Nilesh kumar shukla
#ओरछाकेराजा’ #श्रीराम के धाम को मिली नई पहचान, UNESCO विश्व धरोहर में होगा शामिल
मध्यप्रदेश में भगवान राम के धाम ओरछा को दुनिया में नई पहचान मिलने जा रही है। मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में स्थित ओरछा की ऐतिहासिक धरोहर को भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण (ASI) के प्रस्ताव पर यूनेस्को ने विश्व धरोहरों की ‘अस्थायी’ सूची में शामिल कर लिया है। एएसआई ने यह प्रस्ताव एक माह पहले यानी 15 अप्रैल को भेजा था। 16वीं सदी में बुंदेला राजवंश द्वारा बनवाए गए स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने देखने के लिए देश-दुनिया से पर्यटक और श्रद्धालु यहाँ आते हैं और अब यूनेस्को की अस्थायी सूची में शामिल होने के बाद सभी आवश्यक प्रकिया पूरी करके यूनेस्को के पास भेजा जाएगा। दरअसल, किसी भी ऐतिहासिक स्थल, भवन या धरोहर को विश्व धरोहर की सूची में शामिल होने के लिए पहले विश्व धरोहरों की अस्थायी सूची में शामिल होना पड़ता है।
ओरछा स्थित रामराजा मंदिर एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहाँ भगवान राम को भगवान के रूप में पूजने के साथ ही राजा के रूप में भी पूजा जाता है। इनको दिन में पांचों पहर सशस्त्र गार्डों द्वारा गार्ड ऑफ ऑनर (सलामी) दी जाती है। गार्ड ऑफ ऑनर देने के लिए मंदिर के प्रवेश द्वार पर मध्य प्रदेश की स्पेशल आर्म्ड फ़ोर्स (SAF) के 11 जवान तैनात रहते हैं, जो तीन-तीन घंटे के अंतराल से ड्यूटी देते हैं। यह परंपरा तकरीबन 400 साल से चली आ रही है। मान्यताओं के अनुसार, यह मूर्ति मधुकर शाह के राज्यकाल के दौरान उनकी महारानी गणेश कुंवर अयोध्या से लाई थीं।
मंदिर बनने से पहले इसे कुछ समय के लिए इसे महल में स्थापित किया गया। लेकिन मंदिर बनने के बाद कोई भी मूर्ति को उसके स्थान से हिला नहीं पाया। जिसके बाद इसे ईश्वर का चमत्कार मानते हुए महल को ही मंदिर का रूप दे दिया गया और इसका नाम राम राजा मंदिर रख दिया गया। यहाँ के लोगों का मानना है कि भगवान राम हर दिन अदृश्य रूप में इस मंदिर में आते हैं। ओरछा अपने रामराजा मंदिर, शीश महल, जहाँगीर महल, बाग-बगीचे, खुले गलियारे, पत्थरों वाली जाली का काम, वास्तुशिल्प आदि की वजह से आकर्षण का केंद्र बना हुआ है और आने वाले दिनों में इसके विश्व धरोहरों की सूची में शामिल होने की संभावना है।
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