दीपो भक्षयते ध्वान्तं कज्जलं च प्रसूयते।
यदन्नं भक्षयेन्नित्यं जायते तादृशी प्रजा॥
चाणक्यनीति
दीप lamp, light प्रथमैकवचनान्त:(पु)
→ दीप:
भक्ष् to eat, to consume प्रथम पुरुष वर्तमानकालवाचक एकवचनम्
→ भक्षयते
ध्वान्त darkness द्वितीयैकवचनान्त:(न)
→ ध्वान्तम्
कज्जल black soot, lampblack द्वितीयैकवचनान्त:(न)
→ कज्जलम्
च and
प्रसु beget, give birth to, bring forth प्रथम पुरुष वर्तमानकालवाचक एकवचनम्
→ प्रसूयते
यद् that, which द्वितीयैकवचनान्त:(न)
→ यद्
अन्न grain, cereal, food द्वितीयैकवचनान्त:(न)
→ अन्नम्
भक्ष् to eat, to consume प्रथम पुरुष विध्यर्थ एकवचनम्
→ भक्षयेत्
नित्यम् daily
जन् to be born or produced, to come into existence प्रथम पुरुष वर्तमानकालवाचक एकवचनम्
→ जायते
तादृक्ष that kind, that type, that like प्रथमैकवचनान्त:(स्त्री)
→ तादृशी
प्रजा procreation, propagation प्रथमैकवचनान्त:(स्त्री)
→ प्रजा
(जसा) दिवा काळोखाला खातो (नाहीसा करतो) आणि (काळी) काजळी निर्माण करतो, (तसा) (मनुष्य) ज्या प्रकारचे अन्नसेवन करतो त्याच प्रकारची त्याची संतति उपजते.
(Just as) lamp eats (destroys) darkness and produces (black) soot, in the same manner (quality of) food (man) eats daily, has an influence on his offspring’s nature.
जैसे दीप अन्धकार का भक्षण करता हैं और कज्जल उत्पन्न करता हैं, वैसे ही (मनुष्य) जिस प्रकार का अन्नसेवन करता है, उसी प्रकार की उस की संतान जन्म लेती हैं।
इन हिंदी कहावतों के स्थान पर संस्कृत की सूक्ति बोलें।
1. अपनी डफली अपना राग – मुण्डे मुण्डे मतिर्भिन्ना ।
2. का बरखा जब कृषि सुखाने – पयो गते किं खलु सेतुबन्धनम्।
3. अंधों में काना राजा – निरस्तपादपे देशे एरण्डोपि द्रुमायते।
4. अधजल गगरी छलकत जाए – अर्धोघटो घोषमुपैति शब्दम् ।
5. एक पंथ दो काज – एका क्रिया द्वयर्थकरी प्रसिद्धा।
6. आंख का अंधा नाम नयनसुख – भिक्षार्थं भ्रमते नित्यं नाम किन्तु धनेश्वरः।
7. काल करे सो आज कर, आज करे सो अब – श्वः कर्तव्यानि कार्याणि कुर्यादद्यैव बुद्धिमान्।
8. जैसी करनी वैसी भरनी – यो यद् वपति बीजं लभते तादृशं फलम्।
9. पर उपदेश कुशल बहुतेरे – परोपदेशे पाण्डित्यं सर्वेषां सुकरं नृणाम् ।
10. मुंह में राम बगल में छुरी – विषकुम्भं पयोमुखम्।
11. भूखा क्या नहीं करता – बुभुक्षितः किं न करोति पापम्।