष में बैठ गया । वह
खाली हाथ आया था तो उसने सोचा कि कुछ उपहार देना अच्छा रहेगा ।
उसने वहाँ टंगी एक पेन्टिंग उतारी
और जब घर का मालिक आया ।उसने पेन्टिंग देते हुए कहा, यह मै
आपके लिए लाया हूँ । घर का मालिक, जिसे पता था कि यह मेरी चीज मुझे ही भेंट दे रहा है, सन्न रह गया ।
अब आप ही बताएँ कि क्या वह भेंट पा कर, जो कि पहले से ही उसका है, उस आदमी को खुश
होना चाहिए ?
मेरे ख्याल से नहीं । लेकिन यही चीज हम भगवान के साथ भी करते हैं । हम उन्हें रूपया, पैसा चढाते हैं और हर चीज जो उनकी ही बनाई
है, उन्हें भेंट करते हैं । लेकिन मन
में भाव रखते है की यह चीज मै
भगवान को दे रहा हूँ और सोचते हैं कि ईश्वर खुश हो जाएगें ।
मूर्ख हैं हम । हम यह नहीं समझते कि उनको इन सब चीज़ों की कोई जरुरत नहीं । अगर आप सच में उन्हें कुछ देना चाहते हैं तो अपनी श्रद्धा दीजिए, उन्हें अपने हर एक श्वांस में याद कीजिये और
विश्वास कीजिए, प्रभु जरुर खुश
होगें ।

अजब हैरान हूँ भगवन्,
तुझे कैसे रिझाऊं मैं ?
कोई वस्तु नहीं ऐसी,
जिसे तुझ पर चढाऊं मैं ??
भगवान ने जवाब दिया : संसार की हर वस्तु तुझे मैनें दी है । तेरे पास अपनी चीज़ सिर्फ़ तेरा अहंकार है, जो मैनें नहीं दिया। उसी को तू मेरे अरपण कर दे । तेरा जीवन सफल हो जायेगा ।

……………………माया और भक्ति ………………………

भगवान के पास दो शक्तियां हैं दोनों भगवान की है एक है माया और दूसरी है भक्ति जब कोई भगवान के समक्ष जाता है भगवान को प्रणाम करता है तो वह पूछते हैं बोलो क्या चाहिए माया चाहिए या भक्ति भक्त पूछता है महाराज दोनों में अंतर क्या है भगवान भोले देखो दोनों में एक ही अंतर है अगर तुम्हें नाचना है तो माया ले जाओ और अगर मुझे नचाना हो तो भक्ति ले जाओ क्योंकि जिव् जिस के बस में रहे उसका नाम माया भगवान जिसके बस में हो जाए उसका नाम भक्ति भक्ति के राज्य में तो भगवान नृत्य करते हैं और भगवान के राज्य में समस्त संसार नाचता है जब की भक्ति के राज्य में भगवान नाचते है

!! जय श्री राम !!
गंगा नहाये – जमना नहाये, बुझी न मन की प्यास
एक “राम” का नाम जाप किया, बुझी जन्म जन्म की प्यास
!! जय श्री राम !!
प्रातः कालीन वंदन के साथ आपका दिन मंगलमय हो
जय श्री राम
जय श्री राम

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मौन की महत्ता


🌺#सप्रेमनमनआत्मन् 🌸

“मौन की महत्ता”
एक बोध कथा ~

एक मछलीमार कांटा डाले तालाब के किनारे बैठा था। काफी समय बाद भी कोई मछली कांटे में नहीं फँसी, ना ही कोई हलचल हुई तो वह सोचने लगा… कहीं ऐसा तो नहीं कि मैने कांटा गलत जगह डाला है, यहाँ कोई मछली ही न हो !
उसने तालाब में झाँका तो देखा कि उसके कांटे के आसपास तो बहुत-सी मछलियाँ थीं। उसे बहुत आश्चर्य हुआ कि इतनी मछलियाँ होने के बाद भी कोई मछली फँसी क्यों नहीं !
एक राहगीर ने जब यह नजारा देखा तो उससे कहा- “लगता है भैया, यहाँ पर मछली मारने बहुत दिनों बाद आए हो! अब इस तालाब की मछलियाँ कांटे में नहीं फँसती।”
मछलीमार ने हैरत से पूछा- “क्यों, ऐसा क्या है यहाँ ?
राहगीर बोला- “पिछले दिनों तालाब के किनारे एक बहुत बड़े संत ठहरे थे। उन्होने यहाँ मौन की महत्ता पर प्रवचन दिया था। उनकी वाणी में इतना तेज था कि जब वे प्रवचन देते तो सारी मछलियाँ भी बड़े ध्यान से सुनतीं। यह उनके प्रवचनों का ही असर है कि उसके बाद जब भी कोई इन्हें फँसाने के लिए कांटा डालकर बैठता है तो ये मौन धारण कर लेती हैं। जब मछली मुँह खोलेगी ही नहीं तो कांटे में फँसेगी कैसे ? इसलिए बेहतर यहीं होगा कि आप कहीं और जाकर कांटा डालो।”

परमात्मा ने हर इंसान को दो आँख, दो कान, दो नासिका, हर इन्द्रिय दो ही प्रदान किया है। पर जिह्वा एक ही दी.. क्या कारण रहा होगा ?

