Posted in छोटी कहानिया - १०,००० से ज्यादा रोचक और प्रेरणात्मक

सत्य कथा:- एक बच्ची की माँ नही थी। सौतेली माँ उस बच्ची से हर काम करवाती थी। चार बजे भोर में वह बच्ची जाग कर स्कूल के समय तक हर काम करती थी। उसके बाद स्कूल जाती थी। सौतेली माँ अपने बच्चे को टिफिन देती थी। लेकिन उस बच्ची को टिफिन भी नही देती थी। लेकिन बच्ची को कोई एतराज नही था। पिता कभी महीने में कमा कर घर आता था। उस बच्ची की सौतेली माँ काफी मान जान करने लगती थी। पिता के जाने के बाद फिर वही कार्य करवाती थी। बच्ची पढ़ने में तेज थी। धीरे धीरे बड़ी हो गयी। पिता को विवाह की चिंता सताने लगी। एक दिन लड़की के पिता जी, बिटिया की शादी की जिक्र कर दी। सौतेली माँ ने कहा कि, हमारे रिश्ते में एक लड़का हैं। दहेज भी नही लेगा। थोड़ा गरीब हैं। परिवार ठीक हैं। लड़की चूंकि पढ़ना चाह रही थी। लेकिन जबरजस्ती मन्दिर में विवाह कर करके, उसे उसके ससुराल भेज दी। लड़की जब ससुराल गयी। उसने अपनी बदनसीब किश्मत सोच कर कुछ बोली नही। लेकिन लड़के ने कहा कि, आप बुरा न मानो तो एक बात कहे, वह बोली कि, आप के साथ जीवन भर रहना हैं। आप जो कहोगे हम मानेंगे। लड़का बोला, जहाँ से पढ़ाई छोड़ी हैं। वही से आप शुरू कर दीजिये। हम गरीब जरूर हैं। लेकिन गवार नही हैं। लड़की अपने पति का पैर पकड़ कर फफक कर रो दी। लड़का दिन रात मेहनत करने लगा। लड़की दिन रात पढ़ाई में मन लगा दी। लड़की एक बड़े शहर में रहकर IAS की तैयारी करने लगी। लड़का कमा कमा कर पैसा देने चला आता था। लड़कियों के हॉस्टल के बाहर मिलकर पैसा दे देता था। और फिर पुनः घर वापस चला आता था। लड़की IAS में सलेक्ट हो गयी। वह IAS की ट्रेनिंग पर चली गयी। और किसी दूसरे प्रदेश में DM बन गयी। संयोग से लड़का पता लगा कर, जब वहाँ पहुँचा। तो लड़की की सारी व्यवस्था देखकर लड़का खुद शर्मिंदगी खाने लगा। और वह मन बना लिया कि, हम खुद इनके जिंदगी से दूर हो जाये। लड़के की माँ की तबियत खराब थी। लड़का हप्ते भर से मिलने के लिये प्रयास कर रहा था। लेकिन कोई मिलने नही दिया। ठंड का मौसम था। DM साहिबा का कम्बल वितरण का होडिंग लगा था। उसने भी सबेरे से लाइन लगा कर खड़ा हो गया। जिसमें पाँच गरीब चुने गए। उसमे वह लड़का भी था। DM साहिबा गाड़ी से उतरी। और एक एक करके कम्बल देना शुरु की। जब पाँचवे आदमी को कम्बल देने की बारी आई। वह लड़का अपना मुँह तौलिया से बाँधे खड़ा हो गया। DM साहिबा जैसे ही कम्बल हाथ में दी। लड़के की आँखे नम हो गयी। और धीरे से बोला कि, साहब! हमारी माँ की तबियत खराब हैं। माँ को यही लाया हूँ। आप सरकारी अस्पताल में फोन कर दीजिये। जिससे मेरी माँ का सही इलाज हो सके। DM साहिबा आवाज को पहचान ली। और हाथ पकड़ कर फफक कर रो पड़ी। और बोली कि, आप कब आये। मुझे बताये क्यो नही। माँ जी कहाँ हैं। उसने इशारा किया। इतने में वह खुद चल दी। अपनी गाड़ी में सबको बिठाई। अपने आवास ले गयी। तत्काल सबके ठंडक के कपड़े खरीद कर लायी। लड़का बोला कि, आप बहुत बड़ी अधिकारी हो गयी हैं। तो वह बोली कि तो क्या हुआ। आप हमारे पति थे। और हैं। आप लोग को हम कैसे भूल जायेंगे। आप मेरे लिये दिन रात मेहनत किये। आप की देन हैं। कि मैं यहाँ खड़ी हूँ। यह सुन लड़के की आँखे नम हो गयी। इतने में DM साहिबा भी अपनी आँखों के आँसू रोक न पायी। और अपने पति के गले सिमट कर रो पड़ी। और अपने परिवार के साथ रहने लगी।
कहानी का तातपर्य हैं। कि बहू को भी पढ़ा कर डॉक्टर इंजीनियर SDM DM आदि बना सकते हैं। आप लोग अपनी राय अवश्य देवे।

