Posted in ज्योतिष - Astrology

‘ उल्लू का पट्ठा ‘

एक बार कुछ विद्यार्थियों ने अमर बलिदानी पण्डित लेखराम जी आर्यमुसाफिर जी से पूछा कि हे श्रद्धेय आप हमको ‘मन’ का लक्षण बताइये।
पण्डित जी ने उत्तर दिया कि ‘मन’ तो उल्लू का पट्ठा है। यदि इसे काबू में न रखो तो यह बड़े से बड़ा अनर्थ कर सकता है। सभी विद्यार्थी हँस पड़े।
पण्डित जी ने कहा कि मन को मन से लगाओ, मन को सुमन बनाओ। यह कुछ न कुछ संकल्प विकल्प करता ही रहता है, यह इधर उधर दौड़ता ही रहता है। यह संध्या, हवन, भजन , जप आदि में कम लगता है। इसकी चंचलता को कम करने के लिए शिवसंकल्प करना ही होता है। इसलिए वेदों में ईश्वर कृपा की प्रार्थना करते हुए कहा जाता है कि हे प्रभो! मेरा मन शिवसंकल्प वाला बनाओ।

Posted in ज्योतिष - Astrology

Hanuman jaynti vishesh:-
∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆∆

मंगलवार को हनुमान जी को प्रसन्‍न करने के लिए ये उपाय करें पर ऐसा बिल्‍कुल ना करें!!!!!!!!!

ये प्रमुख उपाय आपकी हर मनोकामना पूरी कर सकते हैं और सभी कष्टों का निवारण कर सकते हैं। पर कुछ ऐसी बातें है जो कहते है मंगलवार के दिन नहीं करना चाहिए।…

हनुमानजी मंगलवार के देव माने जाते हैं। हनुमानजी की पूजा सबसे जल्दी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली मानी गई है। इस दिन हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए विशेष उपाय करे तो कुछ ही समय में आपकी किस्मत बदल सकती है। ये खास उपाय आपकी हर मनोकामना पूरी कर सकते हैं और सभी कष्टों का निवारण कर सकते हैं। पर कुछ ऐसी बातें है जो कहते है मंगलवार के दिन नहीं करना चाहिए।

मंगलवार के दिन राम मंदिर में जाएं। हनुमान जी के मस्तक का सिंदूर दाहिने हाथ के अंगूठे से लेकर सीता माता के श्री रूप के श्री चरणों में लगा दें। अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए प्रार्थना करें।

मंगलवार की सुबह स्नान करने के बाद बड़ के पेड़ का एक पत्ता तोड़ें और इसे साफ पानी से धो लें। अब इस पत्ते को कुछ देर हनुमानजी के सामने रखें। इसके बाद इस पर केसर से श्रीराम लिखें। अब इस पत्ते को अपने पर्स में रख लें। ऐसा माना जाता है कि इससे पर्स में पैसे बने रहते हैं।

हनुमान जी की कृपा पाने के लिए मंगलवार के दिन व्रत करके शाम के समय बूंदी का प्रसाद बांटने से भी पैसों की तंंगी दूर हो जाती है।

शनिवार के दिन हनुमान जी के मन्दिर में जाएं। उनके कंधों पर से सिन्दूर लाकर नजर लगे व्यक्ति को लगाएं। नजर का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

मंगलवार को शाम के समय हनुमान जी को केवड़े का इत्र व गुलाब की माला चढ़ाएं। हनुमान जी को खुश करने का यह सबसे सरल उपाय है।

जीवन की समस्त समस्याओं के निवारण के लिए हनुमान जी के मंदिर में जाएं और राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें।

मंगलवार की शाम को हनुमान मंदिर में जाएं। एक सरसों के तेल का और एक शुद्ध घी का दीपक जलाएंं। वहीं बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी की कृपा पाने का ये एक अचूक उपाय है।

मंगलवार के दिन हनुमानजी के पैरों में फिटकरी रखें। जिन्हें बुरे सपने आते हों वे अपने सिरहाने फिटकरी रखें। बुरे सपने नहीं आएंगे।