क्योंकि यह एक ही अनेकों भयंकर परिस्थितियाँ पैदा करने के लिये पर्याप्त है।
संत ने कितनी सही बात कही कि जब मुँह खोलोगे ही नहीं तो फँसोगे कैसे ?
अगर इन्द्रिय पर संयम करना चाहते हैं तो.. इस जिह्वा पर नियंत्रण कर लेवें बाकी सब इन्द्रियां स्वयं नियंत्रित रहेंगी। यह बात हमें भी अपने जीवन में उतार लेनी चाहिए।

“एक चुप सौ सुख”

महाकाल ♣️

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એક કુંભાર પાસે ત્રણ ગધેડા અને બે દોરડા હતાં. — History & Literature


એક કુંભાર પાસે ત્રણ ગધેડા અને બે દોરડા હતાં.પોતાને નદીમાં ન્હાવા માટે જવું હતું એટલે તેણે ગધેડાઓને દોરડાથી બાંધવાનું વિચાર્યું પણ, દોરડા તો બે જ હતાં અને ગધેડા ત્રણ !તેણે એક ડાહ્યા માણસની સલાહ લીધી.એ માણસે કહ્યું કે, “તું બે ગધેડાને, ત્રીજો ગધેડો જુએ તે રીતે બાંધ અને પછી ત્રીજા ગધેડાને (ખોટે ખોટે) બાંધવાની ફક્ત […]

એક કુંભાર પાસે ત્રણ ગધેડા અને બે દોરડા હતાં. — History & Literature
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संस्कार


संस्कार

टी एन शेषन जब मुख्य चुनाव आयुक्त थे, तो परिवार के साथ छुट्टीयां बिताने के लिए मसूरी जा रहे थे। परिवार के साथ उत्तर प्रदेश से निकलते हुऐ रास्ते में उन्होंने देखा कि पेड़ों पर कई गौरैया के सुन्दर घोंसले बने हुए हैं।

यह देखते ही उनकी पत्नी ने अपने घर की दीवारों को सजाने के लिए दो गौरैया के घोंसले लेने की इच्छा व्यक्त की तो उनके साथ चल रहे। पुलिसकर्मियों ने तुरंत एक छोटे से लड़के को बुलाया, जो वहां मवेशियों को चरा रहा था.उसे पेड़ों से तोड कर दो गौरैया के घोंसले लाने के लिए कहा।
लडके ने इंकार मे सर हिला दिया।

श्री शेषन ने इसके लिए लड़के को 10 रुपये देने की पेशकश की। फिर भी लड़के के इनकार करने पर श्री शेषन ने बढ़ा कर ₹ 50/ देने की पेशकश की
फिर भी लड़के ने हामी नहीं भरी.

पुलिस ने तब लड़के को धमकी दी और उसे बताया कि साहब ज़ज हैं और तुझे जेल में भी डलवा सकते हैं। गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.

लड़का तब श्रीमती और श्री शेषन के पास गया और कहा,- “साहब, मैं ऐसा नहीं कर सकता। उन घोंसलों में गौरैया के छोटे बच्चे हैं अगर मैं आपको दो घोंसले दूं, तो जो गौरैया अपने बच्चों के लिए भोजन की तलाश में बाहर गई हुई है जब वह वापस आएगी तो बच्चों को नहीं देखेगी तो बहुत दुःखी होगी जिसका पाप में नहीं ले सकता”
यह सुनकर श्री टी एन शेषन दंग रह गए।

शेषन ने अपनी आत्मकथा में लिखा है-“मेरी स्थिति, शक्ति और आईएएस की डिग्री सिर्फ उस छोटे, अनपढ़ मवेशी चराने वाले लड़के द्वारा बोले गए शब्दों के सामने पिघल गई

“पत्नी द्वारा घोंसले की इच्छा करने और घर लौटने के बाद, मुझे उस घटना के कारण अपराध बोध की गहरी भावना का सामना करना पड़ा”

जरूरी नहीं की शिक्षा और महंगे कपड़े मानवता की शिक्षा दे ही दें। यह आवश्यक नहीं हैं, यह तो भीतर के संस्कारों से पनपती है। दया,करूणा,दूसरों की भलाई का भाव,छल कपट न करने का भाव मनुष्य को परिवार के बुजुर्गों द्वारा दिये संस्कारों से तथा संगत से आते है अगर संगत बुरी है तो अच्छे गुण आने का प्रश्न ही नही

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मैंने एक फ़िल्म देखी थी जिसका नाम शायद लोफर था.


