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गौ हत्या


गौ हत्या बंद करवाने के लिए पूज्य करपात्री जी महाराज जब संतों और गौभक्तों को लेकर संसद का घेराव करने लगें तब इंदिरा गांधी ने हजारों संतों और गौभक्तों पर गोलियाँ चलवा दी थी. कहते हैं करपात्री जी ने इस अपराध के लिए कुपित होकर इंदिरा गांधी के वंश के विनाश का शाप दे दिया था. लेकिन यह चिंता करनेवाली बात है कि जिस पर करपात्री जी महाराज जैसे संत कुपित होकर शाप दे रहे थें, उसी इंदिरा गांधी पर सनातन धर्म के महान संत देवहरा बाबा का वरदहस्त था. 1977 में इंदिरा गांधी के चुनाव हारने के बाद देवरहा बाबा ने ही अपने आशीर्वाद के वरद मुद्रा को कांग्रेस का चुनाव चिन्ह बनाने का संकेत दिया और 1978 से आजतक कांग्रेस का चुनाव चिन्ह देवरहा बाबा के आशीर्वाद का प्रतिनिधि वही पंजा है, जिस खूनी कांग्रेसी पंजे ने माँ भारती सहित भारत की धर्म, संस्कृति, विरासत आदि को लहूलुहान कर दिया है.

यही नहीं आनंदमयी माँ ने इंदिरा गांधी को एक दिव्य रुद्राक्ष माला प्रदान किया था, जो माला जबतक उनके गले में था वो सुरक्षित रहीं. जिस दिन उन्होंने उसे किसी कारण से नहीं पहन रखा था, उसी दिन उनकी हत्या हो गई थी. अर्थात जिन इंदिरा गांधी ने अली-कुली का नारा देकर असम में बंगलादेशियों को बसा कर वहाँ के लोकल जनसंख्या का संतुलन सिर्फ अपने वोट बैंक के लिए बिगाड़ दिया, जिसकी बहुत बड़ी कीमत आज देश चुका रहा है और इससे भी बड़ी कीमत आगे देश को चुकाना है, उसी इंदिरा गांधी को देश के दिव्य विभूतियों का आशीर्वाद प्राप्त था.

इंदिरा गांधी ने जब वामपंथियों से सत्ता में समर्थन लिया तब वामपंथियों ने बदले में शिक्षण संस्थान पर न सिर्फ कब्जा किया बल्कि रसियन पब्लिकेशन की देश में बाढ़ आ गई. लाखों वामपंथी पुस्तकों से हमारे पूरी पीढ़ी का ब्रेनवॉश करके उन्हें सनातन धर्म का विरोधी बना दिया गया. जब सनातन धर्म ही नहीं बचेगा तो सनातन की सेक्युलर चेतना के साथ पैदा होनेवाले देवहरा बाबा और आनंदमयी माँ के आगे धरा पर आने की परिस्थितियाँ कभी नहीं बन पायेंगी. आज बामियान और पेशावर में कोई आनंदमयी माँ पैदा नहीं हो रही हैं, जो कभी भारत ही था. धीरे-धीरे भारत के भीतर कई अघोषित बामियान और पेशावर बनते जा रहे हैं और भारत सिकुड़ता जा रहा है.

वामपंथियों ने जो हमारी नस्ल को खोखला किया है उसकी जड़ में इंदिरा गांधी हैं और उससे भी बड़े गुनाहगार इंदिरा गांधी को अपनी दिव्य चमत्कारी शक्तियों से बचाने वाले स्प्रिच्युअल गॉड मैन लोग हैं. देवहरा बाबा जिस राजीव गांधी को अपना प्यारा बच्चा बताते थें, उसी बाबा के प्यारे ने इस देश को उपहार में एक ऐसी विषकन्या दिया है जिसके जहर से सनातन धर्म की आत्मा नीली पड़ गयी है और वो मरणासन्न पड़ी है. ये दिव्य संत अपनी व्यक्तिगत साधना के लिए भले महान हों, पर लोकोपकार की दृष्टि से इन्होंने सृजन से अधिक सनातन धर्म का विनाश कर दिया है.

जिस पवित्र गांधी परिवार को देवहरा बाबा और आनंदमयी माँ जैसी दिव्य विभूतियाँ प्रोटेक्ट कर रही थीं, आज अगर साधारण स्वार्थ में डूबे नेता या नौकरशाह उस पवित्र परिवार के लिए अपनी वफादारी दिखाते हैं तो उन्हें हम माँ भारती का अपराधी क्यों मानते हैं? अगर दोषी हैं तो सभी दोषी हैं. हम एक का तो जयचंद कहकर तिरस्कार कर रहे हैं और दूसरे की महानता का यशोगान सुनाते नहीं थक रहे हैं. ऐसे हजारों महात्माओं से श्रेष्ठ राजर्षि नरेन्द्र मोदी जी हैं जो सही मायने में मरणासन्न सनातन धर्म को बचाने की एक आखिरी कोशिश कर रहे हैं. इस एक दूरदर्शी मोदी पर ऐसे हजारों सेक्युलर गॉड मैन कुर्बान हैं जिनमें चमत्कार करने की तो शक्ति थी पर दूरदर्शिता का घोर अभाव था.

Rahul Sing Rathore