यदि कोई व्यक्ति पैसों की तंगी का सामना करना रहा है तो उसे प्रति मंगलवार और शनिवार को पीपल के 11 पत्तों का यह उपाय अपनाना चाहिए।

मंगलवार और शनिवार को पीपल के 11 पत्तों का यह उपाय अपनाना चाहिए। मंगलवार और शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त में उठें। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत्त होकर किसी पीपल के पेड़ से 11 पत्ते तोड़ लें। ध्यान रखें पत्ते पूरे होने चाहिए, कहीं से टूटे या खंडित नहीं होने चाहिए।

इन 11 पत्तों पर स्वच्छ जल में कुमकुम या अष्टगंध या चंदन मिलाकर इससे श्रीराम का नाम लिखें। नाम लिखते समय हनुमान चालीसा का पाठ करें। जब सभी पत्तों पर श्रीराम नाम लिख लें, उसके बाद राम नाम लिखे हुए इन पत्तों की एक माला बनाएं। इस माला को किसी भी हनुमानजी के मंदिर जाकर वहां बजरंगबली को अर्पित करें। इस प्रकार यह उपाय करते रहें। कुछ समय में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे।

राम नाम का जाप,,,,जैसा की हम सभी जानते हैं की हनुमान जी भगवान् श्री राम के सबसे बड़े भक्त थे| इस बात का प्रमाण उन्होंने अपनी छाती फाड़ कर दिया था जब उन्होंने अपनी छाती फाड़ी तो अन्दर उनके ह्रदय में श्री राम और माता सीता की छवि मौजूद थी| अगर कोई प्रतिदिन राम नाम का जाप सच्चे ह्रदय से करता है तो उसे हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है|

केसरिया सिन्दूर और घी,,,हनुमान जी को केसरिया सिन्दूर तथा घी अति प्रिये है और अगर कोई भक्त मंगलवार को हनुमान जी पर केसरिया सिन्दूर और घी का चढ़ावा चढ़ाता है तो उसे निरोगी काया यानि की रोग बीमारी से मुक्ति मिल जाती है|

हनुमान चालीसा और सुन्दरकाण्ड का पाठ,,,,हनुमान जी की पूजा किसी भी तरह से की जा सकती है परन्तु हनुमान चालीसा का पाठ और सुन्दरकाण्ड का पाठ करने पर भक्त के ऊपर जल्द ही कृपा बरसनी शुरू हो जाती है| आप को भी जब कोई डर सताता होगा तो अपने आप ही हनुमान चालीसा याद आ जाती होगी क्योंकि बचपन से ही हनुमान चालीसा हमें हर डर से लड़ने के ताकत देता आया है| उसी प्रकार सुन्दर कांड का पाठ करने से बड़ी से बड़ी बाधा दूर हो जाती है|

राम चोला का चढ़ावा,,,हनुमान जी को राम इतने प्रिय है की उनके नाम का चोला जिस पर राम का नाम लिखा हो भी चढ़ाया जाए तो उन्हें बड़ी प्रसन्नता होती है| अगर कोई भक्त केसरिया सिन्दूर और घी की तरह ही हनुमान जी पर राम चोला चढ़ाता है तो हनुमान जी सदा ही उसकी रक्षा उसी प्रकार करते हैं जैसे कोई चोला अपने ओढने वाले को धुप और ठंढ से बचाता है|

दान देना और भोजन कराना,,,,ऐसे तो जरुरतमंदों को दान देना और गरीब तथा भूखे व्यक्ति अथवा जानवर को भोजन कराना हमेशा ही पुण्य का काम माना गया है परन्तु अगर ऐसे मनुष्य को जो वाकई में जरूरतमंद है को मंगलवार को दान दिया जाए अथवा किसी भूखे मनुष्य या फिर जानवर और पक्षी को मंगलवार के दिन भोजन कराया जाए तो हनुमान जी उस पर बड़े प्रसन्न होते हैं और उस दानी का भण्डार हमेशा ही भरा रहता है उसका भण्डार कभी खाली नहीं होता है|