मैंने एक फ़िल्म देखी थी जिसका नाम शायद लोफर था.अब नाम लोफर ही था.. या कुछ और… वो ठीक से याद नहीं है.लेकिन, फ़िल्म में दिखाया गया था कि हीरो (अनिल कपूर) एक बार अपने गांव में जाता है तो देखता है कि वहाँ का हर एक दुकान बादशाह के नाम पर था…जैसे कि…. बादशाह पान दुकान, बादशाह परचून दुकान, बादशाह क्लॉथ स्टोर आदि.मालूम करने पर पता लगा कि… बादशाह उस इलाके के दादा (गुंडे) के नाम था और उसकी इतनी धमक थी कि… किसी को भी दूसरे नाम से दुकान खोलने की आज्ञा नहीं थी.खैर… इस समस्या से निजात के लिए बहुत से उपाय किये गए और अंत में ये फैसला हुआ कि…. चूँकि, बादशाह नामक दादा को राजनीतिक संरक्षण प्राप्त है इसीलिए उसकी दादागिरी समाप्त करने के लिए… हीरो (अनिल कपूर) को भी चुनाव लड़नी चाहिए.और, चूंकि…लगभग सभी लोग बादशाह के दादागिरी से त्रस्त हैं इसीलिए जाहिर तौर पर सभी अनिल कपूर को ही वोट करेंगे.और… ये बात बादशाह भी समझ रहा था .इसीलिए… चुनाव वाले दिन बादशाह ने ये घोषणा करवा दी कि कोई वोट देने नहीं जाएगा और वोट सिर्फ उसके लोग ही देंगे…अगर किसी ने वोट देने की कोशिश की तो उसे मार दिया जाएगा.इसके लिए , बादशाह के गुंडों ने सड़क पर एक लाइन खींच दी और बोल दिया कि अगर किसी ने इस लाइन को पार करके वोट देने के लिए जाने का प्रयास किया तो वो उसका अंतिम प्रयास होगा.गुंडों की इस धमकी के बाद … किसी ने भी उस लाइन को पार कर वोट देने की हिम्मत नहीं दिखाई और सड़क सुनसान रहे.फिर… दोपहर के बाद अचानक से एक बूढ़ा प्रकट होता है और वो बोलता है कि…. मुझे तो वैसे भी कुछ दिनों में मरना ही है… तो, वोट देकर ही क्यों नहीं मरूं ??और, वो बूढ़ा लाइन पार कर जाता है.जिसपर गुंडे उसे मारने के लिए आते हैं… जिस पर वो बोलता है कि… मेरे एक वोट से तुम हार थोड़े ना जाओगे ???फिर भी, अगर तुम्हें मर्दानगी दिखानी है तो मुझ बूढ़े को मार कर अपनी मर्दानगी दिखा लो.इस पर गुंडे हँसने लगते हैं और उसे जाने देते हैं.और, वो वोट देकर आ जाता है.फिर वो… पूरे शहर की गलियों में अपनी उंगली में लगी स्याही को दिखाता है कि.. शहर के लोगों को शर्म आनी चाहिए कि….वो इतना बूढ़ा और लाचार होने के बावजूद भी वोट देकर आ गया… और, जवान लोग घर में बैठे हुए हैं.जिससे सभी लोगों का भय मिट जाता है और सभी लोग एकजुट होकर वोट देने जाते हैं.अंततः…. हीरो चुनाव जीत जाता है और उस इलाके से बादशाह नामक गुंडे का आतंक खत्म हो जाता है.👉 इस कंगना वाले केस में भी वही हुआ है.आजतक शवसेना की मुम्बई में इतनी धमक थी कि हर लोग जानते समझते हुए भी उसके खिलाफ बोलने से कतराते थे.आज भी डर के मारे पूरा बॉलीवूड शांत पड़ा है.लेकिन, अब कंगना ने उस लाइन को पार कर वोट कर आया है.और… अब शवसेना की हालत सांप और छछुंदर जैसी हो गई है.अब अगर शवसेना… आगे बढ़ती है तो हर जगह उसकी थू-थू होगी कि एक लड़की के खिलाफ वे ताकत दिखा रहे हैं.उसका भविष्य चौपट हो जाएगा और सरकार भी गिर जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी.और… इतना आगे बढ़ने के बाद अगर शवसेना पीछे हट कर शांत रह जाती है तो…. यही मैसेज जाएगा कि एक अकेली लड़की ने शवसेना की चूलें हिला दी… क्योंकि, अब वो वर्जना टूट गई है कि बॉलीवुड शवसेना के खिलाफ नहीं बोलेगा.इसीलिए, अब ये मैसेज साफ हो जाएगा कि जब शवसेना महज एक हौव्वा है… क्योंकि, एक अकेली लड़की तक का कुछ नहीं बिगाड़ पाई.और, अब ये आवाज बढ़ती जाएगी तथा अब अनेक जगहों से ढेरों आवाजें उठेगी.इस तरह… मेरे आकलन के हिसाब से शवसेना चक्रव्यूह में बुरी तरह घिर चुकी है और मुझे अब इलाके से बादशाह का अंत साफ-साफ दिख रहा है.ये क्या हुआ , क्यों हुआ और कैसे हुआ …. वो लिखने से पोस्ट बहुत लंबा हो जाएगा ….!लेकिन… इस अगाड़ी सरकार के बनने से पहले शरद पवार और मोई जी जी मीटिंग तो आप सब को याद ही होगी जो लगभग 40 मिनट चली थी.अगर आप राजनीति समझते हैं तो फिर अब आपको इसके बाद समझने में दिक्कत नहीं होगी.अगर राजनीति नहीं भी समझते हैं तो एक लाइन में यही कहा जा सकता है कि…. शवसेना का इनकाउंटर हो चुका है और बहुत ही जल्द शवसेना इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जायेगी.जय महाकाल…!!!

