थोड़ा धीरज रख,
थोड़ा और जोर लगाता रह
किस्मत के जंग लगे दरवाजे को,
खुलने में वक्त लगता है
कुछ देर रुकने के बाद,
फिर से चल पड़ना दोस्त
हर ठोकर के बाद,
संभलने में वक्त लगता है
बिखरेगी फिर वही चमक,
तेरे वजूद से तू महसूस करना
टूटे हुए मन को,
संवरने में थोड़ा वक्त लगता है
जो तूने कहा,
कर दिखायेगा रख यकीन
गरजे जब बादल,
तो बरसने में वक्त लगता है
चलता रहूँगा पथ पर,
चलने में माहिर बन जाऊंगा
या तो मंजिल मिल जाएगी,
या अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊंगा,
लक्ष्य भी है, मंज़र भी है,
चुभता मुश्किलों का खंज़र भी है
प्यास भी है, आस भी है,
ख्वाबो का उलझा एहसास भी है
रहता भी है, सहता भी है,
बनकर दरिया सा बहता भी है
पाता भी है, खोता भी है,
लिपट लिपट कर रोता भी है
थकता भी है, चलता भी है,
कागज़ सा दुखो में गलत भी है
गिरता भी है, संभलता भी है,
सपने फिर नए बुनता भी है