परन्तु कुछ ऐसी बातें हैं जिसके लिए कहा जाता है हि मंगलवार के दिन ऐसा नहीं करना चाहिए।

मंगल ग्रह क्रूर ग्रह भी होता है। यदि आपके हाथ से मंगलवार के दिन कुछ चूक होती है तो उसका भरी प्रभाव आपके घर परिवार पर पड़ता है । इसलिए कुछ बातों का ध्यान मंगलवार को रखें जिससे शुभ प्रभाव हो।

लोगों में ऐसी मानता है कि मंगलवार को अपने बाल व नाख़ून ना काटे । मंगलवार के धार वाली चीजे ना ख़रीदे मतलब चाकू, कैची आदि। मंगलवार के दिन दक्षिण दिशा में कोई भी धार वाली चीज ना रखे, कैंची अथवा चाकू।. मंगलवार के दिन रसोई घर खाना बनाते समय रोटी या सब्जी को जलने ना दे। सबसे महत्वपूर्ण बात मंगलवार के दिन किसी भी प्रकार का मांसाहार घर में न पकाये। मंगलवार के दिन हनुमान जी को गुड़ का भोग लगाये और लाल गाय को खिलाएं। मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर जाए और मूर्ति पर चमेली के तेल का दीपक करें।

मंगलवार के दिन अगर हो तो लाल रंग का रूमाल अपनी जेब में रखें। मंगलवार के दिन किसी गरीब मजदूर को चाय पिलाएं और खाना खिलाये । इस दिन कोशिश करें गरीब लोगो और बालको में मिठाई बांटें।

Posted in रामायण - Ramayan

रामायण की कहानी देखें तो यह उत्तर से दक्षिण की ओर यात्रा कराती है। अयोध्या से लंका तक का सफर हमें भारत के कई स्थानों पर ले जाता है। रामायण में जिन स्थानों का वर्णन मिलता है, उनमें से अधिकतर आज भी उस काल की निशानियों को सहेजे हुए हैं।

ऐसा ही एक स्थान है किष्किंधा नगर। किष्किंधा नगर वानरों का साम्राज्य था जिस पर सुग्रीव के भाई बाली का राज था। श्रीराम ने बाली को मार कर सु्ग्रीव को राजा बनाया। हनुमानजी और श्रीराम की पहली मुलाकात भी इसी नगर के पास जंगलों में हुई थी। इस क्षेत्र में आज भी उस काल की यादों बसी हुई हैं। यह नगर पर्यटन का प्रमुख केंद्र भी है।

उस काल का किष्किंधा नगर आज भी #कर्नाटक राज्य में है। राज्य के दो जिले #कोप्पल और #बेल्लारी में रामायण काल के प्रसिद्ध किष्किंधा क्षेत्र के अस्तित्व के अवशेष आज भी पाए जाते हैं।

दण्डक वन का एक भाग था किष्किंधा

यहां छोटी-बड़ी चट्टानों से बने पर्वत एक-दूसरे से सटे खड़े हैं। यहां चावल की खेती बड़े पैमाने पर होती है। रामायण में यहां की एक नदी तुंगभद्रा का उल्लेख मिलता है। ये नदी अभी भी है और कर्नाटक की प्रमुख नदियों में गिनी जाती है।

श्रीराम के युग में यानी त्रेतायुग में किष्किंधा दण्डक वन का एक भाग हुआ करता था। दण्डक वन का विस्तार विंध्याचल से आरंभ होता था और दक्षिण भारत के समुद्री क्षेत्रों तक पहुंचता था। भगवान श्रीराम को जब वनवास मिला तो अपने भाई और पत्नी के साथ उन्होंने दण्डक वन में प्रवेश किया। यहां से रावण ने सीता का अपहरण कर लिया था। श्रीराम सीता को खोजते हुए किष्किंधा में आए।