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एक किसान पास के शराबखाने में बैठा शराब पिए जा रहा था।


एक किसान पास के शराबखाने में बैठा शराब पिए जा रहा था। एक व्यक्ति उसके पास आया और उसने पूछा‚
“अरे भाई‚ इतने सुहावने दिन तुम यहां बैठे शराब क्यों पी रहे हो?”

किसान उदासी से बोला : मेरे भाई कुछ बातें
ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं।

व्यक्ति पूछा : ऐसी भी क्या बात हो गयी भाई ?

किसान बोला : असल में आज मैं अपनी भैंस के पास बैठ कर दूध दुह रहा था। बाल्टी भरने ही वाली थी कि भैंस ने अपनी बायीं टांग उठायी और बाल्टी में मार दी।

व्यक्ति बोला : यह कोई एेसी बहुत बुरी बात तो नहीं है जिसके लिए शराब पी जाये ।

किसान फिर बोला : कुछ बातें ऐसी होती हैं
जो समझायी नहीं जा सकतीं।

व्यक्ति ने फिर पूछा : तो फिर क्या हुआ ?

किसान बोला : मैंने उसकी बायीं टांग पकड़ी और बायें खंबे से बांध दी।

व्यक्ति पूछा : अच्छा फिर ?

किसान : फिर में बैठ कर दुबारा उसे दुहने लगा।जैसे ही मेरी बाल्टी भरने वाली थी कि भैंस ने
अपनी दायीं टांग उठायी और बाल्टी में मार दी।

व्यक्ति : फिर से?

किसान बोला : हाँ मेरे भाई फिर से वही तो कह रहा हूँ कि कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं।

व्यक्ति बोला : अच्छा फिर तुमने क्या किया ?

किसान : इस बार मैंने उसकी दायीं टांग पकड़ी और दायें खंबे से बांध दी।

व्यक्ति : अच्छा उसके बाद ?

किसान : फिर से मैंने बैठकर दुहना शुरू कर दिया। फिर से जब बाल्टी भरने वाली थी कि बेवकूफ भैंस ने अपनी पूंछ मार कर बाल्टी लुढ़का दी।

व्यक्ति : हम्म्म्म…।

किसान : तुम नहीं समझोगे दोस्त क्योंकि कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं।

व्यक्ति : फिर तुमने क्या किया?

किसान : फिर क्या। मेरे पास और रस्सी नहीं थी इसलिए मैंने अपने पजामे का नाडा निकाला और उससे भैंस की पूंछ को पटरे से बांध दिया।
उसी समय मेरा पजामा नीचे सरक गया और अचानक मेरी बीवी वहां आ पहुंची।

व्यक्ति सहानुभूति के साथ बोलता है – मैं समझ गया मेरे भाई तुम सही कहते हो कि कुछ बातें ऐसी होती हैं जो समझायी नहीं जा सकतीं …..