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जिम्मेदारी बोझ नहीं है *☝🏻बहुत पुरानी बात है कि किसी गाँव में एक साधु रहते थे। दुनिया की मोह माया से दूर होकर जंगल में अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे। सुबह शाम ईश्वर के गुण गाना और लोगों को अच्छे कर्मों का महत्त्व बताना यही उनका काम था।* *एक दिन उनके मन में आया कि जीवन में एक बार माता वैष्णो देवी के दर्शन जरूर करने चाहिये। बस यही सोचकर साधु महाराज ने अगले दिन ही वैष्णो देवी जाने का विचार बना लिया।* *एक पोटली में कुछ खाने का सामान और कपडे बांधे और चल दिए माँ वैष्णो देवी के दर्शन करने। ऊँचे पर्वत पर विराजमान माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए काफी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।* *वो साधु भी धीरे धीरे सर पे पोटली रखकर चढ़ाई चढ़ रहे थे। तभी उनकी नजर एक लड़की पर पड़ी, उस लड़की ने अपनी पीठ पर एक लड़के को बैठाया हुआ था। वो लड़का विकलांग था और वो लड़की उसे कमर पर बैठाकर चढ़ाई चढ़ रही थी।* *साधु को ये सब देखकर उस लड़की पर बड़ी दया आयी और वो बोले–बेटी थोड़ी देर रूककर बैठ जा तू थक गयी होगी तूने इतना बोझ उठा रखा है वो लड़की बोली–बाबा जी बोझ तो आपने अपने सर पर उठा रखा है ये तो मेरा भाई है,,चलते चलते साधु के पाँव ठिठक गए…..* *कितनी बड़ी बात कही थी उस लड़की ने,,,,कितना गूढ़ मतलब था उस लड़की की बात का – बोझ तो आपने उठा रखा है ये तो मेरा भाई है…. कितनी जिम्मेदारी भरी थी उस मासूम सी लड़की में उस दिन उन साधु को एक बात समझ में आ गयी कि अगर हर इंसान अपनी जिम्मेदारी निभाने लगे तो शायद दुनिया में दुःख नाम की कोई चीज़ ही ना बचे…..* *अपनी जिम्मेदारी से बचिए मत,जिम्मेदार बनिये, पूरी तरह से अपनी जिम्मेदारी निभाइये* *दोस्तों आप जो भी हैं,चाहे डॉक्टर हैं,छात्र हैं, शिक्षक हैं…अपने हर काम को जिम्मेदारी से कीजिये। अगर बोझ समझ कर करेंगे तो आप उस काम में कभी सफल नहीं हो पायेंगे। इसीलिए सफल होने के लिए आपका एक जिम्मेदार इंसान होना बेहद जरुरी है* *गोविद*🙏🏻🙏🏻

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सत्संग का क्या महत्व है।

*बहुत ही सुंदर कथा

एक संत रोज अपने शिष्यों को गीता पढ़ाते थे। सभी शिष्य इससे खुश थे लेकिन एक शिष्य चिंतित दिखा। संत ने उससे इसका कारण पूछा। शिष्य ने कहा- गुरुदेव, मुझे आप जो कुछ पढ़ाते हैं, वह समझ में नहीं आता, मैं इसी वजह से चिंतित और दुखी हूं। गुरु ने कहा- कोयला ढोने वाली टोकरी में जल भर कर ले आओ। शिष्य चकित हुआ, आखिर टोकरी में कैसे जल भरेगा? लेकिन चूंकि गुरु ने यह आदेश दिया था, इसलिए वह टोकरी में नदी का जल भरा और दौड़ पड़ा लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। जल टोकरी से छन कर गिर पड़ा। उसने टोकरी में जल भर कर कई बार गुरु जी तक दौड़ लगाई लेकिन टोकरी में जल टिकता ही नहीं था। तब वह अपने गुरुदेव के पास गया और बोला- गुरुदेव, टोकरी में पानी ले आना संभव नहीं, कोई फायदा नहीं। गुरु बोले- फायदा है। टोकरी में देखो। शिष्य ने देखा- बार बार पानी में कोयले की टोकरी डुबाने से स्वच्छ हो गई है। उसका कालापन धुल गया है। गुरु ने कहा- ठीक जैसे कोयले की टोकरी स्वच्छ हो गई और तुम्हें पता भी नहीं चला। उसी तरह सत्संग बार बार सुनने से ही कृपा शुरू हो जाती है । भले ही अभी तुम्हारी समझ में नहीं आ रहा है लेकिन तुम सत्संग का लाभ अपने जीवन मे जरुर महसूस करोगे और हमेशा गुरु की रहमत तुम पर बनी रहेगी
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