ऋष्यमूक पर्वत

किष्किंधा उस समय वानरों का देश हुआ करता था। बाली जिसका राजा था। बाली ने सुग्रीव को मार कर नगर से बाहर भगा दिया था। वो ऋष्यमूक पर्वत पर जाकर बस गया क्योंकि बाली को एक ऋषि ने शाप दिया था कि वो अगर #ऋष्यमूक पर्वत पर चढ़ेगा तो मारा जाएगा। इस कारण सुग्रीव अपनी जान बचाने के लिए हमेशा इसी पहाड़ पर रहते थे।

पंपा सरोवर

ब्रह्माजी ने सृष्टि के आरंभ में जिन चार सरोवरों की स्थापना की थी, पंपा सरोवर उन्हीं में से एक है। यह सरोवर कमल के फूलों से भरा रहता है। रामायण में उल्लेख आता है कि सुग्रीव को खोजते हुए भगवान राम और लक्ष्मण यहां आये थे। पंपा सरोवर के किनारे लक्ष्मी देवी का मंदिर है।

तुंगभद्रा को पार कर पहुंचे ऋष्यमूक पर…

शांत मुद्रा में स्थित ऋषम्यूक पर्वत के तक पहुंचने के लिए उसके सामने से गुजरती तुंगभ्रदा नदी के शोर को पार करना पड़ता है। नदी पार करने के लिए सरकार ने कोई औपचारिक पुल नहीं बनाया है, लेकिन स्थानीय लोगों ने बिजली के खंभों को लिटाकर अनौपाचारिक पुल का निर्माण कर दिया है।

यह वही #पर्वत है, जहां बाली से भयभीत होकर सुग्रीव अपने चार मंत्रियों के साथ रहते थे। शाप के कारण बाली यहां नहीं आ सकता था। जब रावण सीता का हरण करके आकाश मार्ग से उन्हें ले जा रहा था, तो सीता ने इसी पर्वत पर बैठे सुग्रीव आदि अन्य वानरों को देख अपने #आभूषण गिराये थे। इसी पर्वत पर हनुमानजी ने भगवान राम और सुग्रीव की मित्रता करवाई थी।

अंजनी पर्वत हनुमान जी की जन्मस्थली

आप क्यों किष्किंधा घूमने जाएं। यहां की दो बातें लोगों को बड़ी संख्या में यहां आकर्षित करती हैं-पहली है अंजनि पर्वत, जहां पवनसुत हनुमान का जन्म हुआ और दूसरा अंजनी पर्वत के करीब स्थित ब्रह्म सरोवर, जो काफी पवित्र माना जाता है।

अंजनी पर्वत एक ऊंचा पहाड़ है। यही हनुमान जी की जन्मस्थली है। पहाड़ के ऊपर हनुमान जी का एक मंदिर है, जहां अखंड पूजा चलती रहती है। लगातार हनुमान चालिसा पढ़ी जाती रहती है।

लेकिन यह मत सोचिए कि इस मंदिर तक पहुंचना आसान है। शायद यह मुश्किल ही इसके दर्शनों को और खास भी बनाती है। इसके लिए 500 से अधिक सीढि़यां चढ़नी होती हैं। यह आसान तो कतई नहीं। सीढि़यां चढ़ने के दौरान आप पाते हैं कि कई जगहों पर ये सीढि़यां पहाडि़यों को काटकर बनाई गई हैं, तो कई जगह ये पहाड़ की गुफाओं के बीच से गुजरती हैं।

सीढि़यों के साथ ऊपर चढ़ने के दौरान कई बार ऐसी चट्टानें भी मिलती हैं कि उनके बीच से प्रकृति की खूबसूरती का कैनवस दिखता है। ऊपर पहुंचने पर हनुमान मंदिर में दर्शन के दौरान आप एक अलग आनंद से भर उठेंगे। मंदिर में जगह-जगह लोग आंखें बंद करके हनुमान अर्चना में लीन दिखेंगे। है तो ये कर्नाटक की ठेठ जगह, जहां हिन्दी में बहुत कम जानने और बात करने वाले मिले, लेकिन मंदिर में जो पुजारी-पंडे नजर आते हैं वह उत्तर भारत के हैं।

