काशी संवाद
“एक नवयुवक का प्रतिदिन प्रातः व्यायामशाला में जाने का नियम था। एक दिन किसी कारणवश वह व्यायाम करने न जा सका। नियम न टूटे इस बात को ध्यान में रखते हुए वह कॉलेज जाते समय व्यायामशाला में गया और उसकी माटी को मस्तक पर लगाकर सीधे कॉलेज चला गया.!”
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“पश्चिमी सभ्यता के रंग में रंगे हुए छात्र उसके मस्तक पर लगे माटी के टीके को देखकर हैरान हो गए। एक ने व्यंग्य के स्वर में पूछा:– तुमने कौन सा सौन्दर्य प्रसाधन (Cosmetic) अपने मस्तक पर लगा रखा है। इसे सुनकर पास खड़े और छात्र भी हंसने लगे.!”
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“उस युवक ने बिना विचलित हुए उत्तर दिया:- कि मैँने मस्तक पर अपने देश की माटी का टीका लगा रखा है, यह माटी तुम्हारे मुख पर लगे विदेशी चुने (Powder) से लाख गुना अच्छी है। उस युवक का उत्तर सुनकर पूछने वाला और हँसने वाले छात्र चुप हो गए.!”
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“वह नवयुवक थे परम् पूजनीय माधवराव सदाशिवराव गोलवरकर जी, जो आगे चलकर श्री गुरूजी के नाम से विख्यात हुए और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के दूसरे सरसंघचालक बने। उनकी शिक्षा-दीक्षा ‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय’ में हुई। यहीं पर वे आचार्य भी बने। यह ‘काशी हिन्दू विश्वविद्यालय’ के लिए गर्व की बात है.!”
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“वन्दे-मातरम्”
‘जय माँ भारती’