अंजनी पर्वत पर ऊपर पहुंचने के बाद आप किष्किंधा नगरी का दूर तक विहंगम दृश्य भी देख सकते हैं, जहां कंक्रीट के जंगल नहीं, बल्कि पहाडि़यां, हरियाली और उनके बीच गुजरती तुंगभद्रा नदी दिखती है। वैसे, अंजनी पर्वत की एक और खासियत है, उसका ऊपरी सिरा बिल्कुल लगता है मानो हनुमान जी का चेहरा।

बाली की गुफा आकर्षण का केंद्र

बाली जिस गुफा में रहता था, वह गुफा भी आकर्षण का केंद्र है। यह अंधेरी, लेकिन काफी लंबी-चौड़ी गुफा है। जहां एक साथ कई अंदर जा सकते हैं।

इसी गुफा से ललकार कर राम ने बाली को निकाला। जब उनके हाथों बाली की मृत्यु हो गई तो सुग्रीव को राजपाट सौंपा गया यानी यहां रामायण में उल्लेख हुई ढेरों बातें देखने को मिल जाएंगी।
🚩जय वीर बजरंगी🚩
🙏जयश्रीराम🙏

जयेश चोटालिया

Posted in खान्ग्रेस

PM रिलीफ फंड, काँग्रेस अध्यक्ष और अनोखी सच्चाई —

बन्धुओं! पूरा विश्व कोरोना #वायरस के #महामारी से जूझ रहा है। भारत ने भी इस महामारी से बचने के लिए कई उपाय किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने लोगों से PM-CARES में दान देने की भी अपील की है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी ने जब PM-CARES की बात की है तो अब इसको लेकर चर्चा यह है कि आखिर इस PM-CARES की क्या आवश्यकता है❓जबकि पहले से ही प्रधानमंत्री राहत कोष है। लोग प्रधानमंत्री राहत कोष में क्यों ना दान करें❓ PM-CARES में क्यों दान करें❓

तो बन्धुओं! इस बारे में एक ऐसी अनोखी और खौफनाक सच्चाई पता चली है, जिसे जानकर आप भी दंग रह जाएंगे । समाचार वेबसाइट प्रभासाक्षी और OPIndia ने अपनी रिपोर्ट में इस बारे में विस्तार से बताया है।

दरअसल प्रधानमंत्री राहत कोष की स्थापना जवाहरलाल नेहरू जी ने की थी और इसके #क्लाज में एक #प्रावधान डाल दिया गया था कि इसके जो कमेटी मेंबर होंगे उन सभी की #सहमति और #दस्तखत से ही इस फंड का उपयोग किया जा सकेगा।
साथ ही आश्चर्यजनक रूप से नेहरू ने कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष को भी प्रधानमंत्री राहत कोष में एक कमेटी मेंबर के तौर पर डाल दिया।

अब सोचिए जब यह एक सरकारी फंड है तब किसी भी राजनीतिक पार्टी का अध्यक्ष उस फंड का ट्रस्टी क्यों बनाया गया❓और आज भी बिना सोनिया गांधी के दस्तखत से या उनकी सहमति से प्रधानमंत्री राहत कोष में से मोदी पैसे खर्च नहीं कर सकते।
ये कितनी खौफनाक सच्चाई है कि इस प्रधानमंत्री राहत कोष में केवल एक विशेष राजनीतिक पार्टी का अध्यक्ष ही मेम्बर होगा। साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से वही इसे संचालित करेगा।

इसीलिए मोदीजी ने इस फंड को कांग्रेस अध्यक्ष यानी सोनिया गांधी के चंगुल से हटाने के लिए एक नया फंड बनाया जिसका नाम रखा “पीएम केयर फंड ” और इस नए फंड में जितने भी ट्रस्टी हैं वह सभी सरकारी लोग हैं।

कोई भी राजनीतिक पार्टी का अध्यक्ष या सदस्य इसमें शामिल नहीं है। #पीएम केयर के जो ट्रस्टी हैं उसमें एक प्रधानमंत्री,#वित्त मंत्री,#रक्षा मंत्री और #गृह मंत्री है और आने वाले वक्त में भले ही सरकार बदल जाए तो भी उस वक्त की सरकार बिना किसी राजनीतिक दखलंदाजी के इस फंड का उपयोग कर सकेगी।

व्यक्तिगत रूप से आप भले ही कितने ही मोदीजी के विरोधी हों लेकिन आपको मानना पड़ेगा कि जब देश #हित की बात आती है तो मोदीजी पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर उठकर कार्य करते हैं। वरना वे चाहते तो भाजपा अध्यक्ष को भी इसका मेम्बर बना सकते थे लेकिन उन्होंने यह नहीं किया।

— साभार

Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

दर्जी की तकदीर 🏕

💎 एक बार किसी देश का राजा अपनी प्रजा का हाल-चाल पूछने के लिए गाँवों में घूम रहा था। घूमते-घूमते उसके कुर्ते का बटन टूट गया, उसने अपने मंत्री को कहा कि इस गांव में कौन सा दर्जी है, जो मेरे बटन को सिल सके।

🍥 उस गांव में सिर्फ एक ही दर्जी था, जो कपडे सिलने का काम करता था। उसको राजा के सामने ले जाया गया । राजा ने कहा कि तुम मेरे कुर्ते का बटन सी सकते हो ?

🍥 दर्जी ने कहा यह कोई मुश्किल काम थोड़े ही है ! उसने मन्त्री से बटन ले लिया, धागे से उसने राजा के कुर्ते का बटन फौरन टांक दिया। क्योंकि बटन भी राजा का था, सिर्फ उसने अपना धागा प्रयोग किया था, राजा ने दर्जी से पूछा कि कितने पैसे दूं ?

🍥 उसने कहा :- “महाराज रहने दो, छोटा सा काम था।” उसने मन में सोचा कि बटन राजा के पास था, उसने तो सिर्फ धागा ही लगाया है।

🍥 राजा ने फिर से दर्जी को कहा कि नहीं-नहीं,
बोलो कितने दूं ?

🍥 दर्जी ने सोचा की दो रूपये मांग लेता हूँ। फिर मन में यही सोच आ गयी कि कहीं राजा यह न सोचे की बटन टांकने के मेरे से दो रुपये ले रहा है, तो गाँव बालों से कितना लेता होगा, क्योंकि उस जमाने में दो रुपये की कीमत बहुत होती थी।

🍥 दर्जी ने राजा से कहा कि :- “महाराज जो भी आपकी इच्छा हो, दे दो।”

🍥 अब राजा तो राजा था। उसको अपने हिसाब से देना था। कहीं देने में उसकी इज्जत ख़राब न हो जाये। उसने अपने मंत्री को कहा कि इस दर्जी को दो गांव दे दो, यह हमारा हुक्म है।

🍥 यहाँ दर्जी सिर्फ दो रुपये की मांग कर रहा था पर राजा ने उसको दो गांव दे दिए ।

🍥 इसी तरह जब हम प्रभु पर सब कुछ छोड़ते हैं, तो वह अपने हिसाब से देता है और मांगते हैं, तो सिर्फ हम मांगने में कमी कर जाते हैं । देने वाला तो पता नहीं क्या देना चाहता है, अपनी हैसियत से और हम बड़ी तुच्छ वस्तु मांग लेते हैं ।

🔮 इसलिए संत-महात्मा कहते है, ईश्वर को सब अपना सर्मपण कर दो, उनसे कभी कुछ न मांगों, जो वो अपने आप दें, बस उसी से संतुष्ट रहो। फिर देखो इसकी लीला। वारे के न्यारे हो जाएंगे। जीवन मे धन के साथ सन्तुष्टि का होना जरूरी है।